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Old 11-03-2014, 12:08 AM   #1
rajnish manga
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Default रहस्य रोमांच की कहानियाँ

रहस्य रोमांच की कहानियाँ
हॉस्टल वाला भूत

हमारे गाँव के पास ही एक स्नातकोत्तर महाविद्यालय है। इसकी गणना एक बहुत ही अच्छे शिक्षण संस्थान के रूप में होती है। दूर-दूर से बच्चे यहाँ शिक्षा-ग्रहण के लिए आते हैं। 7-8 साल पहले की बात है। बिहार काएक लड़का यहाँ हॅास्टल में रहकर पढ़ाई करता था। वह बहुत ही मेधावी और मिलनसार था। हॅास्टल में उसके साथ रहनेवाले अन्य बच्चे उसे दूबे-भाई दूबे-भाई कियाकरते थे।

एकबार की बात है कि वह अपने बड़े भाई की शादी में सम्मिलित होने के लिए 15 दिन के लिए गाँव गया। हॅास्टल के अन्य बच्चों ने उससे कहा कि दूबे भाई जल्दी ही वापस आ जाइएगा। 15 दिन के बाद वह लड़का फिर से आकर हॅास्टल में रहने लगा। लेकिन अब वह अपने दोस्तों से कम बात करता था। यहाँ तक कि वह उनके साथ खाना भी नहीं खाता था और कहता था कि बाद में खा लूँगा। अब वह पढ़नेमें भी कम रुचि लेता था। जब उसके साथवाले बच्चे उससे कुछ बात करना चाहते थे तो वह टाल जाता था। वह दिन भर पता नहीं कहाँ रहता था और रात को केवल सोने के लिए हॅास्टल में आता था।

घर से हॅास्टल में आए उसे अभी एक हफ्ता ही हुआ था कि एक दिन उसके कुछ घरवाले हॅास्टल में आए। सबके चेहरे पर उदासी थी। एक लड़का उन लोगों से बोल पड़ा कि दूबे भाई तो अभी हैं नहीं, वे तो केवल रात को सोने आते हैं। उस लड़के की बात सुनकर दूबे के घरवाले फफक कर रो पड़े और बोले वह रात को भी कैसे आ सकता है।

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Old 11-03-2014, 12:09 AM   #2
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Default Re: रहस्य रोमांच की कहानियाँ

उन्होंने बताया कि हमलोग तो उसका सामान लेने आए हैं। अब वह नहीं रहा। हॅास्टल से जाने के दो दिन बाद ही वह मोटर-साइकिल से एक रिस्तेदार के यहाँ जा रहा था कि अचानक उसकी मोटर-साइकिल सामने से आते एक तेज ट्रक से टकरा गई थी और वह ऑन द स्पाट ही काल के गाल में समा गया था। इतना कहकर वे लोग और तेज रोने लगे। हॅास्टल के जो बच्चे ये बात सुन रहे थे उनकी काटो तो खून नहीं वाली स्थिति हो गयी थी और रोमांच के कारण उनके शरीर के रोयें खड़े हो गए थे। वे बार-बार यही सोच रहे थे कि रात को जो लड़का उनके पास सोता था या जिसे वे देखते थे क्या वह दूबे भाई का भूत था।

खैर उस दिन के बाद दूबे भाई का भूत फिर कभी सोने के लिए हास्टल में नहीं आया पर कई महीनों तक हॅास्टल के सारे बच्चे खौफ में जीते रहे और दूबे भाई के रहनेवाले कमरे में ताला लटकता रहा। लोग कहते रहे कि दूबे भाई को अपने हॅास्टल से बहुत ही लगाव था इसलिए स्वर्गीय होने के बाद भी वे हॅास्टल का मोह छोड़ न सके। कहते हैं आज भी जो बच्चे दूबे भाई के भूत के साथ सोते थे डरे-सहमे ही रहते हैं। यह घटना सही है या गलत; यह मैं नहीं कह सकता। क्योंकि मैंने यह घटना अपने क्षेत्र के कुछ लोगों से सुनी है। खैर भगवान दूबे भाई की आत्मा को शांति और मोक्ष प्रदान करें।

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Old 11-03-2014, 12:16 AM   #3
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Default Re: रहस्य रोमांच की कहानियाँ

भूतों का सामना

बचपन में लोगों से भूतों की तरह तरह की कहानियां अक्सर सुनने को मिलती थी। उन कहानियों में रात को गांव की गली में भूत ने किसी पर अचानक ईंट फेंकी तो किसी व्यक्तिको रात में खेतों से लौटते रास्ते में कोई वृक्ष बिना हवा के हिलता नजर आता था तो किसी का पीपल के पेड़ के पास पहुँचते ही पीपल के पेड़ की अजीबो-गरीब हरकतों से सामना होता था कई लोग बताते थे कि रात को खेत से लौटते समय कैसे भूत ने उनकी धोती का पल्लू पकड़ लिया वो कैसे उससे पिंड छुड़वा कर भागे |

लगभग 1984-85 के दौरान हमारे गांव के बस स्टैंड के पास ही एक वाहन दुर्घटना में एक ही परिवार के 16-17 लोगों की मौत हो गयी थी और इन दर्दनाक अकाल मौतों की वजह से उनके भूत बनने की अफवाहे जोरों से फेल गयी थी शाम 8 बजे के बाद तो कोई भी व्यक्ति अकेला बस स्टैंड पर जाने की हिम्मत तक नहीं करता था | सिर्फ गांव का पूर्व सरपंच गोरु किर्डोलिया, जो उस समय रोडवेज़ में कंडक्टर था, ही रोजाना अपनी ड्यूटी से देर रात को उधर से आता था या कभी-कभार मुझे देर रात को शहर से गांव पहुँचने पर बस स्टैंड पर आना होता था | बस स्टैंड पर रात को बस उतरते ही दिल की धड़कन अपने आप तेज हो जाया करती थी शरीर के रोंगटे खड़े हो जाया करते थे और कदम घर जल्दी पहुँचने की पूरी तत्परता दिखाते थेi

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Old 11-03-2014, 12:17 AM   #4
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Default Re: रहस्य रोमांच की कहानियाँ

तब यह सुन रखा था कि भूत हथियार के पास नहीं आते अतः जिस दिन देर से आना होता था उस दिन एक बटन वाला रामपुरी चाकू साथ लेकर जाता था बस ये समझ लीजिये उस चाकू के सहारे ही देर रात बस से उतरने की हिम्मत बनती थी | क्योकि बस स्टैंड पर उस दुर्घटना में मरे भूतो का डर तो आगे रास्ते में श्मशान में गांव के भूतों का डर | उन्ही दिनों एक दिन शहर से आते आते मुझे रात के साढ़े दस बज गए। अँधेरी रात थी बस स्टैंड पर बस से उतरते ही वहाँ पसरे सन्नाटे ने दिल की धड़कन तेज करदी,शरीर के रोंगटे उठ खड़े हुए डर के मारे रामपुरी चाकू अपने आप हमेशा की तरह हाथ में आ गया जिसके बूते ही हिम्मत कर में अपने घर की तरफ बढ़ा |

बस स्टैंड से गांव के बीच लगभग 400 मीटर पुरानी ज़माने से ही गोचर भूमि छोड़ी हुई है इसी खाली भू-भाग में ही गांव की सभी जातियों के अलग अलग श्मशान स्थल भी बने हुए है जो भूतों का डर कुछ और बढ़ा देते थे | रामपुरी चाकू हाथ में ले मैं हिम्मत करके गांव की तरफ थोडा ही आगे बढा ही था कि गौचर भूमि की झाडियों के पीछे से अचानक एक साथ कई पेरों की दड-बड़ दड-बड़ आवाज सुनाई दी जैसे ही में रुका वह आवाज भी रुक गयी और मेरे चलते ही वह आवाज फिर अचानक सुनाई दी में समझ चूका था कि आज ये कोई और नहीं भूत ही है जो मुझे डराने कि कोशिश कर रहे है लेकिन रामपुरी चाकू के हाथ में होते में भी हिम्मत नहीं हार रहा था साथ ही ऐसे वक्त पर हनुमान चालीसा तो अपने आप याद आ ही जाता है सो इन्ही दो चीजों के सहारे मैं घर पहुँच गया लेकिन घटना के बारे में मैंने घर पर किसी को नहीं बताया |

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Old 11-03-2014, 12:18 AM   #5
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Default Re: रहस्य रोमांच की कहानियाँ

रात को बड़ी मुश्किल से नींद आई क्योकि घर में ऊपर बने मेरे कमरे की खिड़की उसी तरफ खुलती थी और दिन में तो खिड़की से दूर तक पूरा बस स्टैंड और पूरी गौचर भूमि नजर आती थी आखिर डर कम करने के वास्ते मैं सिरहाने तलवार रखकर सो गया | तलवार भी इसीलिए कि हथियार के पास भूत नहीं आएगा. दूसरे दिन सुबह 8 बजे फिर मुझे बस पकड़नी थी, सो बस स्टैंड जाते समय जैसे ही में रात वाली उसी जगह पहुंचा झाडियों के पीछे से अचानक वही आवाज मुझे फिर सुनाई दी हालाँकि दिन होने की वजह से ये आवाज कुछ धीमी थी व डरावनी नहीं लग रही थी| मैं रुका तो वो कदमो की आवाज भी रुक गयीi

मेरे उधर नजर दौड़ते ही मुझे एक मृत पशु दिखाई दिया जिसे एक कुतों का झुंड नोचने लगा था मेरे पास से गुजरते ही वो कुत्तों का पूरा झुंड एकदम से दूर भागा और रुक गया मेरे दुबारा चलने पर फिर वह झुंड पीछे हटने को एकदम थोड़ा फिर भागा और रुक गया ऐसा ही रात को हुआ था| लेकिन रात्रि की घटना में अँधेरी रात होने की वजह से कुत्ते दिखाई नहीं दे रहे थे और भूतों की सुनी हुई बातों के आगे दिमाग उस हर हरकत को भूतों की हरकत ही समझ रहा था इस तरह सुबह दुबारा उसी स्थान से गुजरने पर उस गलतफहमी का निराकरण हो सका वरना मैं भी आजतक उस ग़लतफ़हमी को असली भूतों की घटना मान दूसरो को सुनाता रहता और लोगों के मन में भूत के अस्तित्व की धारणा और ज्यादा मजबूत होती | शायद पुराने समय में गांवों में रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था न होने, जनसंख्या कम होने, सूनापन अधिक होने की वजह से और ऐसी ग़लतफ़हमी वाली घटनाओं का निराकरण न होने के कारण लोग इन घटनाओं को भूतों से सम्बंधित ही मान बैठते थे और फिर चटखारे ले लेकर दूसरो को सुनाते थे जो भूत होने की धारणाको और मजबूत कर देते थे |
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Old 11-03-2014, 12:22 AM   #6
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Default Re: रहस्य रोमांच की कहानियाँ

भूतों की बावड़ी

राजस्थान के जोधपुर शहर तथा उसके आसपास के क्षेत्रों में पानी की अनेक बावड़ियां हैं, जिन्हें या तो राजा-महाराजाओं ने बनवाया था, या फिर उनकी महारानियों ने। पानी की अनेकानेक ऐसी बावडियों में से एक ऐसी भी बावडी है, जिसे भूतों ने बनवाया था। इसे भूत बावडी के नाम से जाना जाता है। जोधपुर से नब्बे किलोमीटर दूर पीपड-मेहता सिटी राजमार्ग के बीच बसा है रठासी' नामक ऐतिहासिक गांव। मारवाड का इतिहास इस बात का साक्षी है कि जब जोधपुर में राजपूतों की चम्पावत' शाखा विभाजित हुई, तो उन्होंने कापरडा' गांव को अपना निवास स्थान बनाया था लेकिन यहां बसने वाले युवा कुंआरों ने गांव के किसी ऋषि की बगीची उजाडने के साथ-साथ उसकी साधना में भी विध्न डाला था, तब ऋषि ने कुपित होकर उन कुंआरों को शाप दे दिया था कि इस गांव में उनके वंशज पनप नहीं सकेंगे। बाद में यहां के कुंआरों ने शाप के भय से कापरडा गांव को छोड दिया तथा वे जिस गांव में जाकर बसे, वह आज रणसी गांवके नाम से प्रसिद्ध है।

रणसी गांव में भूतों के सहयोग से बनी पानी की विशाल बावडी तथा ठाकुर जयसिंह का महल इतना चर्चित है कि आज भी लोग बहुत दूर-दूर से उन्हें देखने आते हैं। रहस्यमयी बावडी के संबंध में कहा जाता है कि ठाकुर जयसिंह घोडे पर सवार होकर जोधपुरसे रणसी गांव की ओर अपने सेवकों के साथ वहां के प्रसिद्ध मेले गणगोरियों, को देखने निकले। राह में सेवकों के घोड़े काफी आगे निकल गये और ठाकुर जयसिंह पीछे छूट गए। राजा का घोडा काफी थक चुका था। तथा उसे प्यास भी लगी थी। रास्ते में एक तालाब को देखकर ठाकुर जयसिंह ने अपने घोड़े को रोका और नीचे उतरकर घोडे को पानी पिलाने के लिए उस तालाब के पास पहुंचे। उस समय आधी रात बीत चुकी थी। घोडा पानी पीने के लिए ज्यों ही आगे बढा, जयसिंह को तालाब के किनारे एक आकृति दिखाई दी। वह आकृति तुरंत ही आदमी के रूप में बदल गई। ठाकुर साहब को बहुत आश्चर्य हुआ। उस आदमी ने कहा मैं भूत हूं। किसी शाप के कारण इस तालाब को छू नहीं सकता। मुझे भी जोर से प्यास लगी है, पानी पिलाइये।' ठाकुर जयसिंह ने निर्भीकता पूर्वक उस आत्मा को पानी पिला दिया।

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Old 06-05-2014, 10:52 AM   #7
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Default Re: रहस्य रोमांच की कहानियाँ

रजनीश भाई रहस्य और रोमांच की अति हो गयी
अब जल्दी से इसे ख़त्म कीजिये
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घर से निकले थे लौट कर आने को
मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए
बिगड़ैल
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Old 06-05-2014, 12:03 PM   #8
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Quote:
Originally Posted by ndhebar View Post
रजनीश भाई रहस्य और रोमांच की अति हो गयी
अब जल्दी से इसे ख़त्म कीजिये
लीजिये मित्र, आपके आदेशानुसार आज इस कहानी को इसके अंजाम तक पहुंचा देते हैं.






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Default Re: रहस्य रोमांच की कहानियाँ

मेरी तबियत बिलकुल ठीक है. लेकिन इस वक्त घर में कोई नहीं है इसलिए मैं आपसे अकेले मैं कुछ बात करना चाहता हूँ अजय ने शीतल से कहा.

अकेले में बात? ऐसी क्या बात है?” शीतल ने आश्चर्य से पूछा.
जो बात मैं आपको बताने जा रहा हूँ. वो बात आपके लिए बर्दाश्त के बाहर और कष्टदायक होगी इसलिए मेरी बात सुनने से पहले अपनी पूरी हिम्मत बटोर ले फिर सुनें अजय ने कहा
शीतल ने धड़कते दिल से कहा -क्या मतलब है तुम्हारा? साफ़ साफ़ कहो क्या कहना चाहते हो तुम?”
मैं ये कहना चाहता हूँ कि मैं आपका पति नहीं हूँ.उसने शीतल से कहा तो उसकी बात सुन कर शीतल के पैरों के नीचे से जमीन सरकने लगी थी. अनहोनी की आशंका और बढ़ गई. दिल और तेज़ी से धड़कने लगा.
............
आपके पति अब इस दुनिया में नहीं है सुनते ही शीतल के सर जैसे आसमान टूट पड़ा. दिल पर बिजली गिर पड़ी.

नहीं! ये नहीं हो सकता बदहवास शीतल दीवार पर सर टिका कर फूट फूट कर रोने लगी.

धोखेबाज़, पापी, हत्यारे. तुम्हारी ये हिम्मत, मेरे पति की हत्या करके खुद बैठ गया मेरे पति की जगह. अरे नीच मैंने तो तुझे उसी दिन पहचान लिया था की तू अजय नहीं है. जिस दिन तुमने बिमारी का नाटक करके मौन धारण कर लिया था.”
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Last edited by rajnish manga; 06-05-2014 at 12:11 PM.
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Default Re: रहस्य रोमांच की कहानियाँ

बेशक आप मुझे फांसी पर लटकाइए. मुझे इसका कोई अफसोस नहीं. लेकिन पहले जो मैं कह रहा हूँ वो बात सुनिये.

कहो मैं सुन रही हूँशीतल ने उसकी बात सुनने की सहमति देते हुए कहा.
मैं आपके पति का हत्यारा नहीं हूँ. अगर होता तो मैं ये बात आपको कभी नहीं बताता. प्रकृति ने मेरे खुद के साथ एक क्रूर मजाक किया है. प्रकृति द्वारा किये गए क्रूर मजाक का जीता जागता नमूना हूँ मैं
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हुआ यह था कि यमदूतों ने सूक्ष्म जानकारी गुम हो जाने की वजह से और एक नामराशि (तथा एक ही कारखाने से सम्बद्ध) होने के कारण मजदूर अजय के प्राण ले लिये. जब उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ उस समय तक मजदूर अजय का दाह संस्कार कर दिया था. अब उसका भौतिक शरीर नष्ट हो चुका था. अब क्या किया जाए, यमदूत सोचने लगे. तभी उनका ध्यान फैक्ट्री के मालिक अजय मलूका की ओर गया. असल में इसी अजय के प्राण लेने के लिये यमदूत आये थे.

अपनी योजना पर कार्य करते हुये, उन्होंने अजय मलूका के प्राण उसके शरीर से निकाल लिये और उसके स्थान पर उस शरीर में फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर अजय के प्राण डाल दिए. अब शरीर तो अजय मलूका का था लेकिन उसमे आत्मा मजदूर अजय की आ गयी थी.

ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है. अब तुम दोनों मुझे किसी दूसरे के शरीर में डाल कर जा रहे हो. मेरे बीवी बच्चे का क्या होगा?” प्राणी ने रोते हुए यमदूत की बात पर प्रतिक्रया दी.
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