22-11-2010, 06:06 PM | #1 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: Bihar
Posts: 6,261
Rep Power: 35 |
विभिन्न ब्रतकथा,आरती,चालीसा
श्री शनि चालीसा स्तुति ऊ शत्रो देवीरभिष्ट आहो भवन्तु पीतये। शं योरभिःस्त्रवन्तु नः॥ दोहा जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।???
दीनन के दुख दूर करि,। कीजै नाथ निहाल॥ जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज। करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥ जयति जयति शनिदेव दयाला। करत यदा भक्तन प्रतिपाला॥ चारि भुजा, तनु श्याम विराजै। माथे रतन मुकुट छवि छाजै॥ परम विशाल मनोहर भाला। टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला। कुण्डल श्रवण चमाचम चमके। हिये माल मुक्तत मणि दमके॥ कर में गदा त्रिशुल कुठारा। पल विच करैं आरिहिं संहारा॥ पिंगल, कृष्णों, छाया, नन्दन। यम कोणस्थ, रौद्र, दुःखभंजन॥ सौरी, मन्द, शनि दशनामा। भानु पुत्र पूजहिं सब कामा। जा पर प्रभु प्रसन्न है जाहीं। रकंहुं राव करै क्षण माहीं॥ पर्वतहू तृण होई निहारत। तृणहू को पर्वत करि डारत॥ राज मिलत बन रामहिं दीन्हो। कैकेइहुं की मति हरि लीन्हों॥ बनहूं में मृग कपट दिखाई। मातु जानकी गई चतुराई॥ लखनहिं शक्ति विकल करि डारा। मचिंगा दल में हाहाकारा॥ रावण की गति मति बौराई। रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥ दियो कीट करि कंचन लंका। बजि बजरंग बीर की डांका॥ नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा। चित्र मयूर निगलि गै हारा॥ हार नौलाखा लाग्यो चोरी। हाथ पैर डरवायो तोरी॥ भारी दशा निकृष्ट दिखायो। तेलिहिं घर कोल्हू चनवायो॥ विनय राग दीपक महं कीन्हों। तब प्रसन्न प्रभु हवै सुख दीन्हों॥ हरिश्रचन्द् नृप नारि बिकानी। आपहु भरे डोम घर पानी॥ तैसे नल पर दशा सिरानी। भूजी मीन कूद गई पानी॥ श्री शंकरहि गहयो जब जाई। पार्वती को सती कराई॥ तनिक विलोकत ही करि रीसा। नभ ठडि गयो गौरिसुत सीसा॥ पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी। बची द्रौपदी होति उघारी॥ कौरव के भी गति मारयो। युद्ध महाभारत करि डारयो॥ रवि कहं मुख महं धरि तत्काला। लेकर कूदि परयो पाताला॥ |
22-11-2010, 06:08 PM | #2 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: Bihar
Posts: 6,261
Rep Power: 35 |
Re: !!श्री शनि जी महराज!!
शेष देव-लखि विनती लाई। रवि को मुख ते दियो छुड़ई॥ वाहन प्रभु के सात सुजाना। जग दिग्ज गर्दभ मृग स्वाना॥ जम्बुक सिंह आदि नखधारी। सो फल जज्योतिष कहत पुकारी॥ गज वाहन लक्ष्मी गृह आवै। हय ते सुख सम्पत्ति उपजावैं॥ गर्दभ हानि करै बहु नष्ट कर डारै। मृग दे कष्ट प्रण संहारै॥ जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी। चोरी आदि होय डर भारी॥ तैसहि चारि चरण यह नामा। स्वर्ण लौह चांजी अरु तामा॥ लौह चरण पर जब प्रभु आवैं। धन जन सम्पत्ति नष्ट करावै॥ समता ताम्र रजत शुभकारी। र्स्वण सर्व सुख मंगल कारी॥ जो यह शनि चरित्र नित गावै। कबहु न दशा निकृष्ट समावै॥ अदभुत नाथ दिखावैं लीला। करै शत्रु के नशि बलि ढीला॥ जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई। विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥ पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत। दीप दान दे बहु सुख पावत॥ कहत रामसुन्दर प्रभु दासा। शनि सुमिरत सुख होत प्रकाश॥ दोहा पाठ शनिचर देव को की विमल तैयार।
करत पाठ चालिस दिन हो भवसागर पार॥ |
22-11-2010, 06:09 PM | #3 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: Bihar
Posts: 6,261
Rep Power: 35 |
Re: !!श्री शनि जी महराज!!
शनि ग्रह के कारकत्व शनि ग्रह सामान्यतया जिन वस्तुओं का कारक है वे हैं : जड़ता, आलस्य, रुकावट, घोड़ा, हाथी, चमड़ा, बहुत कष्ट, रोग, विरोध, दुःख, मरण, दासी, गधा, अथवा खच्चर, चांडाल, विकृत अंगों वाले व्यक्ति, वनों में भ्रमण करने वाले, डरावनी सूरत, दान, स्वामी, आयु, नपुंसक, दासता का कर्म, अधार्मिक कृत्य, पौरुषहीन, मिथ्या, भाषण, वृद्धावस्था, नसें, परिश्रम, नीच जन्मा, गन्दा कपड़ा, घर, बुरे विचार, दुष्ट व्यक्तियों से मित्रता, काला गन्दा रंग, पाप कर्म, क्रूर कर्म, राख, काले धान्य, मणि, लोहा, उदारता, शूद्र, वैश्य, पिता, प्रतिनिधि, दूसरे कुल की विद्या सीखना, लंगड़ापन, उग्र, कम्बल, जिलाने के उपाय, नीचा दिखाना, कृषि द्वारा जीवन-यापन, शस्त्रागार, जाति से बाहर स्थान वाले, नागलोक, पतन, युद्ध, भ्रमण, शल्य विद्या, सीसा धातु, शक्ति का दुरुपयोग, पुराना तेल, लकड़ी, तामस गुण, विष, भूमि पर भ्रमण, कठोरता, डर, अटपटे बाल, सार्वभौम सत्ता, बकरा, भैंस आदि, वस्त्रों से सजाना, यमराज का पुजारी, कुत्ता, चोरी, चित्त की कठोरता आदि। शनि ग्रह जन्मकुंडली, में शुभ स्थिति में हो तो वह व्यक्ति को दीर्घायु, कठोर और लम्बे समय तक परिश्रम करने की क्षमता देने वाला, धनवान, कुशल राजनीतिज्ञ, धार्मिक विचारों वाला, पैतृक सम्पत्ति व वाहनों से युक्त, गंभीर, शत्रुनाशक, आविष्कारक और गुप्त विद्याओं का ज्ञाता बनाता है।
|
22-11-2010, 06:13 PM | #4 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: Bihar
Posts: 6,261
Rep Power: 35 |
Re: !!श्री शनि जी महराज!!
शुभ शनि के लिए उपाय शुभ तथा सम शनि ग्रह के प्रभाव में वृद्धि करने के लिए निम्नलिखित उपाय करें। १. शनिवार को नीलम रत्न धारण करें। नीलम रत्न चांदी अथवा लोहे की अंगूठी में मध्यमा अंगुली में धारण करना चाहिए। अंगूठी इस प्रकार बनवाएं कि नीलम नीचे से आपकी त्वचा को छूता रहे। नीलम धारण करने से पहले नीलम की अंगूठी अथवा लॉकेट को गंगा जल अथवा कच्चे दूध से धोकर सामने रखकर धूप-दीप आदि दिखाएं और १०८ बार इस मंत्र का जाप करें: क्क शं शनैश्चराय नमः। १०८ बार शिवजी के मंत्र क्क नमः शिवाय का जाप कर लेना भी बहुत लाभदायक माना गया है। २. शनिवार को नीले वस्त्र धारण करें। ३. घर में नीली चद्दरों तथा पर्दों आदि का प्रयोग करें। ४. शनि ग्रह से संबंधित वस्तुओं का व्यापार करें। शनि ग्रह से संबंधित वस्तुएं हैं :- लोहा, काली उड़द, काला तिल, कुलथी, तेल, भैंस काला कुत्ता, काला घोड़ा, काला कपड़ा, तथा लोहे से बने बर्तन व मशीनरी आदि। ५. साबुत माल की दाल घर में बनाएं। ६. शनिवार को काले घोड़े की नाल की अंगूठी अथवा कड़ा धारण करें। ७. अपने इष्टदेव के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं। ८. २७ शनिवार सरसों के तेल की मालिश करें। ९. चारपाई अथवा बेड के चारों पायों में लोहे का एक-एक कील लगााएं। १०. मकान के चारों कोनों में लोहे का एक-एक कील लगाएं। ११. दस मुखी, ग्यारह मुखी, अथवा तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करें। १२. शिंगणापुर शनिदेव का एक बार दर्शन अवश्य करें। १३. गीदड़ सिंही अपने घर में रखें। १४. घर में काला कुत्ता पालें। १५. शनि ग्रह के प्रभाव में वृद्धि करने के लिए हत्था जोड़ी की जड़ धारण की जाती है। इसे आप शनि की होरा में शनिवार के दिन उखाड़ कर लाएं और सुखाने के उपरान्त शनिवार के दिन स्वच्छ वस्त्र में बांध कर ताबीज के रूप में धारण करें। |
22-11-2010, 06:15 PM | #5 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: Bihar
Posts: 6,261
Rep Power: 35 |
Re: !!श्री शनि जी महराज!!
अशुभ शनि की पहचान जन्मकुंडली में शनि ग्रह अशुभ प्रभाव में होने पर व्यक्ति को निर्धन, आलसी, दुःखी, कम शक्तिवान, व्यापार में हानि उठाने वाला, नशीले पदार्थों का सेवन करने वाला, अल्पायु निराशावादी, जुआरी, कान का रोगी, कब्ज का रोगी, जोड़ों के दर्द से पीड़ित, वहमी, उदासीन, नास्तिक, बेईमान, तिरस्कृत, कपटी, अधार्मिक तथा मुकदमें व चुनावों में पराजित होने वाला बनाता है। शनि ग्रह के अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिएं : १. शनि ग्रह के तांत्रिक मंत्र का प्रतिदिन १०८ बार पाठ करें। मंत्र है क्क प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः। शनि मन्त्र के अनुष्ठान की मन्त्र जाप संख्या है २३,००० है। २. शनि ग्रह का यंत्र गले में धारण करें। ३. शनि ग्रह का यंत्र अपने पूजास्थल अथवा घर के मुख्य द्वार पर स्थापित करें। ४. शनि ग्रह की वस्तुओं का दान करें। शनि ग्रह की वस्तुएं हैं काला उड़द, तेल, नीलम, काले तिल, कुलथी, लोहा तथा लोहे से बनी वस्तुएं, काला कपड़ा, सुरमा आदि। ५. शनिवार को कीड़े-मकोड़ों को काले तिल डालें। ६. शनिवार को काली माह (काले उड़द) की दाल पीस कर उसके आटे की गोलियां बनाकर मछलियों को खिलाएं। ७. शनिवार को श्मशान घाट में लकड़ी दान करें। ८. सात शनिवार सरसों का तेल सारे शरीर में लगाकर और मालिश करके साबुन लगााकर नहाएं। ९. शनिवार को शनि ग्रह की वस्तुएं न दान में लें और न ही बाजार से खरीदें। १०. सात शनिवार को सात बादाम तथा काले उड़द की दाल धर्म स्थान में दान करें। ११. शराब तथा सिगरेट का प्रयोग न करें। १२. सपेरे को सांप को दूध पिलाने के लिए पैसे दान करें। |
22-11-2010, 06:18 PM | #6 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: Bihar
Posts: 6,261
Rep Power: 35 |
Re: !!श्री शनि जी महराज!!
१३. शनिवार को व्रत करें। व्रत की विधि इस प्रकार है :
(क) शनिवार को व्रत किसी भी मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार से शुरु करें। (ख) शनि ग्रह का व्रत प्रत्येक शनिवार को ही रखें। (ग) शनि ग्रह के व्रतों की संख्या कम-से-कम १८ होनी चाहिए। तथापि पूर्ण लाभ के लिए लगातार एक वर्ष तक व्रत रखें। (घ) भोजन के रूप में उड़द के आटे का बना भोजन, तेल में पकी वस्तु शनिदेव को भोग लगााकर या काले कुत्ते या गरीब को देकर रोज वस्तु का सेवन करें। (ड़) भोजन का सेवन शनि का दान देने के पश्चात्* ही करें। शनि ग्रह के दान में काले उड़द, सरसों का तेल, तिल, कुलथी, लोहा या लोहे से बनी कोई वस्तु, नीलम रत्न या उसका उपरत्न, भैंस, काले कपड़े सम्मिलित हैं। यह दान दोपहर को या सांयकाल के समय किसी गरीब भिखारी को दें। (च) भोजन से पूर्व एक बर्तन में भोजन तथा काले तिल या लौंग मिलाकर पश्चिम की ओर मुंह करके पीपल के पेड़ की जड़ में डाल दें। (छ) व्रत के दिन नमक वर्जित है। (ज) व्रत के दिन शनि के बीज मंत्र का २३,००० जाप करें या कम-से-कम ८ माला जाप करें। (झ) व्रत के दिन सिर पर भष्म का तिलक करें तथा काले रंग के कपड़े पहनें। (ञ) जब व्रत का अन्तिम शनिवार हो तो शनि मंत्र से हवन कराकर भिखारियों या गरीब व्यक्तियों को दान दें। १४. घर में रोटी बनाकर काली गाय या काले कुत्ते को खिलाएं। |
22-11-2010, 06:19 PM | #7 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: Bihar
Posts: 6,261
Rep Power: 35 |
Re: !!श्री शनि जी महराज!!
१५. शनि ग्रह की पीड़ा के निवारण के लिए शनि से संबंधित जड़ी बूटियों व औषधियों से स्नान करने का विधान है। यह स्नान सप्ताह में एक बार किया जाता है। औषधियों को अभीष्ट दिन से पूर्व रात्रि में शुद्ध जल में भिगो दें तथा अगले दिन उन्हें छान कर छने हुए द्रव्य को स्नान के जल में मिला कर स्नान करें। शनि ग्रह के लिए काले तिल, शतपुष्पी, काले उड़द, लौंग, लोधरे के फूल तथा सुगन्धित फूलों को औषधियों के रूप में प्रयोग किया जाता है। मानसिक व शारीरिक शांति तथा अनिष्ट फल के निवारण के लिए विधिवत्* स्नान से बहुत लाभ होता है। स्नान से पूर्व जल को इस मंत्र से अभिमंत्रित कर लेना चाहिए :क्कँ द्द्वीं शं शनैश्चराय नमः।
|
22-11-2010, 06:27 PM | #8 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: Bihar
Posts: 6,261
Rep Power: 35 |
Re: !!श्री शनि जी महराज!!
शनिदेव प्रार्थना हे शनिदेव, तेरी महिमा अपरमपार है। मेरी तुमसे यही प्रार्थना है मेरे से कभी भी अन्याय, अत्याचार, दूराचार, पापाचार, व्यभिचार ना हो। दुःख और सुख जीवन का हिस्सा हैं। सुख में अभिमान ना करूँ। दुःख के समय मुझे इतनी शक्ति दो कि मैं उसका सामना कर सकूँ। हे शनिदेव ! मैं तेरी सन्तान हूँ। मुझे एक ऐसी राह दिखा, जहाँ मैं तेरी सच्चे रास्ते की राह सबको दिखा सकूँ। जय शनिदेव। जय शनिदेव। जय शनिदेव। |
22-11-2010, 06:28 PM | #9 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: Bihar
Posts: 6,261
Rep Power: 35 |
Re: !!श्री शनि जी महराज!!
शनि की साढ़ेसाती जन्म राशि (चन्द्र राशि) से गोचर में जब शनि द्वादश, प्रथम एवं द्वितीय स्थानों में भ्रमण करता है, तो साढ़े -सात वर्ष के समय को शनि की साढ़ेसाती कहते हैं। एक साढ़ेसाती तीन ढ़ैया से मिलकर बनती है। क्योंकि शनि एक राशि में लगभग ढ़ाई वर्षों तक चलता है। प्रायः जीवन में तीन बार साढ़ेसाती आती है। प्राचीन काल से सामान्य भारतीय जनमानस में यह धारणा प्रचलित है कि शनि की साढ़ेसाती बहुधा मानसिक, शारीरिक और आर्थिक दृष्टि से दुखदायी एवं कष्टप्रद होती है। शनि की साढ़ेसाती सुनते ही लोग चिन्तित और भयभीत हो जाते हैं। साढ़ेसाती में असन्तोष, निराशा, आलस्य, मानसिक तनाव, विवाद, रोग-रिपु-ऋण से कष्ट, चोरों व अग्नि से हानि और घर-परिवार में बड़ों-बुजुर्गों की मृत्यु जैसे अशुभ फल होते हैं। अनुभव में पाया गया है कि सम्पूर्ण साढ़े-सात साल पीड़ा दायक नहीं होते। बल्कि साढ़ेसाती के समय में कई लोगों को अत्यधिक शुभ फल जैसे विवाह, सन्तान का जन्म, नौकरी-व्यवसाय में उन्नति, चुनाव में विजय, विदेश यात्रा, इत्यादि भी मिलते हैं। |
22-11-2010, 06:33 PM | #10 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: Bihar
Posts: 6,261
Rep Power: 35 |
Re: !!श्री शनि जी महराज!!
शनि की साढ़ेसाती व ढ़ैया के उपाय व्रत शनिवार का व्रत रखें। व्रत के दिन शनिदेव की पूजा (कवच, स्तोत्र, मन्त्र जप) करें। शनिवार व्रतकथा पढ़ना भी लाभकारी रहता है। व्रत में दिन में दूध, लस्सी तथा फलों के रस ग्रहण करें, सांयकाल हनुमान जी या भैरव जी का दर्शन करें। काले उड़द की खिचड़ी (काला नमक मिला सकते हैं) या उड़द की दाल का मीठा हलवा ग्रहण करें। दान शनि की प्रसन्नता के लिए उड़द, तेल, इन्द्रनील (नीलम), तिल, कुलथी, भैंस, लोह, दक्षिणा और श्याम वस्त्र दान करें। रत्न/धातु शनिवार के दिन काले घोड़े की नाल या नाव की सतह की कील का बना छल्ला मध्यमा में धारण करें। मन्त्र (क) महामृत्युंजय मंत्र का सवा लाख जप (नित्य १० माला, १२५ दिन) करें- ऊँ त्रयम्बकम्* यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनं (ख) शनि के निम्नदत्त मंत्र का २१ दिन में २३ हजार जप करें - उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योमुर्क्षिय मामृतात्*। ऊँ शत्रोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। (ग) पौराणिक शनि मंत्र :शंयोभिरत्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः। ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्*।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्*। |
Bookmarks |
Tags |
aarti, chalisa, gayatri chalisa, hindu, hindu religion, hinduism, laxmi chalisa, religion, saraswati chalisa, sunny chalisa, vratha katha |
|
|