10-11-2012, 10:49 PM | #1 |
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ग़ज़ल: दर्द ही दर्द मिला है मुझे आराम नहीं
दर्द ही दर्द मिला है मुझे आराम नहीं. मौत आ मुझको लगा ले तू अपने सीने से, ज़िन्दगी बस ये समझ ले अब तेरा काम नहीं. सब हैं मदहोश मगर तेरे वास्ते ग़म-ए-दिल, खाक-ए-तकदीर से निकला है कोई जाम नहीं. हम भी औरों को तरह खाक में मिल जायेंगे, इससे बेहतर ए मेरे दिल तेरा अन्जाम नहीं. Last edited by rajnish manga; 18-09-2013 at 12:42 AM. |
12-11-2012, 01:09 AM | #2 |
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Re: ** *ग़ ज़ ल
समझ गया कि अच्छा लिखते हैं आप रजनीश मंगा जी किन्तु यदि आप चाह लें तो और भी अच्छा लिख सकते हैं . ऐसी मेरी व्यक्तिगत सोच है .
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12-11-2012, 10:58 PM | #3 |
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Re: ** *ग़ ज़ ल
सेंट अलैक जी, अरविन्द जी, डॉ. राकेश श्रीवास्तव जी, रणवीर जी व इनके साथ तीस अन्य सुधि पाठकों के प्रति हार्दिक धन्यवाद व्यक्त करता हूँ.
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दर्द ही दर्द, मेरी ग़ज़ल, रजनीश मंगा, dard hi dard mila hai, ghazal, poetry of rajnish manga |
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