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08-05-2014, 08:11 PM | #1 |
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Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
मैं सोचता हूँ कि यहाँ अटल जी के जीवन से जुड़े कुछ प्रसंग देना अप्रासंगिक न होगा. जैसा कि हम सब जानते हैं कि अटलजी की वक्तृता के कायल बड़े बड़े लोग थे. लोग दूर दूर से उनका भाषण सुनने के लिये सभाओं में जाया करते थे. इसी सन्दर्भ में हम आपको कुछ महत्वपूर्ण बातें बताना चाहते हैं.
अटल जी के अनुसार उन्होने अपना पहला भांषण पाँचवी कक्षा में आयोजित एक वाद-विवाद प्रतियोगिता में दिया था। जहाँ अटक-अटक कर बोलने की वजह से उनकी बहुत हँसाई हुई थी। दरअसल तब वे अपना भाषंण रट कर गये थे। दृणसंक्लप अटल जी ने तभी ये निश्चय किया कि अब कभी भी रटकर भांषण नही बोलेगें। उनकी दृणसंक्लपता का ही परिणाम है कि उनके भाषणों को सुनने दूर-दूर से लोग आते हैं। एक बार इलाहाबाद विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन था। अटल जी एवं रघुनाथ सिंह इस प्रतियोगिता में भाग लेने जा रहे थे। परन्तु ट्रेन लेट हो जाने की वजह से वो लोग, प्रतियोगिता समाप्त होने पर वहाँ पहुँचे। उस समय निर्णायक मंडल निर्णय तैयार कर रहे थे। परेशान हुए बिना अटल जी ने ट्रेन लेट होने की बात अध्यक्ष महोदय को बताई, महोदय ने उन्हे बोलने की इजाजत दे दी। अटल जी ने अपनी परिमार्जित और काव्यात्मक शैली में ऐसा उत्कृष्ट भाषण दिया कि उन्हे सर्वप्रथम वक्ता होने का पुरस्कार प्राप्त हुआ। उस निर्णायक मंडल में डॉ. हरिवंश बच्चन जी भी थे। अटल जी की वाकपटुता का एक और प्रसंग है। “एक बार वाद-विवाद का विषय था,‘हिन्दी राष्ट्रभाषा होनी चाहिए’। अटल जी पक्ष के वक्ता थे और उनका जोङीदार विपक्ष का जिसे हिन्दी की जगह हिन्दुस्तानी का पक्ष लेना था। परन्तु ऐन वक्त पर उनके जोङीदार ने कहा कि, अटल में तो पक्ष में बोलने की तैयारी करके आया हुँ। विचलित हुए बिना अटल जी ने कहा कोई बात नही, आप पक्ष में बोल दीजीए। अटल जी बिना किसी तैयारी के प्रतिपक्ष के विषय पर बोले। उनके आत्मविश्वास का आलम ये था कि वे उस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान से पुरस्कृत हुए।“
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08-05-2014, 09:47 PM | #2 | |
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Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
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इस बेहतरीन प्रसंग को यहा अंकित कर इस सूत्र में आपने चार चाँद लगायें, इसके लिए आपको हार्दिक साधुवाद, आगे भी ऐसें प्रसंगो को आप यहाँ अवश्य अंकित करेंगे यही अभिलाषा करता हूँ.........
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12-05-2014, 07:07 PM | #3 |
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Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ :......... दूध में दरार पड़ गई : ख़ून क्यों सफ़ेद हो गया? भेद में अभेद खो गया। बँट गये शहीद, गीत कट गए, कलेजे में कटार दड़ गई। दूध में दरार पड़ गई। खेतों में बारूदी गंध, टूट गये नानक के छंद सतलुज सहम उठी, व्यथित सी बितस्ता है। वसंत से बहार झड़ गई दूध में दरार पड़ गई। अपनी ही छाया से बैर, गले लगने लगे हैं ग़ैर, ख़ुदकुशी का रास्ता, तुम्हें वतन का वास्ता। बात बनाएँ, बिगड़ गई। दूध में दरार पड़ गई :.........
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04-06-2014, 07:13 PM | #4 |
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Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ :......... क़दम मिला कर चलना होगा : बाधाएँ आती हैं आएँ घिरें प्रलय की घोर घटाएँ, पावों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ, निज हाथों में हँसते-हँसते, आग लगाकर जलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। हास्य-रूदन में, तूफ़ानों में, अगर असंख्यक बलिदानों में, उद्यानों में, वीरानों में, अपमानों में, सम्मानों में, उन्नत मस्तक, उभरा सीना, पीड़ाओं में पलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। उजियारे में, अंधकार में, कल कहार में, बीच धार में, घोर घृणा में, पूत प्यार में, क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में, जीवन के शत-शत आकर्षक, अरमानों को ढलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ, प्रगति चिरंतन कैसा इति अब, सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ, असफल, सफल समान मनोरथ, सब कुछ देकर कुछ न मांगते, पावस बनकर ढ़लना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। कुछ काँटों से सज्जित जीवन, प्रखर प्यार से वंचित यौवन, नीरवता से मुखरित मधुबन, परहित अर्पित अपना तन-मन, जीवन को शत-शत आहुति में, जलना होगा, गलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा :.........
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20-08-2018, 06:24 PM | #5 | |
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Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
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आज के युग को रेखांकित करती एक सुंदर कविता.
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17-08-2018, 11:14 AM | #6 |
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Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
कल यानि 16 अगस्त 2018 को अटल जी अपनी इहलीला समाप्त कर स्वर्गारोहण कर गए. आज हम उन्हें श्रद्धापूर्वक याद करते हैं और उनकी कविता में उन्हें ढूंढने का प्रयास करते हैं.
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