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06-03-2015, 05:17 PM | #1 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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नाकामियों ने और भी सरकश बना दिया, इतने हुए जलील, की खुददार हो गए... (अज्ञात) |
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08-03-2015, 09:33 AM | #2 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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जिसके करीब में कोई बहती नदी न हो ज़िद पर तो अड़ गए हो मगर सोच लो ज़रा जिस बात पर अड़े हो, कहीं खोखली न हो (अनु जसरोटिया)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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08-03-2015, 01:46 PM | #3 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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हर तरफ सद्भावना का संचार होना चाहिए आदमी को आदमी से प्यार होना चाहिए ज़र्फ़ देहलवी
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
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08-03-2015, 05:41 PM | #4 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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एक पत्थर निशान मंजिल का इक सितारा था आसमान में कम मैंने नुक्ता लगा दिया दिल का सिम्त-नुमा = दिशा बताने वाला यंत्र (शकील ग्वालियरी)
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08-03-2015, 08:45 PM | #5 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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किताबों में मेरे फ़साने ढूँढ़ते है, नादान हैं गुज़रे ज़माने ढूँढ़ते है. जब वोह थे....!! तलाश-इ-ज़िन्दगी भी थी, अब तो मौत के ठिकाने ढूँढ़ते है
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! Last edited by bindujain; 08-03-2015 at 08:48 PM. |
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08-03-2015, 10:46 PM | #6 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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ख़ुशी तो होगी अगर दश्त के हवाले हुए कोई भी वस्ल की उम्मीद से बहलता नहीं सयाने हो गए सब रोग दिल के पाले हुए दश्त = बियाबान / वस्ल = मिलन (मुज़फ्फर हनफ़ी)
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09-03-2015, 02:46 PM | #7 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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एक नया मोड़ देते हुए फिर फ़साना बदल दीजिये या तो खुद ही बदल जाइए या ज़माना बदल दीजिये !मंजर भोपाली !
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