14-06-2013, 10:14 AM | #1461 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
भारतीय प्रोफेसर के नाम पर नामकरण लंदन। वैज्ञानिकों ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए मानवीय शरीर रचना के हिस्से आंख के कोर्निया में नर्ई परत को खोज निकाला है और इसका नाम इसकी खोज करने वाले भारतीय शोधकर्ता के नाम पर रखने का फैसला किया है। इंसान की आंख के अगले हिस्से को कोर्निया कहा जाता है। ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी आफ नॉटिंघम के शोधकर्ताओं द्वारा की गई इस खोज से चिकित्सकों को कोर्निया ग्राफ्टिंग करवाने या कोर्निया प्रत्यारोपण करवाने वाले मरीजों को अधिक अच्छे परिणाम देने में मदद मिलेगी। कोर्निया की नई खोजी गई इस परत का नाम ‘दुआ’ज लेयर’ रखा गया है। प्रोफेसर हरमिंदर दुआ ने इसकी खोज की है। इससे पहले वैज्ञानिकों को कोर्निया की इस परत के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। आंख के अगले हिस्से में कोर्निया एक स्पष्ट सुरक्षात्मक लैंस होता है, जिसके माध्यम से प्रकाश आंख में प्रवेश करता है। पहले वैज्ञानिकों का मानना था कि कोर्निया की आगे से लेकर पीछे तक पांच परतें होती हैं जिन्हें कोर्नियल ऐपिथेलियम , बोमैन्स लेयर, कोर्नियल स्ट्रोमा , डिसेमेट्स मैम्ब्रेन तथा कोर्नियल एंडोथेलियम कहा जाता है। नई खोजी गई परत कोर्नियल स्ट्रोमा और डिसेमेट्स के बीच स्थित है। हालांकि यह केवल 15 माइक्रोन्स मोटाई की है, लेकिन यह बेहद मजबूत है। पूरे कोर्निया की मोटाई करीब 550 माइक्रोन्स या 0.5 मिमी होती है। प्रोफेसर दुआ ने कहा कि यह एक बड़ी खोज है, जिसका मतलब है कि नेत्र विज्ञान से सम्बंधी पाठ्य पुस्तकों को फिर से लिखने की जरूरत होगी। उन्होंने बताया कि कोर्निया के उत्तकों की गहराई में इस नई और अनोखी परत की खोज के बाद, अब हम इसकी दबाव सहने की क्षमता का इस्तेमाल कर मरीजों की आंखों का आॅपरेशन अधिक सुरक्षित और आसान तरीके से करने की संभावनाओं का पता लगा सकते हैं। यह शोध रिपोर्ट आपथैलमोलोजी जर्नल में प्रकाशित हुई है।
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14-06-2013, 10:19 AM | #1462 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
वीडियो गेम्स से चीजों को विस्तार से देखने में मिलती है मदद : अध्ययन
लंदन। वैज्ञानिकों ने एक नए शोध में कहा है कि वीडियो गेम खेलने में आप जितना अधिक समय लगाते हैं, आपके मस्तिष्क को दृश्य सामग्री को उतनी ही अधिक तेजी तथा स्पष्ट तरीके से समझने में यह प्रशिक्षित करता है। ड्यूक स्कूल आफ मेडिसिन के मनोचिकित्सा विभाग के सहायक प्रोफेसर ग्रेग एप्पलबौम ने कहा कि वीडियो गेम खेलने वाले दुनिया को अलग नजरिए से देखते हैं। वे किसी दृश्य चित्र से किसी अन्य व्यक्ति के मुकाबले अधिक सूचना एकत्र करने में सक्षम होते हैं। ड्यूक यूनिवर्सिटी के स्टीफन मिट्रोफ ने विज्युअल कोगनिशन लैब में बहुत कम वीडियो गेम खेलने वालों और बेहद अधिक गेम खेलने वालों के व्यवहार को लेकर अध्ययन किया। एप्पलबौम ने बताया कि अधिक वीडियो गेम खेलने वाले लोगों ने किसी चित्र को बहुत कम समय के लिए दिखाए जाने के बावजूद उसके अधिक विवरण को ग्रहण किया, जबकि दूसरे लोग इस काम को उतनी कुशलता से नहीं कर पाए। शोधकर्ताओं का कहना है कि अधिक समय तक वीडियो गेम खेलने वाले लोग संभवत: अधिक स्पष्ट तरीके से बारीकियों को देखने में सक्षम होते हैं, उनकी याददाश्त अधिक तेज होती है और वे निर्णय लेने में अधिक सटीकता तथा तेजी से काम लेते हैं।
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16-06-2013, 11:04 AM | #1463 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
पहले ही जान जाते हैं कि अब आएगी चेहरे पर मुस्कान
वाशिंगटन। कहा जाता है कि दिल के भाव चेहरे पर आ ही जाते हैं लेकिन दिल के भाव चेहरे पर बयां हो इससे पहले ही सामने वाले को हमारे भाव का पता चल पाता है। ब्रटिेन की राजधानी लंदन स्थित बैगर विश्वविद्यालय के एक दल ने इस दिशा मे एक नया शोध किया है जिसे जर्नल साइकोलाजिकल साइंस पत्रिका मे प्रकाशित किया गया है। शोध के मुताबिक चेहरे पर असली मुस्कान के आने से पहले ही सामने वाले को पता चल जाता है कि अब हम मुस्कुरायेगे। हालांकि जबरन या औपचारिक मुस्कान की स्थिति मे सामने वाला भ्रम में पड जाता है। असली मुस्कान का पता चेहरे पर आने के पहले ही पता चल जाता है। असली मुस्कान मे हमारी आखो के पास की कुछ मांसपेशियो में खिंचाव होता है जिससे उसके बारे मे पहले ही पता चल जाता है। शोध मे पता चला कि जब दो अजनबी एक दूसरे से मिलते है तो दोनो न सिर्फ मुस्कुराते है बल्ेकि उनकी मुस्कान भी एक जैसी ही होती है। इस पर अध्ययन करने के बाद पता चला कि जब दो व्यक्ति बात करते है और सामने वाले को मुस्कान आने वाली होती है तो उससे बात करने वाला मुस्कान देखकर खुद भी मुस्कुरा पडता है। शोधकर्ताओ के मुताबिक लोग औपचारिक रूप से तब मुस्कुराते है जब उन्हे लगता है कि इस बात पर मुस्कुराना सामाजिक बर्ताव है लेकिन असली मुस्कान उनके चेहरे पर तब आती है जब वे आह्लादित होते है।
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16-06-2013, 11:05 AM | #1464 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
हमउम्र लोगों का दबाव, सामाजिक कारणों से लगती है धूम्रपान की लत : सर्वेक्षण
कोलकाता। कोलकाता में ज्यादातर धूम्रपान करने वालों को 16 से 20 साल की उम्र में इसकी लत लगती है और लत लगने में सामाजिक कारकों जैसे मित्रों और हमउम्र लोगों का दबाव एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आईसीआईसीआई लोंबार्ड सामान्य बीमा कंपनी द्वारा कोलकाता, मुंबई, दिल्ली और बेंगलूर में एक महीने तक कराये गये सर्वेक्षण में कहा, ‘सामाजिक कारक जैसे मित्र और हमउम्र लोगों का दबाव (93 प्रतिशत), धूम्रपान की लत लगने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके बाद काम का दबाव आता है।’ रिपोर्ट में कहा गया है, ‘धूम्रपान को स्टाइल के रूप मे देखा जाता है और एक ऐसी चीज जो दबाव से मुक्ति दिलाती है।’ इस सर्वेक्षण का उद्देश्य धूम्रपान की लत के कारणों का पता लगाना और समझना था। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोलकाता में 66 प्रतिशत धूम्रपान करने वाले लोगों ने 16 से 20 साल की उम्र में धूम्रपान शुरू किया । उसने कहा, ‘आधे धूम्रपान करने वाले लोगों ने इसे जारी रखा क्योंकि उन्हें लगता है कि एक सीमा के अंदर धूम्रपान करने से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ता ।’
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17-06-2013, 12:54 PM | #1465 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
दुर्गम इलाकों में गुब्बारों के सहारे पहुंचेगा इंटरनेट नेटवर्क
कैलिफोर्निया। अमेरिका की इंटरनेट सेवा प्रदाता कम्पनी गूगल इंक ने दक्षिणी गोलार्द्ध के दुर्गम इलाकों में इंटरनेट की पहुंच आसान बनाने के लिए गुब्बारों की मदद से एक नेटवर्क का संचालन शुरू किया है। गूगल ने बताया कि न्यूजीलैंड के दक्षिणी द्वीपों पर प्रोजेक्ट लून के नाम से शुरू किए गए इस नेटवर्क में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाएगा। यह करीब बीस किलोमीटर की ऊचाई पर हवा की दिशा में उड़ सकेगा जो एक वायुयान की उड़ान से दो गुना अधिक है। हवा के साथ उड़ने में सक्षम ये गुब्बारे एक बड़े क्षेत्र में इंटरनेट की सुविधा मुहैया करा पाएंगे, जिसकी गति 3जी के बराबर होगी। न्यूजीलैंड में इस माह पायलट परीक्षण के तहत तीस गुब्बारों का छोटे पैमाने पर एक नेटवर्क स्थापित किया गया है। इनके साथ एक इंटरनेट एंटीना भी लगा होगा। हालांकि गूगल ने अभी तक इस नेटवर्क पर होने वाले खर्च का कोई बयौरा नहीं दिया है।
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17-06-2013, 12:54 PM | #1466 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
महिलाओं में दिल के दौरे पड़ने के संकेत पुरुषों से अलग
रोम। एक शोध से यह बात सामने आई है कि महिलाओं और पुरुषों में दिल के दौरों के संकेत अलग-अलग होते है। शोध के मुताबिक आमतौर पर जब पुरुषों को दिल का दौरा पड़ता है तो दर्द छाती से बांए हाथ की ओर बढ़ता है जबकि महिलाओं के मामले में मितली के बाद दर्द पेट के निचले हिस्से की ओर बढ़ता है। शोध के प्रमुख तथा पडुआ विश्वविद्यालय अस्पताल में आंत चिकित्सा विभाग के निदेशक प्रो. जियोविनेला ने बताया कि महिलाआें में ऐसे संकेत के बाद भी उन्हें आमतौर पर चिकित्सा उपलब्ध नहीं हो पाती। हमारा शोध इस बात को दर्शाता है कि कर्डियोवेंस्कुलर बीमारी, कंैसर, कलेजे की बीमारी, ओस्टीयोपोरोसिस तथा फारमेकोलोजी के दौरान भी स्त्री, पुरुष में अलग संकेत देखने को मिले हैं। उन्होंने बताया कि महिलाओं में सामान्यत: यह बीमारी नहीं दिखने के कारण तथा उन्हें सही उपचार जैसे ईसीजी, एंजीयोग्राफी नहीं मिलने के कारण यह और भी घातक हो जाता है।
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17-06-2013, 12:55 PM | #1467 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
सोशल नेटवर्किंग से संपर्क पसंद करता है युवा वर्ग
सर्वेक्षण के अनुसार, 75 फीसदी भारतीय युवा फोन के बजाय सोशल नेटवर्किंग को देते हैं प्राथमिकता नई दिल्ली। इंटरनेट के बढते इस्तेमाल के साथ ही भारतीय युवा वर्ग में सोशल नेटवर्किंग की लोकप्रियता बढ़ रही है। टीसीएस के एक सर्वेक्षण के अनुसार, 75 फीसद भारतीय युवा संपर्क के लिए फोन कॉल्स के बजाय सोशल नेटवर्किंग को प्राथमिकता देते हैं। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के जेन-वाई 2012-13 के सर्वेक्षण में कहा गया है कि आज का युवा सोशल नेटवर्किंग टूल्स के जरिए संपर्क करने पर विश्वास करता है। उचित कीमत वाली बैंडविड्थ तथा स्मार्ट उपकरणों के जरिए वह वर्चुअल कम्युनिटीज का निर्माण करता है। देश की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर निर्यातक द्वारा किए गए इस सर्वेक्षण में 14 शहरों के 17,500 हाईस्कूल के 17,500 विद्यार्थियों को शामिल किया गया। दावा किया गया है कि यह देश में इस तरह का पहला सर्वेक्षण है। चार में से तीन विद्यार्थियों ने ‘स्कूल के लिए शोध’ को इंटरनेट इस्तेमाल की मुख्य वजह बताया। वहीं 62 प्रतिशत ने कहा है कि वे इसका इस्तेमाल चैटिंग और दोस्तों से संपर्क के लिए करते हैं। सर्वेक्षण में शामिल 74 प्रतिशत विद्यार्थियों ने कहा कि संपर्क के लिए वे फेसबुक का इस्तेमाल करते हैं, वहीं 54 प्रतिशत ने एसएमएस के इस्तेमाल की बात कही। वहीं सिर्फ 44 प्रतिशत का कहना था कि वे इस कार्य के लिए वॉयस कॉल्स का इस्तेमाल करते हैं। टीसीएस के मुख्य कार्यकारी एन चंद्रशेखरन ने कहा कि शहरी स्कूली छात्रों को उचित कीमत और स्मार्ट उपकरणों के साथ बेहतर आनलाइन पहुुंच उपलब्ध है। आज की यह पीढ़ी शिक्षा के साथ आपसी संपर्क के लिए सोशल नेटवर्क का इस्तेमाल कर रही है। सर्वेक्षण के निष्कर्ष के अनुसार आज के युवा का अपने दोस्तों आदि से संपर्क का पसंदीदा माध्यम फेसबुक और ट्विटर है। इनमें से 92 प्रतिशत फेसबुक को प्राथमिकता देते हैं।
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20-06-2013, 12:32 PM | #1468 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
‘भारतीय सोचते हैं कि रक्तदान से बदल सकता है व्यक्तित्व’
वाशिंगटन। एक नए अध्ययन से पता चला है कि भारतीय उसी दानदाता से अंग प्रतिरोपण या खून चढ़ाना पसंद करते हैं, जिसका व्यक्तित्व या व्यवहार उनसे मिलता है। मिशिगन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कहा कि भारत और अमेरिका में प्रतिरोपण करवाने वाले कुछ लोग मानते हैं कि उनका व्यक्तित्व या व्यवहार उसी तरह से हो जाएगा, जिस तरह का खून या अंगदान करने वाले व्यक्ति का है। शोध का नेतृत्व करने वाले मेरेडिथ मेयर ने कहा कि लोग सोचते हैं कि व्यवहार या व्यक्तित्व आशिंक रूप से खून या शरीर के अंग में गहराई तक रहता है। यह अध्ययन भारत और अमेरिका के लोगों में कराया गया है।
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20-06-2013, 12:49 PM | #1469 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
तिब्बत की कैंसर दवाओं का अध्ययन करेंगे हार्वर्ड के शोधकर्ता
बीजिंग। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर तिब्बत के शोधकर्ताओं के साथ कैंसर के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तिब्बत की जड़ी-बूटी वाली दवाओं का अध्ययन करेंगे। यह उपचार पद्धति प्राचीन बौद्ध ग्रंथों पर आधारित है, जो प्राचीन काल से ही भारतीय चिकित्सा पद्धति में प्रचलित है। चीन के पश्चिमोत्तर गांसू प्रांत में तिब्बत मेडिसिन एक्सर्टनल प्रिपरेशन इंजीनियरिंग लैब के शोधकर्ता हार्वर्ड स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसरों के साथ मिलकर नई औषधीय तकनीक का इस्तेमाल करेंगे, ताकि तिब्बती दवाओं की (विशेषकर कैंसर के इलाज में) कारगर होने की प्रक्रिया का पता लगाया जा सके। चीन की संवाद समिति शिन्हुआ ने हार्वर्ड के प्रोफेसर डेविड क्रिस्टिआनी के हवाले से कहा कि कई परंपरागत तिब्बती जड़ी-बूटियां कैंसर के लक्षण को खत्म करने में मदद करती हैं। उन्होंने कहा कि चिकित्सकीय रूप से हम जानते हैं कि ये दवाएं मदद करती हैं, लेकिन यह अभी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि वे वैज्ञानिक रूप से कैसे काम करती हैं।
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20-06-2013, 12:50 PM | #1470 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
करियर संवारने में कम समय देती हैं भारतीय महिलाएं
नई दिल्ली। भारत में महिलाएं अपने पुरुष सहकर्मियों के मुकाबले करियर को संवारने में कम समय देती हैं जिस वजह से कई बार उन्हें अपनी पेशेवर जिंदगी में आगे बढ़ने और महत्वपूर्ण अवसरों को भुनाने में नाकामी हाथ लगती है। एक पुस्तक में इस बात का उल्लेख किया गया है। ‘सेप्रेटेड एंड डाइवोर्स्ड वीमेन इन इंडिया-इकनॉमिक राइट्स एवं एनटाइटलमेंट्स’ नामक इस पुस्तक में अलग रहने वाली महिलाओं के आर्थिक अधिकारों तथा कानून में दायरे में उनके कामकाजी महत्व का उल्लेख किया गया है। इस पुस्तक की लेखिका कृति सिंह हैं, जो महिलाओं के मुद्दे पर काम करने वाली वकील हैं। कृति अपनी इस पुस्तक में लिखती हैं कि भारतीय सामाजिक व्यवस्था में आम तौर पर पत्नी अपने घर को बनाने और संवारने में ज्यादातर समय खर्च करती है। घर पर ज्यादा समय बिताने की वजह से महिला कमाने और पेशेवर दुनिया में स्पर्धा करने की अपनी क्षमता खो देती है। लेखिका का कहना है कि घर के कामों को पूरा करने में महिलाएं अधिकांश मौकों पर अपने करियर को ही दांव पर लगा देती हैं। उनके घर के कामकाज और सेवा सम्बंधी कार्य को कानूनी और सामाजिक दायरे में मान्यता नहीं मिलती तथा कई बार इन सबसे बावजूद उन्हें भेदभाव और विषमता का शिकार होना पड़ता है।
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