22-01-2013, 08:01 PM | #41 |
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Re: हरिशंकर परसाई की व्यंग्य रचनाये
बन्नू और कमजोर हो गया है। वह अनशन तोड़ने की धमकी हम लोगों को देने लगा है। इससे हम लोगों का मुंह काला हो जाएगा। बाबा सनकीदास ने उसे बहुत समझाया। आज बाबा ने एक और कमाल कर दिया। किसी स्वामी रसानंद का वक्तव्य अख़बारों में छपवाया है। स्वामीजी ने कहा है कि मुझे तपस्या के कारण भूत और भविष्य दिखता है। मैंने पता लगाया है क बन्नू पूर्वजन्म में ऋषि था और सावित्री ऋषि की धर्मपत्नी। बन्नू का नाम उस जन्म में ऋषि वनमानुस था। उसने तीन हजार वर्षों के बाद अब फिर नरदेह धारण की है। सावित्री का इससे जन्म-जन्मान्तर का संबंध है। यह घोर अधर्म है कि एक ऋषि की पत्नी को राधिका प्रसाद-जैसा साधारण आदमी अपने घर में रखे। समस्त धर्मप्राण जनता से मेरा आग्रह है कि इस अधर्म को न होने दें। इस वक्तव्य का अच्छा असर हुआ। कुछ लोग ‘धर्म की जय हो!’ नारे लगाते पाये गये। एक भीड़ राधिका बाबू के घर के सामने नारे लगा रही थी… “राधिका प्रसाद पापी है! पापी का नाश हो! धर्म की जय हो।” स्वामीजी ने मंदिरों में बन्नू की प्राण-रक्षा के लिए प्रार्थना का आयोजन करा दिया है। |
22-01-2013, 08:01 PM | #42 |
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Re: हरिशंकर परसाई की व्यंग्य रचनाये
15 जनवरी |
22-01-2013, 08:02 PM | #43 |
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Re: हरिशंकर परसाई की व्यंग्य रचनाये
अखबार अनशन के समाचारों से भरे हैं।
आज एक भीड़ हमने प्रधानमंत्री के बंगले पर हस्तक्षेप की मांग करने और बन्नू के प्राण बचाने की अपील करने भेजी थी। प्रधानमंत्री ने मिलने से इनकार कर दिया। देखते हैं कब तक नहीं मिलते। शाम को जयप्रकाश नारायण आ गये। नाराज थे। कहने लगे, “किस-किस के प्राण बचाऊं मैं? मेरा क्या यही धंधा है? रोज कोई अनशन पर बैठ जाता है और चिल्लाता है प्राण बचाओ। प्राण बचाना है तो खाना क्यों नहीं लेता? प्राण बचाने के लिए मध्यस्थ की कहां जरूरत है? यह भी कोई बात है! दूसरे की बीवी छीनने के लिए अनशन के पवित्र अस्त्र का उपयोग किया जाने लगा है।” हमने समझाया, “यह ‘इशू’ जरा दूसरे किस्म का है। आत्मा से पुकार उठी थी।” वे शांत हुए। बोले, “अगर आत्मा की बात है तो मैं इसमें हाथ डालूंगा।” मैंने कहा, “फिर कोटि-कोटि धर्मप्राण जनता की भावना इसके साथ जुड़ गयी है।” जयप्रकाश बाबू मध्यस्थता करने को राजी हो गये। वे सावित्री और उसके पति से मिलकर फिर प्रधानमंत्री से मिलेंगे। बन्नू बड़े दीनभाव जयप्रकाश बाबू की तरफ देख रहा था। बाद में हमने उससे कहा, “अबे साले, इस तरह दीनता से मत देखा कर। तेरी कमजोरी ताड़ लेगा तो कोई भी नेता तुझे मुसम्मी का रस पिला देगा। देखता नहीं है, कितने ही नेता झोलों में मुसम्मी रखे तंबू के आस-पास घूम रहे हैं।” |
22-01-2013, 08:02 PM | #44 |
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Re: हरिशंकर परसाई की व्यंग्य रचनाये
16 जनवरी |
22-01-2013, 08:03 PM | #45 |
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Re: हरिशंकर परसाई की व्यंग्य रचनाये
7 जनवरी
आज के अखबारों में ये शीर्षक हैं – “बन्नू के प्राण बचाओ!” “बन्नू की हालत चिंताजनक!” “मंदिरों में प्राण-रक्षा के लिए प्रार्थना!” एक अख़बार में हमने विज्ञापन रेट पर यह भी छपवा लिया – “कोटि-कोटि धर्म-प्राण जनता की मांग! बन्नू की प्राण-रक्षा की जाए!” “बन्नू की मृत्यु के भयंकर परिणाम होंगे!” ब्राह्मण-सभा के मंत्री का वक्तव्य छप गया। उन्होंने ब्राह्मण जाति की इज्जत का मामला इसे बना लिया था। सीधी कार्यवाही की धमकी दी थी। हमने चार गुंडों को कायस्थों के घरों पर पत्थर फेंकने के लिए तय कर किया है। इससे निपटकर वही लोग ब्राह्मणों के घर पर पत्थर फेंकेंगे। पैसे बन्नू ने पेशगी दे दिये हैं। बाबा का कहना है कि कल या परसों तक कर्फ्यू लगवा दिया जाना चाहिए। दफा 144 तो लग ही जाए। इससे ‘केस’ मजबूत होगा। |
22-01-2013, 08:04 PM | #46 |
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Re: हरिशंकर परसाई की व्यंग्य रचनाये
18 जनवरी |
22-01-2013, 08:04 PM | #47 |
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Re: हरिशंकर परसाई की व्यंग्य रचनाये
19 जनवरी |
22-01-2013, 08:05 PM | #48 |
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Re: हरिशंकर परसाई की व्यंग्य रचनाये
20 जनवरी |
22-01-2013, 08:05 PM | #49 |
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Re: हरिशंकर परसाई की व्यंग्य रचनाये
21 जनवरी |
22-01-2013, 10:39 PM | #50 |
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Re: हरिशंकर परसाई की व्यंग्य रचनाये
बहुत बढ़िया अनजानजी और मधुजी, आप दोनों ने तो समा बांध दिया।
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