28-01-2015, 05:24 PM | #1 |
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पैसा----- या------ प्यार
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28-01-2015, 07:30 PM | #2 |
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Re: पैसा----- या------ प्यार
सोनी पुष्पा जी, आपका सूत्र पढ़कर लावारिस फ़िल्म का एक गीत याद आ गया-
हे हे चार पैसे क्या मिले.. क्या मिले भई क्या मिले.. वो ख़ुद को समझ बैठे ख़ुदा.. वो ख़ुदा ही जाने अब होगा तेरा अंजाम क्या.. काहे पैसे पे..काहे पैसे पे इतना.. ग़ुरूर करे है..ग़ुरूर करे है.. यही पैसा तो..यही पैसा तो अपनों से.. दूर करे है..दूर करे है.. काहे पैसे पे..काहे पैसे पे इतना.. ग़ुरूर करे है..ग़ुरूर करे है.. सोने-चाँदी के.. ऊँचे महलों में दर्द ज़्यादा है.. चैन थोड़ा है इस ज़माने में पैसे वालों ने.. प्यार छीना है.. दिल को तोड़ा है.. प्यार छीना है.. दिल को तोड़ा है.. पैसे की अहमियत से तो इन्कार नहीं है.. पैसा ही मगर सब कुछ सरकार नहीं है.. इन्साँ-इन्साँ है पैसा-पैसा है.. दिल हमारा भी तेरे जैसा है.. है भला पैसा तो बुरा भी है.. ये ज़हर भी है.. ये नशा भी है.. ये ज़हर भी है.. ये नशा भी है.. ये नशा कोई..ये नशा कोई धोखा.. ज़रूर करे है.. यही पैसा तो अपनों से.. दूर करे है..दूर करे है.. अरे चले कहाँ.. ऐ पैसे से क्या-क्या तुम यहाँ ख़रीदोगे.. हे दिल ख़रीदोगे या के जाँ ख़रीदोगे.. बाज़ारों में प्यार कहाँ बिकता है.. दुकानों पे यार कहाँ बिकता है.. फूल बिक जाते हैं ख़ुश्बू बिकती नहीं.. जिस्म बिक जाते हैं रूह बिकती नहीं.. चैन बिकता नहीं ख़्वाब बिकते नहीं.. दिल के अरमान बेताब बिकते नहीं.. अरे पैसे से क्या-क्या तुम यहाँ ख़रीदोगे.. हे दिल ख़रीदोगे या के जाँ ख़रीदोगे.. हे इन हवाओं का मोल क्या दोगे.. इन घटाओं का मोल क्या दोगे.. अरे इन ज़मीनों का मोल हो शायद.. आसमानों का मोल क्या दोगे.. आसमानों का मोल क्या दोगे.. पास पैसा है तो है ये.. दुनिया हसीं.. दुनिया हसीं.. हो ज़रूरत से ज़्यादा तो.. मानों यक़ीं.. मानों यक़ीं.. ये दिमाग़ों में..ये दिमाग़ों में.. पैदा फ़ितूर करे है.. यही पैसा तो अपनों से.. दूर करे है..दूर करे है..
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29-01-2015, 12:17 AM | #3 |
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Re: पैसा----- या------ प्यार
अच्छा गाना लिखा आपने रजत जी सही भी है .. आज की दुनिया में पैसा भगवन से बढ़कर रिश्तो से बढ़कर अपनो से बढ़कर हो गया है ... धन्यवाद
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29-01-2015, 01:03 PM | #4 |
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Re: पैसा----- या------ प्यार
कल ही ट्रेन के सफर दौरान मेरे पीछे बैठे हुए दो दोस्त...जिनमें से एक लड़की थी, पैसे की महत्ता को समजा रही थी।
मुझे लगा की कई लोग एसे भी है जो बातें तो प्रेम और खुशी की बातें तो करते है लेकिन अभावो से पीड़ीत भी है। मै उस समय कोई निष्कर्ष पर नहीं पहूंच पाया था, लेकिन फिर सोचा की जो हमारे पास नहीं होता उसी की कदर हमें अधिक होती है और जो हमारे पास पहेले से ही मौजुद है उससे हमें संतुष्टी हो जाती है।
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29-01-2015, 03:29 PM | #5 |
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Re: पैसा----- या------ प्यार
हार्दिक आभार दीप जी,.... आपने आपने मंतव्य यहाँ रखे ......
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30-01-2015, 04:25 PM | #6 |
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Re: पैसा----- या------ प्यार
Bahot hi badhiya topic hai pushpaji.....
Humari nazar Mai paisa or pyar dono Mai se adhick hum pyar ko ahemiyat dete hai....jaise ki Aapne kaha ki paise ke liye apne hi apne se ladte paye jate hai...Jisse Hume bahot hi durd hota hai...agar pyar aapke jivan Mai nahi hai to paise ka kya karoge....? Pyar agar saath hai to har durd khushi Mai tabdil hai....pyar se hi ye duniya rangin lagti hai...aankhe Naye Aapne sapne sajati hai....
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30-01-2015, 05:15 PM | #7 | |
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Re: पैसा----- या------ प्यार
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व्यक्ति के जन्म के बाद उसका पारिवारिक माहोल, स्थितियां, माँ—बाप द्वारा दिये गये संस्कार आदि सभी उस व्यक्ति के व्यक्तित्व को बनाते है किवह किन चिजों को अपने जीवन में मौल देता है !! मैने अपने आस—पास इन दोनों ही वैरायटी को देखा है और जो प्रश्न आपने उठाये वही प्रश्ननों के सन्दर्भ में उनको पुरी तरह टटोला भी है ! कुल मिला के जो रिजल्ट सामने आया उसमें 95 प्रतिशत भुमिका उपर लिखी बातो से बनती है और 5 प्रतिशत जन्मजात स्वभाव के कारण होता है ! |
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30-01-2015, 10:01 PM | #8 |
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Re: पैसा----- या------ प्यार
[QUOTE=Shikha sanghvi;547721]Bahot hi badhiya topic hai pushpaji.....
Humari nazar Mai paisa or pyar dono Mai se adhick hum pyar ko ahemiyat dete hai....jaise ki Aapne kaha ki paise ke liye apne hi apne se ladte paye jate hai...Jisse Hume bahot hi durd hota hai...agar pyar aapke jivan Mai nahi hai to paise ka kya karoge....? Pyar agar saath hai to har durd khushi Mai tabdil hai....pyar se hi ye duniya rangin lagti hai...aankhe Naye Aapne sapne sajati hai....[/QUO सबसे पहले बहुत बहुत धन्यवाद शिखा जी इस बहस में भाग लेने के लिए आपके विचारो से मै सहमत हूँ शिखा जी .. आज कई लोगो को पैसों की दुनिया में लोटते देखा है. इतना पैसा होता है उनके पास किन्तु मन की शांति जरा भी नही ,, सिरफ़ दिखावा होता है उनकी लाइफ में भले बड़ी बड़ी पार्टियाँ करते है एइसे लोग दिनभर लोगों से घिरे होते हैं किन्तु उनके पास सच्चे प्यार के रिश्ते नही होते जो की एक bhai बहन के बीच , माँ बेटे के बीच, एक पति पत्नी के बीच बाप बेटे के बीच का प्रेम और सौहार्द्य उनके पास नही होता वो अन्दर से बहुत अकेले हुआ करते हैं और उन्हें दवाइयों का सहारा लेना पड़ता है जीने के लिए इसलिए मेरा मानना है की --जीने के लिए जितना पैसा जरुरी है उतना ही अपनो का साथ होना अपनो का प्रेम होना फिर वो किसी भी रिश्ते का क्यों न हो साथ रहना जरुरी है . इसलिए इतना कहूँगी की जो लोग पैसे के लिए आपनो को ठुकराते हैं वो अपनों की कदर करे न की उन्हें उलाहना दें उनसे दूर हों ... Last edited by soni pushpa; 30-01-2015 at 10:05 PM. |
30-01-2015, 10:26 PM | #9 | |
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Re: पैसा----- या------ प्यार
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30-01-2015, 11:24 PM | #10 |
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Re: पैसा----- या------ प्यार
एक अच्छा विषय हमारे बीच रखने के लिये सबसे पहले तो आपका आभार - अब बात आपके प्रश्न की कि पैसा या प्यार .......मैं चहती हूँ कि पहले बिना किसी निष्कर्ष पर पहुँचे, और भावनओं को एक तरफ रख कर , हमें थोडा व्याव्हारिक होकर स्थिति को देखना चाहिये ।
हम सभी को जीवन जीने के लिये कुछ मूलभूत चीजों की आवश्यकता होती है जैसे - घर , भोजन , कपडे , स्वास्थ्य , आदि । अब जब जीना है तो इन जरूरतों का भी ध्यान रखना ही होगा , क्योंकि इनके बिना जीवन सम्भव नहीं है । अब जरा व्याव्हारिक होकर सोचिये कि क्या ये सारी जरूरतें बिना पैसे के सम्भव हैं ? अगर व्यक्ति पैसे के बारे में ना सोचे तो वो कैसे जीयेगा ? पैसे की महत्ता को नकारा नहीं जा सकता है । हम चाहे जितना मर्जी कहें कि हम पैसे को महत्व नहीं देते , लेकिन वास्तविकता यही है कि हम सभी जानते हैं कि बिना धन के हम एक दिन भी गुजारा नहीं कर सकते । हम सभी अगर अपने दिल से एक बार पूछें तो हम सभी इस बात पर सहमत होंगे कि आज धन हमारे लिये जरूरी है । इस लिये ये कहना कि पैसे की कोई कीमत नहीं है सिर्फ प्यार की कीमत है , गलत होगा । अब बात प्यार की - प्यार मनुष्य का मूल स्वभाव है । हमें प्यार सीखना नहीं पडता , ये हमारे अन्दर जन्मजात होता है । हमारे शरीर् में जब पानी की कमी होती है तो हमें बाहर से पानी की आवश्यकता होती है , और हम पानी पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं , ठीक उसी प्रकार जब हमारे अन्दर प्रेम की कमी होती है तो हम बाहर उस प्रेम की तलाश करते हैं । जिस प्रकार पानी के बिना जीवन असम्भव है उसी प्रकार प्रेम भी हमारे लिये परमावश्यक है । बिना प्रेम के ये सृष्टी आगे बढ ही नहीं सकती । इसलिये प्यार भी अति महत्वपूर्ण है हमारे जीवन में । प्यार और पैसे में कोई तुलना ही नहीं होनी चहिये क्योंकि ये दोनों ही चीजें हमारे लिये आवश्यक हैं और अपनी अपनी जगह मूल्यवान भी । पर तुलना हमेशा होती है और इस तुलना का कारण है - "तुलना(Comparison)" ......तुलना दो व्यक्तिओं के बीच के "अहं" की.....उसके पास मुझसे ज्यादा कैसे ? आज व्यक्तिओं में सन्तोष का अभाव है । और एक असन्तुष्ट व्यक्ति हमेशा इर्ष्या और द्वेष से भरा रहता है जिसकी वजह से प्यार का अभाव हो जाता है । जब तक "अहं" रहता है इन्सान के अन्दर उसे प्यार की कीमत ही नहीं समझ आती (क्योंकि प्यार में स्वयं से पहले दूसरों के बारे में सोचना पड्ता है , और जो व्यक्ति अहं से ग्रसित है वो दूसरों के बारे में कैसे सोच सकता है?) .....और जिस दिन उसके सारे रिश्ते उसके अहं की वजह से समाप्त हो जाते हैं , और व्यक्ति अकेला रह जाता है , तब उस एकाकीपन में उसे प्यार की कीमत समझ आती है । क्योंकि प्यार ही हमारा मूल स्वभाव है , पैसा हमारी आवश्यकता है । अब व्यक्ति आवश्यकताओं का अभाव तो सह सकता है पर मूल स्वभाव का अभाव ज्यादा समय तक नहीं सह सकता इसलिये ही आज कल लोग तनाव , अवसाद के शिकार ज्यादा होते हैं ।
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It's Nice to be Important but It's more Important to be Nice Last edited by Pavitra; 30-01-2015 at 11:27 PM. |
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