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Old 18-09-2014, 11:29 PM   #21
Dr.Shree Vijay
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Default Re: ऐसा देस हो मेरा


प्रिय पवित्रा जी, बेहतरीन सोंच के साथ अच्छे प्रश्नों को सुंदर ढंग से उठाने के लिये आपका हार्दिक धन्यवाद.........


__________________


*** Dr.Shri Vijay Ji ***

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.........: सूत्र पर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दे :.........


Disclaimer:All these my post have been collected from the internet and none is my own property. By chance,any of this is copyright, please feel free to contact me for its removal from the thread.



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Old 19-09-2014, 12:46 AM   #22
soni pushpa
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Originally Posted by dr.shree vijay View Post

प्रिय पवित्रा जी, बेहतरीन सोंच के साथ अच्छे प्रश्नों को सुंदर ढंग से उठाने के लिये आपका हार्दिक धन्यवाद.........


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Originally Posted by lavanya View Post
रफीक जी यही तो वो खामियां हैं जिन्हे हमें दूर करना है , और देश की शिक्षा प्रणाली को सुधारना है।
इस सूत्र का मकसद सिर्फ समस्याएं गिनना नहीं है , अपितु मैं चाहती हूँ कि हम सभी मिलकर ऐसी योजनाओं ,ideas के बारे में सोचें जिससे ये देश आगे जा सके।

आपने सही कहा कि देश में education loan आसानी से नहीं मिलता , और मोटी फीस होने की वजह से विद्यार्थोयों को न चाहते हुए भी दूसरे विषयों की ओर जाना पड़ता है।
अब समस्या हमारे सामने है , हमें ये सोचना होगा अब कि ऐसा क्या किया जाये जिससे ऐसी समस्या खड़ी न हो।

इसका एक उपाय तो ये हो सकता है कि ज़्यादा स्कूल , कॉलेज खुलवाये जाएं (परन्तु गुणवत्ता का ख्याल रखा जाये )……अर्थशास्त्र का नियम है कि जब किसी प्रोडक्ट की सप्लाई बढ़ती है तो उसके दाम में कमी आती है। तो अगर ज़्यादा स्कूल, कॉलेज होंगे तो मार्किट में बने रहने की होड़ में कोर्सेज कम फीस पर उपलब्ध होंगे। लेकिन हमें स्कूल व कॉलेज की और courses की गुणवत्ता का ख्याल रखना होगा।
tab
और भी उपाय हो सकते हैं मैं चाहूंगी कि हम सब मिलकर और भी उपायों पर विचार करें जिससे देश की प्रगति में सहायक हो सकें।
मेरा एकछोटा सा सुझाव ...ये है कि...
शिक्षकों को अच्छा वेतन दिया ,जाय ताकि वो भी इमानदारी से आपना काम करे, न की अपना अधिकांश समय उन विधार्थियों के लिए रखे जो उनके घर पर पढ़ने आते है, जिनसे उन्हें अच्छी आमदनी होती है . अछे शिक्षक ही अछे नागरिक बना सकते हैं ... इसलिए शिक्षा के सुधार के लिए शिक्षकों की हालत में सुधार बहुत आवश्यक है जब पेड़ की जडें मजबूत होंगी तब ही पेड़ घाना और मजबूत होगा .. आज हम समाचारों में देखते पढ़ते हैं की आज फलां पेपर आउट हुआ (इम्तिहान से पहले) जाहिर है उसकी वजह कही न कहीं पैसा है , आखिर शिक्षक भी एक इन्सान है जब वो भूखा रहेगा तो बेईमानी करेगा और बेईमानी की वजह से ही नकली प्रमाणपत्र व प्रश्नपत्र विद्यार्थियों को मिल जायेंगे .. और इससे होशियार विद्यार्थी पीछे रह जायेंगे और जो कमजोर हैं वो पेपर और प्रमाणपत्र लेकर आगे बढ़ जायें...इस तरह से

अच्छा विषय चुना है आपने लावण्या जी धन्यवाद.........
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Old 19-09-2014, 08:17 AM   #23
Deep_
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Default Re: ऐसा देस हो मेरा

प्रथम तो ईस सुंदर सुत्र के लिए लावण्या जी को हार्दिक धन्यवाद!

'मेरे सपनो का भारत' के बारे में लिखने-कहने बैठे तो बहोत से मुद्दे है जो अभी छेड़ने बाकी है। लेकिन अभी सिर्फ शिक्षा के बारे में कहना चाहूंगा। क्वचित आप सब मेरे विचार से सहमत हो या न हो।

मेरे विचार से पीछले दस-पंद्रह वर्ष से शिक्षा एक बीझनेस बन गया है। पहले तो यह समझमें नहि आ रहा था लेकिन आएदिन खुल रही ईन्टरनेशल स्कूल्स ईस बात का सबुत है। छोटे मामलों मे देखें तो भी हमारे शहेरो की स्कूलो का भी अब यही मक्सद रह गया मालुम पड़ता है।

में अभी भी रोजगार सिखाने वाली शिक्षा से सहमन नहीं हो पा रहा हुं। बच्चों को बहोत सारी चीजॅं अच्छी लगती है जैसे चित्रकला, डान्स, विज्ञान, भुगोल-ईतिहास (डिस्कवरी चेनल की वजह से) लेकिन बिलकुल भी ज़रूरी नहि की उनकी यह 'शौख-ए-जिज्ञासा' हंमेशा के लिए हो! दस-पंद्रह साल के बाद बदल भी सकती है।
या हो सकता है की हम जिस चीझ में पारंगत हो वह चीझ की वेल्यु ही न रहे। हमे चाहिए के हम ईतने समर्थ हो की अपनी शुरूआत जीवन के कीसी भी स्टेज से फिर से शुरु कर सकें...खास कर के ईस बदलते रहते विकासमयी माहोल में।

मुझे लगता है के जो शिक्षा चल रही है वह बच्चों को हर विषय के बारे में अधिक से अधिक पारंगत बनाती है। हर विषय का ज्ञान होना हरएक युग में ज़रूरी रहेंगे। जैसे फिलहाल 'मल्टीटॅलेन्ट लोगो' का जमाना चल रहा है, हंमेशा एसे लोग देश-विदेशमें जानेमाने जाते है।

जहां तक रोज़गार का प्रश्न है, सरकार कि जिम्मेदारी है कि हर एक युवान को काम दिलवाए। युवानो को चाहीए कि अपने आप को सज्ज रखें, आने वाली किसी भी तक को वह न छोडें और धैर्य, खंत से लगे रहें।
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Old 19-09-2014, 11:39 PM   #24
Pavitra
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Default Re: ऐसा देस हो मेरा

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Originally Posted by Deep_ View Post
प्रथम तो ईस सुंदर सुत्र के लिए लावण्या जी को हार्दिक धन्यवाद!

'मेरे सपनो का भारत' के बारे में लिखने-कहने बैठे तो बहोत से मुद्दे है जो अभी छेड़ने बाकी है। लेकिन अभी सिर्फ शिक्षा के बारे में कहना चाहूंगा। क्वचित आप सब मेरे विचार से सहमत हो या न हो।

मेरे विचार से पीछले दस-पंद्रह वर्ष से शिक्षा एक बीझनेस बन गया है। पहले तो यह समझमें नहि आ रहा था लेकिन आएदिन खुल रही ईन्टरनेशल स्कूल्स ईस बात का सबुत है। छोटे मामलों मे देखें तो भी हमारे शहेरो की स्कूलो का भी अब यही मक्सद रह गया मालुम पड़ता है।

में अभी भी रोजगार सिखाने वाली शिक्षा से सहमन नहीं हो पा रहा हुं। बच्चों को बहोत सारी चीजॅं अच्छी लगती है जैसे चित्रकला, डान्स, विज्ञान, भुगोल-ईतिहास (डिस्कवरी चेनल की वजह से) लेकिन बिलकुल भी ज़रूरी नहि की उनकी यह 'शौख-ए-जिज्ञासा' हंमेशा के लिए हो! दस-पंद्रह साल के बाद बदल भी सकती है।
या हो सकता है की हम जिस चीझ में पारंगत हो वह चीझ की वेल्यु ही न रहे। हमे चाहिए के हम ईतने समर्थ हो की अपनी शुरूआत जीवन के कीसी भी स्टेज से फिर से शुरु कर सकें...खास कर के ईस बदलते रहते विकासमयी माहोल में।

मुझे लगता है के जो शिक्षा चल रही है वह बच्चों को हर विषय के बारे में अधिक से अधिक पारंगत बनाती है। हर विषय का ज्ञान होना हरएक युग में ज़रूरी रहेंगे। जैसे फिलहाल 'मल्टीटॅलेन्ट लोगो' का जमाना चल रहा है, हंमेशा एसे लोग देश-विदेशमें जानेमाने जाते है।

जहां तक रोज़गार का प्रश्न है, सरकार कि जिम्मेदारी है कि हर एक युवान को काम दिलवाए। युवानो को चाहीए कि अपने आप को सज्ज रखें, आने वाली किसी भी तक को वह न छोडें और धैर्य, खंत से लगे रहें।
दीप जी आपकी बात सही है कि आज का ज़माना मल्टीटैलेंटेड लोगों का है , और ऐसे में ज़्यादा विषयों की जानकारी रखने वाले युवाओं के पास ज़्यादा अवसर उपलब्ध होते हैं। परन्तु अगर हम प्रैक्टिकल हो कर देखें तो हम पाएंगे कि ज़्यादा विषयों में पारंगत होने के चक्कर में युवा किसी एक विषय में भी पारंगत नहीं हो पाते।
अपने देखा होगा कई युवा इंजीनियरिंग करने के बाद , अच्छी जॉब मिले इस वजह से MBA में प्रवेश ले लेते हैं। ऐसा निर्णय लेने के दो कारण होते हैं। एक तो जॉब की कमी और दूसरा Confusion। युवा समझ ही नहीं पाते के वो किस दिशा में जाएं और क्या करने से उनका जीवन बेहतर हो सकेगा।

मैं भी इस पक्ष में हूँ कि 8th या 10th class तक सभी विषयों का ज्ञान विद्यार्थियों को मिले। लेकिन साथ में उन्हें किसी एक विषय में विशेष योग्यता पाने का अवसर भी दिया जाये।

जैसे - उनके लिए सभी विषयों में पासिंग मार्क्स लाना ज़रूरी हो या एक निश्चित परसेंटेज लाना ज़रूरी हो और किसी एक विषय ( जो कि वो खुद अपनी दिलचस्पी और पसंद के आधार पर चुनेंगे) अच्छे अंक लाना आवश्यक हो। इससे विद्यार्थी उस विषय में पारंगत हो सकेंगे। और बचपन से ही उनके दिमाग में स्पष्ट होगा कि उन्हें आगे जाकर क्या करना है।

एक उदहारण देती हूँ - आज क्या होता है कि विद्यार्थी अलग अलग जॉब के लिए अप्लाई करते हैं , जब कहीं भी उनका सिलेक्शन नहीं होता तो टीचर बन जाते हैं। अब खुद सोचिये अगर ऐसे शिक्षक हमें मिलेंगे तो क्या भविष्य होगा हमारे विद्यार्थियों का ?
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Old 19-09-2014, 11:42 PM   #25
Pavitra
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मेरा एकछोटा सा सुझाव ...ये है कि...
शिक्षकों को अच्छा वेतन दिया ,जाय ताकि वो भी इमानदारी से आपना काम करे, न की अपना अधिकांश समय उन विधार्थियों के लिए रखे जो उनके घर पर पढ़ने आते है, जिनसे उन्हें अच्छी आमदनी होती है . अछे शिक्षक ही अछे नागरिक बना सकते हैं ... इसलिए शिक्षा के सुधार के लिए शिक्षकों की हालत में सुधार बहुत आवश्यक है जब पेड़ की जडें मजबूत होंगी तब ही पेड़ घाना और मजबूत होगा .. आज हम समाचारों में देखते पढ़ते हैं की आज फलां पेपर आउट हुआ (इम्तिहान से पहले) जाहिर है उसकी वजह कही न कहीं पैसा है , आखिर शिक्षक भी एक इन्सान है जब वो भूखा रहेगा तो बेईमानी करेगा और बेईमानी की वजह से ही नकली प्रमाणपत्र व प्रश्नपत्र विद्यार्थियों को मिल जायेंगे .. और इससे होशियार विद्यार्थी पीछे रह जायेंगे और जो कमजोर हैं वो पेपर और प्रमाणपत्र लेकर आगे बढ़ जायें...इस तरह से

अच्छा विषय चुना है आपने लावण्या जी धन्यवाद.........

soni pushpa ji सुझाव देने का बहुत बहुत धन्यवाद। आपका सुझाव सही है कि हमें शिक्षकों के वेतन के बारे में भी सोचना चाहिए।
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Old 19-09-2014, 11:45 PM   #26
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Originally Posted by Dr.Shree Vijay View Post

प्रिय पवित्रा जी, बेहतरीन सोंच के साथ अच्छे प्रश्नों को सुंदर ढंग से उठाने के लिये आपका हार्दिक धन्यवाद.........



Dr. Shree Vijay ji शुक्रिया। मुझे प्रोत्साहित करने के लिए भी और आज पहली बार मुझे मेरे वास्तविक नाम से सम्बोधित करने के लिए भी।
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Old 20-09-2014, 10:10 PM   #27
Pavitra
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शिक्षा के सम्बन्ध में जो भी सुधार होने चाहिए , उस पर आप सभी के विचार सादर आमंत्रित हैं। ये देश हम सभी का है तो इसे बेहतर बनाने के लिए भी हम सभी को प्रयास करने होंगे।
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Old 20-09-2014, 10:15 PM   #28
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Default Re: ऐसा देस हो मेरा

जैसा कि मैंने पहले कहा कि देश के विकास के लिए आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति का विकास हो। और ये तभी संभव है जब सभी के पास धनार्जन के साधन हों।

तो अब हम बेरोजगारी दूर करने एवं सभी के पास धनार्जन के स्रोत हों इस पर चर्चा करेंगे।

आप सभी के विचार हमारे लिए आवश्यक हैं। सभी इस चर्चा में भाग लें जिससे देश की प्रगति में हम सहायक हो सकें।
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Old 22-09-2014, 02:24 PM   #29
Pavitra
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Default Re: ऐसा देस हो मेरा

हमारा देश भाग्य प्रधान देश है। यहाँ लोग कर्म से ज़्यादा भाग्य के भरोसे बैठे रहते हैं। नौकरी नहीं मिल रही , क्यों ? जवाब एक ही - किस्मत में ही नहीं है अभी , जब भगवन चाहेंगे तब मिल जाएगी। यानि अब आप नौकरी भी नहीं देख सकते अपने लिए उसके लिए भी भगवन को ही श्रम करना होगा ?

दूसरा दृश्य : आप नौकरी क्यों नहीं कर लेते आप तो काफी पढ़े लिखे हैं। जवाब सुनिए : मुझे तो सरकारी नौकरी ही करनी है , उसके लिए ही प्रयास कर रहा हूँ। अरे! जब तक सरकारी नौकरी नहीं मिलती तब तक प्राइवेट नौकरी ही कर लें। लेकिन नहीं सरकारी नौकरी का इंतज़ार घर बैठ कर करना मंज़ूर है परन्तु प्राइवेट नौकरी नहीं करेंगे।

कुछ लोग अपनी युवावस्था परीक्षा देने में ही निकाल देते हैं , इसकी परीक्षा दे , उसकी परीक्षा दे। और जब तक होश आता है कि कब तक परीक्षा ही देते रहे??? तब तक देर हो जाती है।

और लोगों की ये मानसिकता भी बहुत हद तक ज़िम्मेदार होती है उनकी बेरोजगारी के पीछे।
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Old 22-09-2014, 02:30 PM   #30
Pavitra
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Default Re: ऐसा देस हो मेरा

हमारे देश में एक और भी मानसिकता है लोगों की , लोग खुद का काम करने के बजाय दूसरे के लिए काम करना ज़्यादा आसान समझते हैं। लोग व्यापर या पेशे को चुनने के बजाय नौकरी करना ज़्यादा पसंद करते हैं।

इसके पीछे कई कारण हैं जैसे - उनके पास साधनों (पैसा, विचार आदि ) की कमी होती है , नौकरी में रिस्क कम होता है (क्यूंकि हर महीने एक निश्चित रकम प्राप्त होगी ही होगी ) , व्यापार या पेशे में सिरदर्दी थोड़ी ज़्यादा होती है।
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