30-09-2016, 10:33 PM | #1 |
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उमर ख़य्याम की रुबाइयाँ
उमर ख़य्याम की रुबाइयाँ
एक रुबाई का अनुवाद हाथों की लकीरों में किस्मत, जब आ कर सब लिख जायेगी फिर उसके बाद न दया याचना, न हुशियारी ही काम आयेगी तहरीर जो किस्मत ने लिख दी, उसमें बदलाव असंभव है फिर बाढ़ आँसुओं की आ कर, लफ्ज़ एक नहीं धो न पायेगी (रजनीश मंगा)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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