10-07-2014, 10:00 PM | #1 |
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जीवन सन्देश
मैंने तीन फकीरों के बारे में सुना है। उनके नाम का कोई उल्लेख नाम नहीं क्योंकि उन्होंने कभी किसी को अपना नाम नहीं बताया, उन्होंने कभी किसी बात का जवाब नहीं दिया इसलिए चीन में उन्हें बस ‘तीन हंसते फकीरो’ के नाम से ही जाना जाता है। वे एक ही काम करते थे-वे किसी गांव में प्रवेश करते, बाजार में खड़े हो जाते और हंसना शुरु कर देते। अचानक लोग सजग हो जाते और वे अपने पूरे प्राणों से हंसते। फिर दूसरे लोग प्रभावित हो जाते और एक भीड़ जमा हो जाती और उनको देखने भर से ही पूरी भीड़ भी हंसने लगती। यह क्या हो रहा है? फिर पूरा शहर सम्मिलित हो जाता और वे फकीर किसी दूसरे शहर को चल देते। उन्हें बहुत प्रेम किया जाता था। उनका यही एकमात्र उपदेश था, यही एक संदेश था कि हंसों। और वे कुछ सिखाते नहीं थे, बस परिस्थिति पैदा कर देते थे। फिर ऐसा हुआ कि वे देश भर में प्रसिद्ध हो गए-‘तीन हंसते फकीर’। पूरा चीन उनको प्रेम करता था, उनका सम्मान करता था। किसी ने भी इस तरह से शिक्षा नहीं दी-कि जीवन एक हंसी होना चाहिए और अन्यथा कुछ भी नहीं। और वे किसी व्यक्ति विशेष पर नहीं हंस रहे थे लेकिन बस हंस रहे थे, जैसे कि वे ब्रह्मंडीय मजाक को समझा गया हों। एक शब्द भी बिना बोलें उन्होंने पूरे चीन भर में बहुत आनंद फैलाया। लोग उनके नाम पूछते लेकिन वे बस हंस देते तो यही उनका नाम हो गया-‘तीन हंसते फकीर।’ फिर वे वृद्ध हुए और किसी गांव में, उनमें से एक फकीर मर गया। पूरा गांव अपेक्षा करता था, बहुत अपेक्षा से भर गया था क्योंकि अब तो कम से कम उन्हें रोना ही चाहिए जब कि कि उनमें से एक फकीर मर गया है। यह देखने जैसा होगा क्योंकि इन लोगों के रोने की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। पूरा गांव जमा हो गया। दो फकीर तीसरे फकीर की लाश के पास खड़े थे और दिल खोल कर हंस रहे थे तो गांव वालों ने पूछा, ‘‘कम से कम यह तो समझाएं।’’ तो पहली बार वे बोले और उन्होंने कहा, ‘‘हम इसलिए हंस रहे हैं कि यह आदमी जीत गया। हम हमेशा ही सोचते थे कि कौन पहले मरेगा और इस आदमी ने हमें हरा दिया। हम अपनी पराजय पर और उसकी जीत पर हंस रहे हैं और फिर, वह इतने वर्ष हमारे साथ रहा और हम एक साथ हंसे और हमने एक-दूसरे के साथ का, मौजूदगी का आनंद लिया उसे अंतिम विदा देने का कोई और उपाय नहीं हो सकता। हम हंस भर सकते है।’’ पूरा गांव दुखी था लेकिन जब मृत फकीर की देह को चिता पर रखा गया तो पूरे गांव को पता चला कि यही दोनों नहीं हंस रहे थे-तीसरा, जो मर गया था वह हंस रहा था क्योंकि वह तीसरा व्यक्ति जो मर गया था, उसने अपने साथियों को कहा था, ‘‘मेरे कपड़े मत बदलना।’’ ऐसा रिवाज था कि जब कोई व्यक्ति मर जाता तो वे उसके कपड़े बदलते और उसके शरीर को नहलाते तो उसने कह रखा था, ‘‘मुझे नहलाना मत क्योंकि मैं कभी भी गंदा नहीं रहा। मेरे जीवन में इतनी हंसी थी कि कोई भी अशुद्धता मेरे पास जमा नहीं हो सकती, मेरे पास भी नहीं फटक सकती। मैंने कोई धूल इकट्ठी नहीं की; हंसी सदा ही युवा ताजी होती है। तो मुझे नहलाना मत और न ही मेरे कपड़े बदलना।’’ तो बस उसे सम्मान प्रकट करने के लिए, उन्होंने उसके कपड़े नहीं बदले और जब शरीर को चिता पर रखा गया तो अचानक उन्हें पता चला कि उसने अपने कपड़ो के नीचे बहुत-सी चीजें छिपा ली थीं और वे सभी चीजें शुरू हो गई-चीनी आतिशबाजी!! तो पूरा गांव हंसा और वे दो फकीर बोले, ‘‘बदमाश। तू मर गया, लेकिन तूने दोबारा हमें हरा दिया। तेरी हंसी ही अंतिम रही।’’ जब इस ब्रह्यांड का पूरा मजाक समझ लिया जाता है तो एक ब्रह्यांडीय हंसी उठती है। वह उच्चतम है। केवल कोई बुद्ध ही उस भांति हंस सकता है। वे तीन फकीर निश्चित ही बुद्ध रहे होंगे।’ -ओशो पुस्तकः व्यंगम् शरणम् गच्छामि से संकलित
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
10-07-2014, 10:57 PM | #2 |
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Re: जीवन सन्देश
जिन्दगी पर व्यंग करनेवाला सुंदर आख्यान.........
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11-07-2014, 06:38 AM | #3 |
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Re: जीवन सन्देश
'संस्कार की छाया ' सर्दी का मौसम ,शीत लहर .ठंडी रात .धनी आदमी ने देखा -एक आदमी खुले आकाश के निचे सो रहा है .उसके मन में करुणा जागी .उसके पास जा कर बोला -'आओ तुम भीतर कमरे में सो जाओ '.उस व्यक्ति ने अनुरोध स्वीकार किया और कमरे में जा कर सो गया .प्रातः काल उठा .धनी आदमी ने पूछा -'ठण्ड तो नहीं लगी ?' 'नहीं ' धनी आदमी -'नींद अच्छी आई ?' 'नहीं नींद बिलकुल नहीं आई '. धनी आदमी -क्यों ? '-क्या बताऊँ साहब ! रात भर डरता रहा ,छत कहीं गिर न जाये .' संस्कार अपना अपना होता है .छत के नीचे सोने वाला मुक्त आकाश में सोने से डरता है और मुक्त आकाश में सुख की नींद लेने वाला सुरक्षित कक्ष में भी डरता है
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11-07-2014, 08:26 AM | #4 |
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Re: जीवन सन्देश
'ब्रहमांड को हँसाने वाले तीन बुद्ध' तथा 'छत व आकाश के नीचे सोने वाले व्यक्तियों के संस्कार' पाठक के हृदय को द्रवित कर देते हैं. इन प्रेरक प्रसंगों को फोरम पर प्रस्तुत करने के लिये मेरा धन्यवाद स्वीकार करें.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
11-07-2014, 10:14 AM | #5 |
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Re: जीवन सन्देश
आपकी इन कहानियो में जीवन का महा मन्त्र छूपा हूआ है !
बहुत अच्छे ,धन्यवाद मित्र
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14-07-2014, 05:00 PM | #6 |
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Re: जीवन सन्देश
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15-07-2014, 09:30 AM | #7 |
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Re: जीवन सन्देश
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15-07-2014, 01:03 PM | #8 |
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Re: जीवन सन्देश
सुंदर प्रस्तुति...
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