29-10-2013, 05:58 PM | #1 |
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राजेंद्र यादव को विनम्र श्रद्धांजलि
तेरी मेरी उसकी बात..........अब नहीं..! राजेंद्र यादव को विनम्र श्रद्धांजलि.......!
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29-10-2013, 05:59 PM | #2 |
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Re: राजेंद्र यादव को विनम्र श्रद्धांजलि
कथाकार राजेंद्र यादव नहीं रहे हिंदी में एक युग का अंत हुआ है।
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29-10-2013, 06:01 PM | #3 |
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Re: राजेंद्र यादव को विनम्र श्रद्धांजलि
'' मैं शुरू से मानता हूं कि विश्वविद्यालय ज्ञान के कब्रिस्तान हैं. जहां सिर्फ पचास वर्ष पूर्व मरे हुए लोगों का ही अभिनंदन होता है. जीवित और जीवंत लोग उनके गले कभी नहीं उतरते. समाज और राजनीति के दूसरे प्रश्नों से जूझने वाले लेखक विश्वविघालयों के प्राध्यापकों के लिए सबसे बड़े ‘आउटसाइडर’ होते हैं. उनके हिसाब से शुद्ध साहित्यकार वह है जो चौबीसों घंटे रीतिकाल, भक्तिकाल और छायावाद ही घोटता रहता है और प्रगतिवाद तक आते-आते उसकी सांस फूल जाती है. उनके लिए केवल कलावादी और कवि ही साहित्यकार होते हैं. अपने गुरुदेवों से उन्होंने जो पढ़ा था उसे ही वे आज भी छात्रों के कान में उगलते रहते हैं. अभी इन्होंने जयंतियों के नाम पर केदारनाथ अग्रवाल, शमशेर, नागार्जुन जैसों की कैसी मट्टी पलीद की है. शायद ही कोई अध्यापक हो जिसकी कलम के शिकार ये गरीब रचनाकार नहीं हुए हों...''
- राजेंद्र यादव facebook se
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29-10-2013, 07:41 PM | #4 |
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Re: राजेंद्र यादव को विनम्र श्रद्धांजलि
जनवादी लेखक संघ बोकारो इकाई की द्वारा 6 बजे सेक्टर 2डी /3-047 ,जैन मंदिर के निकट,आयोजित शोक सभा में बोकारो के साहित्यकार वर्त्तमान हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण स्तम्भ,'हंस' के सम्पादक राजेन्द्र यादव जी को श्रद्धांजली अर्पण केलिए जुट रहे हैं
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29-10-2013, 08:10 PM | #5 |
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Re: राजेंद्र यादव को विनम्र श्रद्धांजलि
हिन्दी साहित्य में ‘नयी कहानी आंदोलन’ की त्रयी में शामिल चिरपरिचित रचनाकार और ‘हंस’ के संपादक राजेन्द्र यादव का कल देर रात यहां निधन हो गया। उन्हें उनकी बेटी ने मुखाग्नि दी। यादव की कल रात अचानक तबीयत खराब हो गई और उन्हें सांस लेने की तकलीफ होने लगी। उन्हें रात लगभग 11 बजे एक निजी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्होंने रास्ते में ही दम तोड दिया। हिन्दी में दलित एवं विमर्श को नई दिशा देने वाले यादव के निधन से साहित्य एवं बौद्धिक जगत में शोक की लहर दौड गई है।
उनके परिवार में लेखिका पत्नी मन्नू भंडारी के अलावा एक बेटी रचना यादव हैं। उनके निधन से मोहन राकेश और कमलेश्वर के बाद नई कहानी आंदोलन का तीसरा एवं अंतिम स्तम्भ ढह गया है। यादव का अंतिम संस्कार दोपहर तीन बजे लोदी रोड स्थित शवदाह गृह में किया जाएगा। प्रगतिशील लेखक संघ, जनवादी लेखक संघ, जनसंस्कृति मंच जैसे अनेक संगठनों ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है और कहा कि हिन्दी साहित्य के बौद्धिक जगत में वंचितों को मुख्यधारा से जोडने वाला तथा धर्मनिरपेक्ष एवं प्रगतिशील मूल्यों के लिए लडने वाला एक लोकतांत्रिक लेखक चला गया, जिसने युवा पीढी को हमेंशा अपनी पत्रिका हंस के माध्यम से आगे बढ़ाने का काम किया। यादव के निधन पर शोक व्यक्त करने वालों में सर्व डा. नामवर सिंह, अशोक वाजपेयी, मैनेजर पांडेय, विश्वनाथ त्रिपाठी, निर्मला जैन, रवीन्द्र कालिया जैसे अनेक लोग शामिल हैं। वरिष्ठ आलोचक नामवर सिंह ने कहा, प्रेमचंद के हंस को निकालने की जिम्मेदारी लेकर उन्होंने साहित्य जगत के लिए बहुत बड़ा काम किया। यदि उन्होंने इसके अलावा कुछ भी न किया होता तो भी वह साहित्य जगत में अमर हो जाते।....अब हमारे उपर जिम्मेदारी है कि साहित्य की इस विरासत को किस तरह संभाला जाये।
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29-10-2013, 08:11 PM | #6 |
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Re: राजेंद्र यादव को विनम्र श्रद्धांजलि
28 अगस्त 1929 को आगरा में जन्मे यादव की गिनती चोटी के लेखकों में होती रही है। वह मुंशी प्रेमचंद की पत्रिका हंस का 1986 से संपादन करते रहे थे जो हिन्दी की सर्वाधिक चर्चित साहित्यिक पत्रिका मानी जाती है और इसके माध्यम से हिन्दी के नए लेखकों की एक नई पीढी भी सामने आई और इस पत्रिका ने दलित विमर्श को भी स्थापित किया।
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29-10-2013, 08:11 PM | #7 |
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Re: राजेंद्र यादव को विनम्र श्रद्धांजलि
राजेन्*द्र यादव के प्रसिद्ध उपन्यास सारा आकाश पर बासु चटर्जी ने एक फिल्म भी बनाई थी। उनकी चर्चित रचनाओं में 'जहां लक्ष्मी कैद है', 'छोटे-छोटे ताजमहल', 'किनारे से किनारे तक', 'टूटना', 'ढोल', 'जैसे कहानी संग्रह' और 'उखडे हुये लोग', 'शह और मात', 'अनदेखे अनजान पुल' तथा 'कुलटा' जैसे उपन्यास भी शामिल है। उन्होंने अपनी पत्नी मन्नू भंडारी के साथ 'एक इंच मुस्कान' नामक उपन्यास भी लिखा है।
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30-10-2013, 01:32 PM | #8 |
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Re: राजेंद्र यादव को विनम्र श्रद्धांजलि
हिंदी साहित्य जगत के आधारस्तम्भ का ढह जाना सहित्य जगत में बहुत बड़ी क्षति हें, परमात्मा उनकी आत्मा को चिर शांति प्रदान करे यही विनम्र प्राथना हें......
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30-10-2013, 11:04 PM | #9 |
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Re: राजेंद्र यादव को विनम्र श्रद्धांजलि
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31-10-2013, 10:46 PM | #10 |
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Re: राजेंद्र यादव को विनम्र श्रद्धांजलि
श्रद्धेय राजेन्द्र यादव जी ने हिंदी कथा साहित्य को न सिर्फ समृद्ध किया बल्कि उसे एक नया कलेवर प्रदान किया. बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में घटित तमाम घटना क्रम तथा वैश्विक फलक पर दिखाई देने वाले राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक परिवर्तनों की प्रतिच्छाया शताब्दी के उत्तरार्ध की सोच और साहित्य पर भी व्यापक रूप में दिखाई दी. यादव जी का साहित्य भी इन सब परिवर्तनों को आत्मसात करता हुआ चलता है. उनके जाने से हिंदी कथा साहित्य में जो शून्य बन गया है उसे भर पाना आसान नहीं होगा.
मुझे आज 'हंस' के सम्पादकीय लेख याद आते हैं जिनमें निर्भीक पत्रकार राजेंद्र यादव जी लेखनी का तेजस्वी और निडर रूप पाठकों के सामने बार बार आता है. |
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