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Old 28-07-2013, 07:45 PM   #1
jai_bhardwaj
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Default मुझे प्रिसेंज ऑफ कत्थक कहा जाता था- नीलिमा 

नीलिमा अज़ीम की पहचान स्टार बेटे शाहिद कपूर के नाम की मोहताज नहीं है. उनकी शख्सियत का दायरा वृहद है. नीलिमा अज़ीम के विषय में कुछ जानकारी ...................
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Old 28-07-2013, 07:46 PM   #2
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Old 28-07-2013, 07:47 PM   #3
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Default Re: मुझे प्रिसेंज ऑफ कत्थक कहा जाता था- नीलिमा

नीलिमा अज़ीम की जिंदगी एक नजर में आपको कमर्शियल हिंदी फिल्म की कहानी जैसी लग सकती है. मुकम्मल प्यार और सच्चे हमसफर की आस में उन्होंने तीन मर्तबा तीन पुरुषों से शादी की, लेकिन हर बार उन्हें मायूसी मिली. वे हिंदी सिनेमा के चर्चित स्टार शाहिद कपूर की मां हैं, लेकिन बेटे का प्यार उन्हें अपने पूर्व पति की दूसरी पत्नी से बांटना पड़ रहा है. रिश्तों के मामले में नीलिमा की मुफलिसी पर आपको तरस आ सकता है, आप उन्हें दया दृष्टि से देख सकते हैं, लेकिन नीलिमा को अपनी जिंदगी पर नाज है. बकौल नीलिमा अज़ीम, ''मैं गर्व के साथ कहती हूं कि मैं आज जो कुछ हूं, अपने बलबूते हूं. मैंने बेदाग जिंदगी गुजारी है. मैं बीस साल पहले अपनी कमाई के चार हजार रुपए लेकर मुंबई आई थी. मैंने संघर्ष किया, अपने लिए मुंबई में जगह बनाई, फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई. छोटा सा विराम लेकर नीलिमा आगे कहती हैं, ''बहुत से लोग मुझे नहीं समझ पाते हैं. उन्हें लगता है कि कैसी औरत है ये, तीन शादियां कीं, तीनों टूट गईं, बेटे से अलग रही है, लेकिन मैं जानती हूं कि मैंने बहुत साफ और मॉरलिस्टिक जिंदगी जी है. मेरी जिंदगी कलरफुल रही है. फिल्म इंडस्ट्री और म्यूजिक इंडस्ट्री में कोई उंगली उठा कर नहीं कह सकता कि हे, वी हैड फन और सीन विद नीलिमा अजीम.
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Old 28-07-2013, 07:49 PM   #4
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Default Re: मुझे प्रिसेंज ऑफ कत्थक कहा जाता था- नीलिमा

नीलिमा अजीम का ताल्लुक बिहार के एक आला खानदान से है. उनके ग्रेट ग्रैंड फादर ख्वाजा अहमद अब्बास उर्दू के जाने-माने लेखक और फिल्मकार थे. नीलिमा के पिता अनवर अजीम बहुत बड़े फोटोग्राफर थे. शॉर्ट स्टोरी राइटिंग में उनका नाम था. नीलिमा बताती हैं, ''मेरे पिता बेहतरीन फनकार थे. मेरा बैकग्राउंड रिच था. बाइसकिल थीफ जैसी फिल्म मैंने बचपन में देख ली थी. कला की ओर मेरा रूझान स्वाभाविक था. मैंने चौदह साल की उम्र में कत्थक की दुनिया में बहुत नाम कमा लिया था. नीलिमा आगे कहती हैं, ''चौदह साल की उम्र में मैं स्टैंप पर आ चुकी थी. गर्वमेंट ने हेरिटेज स्टैंप निकाले थे, जिसमें हर क्लासिकल डांस दिवा की तस्वीर थी. मैंने कत्थक को रिप्रजेंट किया था. बीस साल की उम्र में मुझे इंदिरा गांधी अवॉर्ड मिला था. इसी साल अमजद अली साब को भी यह अवॉर्ड मिला था. मैं अपने जेनरेशन में ही नहीं नाची हूं. गंगूबाई हंगल गाती थीं और मैं नाचती थी, अली अकबर खां साब बजाते थे और मैं नाचती थी, मैंने यामिनी कृष्णामूर्ति के साथ स्टेज पर नाचा है. मुझे उस वक्त अखबारों में प्रिसेंज ऑफ कत्थक जैसे शीर्षक दिए जाते थे.
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Old 28-07-2013, 07:50 PM   #5
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Default Re: मुझे प्रिसेंज ऑफ कत्थक कहा जाता था- नीलिमा


नीलिमा पंडित बिरजू महाराज की शिष्या रही हैं. नीलिमा ने बेहद कम समय में कत्थक की दुनिया में लोकप्रियता अर्जित कर ली थी. उनके नृत्य से अब्राहिम अल्काजी इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उनके लिए खास तौर से तुगलक नाटक तैयार किया. नीलिमा अतीत के पन्नों को पलटती हैं, ''कत्थक केंद्र में पंडित बिरजू महाराज थे और एनएसडी में अब्राहिम अल्काजी साब. उन दिनों दिल्ली का आर्ट वल्र्ड शीर्ष पर था. मेरा नृत्य देखने के बाद काजी साब ने तुगलक के बारे में सोचा. उस जमाने में कत्थक केंद्र और एनएसडी के स्टूडेंट का साथ बैठना होता था. उन्हीं दिनों ही मेरी मुलाकात पंकज कपूर से हुई. सत्तर के दशक के उत्तरार्ध में नीलिमा दिल्ली के थिएटर वल्र्ड में बहुत सक्रिय रहीं. उन्होंने नसीरुद्दीन शाह, पंकज कपूर और राज बब्बर के साथ कई चर्चित नाटकों में बतौर लीड एक्ट्रेस काम किया. नीलिमा उन दिनों को याद करती हैं, ''मेरी और राज की जोड़ी हिट थी. हमारा एक नाटक नादिर शाह बहुत चर्चित हुआ था. नसीर के साथ मैंने माटी मटाल नाटक में अभिनय किया था. उसके लिए मुझे बेहतरीन एक्ट्रेस का ज्ञानपीठ अवॉर्ड मिला था. मैं नसीर को सिखाती भी थी. पंकज साब के साथ मैंने ब्रह्मा और सलीम-अनारकली नाटकों में काम किया. पंकज सलीम बनते थे और मैं अनारकली. नाटकों के रिहर्सल और मंचन के दौरान पंकज कपूर और नीलिमा अजीम एक-दूसरे के करीब आए. नीलिमा कहती हैं, ''एक प्ले के दौरान हमारी मुलाकात हुई और फिर हम धीरे-धीरे करीब आ गए.
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Old 28-07-2013, 07:52 PM   #6
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नृत्य और थिएटर जगत में नीलिमा की बढ़ती लोकप्रियता ने उन्हें हिंदी फिल्मकारों की नजर में ला खड़ा किया. पंद्रह वर्ष की छोटी उम्र में नीलिमा के पास शीर्ष फिल्म निर्देशकों की फिल्मों के प्रस्ताव आने लगे. नीलिमा गर्व के साथ बताती हैं, ''मेरे पास सबसे पहली फिल्म आई थी जहर-ए-इश्क. गर्म हवा फिल्म के बाद एम सथ्यू मेरे साथ यह फिल्म बनाना चाहते थे. उसके बाद सत्यजीत रे की फिल्म का ऑफर मेरे पास आया. माणिक दा मुझे अपनी फिल्म में लीड रोल देना चाहते थे. सावन कुमार टक दो फिल्मों का ऑफर लेकर मेरे पास आए थे- सौतन की बेटी और प्यार की जीत. फिर श्याम बेनेगल की मंडी का ऑफर मेरे पास आया. यश चोपड़ा मुझे मशाल में कास्ट करना चाहते थे. उस रोल को बाद में रति अगिनहोत्री ने निभाया. उत्सव और उमराव जान फिल्में पहले मेरे साथ सोची गई थीं. लोग कहेंगे कि मैं पागल हूं, जो मैंने इन फिल्मों का ऑफर ठुकरा दिया, लेकिन महाराज जी (पंडित बिरजू महाराज)के साथ मेरी डांस की ट्रेनिंग पूरी नहीं हुई थी. मैं डांस की ट्रेनिंग अधूरा नहीं छोडऩा चाहती थी.
नीलिमा जिन दिनों अपने नृत्य करियर पर फोकस कर रही थीं, उन्हीं दिनों पंकज कपूर ने उनकी जिंदगी में अपने प्यार की खूशबू इस कदर बिखेरी कि वे उनके बिना अपने वजूद की कल्पना नहीं कर पा रही थीं. दोनों ने शीघ्र ही प्यार को सामाजिक स्वीकृति देने का फैसला कर लिया. पंकज और नीलिमा ने दिल्ली में शादी कर ली. शाहिद कपूर की पैदाइश ने उनके प्यार को और मजबूती दी, लेकिन अफसोस कि यह प्यार ज्यादा दिन तक बरकरार नहीं रह पाया. पंकज कपूर से शादी के टूटने का कारण नीलिमा बताती हैं, ''वह शादी परिस्थितियों और दूरियों की वजह से खत्म हुई. मैं दिल्ली में थी और पंकज साब मुंबई में थे. हम साथ रहे ही नहीं. हमारा घर बसा ही नहीं. शादी के फौरन बाद पंकज मुंबई आ गए थे. ये भी नहीं था कि चार-पांच साल का हमारा साथ रहा. शादी का मतलब है कि आप साथ रहें. गृहस्थी पति-पत्नी के साथ रहने से बनती है. पंकज और मेरी फैमिली बनी ही नहीं.
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१९९१ में नीलिमा अपने बेटे शाहिद को लेकर दिल्ली से मुंबई आ गईं. तब तक उनका पहला सीरियल फिर वही तलाश बहुत पॉपुलर हो चुका था. फिल्म इंडस्ट्री ने उनका स्वागत दोनों बांहें फैलाकर किया. बकौल नीलिमा, ''जब मैं मुंबई आई तो अस्सी प्रतिशत फिल्म इंडस्ट्री मेरी दीवानी थी. लोग मुझे अपनी फिल्मों में कास्ट करना चाहते थे, लेकिन मैंने सीरियल में काम करने का फैसला किया, क्योंकि मुझे अपने बच्चे को पालना था. टीवी में रेगयुलर पैसा आता है. मैंने टीवी की अपनी कमाई से शाहिद को पढ़ाया-लिखाया. गौैरतलब है कि नीलिमा ने तलाश, जुनून, कश्मीर, सांस जैसे कई धारावाहिकों में काम किया. उन्होंने सलीम लंगड़े पे मत रो और सडक़ फिल्मों में भी काम किया.

मुंबई आने के पश्चात नीलिमा अजीम अपनी घरेलू जिंदगी को संभालने-संवारने में जुटी थीं, लेकिन उन्हें एक साथी की कमी खल रही थी. तभी टीवी अभिनेता राजेश खट्टर उनकी जिंदगी में आए. नीलिमा को एक बार फिर प्यार हुआ और उन्होंने राजेश से शादी कर ली. छोटे बेटे ईशान नीलिमा-राजेश के प्यार की पहचान हैं. लेकिन दुख की बात यह है कि नीलिमा की यह शादी भी अधिक समय तक नहीं टिकी. नीलिमा कहती हैं, ''मैंने हमेशा रिश्तों को प्राथमिकता दी. मैंने रिश्तों में बहुत इंवेस्ट किया, लेकिन मुझे कभी इस मामले में सपोर्ट नहीं मिला. ईमानदारी से बता रही हूं कि कभी किसी ने बच्चों की परवरिश और पढ़ाई के लिए पैसे नहीं भेजे. मैंने दोनों बच्चों की परवरिश अकेले अपने बलबूते पर की है.
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राजेश खट्टर से अलगाव के बाद नीलिमा टूट सी गईं. वे अकेली हो गईं. अफसोस की बात यह है कि इसी दौरान शाहिद कपूर भी उनसे अलग हो गए. मगर नीलिमा उस शख्सियत का नाम है, जिसकी जिंदगी में गम को ठहरने के लिए ज्यादा वक्त नहीं मिलता. नीलिमा ने उस्ताद रजा अली खान के साथ जिंदगी की नई शुरूआत करने का फैसला किया. मगर नीलिमा की खुशियों को एक बार फिर किसी की नजर लग गई. उनका यह रिश्ता भी जल्द ही खत्म हो गया. ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि नीलिमा का एक भी रिश्ता स्थायी रुप से क्यों टिका नहीं? नीलिमा इसका जवाब देने की कोशिश करती हैं, ''कई कारण हो सकते हैं. अलग-अलग सपने हो सकते हैं, प्राथमिकताएं अलग हो सकती हैं या संभव है कि परिस्थितियां आपको जुदा कर दें. मैंने पहली शादी बहुत छोटी उम्र में की थी. वह उम्र फॉर्मेटिव ईयर की होती है. आप वक्त के साथ बदलते हैं. हो सकता है कि बड़े होने के बाद आप एक अलग इंसान बन जाएं. नहीं साथ रह पाए तो क्या हुआ?
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नीलिमा की इस बात के लिए इज्जत करनी होगी कि उन्होंने अपने हर प्यार को खुले तौर पर स्वीकार किया. उन्हें सामाजिक मान्यता दी. नीलिमा कहती हैं, ''वो मेरी मोरैलिटी है. मैं बिना शादी के रिश्ते रख सकती थी, लेकिन मेरी परवरिश ने मुझे मंजूरी नहीं दी. मैंने जिससे भी प्यार किया, उससे शादी की. पुराने संबंधों को याद करते हुए नीलिमा दिल के किसी कोने में छुपे गम को बयां करने से खुद को नहीं रोक सकीं. ''बहुत तकलीफ होती है जब रिश्ता टूटता है. मेरे लिए बहुत पेनफुल रहा है क्योंकि तीन बार मेरी शादी टूटी है, लेकिन मैं एक वॉरियर हूं. मैंने हर बार नई शुरुआत की है. बहरहाल, वो मेरी जिंदगी के रंग हैं, और कलाकार को तो रंगीन होना ही चाहिए
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