22-09-2014, 03:52 PM | #31 |
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Re: ऐसा देस हो मेरा
दूसरे देशों में युवा सुबह कॉलेज या स्कूल जाते हैं , शाम को पार्ट टाइम जॉब करते हैं। पढाई के साथ-साथ अपने पैरों पर खड़े होते हैं। इससे उन्हें अनुभव मिलता है और आत्मविश्वास आता है कि वे अपने दम पर कुछ कर सकते हैं। ये तो बात हुई मानसिक स्तर की अब ज़रा व्यवहारिक स्तर पर बेरोजगारी दूर करने के बारे में सोचा जाये। |
29-09-2014, 10:47 PM | #32 |
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Re: ऐसा देस हो मेरा
किसी भी देश में अगर रोज़गार के अवसर पैदा करने हों तो सबसे पहले रोज़गार देने वाले लोगों की ज़रूरत होती है। यानि अगर देश में लोग स्वरोजगार की तरफ बढ़ें तो रोजगार के ज़्यादा अवसर होंगे। लोगों को अपना व्यवसाय करने की ओर पहल करनी चाहिए , जिससे वो लोग खुद भी धनार्जन कर सकें और दूसरे लोगों को भी रोजगार मुहैया कर सकें।
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29-09-2014, 11:03 PM | #33 |
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Re: ऐसा देस हो मेरा
देश में ज़्यादा निवेश होगा तो उससे देश की अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।
कोई कंपनी जब निवेश करे तो उसके ज़िम्मे एक ज़िम्मेदारी सौंपी जाये , जिस क्षेत्र में वो अपनी इकाई स्थापित करेगी उस क्षेत्र का पूरा विकास उस कंपनी के ज़िम्मे होगा। वहां के लोगों को रोजगार देना , शिक्षित करना , उन्हें अधिकारों और कर्तव्यों के लिए जागरूक करना आदि। ये काम कोई बहुत मुश्किल नहीं है , जो कंपनी इतना निवेश कर रही है वो आसानी से थोड़ा धन इन कार्यों में भी लगा सकती है। ऐसा करने से कंपनी को भी लाभ होगा और आसपास के क्षेत्र में रह रहे लोगों को भी। जब कंपनी वहां के लोगों को शिक्षित और हुनरमंद बनाएगी तो कंपनी को काम दरों पर कर्मचारी उपलब्ध हो जायेंगे। लोगों को रोजगार मिलेगा , उनकी purchasing power बढ़ेगी जिससे उत्पाद की मांग बढ़ेगी , जब मांग बढ़ेगी तो कंपनी ज़्यादा उत्पादन करेगी , ज़्यादा उत्पादन के लिए ज़्यादा लोगों की आवश्यकता होगी और रोजगार बढ़ेगा , और इसी तरह ये चक्र चलता रहेगा। |
30-09-2014, 09:29 AM | #34 |
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Re: ऐसा देस हो मेरा
धरती सुनहरी अम्बर
नीला हो … धरती सुनहरी अम्बर नीला, हर मौसम रंगीला ऐसा देस है मेरा, हो ….ऐसा देस है मेरा ऐसा देस है मेरा, हाँ …ऐसा देस है मेरा बोले पपीहा कोयल गाये …. बोले पपीहा कोयल गाये, सावन घिर के आये ऐसा देस है मेरा, हो …ऐसा देस है मेरा, ऐसा देस है मेरा, हाँ …ऐसा देस है मेरा ओह …कोट्ठे ते गल बोले आई चिट्ठी मेरे माहिये दी ….. विच आने दा विना बोले आई, चिट्ठी मेरे माहिये दी … गेहूं के खेतों में कंघी जो करे हवाएं रंग बिरंगी कितनी चुन्दरिया उड़ उड़ जायें पनघट पर पनिहारन जब घगरी भरने आये मधुर मधुर तानों में कहीं बंसी कोई बजाये बजाये, लो सुन लो कदम कदम पे है मिल जानी कदम कदम पे है मिल जानी, कोई प्रेम कहानी ऐसा देस है मेरा, हो… ऐसा देस है मेरा ऐसा देस है मेरा, हाँ …ऐसा देस है मेरा ओह …ओह …ओह … (होय होय होय होय होय होय होय !) ओह मेरी जुगनी दे धाग्गे पा के जुगनी ओस दे मुहं दे फाब्बे जीनु सत इश्क दी लाग्गे, ओय सनियी मेरे या ओह जुगनी वीर मेरेया जुगनी केंदी हय, ओह नाम साईं दा लेंदी आई होय होय होय होय होय होय होय ओह दिल कद लित्ता एए जींद मेरिये बाप के कंधे चढ़ के जहाँ बच्चे देखें मेले मेलों में नट के तमाशे, कुल्फी के चाट के ठेल्ले कहीं मिलती मिट्ठी गोल ी, कहीं चूरन की है पुडिया भोले भोले बच्चे हैं, जैसे गुड्डे और गुडिया और इनको रोज़ सुनायें दादी नानी हो …. रोज़ सुनायें दादी नानी, एक परियों की कहानी ऐसा देस है मेरा, हो…. ऐसा देस है मेरा ऐसा देस है मेरा, हाँ ….ऐसा देस है मेरा सड़के सड़के जांदी अय मुटियारे नी चांडा चुभा तेरे पैर बांकिये नारे नी -२ कौन कदे तेरा कंदरा मुटियारे नी कौन सहे तेरी पीड बांकिये नारे नी ओय, नी अदिये कौन सहे तेरी पीड बांकिये नारे नी हो हो हो हो हो हो हो मेरे देस में महमानों को भगवान कहा जाता है वो यहीं का हो जाता है, जो कहीं से भी आता है आ .. आ.. आ ..आ .. तेरे देस को मैंने देखा तेरे देस को मैंने जाना आ …आ …आ. ..आ …आ.. तेरे देस को मैंने देखा तेरे देस को मैंने जाना जाने क्यूँ ये लगता है मुझको जाना पहचाना यहाँ भी वही शाम है वही सवेरा …ओह .. वही शाम है वही सवेरा ऐसा ही देस है मेरा जैसा देस है तेरा वैसा देस है तेरा हाँ जैसा देस है मेरा
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02-10-2014, 10:37 PM | #35 |
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Re: ऐसा देस हो मेरा
बहुत समय पहले की बात है जब मैं स्कूल में थी , मेरी एक आदत थी , मैं कभी भी स्कूल में कोई टॉफ़ी या चॉकलेट खाने के बाद उसका रैपर क्लास में नहीं फेंकती थी। हमेशा रैपर या फटे हुए कागज़ों को अपने बैग की एक पॉकेट में स्टोर कर लेती थी और घर आकर उसको फेंका करती थी।
मेरी इस आदत पर मेरे क्लासमेट्स हंसा करते थे , पर मुझे पता था कि मैं क्या कर रही हूँ। मुझे मेरी उस आदत पर गर्व था , आज जब मैंने अपने प्रधानमन्त्री को स्वच्छता अभियान की शुरुआत करते देखा तो मन में हार्दिक प्रसन्नता हुई। आज मेरे उन क्लासमेट्स ने भी प्रधानमंत्री का सम्बोधन सुना होगा तो उन्हें समझ आया होगा कि मैं क्यों वो रैपर अपने बैग में डाला करती थी। |
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