12-11-2012, 04:56 PM | #11 |
VIP Member
Join Date: May 2011
Location: churu
Posts: 122,463
Rep Power: 244 |
Re: मंत्र संग्रह
ॐ नमो आदेश गुरु का... श्रीराम सर साधा... लक्ष्मण साधा बाण... काला-पीला-रीता.... नीला थोथा पीला.... पीला चारों झड़े तो रामचंद्रजी रहै नाम.... मेरी भक्ति.... गुरु की शक्ति.... फुरे मंत्र ईश्वरोवाचा। काँसे के पात्र में जल भरकर, नीम के पत्तों को सरसों के तेल में भीगोकर इस मंत्र का जाप करते हुए रोगी को सात बार झाड़े। शीघ्र लाभ होगा। |
12-11-2012, 07:18 PM | #12 |
VIP Member
Join Date: May 2011
Location: churu
Posts: 122,463
Rep Power: 244 |
Re: मंत्र संग्रह
प्रसव पीड़ा
मंत्रः ॐ कौंरा देव्यै नमः। ॐ नमो आदेश गुरु का.... कौंरा वीरा का बैठी हात... सब दिराह मज्ञाक साथ.... फिर बसे नाति विरति.... मेरी भक्ति... गुरु की शक्ति.... कौंरा देवी की आज्ञा। प्रसव के समय कष्ट उठा रही स्त्री को इस मंत्र से अभिमंत्रित किया हुआ जल पिलाने से वह स्त्री बिना पीड़ा के बच्चे को जन्म देती है। |
29-12-2012, 07:52 PM | #13 | |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99 |
Re: मंत्र संग्रह
Quote:
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
|
29-12-2012, 08:05 PM | #14 | ||
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99 |
Re: मंत्र संग्रह
Quote:
Quote:
मैं इस विषय में अधिक जानकारी के लिए लालायित हूँ। मैं गलत भी हो सकता हूँ किन्तु मैंने उपरोक्त भाषा में तांत्रिक मन्त्र देखे हैं जिनमे अपने गुरु अथवा किसी अन्य ज्ञानी पुरुष के आदेश को उद्धृत किया जाता है और कई मन्त्रों में तो इन्हें आहूत भी किया जाता है ... ये सात्विक मन्त्र नहीं। ये झाड-फूँक के लिए प्रयुक्त होने वाले मन्त्र प्रतीत होते हैं। हाँ यह सच है कि ये मन्त्र भी सिद्ध करने के बाद ही प्रयुक्त किये जा सकते हैं। ये स्वघाती भी होते हैं। मेरे विचार से सूत्र की प्रथम प्रविष्टि में आपको एक सूचना अवश्य चिपका देनी चाहिए कि " सदस्य इन मन्त्रों को प्रयुक्त करने से पूर्व योग्य और प्रशिक्षित गुरु का सानिध्य अवश्य प्राप्त करें। किसी भी प्रकार के दैहिक, मानसिक और आर्थिक संताप के लिए मंच दोषी नहीं होगा।" मेरे विचारों से सहमत होना आवश्यक नहीं है। धन्यवाद।
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
||
29-12-2012, 08:32 PM | #15 | |
VIP Member
Join Date: May 2011
Location: churu
Posts: 122,463
Rep Power: 244 |
Re: मंत्र संग्रह
Quote:
भारद्वाज जी, इस सूत्र में दिये सभी मन्त्र हानिरहित तथा निरापद हैं, ये शान्तिकारक तथा पौष्टिक मन्त्र हैं । सर्वप्रथम तो यह विषय आस्था से जुड़ा होने के कारण सर्व-साधारण इन मन्त्रों का उपयोग ही नहीं करता है तथा जो उपयोग करते हैं, उनको मन्त्र विज्ञान का साधारण ज्ञान होता ही है । हालांकि कहा गया है "गुरु बिना ज्ञान नहीं होता", लेकिन माना जाता है की भगवान् दत्तात्रेय ने जिसके भी ज्ञान अर्जित किया (यहाँ तक की किसी भी जन्तु की विशेष क्रिया या विशेषता को अपना कर) उसे गुरु माना । एकलव्य तो गुरु-मूर्ति को ही गुरु मान कर सर्व-श्रेष्ठ धनुर्धर बन गया । मन्त्र विज्ञान में शाम्भवी-दीक्षा के अनुसार यदि योग्य गुरु न मिले तो भगवान् शिव को गुरु मानकर दीक्षा ग्रहण कर मन्त्र का पुरश्चरण किया जा सकता है । एतद् विषय आस्था व विश्वास से सम्बन्धित है तथा मेरे द्वारा प्रस्तुत सभी मन्त्र हानिरहित व निरापद हैं । इन मन्त्रों से किसी भी प्रकार का अहित नहीं होता, अगर आस्था व विश्वास के साथ साधना नहीं की गई है, तो कोई फल ही नहीं है तथा फल है तो वह भी सकारात्मक । |
|
22-05-2013, 04:07 PM | #16 |
VIP Member
Join Date: May 2011
Location: churu
Posts: 122,463
Rep Power: 244 |
Re: मंत्र संग्रह
दुर्गा सप्तशती
दुर्गा सप्तशती के अध्याय से कामनापूर्ति
1) प्रथम अध्याय- हर प्रकार की चिंता मिटाने के लिए | 2) दूसरा अध्याय- मुकदमे,झगडे आदि मे विजय पाने के लिए | 3) तीसरा अध्याय- शत्रु से छुटकारा पाने के लिए | 4) चतुर्थ व पंचम अध्याय- भक्ति,शक्ति तथा दर्शन के लिए | 5) छठा अध्याय- डर,शक बाधा हटाने के लिए | 6) सप्तम अध्याय-हर कामना पूर्ण करने के लिए | 7) अष्टम अध्याय-मिलाप व वशीकरण करने के लिए | 8)नवम व दशम अध्याय- गुमशुदा की तलाश एवं पुत्र प्राप्ति के लिए | 9) एकादश अध्याय- व्यापार व सुख संपती के लिए | 10) द्वादश अध्याय-मान सम्मान व लाभ के लिए| 11) त्रियोदश अध्याय- भक्ति प्राप्ति के लिए | |
22-05-2013, 04:09 PM | #17 |
VIP Member
Join Date: May 2011
Location: churu
Posts: 122,463
Rep Power: 244 |
Re: मंत्र संग्रह
धन प्राप्ति मंत्र
विशेष ऋग्वेद का प्रसिद्ध धन प्राप्ति मंत्र इस प्रकार है -
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि। ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।।´ ऋग्वेद (4/32/20-21) हे लक्ष्मीपते ! आप दानी हैं, साधारण दानदाता ही नहीं बहुत बड़े दानी हैं। आप्तजनों से सुना है कि संसार भर से निराश होकर जो याचक आपसे प्रार्थना करता है, उसकी पुकार सुनकर उसे आप आर्थिक कष्टों से मुक्त कर देते हैं - उसकी झोली भर देते हैं। हे भगवान मुझे इस अर्थ संकट से मुक्त कर दो। |
02-07-2013, 10:57 PM | #18 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: मंत्र संग्रह
ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते/
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावाशिष्यते// (ईशावास्योपनिषद) भावार्थ : वह (परमात्मा) पूर्ण है और यह (आत्मा / अणु) भी पूर्ण है. पूर्ण से पूर्ण निकल आया है. फिर भी पूर्ण पहले के समान ही पूर्ण बना है. |
23-07-2013, 08:50 PM | #19 |
Diligent Member
Join Date: Jul 2013
Location: California / Bangalore
Posts: 1,335
Rep Power: 45 |
Re: मंत्र संग्रह
संस्कृत और हिन्दी में मंत्र, श्लोक व भजनों का संग्रह, Vishwa Hindu Parishad of America द्वारा तैयार किया गया का एक pdf file कुछ साल पहले किसीने मुझे भेजा था। 417 Kilobytes का पी डी एफ फाइल है । इस फाइल के दो पन्ने यहाँ attach कर रहा हूँ। एक, Table of contents और दूसरा एक Sample page. यदी किसी को इसमे रुची है तो हमें सूचित करें।
|
Bookmarks |
Thread Tools | |
Display Modes | |
|
|