24-05-2011, 01:22 AM | #11 |
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Re: वन्दे मातरम !
इसी प्रकार उन्होंने भारत के सभी महल, किले, नगर, भवन भारतीयों की निर्मिती न बतला कर अरबी अक्रमंकारियों की कृती लिखा और हम भोले भारतीयों ने उसी को सच मान लिया. इतना तो सोच लेते कि जो हज़ारों साल से इस भारत भूमि में रह रहे हैं, उनके कोई भवन, महल, किला हैं कि नहीं ? जिन विदेशी आक्रमक अरब वासियों को भारत के सारे वास्तु का निर्माता बतला रहे हैं उन्हों ने अपने देश में ऐसे कितने, कौनसे भवन बनाए ? वहाँ क्यूँ नहीं बनाए ? इसी प्रकार हमारा इतिहास झूठ, विकृतीकरण व विदेशी षड्यंत्रों का शिकार है. कथित भारतीय इतिहासकार भी यूरोपीय झूठे लेखकों के लिखे पर संदेह योग्य स्वाभिमानी व दूरद्रष्टा नहीं थे. ऐसे ही लोगों द्वारा 1857 के महान स्वतन्त्रता संग्राम के सत्य को दबाया, छुपाया गया है.
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24-05-2011, 01:22 AM | #12 |
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Re: वन्दे मातरम !
अतः यदि सदीप्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के सच्चे इतिहास को जानना है तो वीर सावरकर के लिखे 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम के इतिहास को पढ़ना होगा. यदि संक्षेप में सारे तथ्यों और प्रमाणों को जानना चाहें तो डा. सतीश मित्तल जी की लिखित पुस्तिका पढ़े जो कि '' सुरुचि साहित्य प्रकाशन, नई दिल्ली- 55'' से प्राप्त हो जाएगी.
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24-05-2011, 01:22 AM | #13 |
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Re: वन्दे मातरम !
इतना तो हम सब को समझने का प्रयास करना ही चाहिए कि हमारे सही, सच्चे इतिहास में कुछ ऐसी ताकत है कि जिस से हम संसार का सिरमौर बन सकते हैं, अपनी ही नहीं तो दुनिया की समस्याओं को हल कर सकते हैं. तभी तो अंग्रजों ने १०० साल से अधिक समय तक अथक प्रयास करके हमारे आतीत को विकृत किया. किसी अज्ञात विद्वान ने कहा है कि यदि किसी देश को तुम नष्ट करना चाहते हो तो उसके अतीत को नष्ट करदो, वह देश स्वयं नष्ट हो जाएगा. क्या हमरे साथ यही नहीं हुआ और आज भी हो रहा है.
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24-05-2011, 01:23 AM | #14 |
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Re: वन्दे मातरम !
तो आईये हम अपने अतीत को सुधारने के क्रम में अपने उन शहीदों को याद करें जो इस लिए बलिदान हो गये कि हम सुखी, स्वतंत्र रह सकें. 1857 की अविस्मर्णीय क्रान्ति और उसके क्रांतिकारियों की याद में अपनी आँखों को नम हो जाने दें और सकल्प लें कि उनके बलिदानों से प्ररेणा लेकर हम आज के इन विदेशी आकाओं के पिट्ठुओं से देश को स्वतंत्र करवाने के लिए संघर्ष करेंगे, भारत को भिखारी बना रहे बेईमानों के चुंगल से स्वतंत्र होने के लिए एक जुट होकर कार्य करेंगे. विश्वास रखें कि हमारे सामूहिक संकल्प से सबकुछ सही होने लगेगा. ध्यान रहे कि हमें टुकड़ों में बांटने के षड्यंत्र अब सफल न होने पाए.
वन्दे मातरम ! |
24-05-2011, 01:30 AM | #15 |
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Re: वन्दे मातरम !
बहुत ही यथार्थपरक और जीवंत प्रविष्टियाँ की हैं आपने रिया / कृपया विषय पर निरंतरता और गंभीरता बनाए रखें /
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
24-05-2011, 06:29 AM | #16 | |
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Re: वन्दे मातरम !
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आपका यह सूत्र अच्छा है लेकिन आपने एक प्रमाण दी की बात कही है/यदि वह भी दें तो ज्यादा जानकारी मिलेगी/ |
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24-05-2011, 08:20 AM | #18 |
Administrator
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Re: वन्दे मातरम !
बहुत ही बढ़िया रिया जी, आपने शुरुआत एक शानदार सूत्र से की है, आपकी आगे की प्रविस्तियो और सूत्रों का इंतज़ार रहेगा.
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अब माई हिंदी फोरम, फेसबुक पर भी है. https://www.facebook.com/hindiforum |
24-05-2011, 02:45 PM | #19 |
Exclusive Member
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Re: वन्दे मातरम !
बहुत अच्छी जानकारी हैँ रिया जी
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दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
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