My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Art & Literature > Hindi Literature
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 21-09-2013, 07:05 PM   #1
jai_bhardwaj
Exclusive Member
 
jai_bhardwaj's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 100
jai_bhardwaj has disabled reputation
Default नीम करौली बाबा और स्टीव जॉब्स

वाल्टर इसाकसन द्वारा लिखी गई स्टीव जॉब्स की जीवनी का एक सम्पादित अंश. अनुवाद एवं प्रस्तुति- प्रभात रंजन

(इन्टरनेट से प्राप्त सामग्री)
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
jai_bhardwaj is offline   Reply With Quote
Old 21-09-2013, 07:06 PM   #2
jai_bhardwaj
Exclusive Member
 
jai_bhardwaj's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 100
jai_bhardwaj has disabled reputation
Default Re: नीम करौली बाबा और स्टीव जॉब्स

Attached Images
This post has an attachment which you could see if you were registered. Registering is quick and easy
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
jai_bhardwaj is offline   Reply With Quote
Old 21-09-2013, 07:07 PM   #3
jai_bhardwaj
Exclusive Member
 
jai_bhardwaj's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 100
jai_bhardwaj has disabled reputation
Default Re: नीम करौली बाबा और स्टीव जॉब्स

स्टीव जॉब्स के बारे में कहा जाता है कि तकनीकी के साथ रचनात्मकता के सम्मिलन से उन्होंने जो प्रयोग किए उसने २१ वीं सदी में उद्योग-जगत के कम से कम छह क्षेत्रों को युगान्तकारी ढंग से प्रभावित किया- पर्सनल कंप्यूटर, एनिमेशन फिल्म, संगीत, फोन, कंप्यूटर टेबलेट्स और डिजिटल प्रकाशन. हाल में उनकी मृत्यु के कुछ ही दिनों बाद उनकी जीवनी आई है- ‘स्टीव जॉब्स’, जिसको वाल्टर इसाकसन ने लिखा है. सी.एन.एन, के अध्यक्ष और टाइम पत्रिका के मैनेजिंग एडिटर रह चुके इसाकसन न केवल मीडिया-जगत की कद्दावर हस्ती रहे हैं बल्कि आइन्स्टाइन, बेंजामिन फ्रेंकलिन और हेनरी किसिंजर की विख्यात जीवनियों के लेखक भी हैं. २१ वीं सदी में जीवन की दिशा को तकनीकों से जोड़ने वाले और इंसान के जीवन को निर्णायक रूप से प्रभावित करने वाले स्टीव जॉब्स की यह जीवनी भी उनकी एक महत्वाकांक्षी परियोजना थी. इस पुस्तक के लिए उन्होंने २ सालों के दौरान स्टीव जॉब्स से ४० से अधिक बार बातचीत की. उन्होंने १०० से अधिक लोगों से बातचीत की, जिनमें, उनके परिवार वाले, दोस्त, सहकर्मी आदि शामिल हैं.
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
jai_bhardwaj is offline   Reply With Quote
Old 21-09-2013, 07:07 PM   #4
jai_bhardwaj
Exclusive Member
 
jai_bhardwaj's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 100
jai_bhardwaj has disabled reputation
Default Re: नीम करौली बाबा और स्टीव जॉब्स

इस जीवनी के बारे में एक खास बात यह है कि इसमें एक पूरा अध्याय स्टीव जॉब्स के भारत-स्मरणों, संस्मरणों पर आधारित है. उनके भारत-प्रेम की शुरुआत हुई १९ साल की उम्र में अपने दोस्त रॉबर्ट फ्रीडलैंड की प्रेरणा से. बात १९७४ से शुरु होती है-

१९७४ की शुरुआत में जॉब्स बड़ी शिद्दत से पैसा कमाना चाहता था. उसका एक कारण तो था रॉबर्ट फ्रीडलैंड. उनका दोस्त जो पिछली गर्मियों में भारत की यात्रा पर गया था. फ्रीडलैंड ने भारत में नीम-करौली बाबा से दीक्षा ग्रहण की थी, जो साठ के दशक के अधिकतर हिप्पियों के गुरु थे, जॉब्स ने यह तय कर लिया था कि उनको भी यही करना चाहिए. उन्होंने अपने साठ चलने के लिए डेनियल कोटटके को तैयार किया. जॉब्स वहां केवल रोमांच की खातिर नहीं जाना चाहते थे. जॉब्स ने कहा, ‘यह मेरे लिए गंभीर खोज की एक यात्रा थी.’ ‘मैं अपने अंदर यह ज्ञान पा लेना चाहता था कि मैं कौन था और मुझे किस तरह आगे बढ़ना था,’ कोटटके ने यह जोड़ा कि ‘जॉब्स की खोज के पीछे कहीं न कहीं यह बात काम कर रही थी वह अपने जन्म देने वाले माता-पिता को नहीं जानता था. उसके अंदर एक शून्य पैदा हो गया था, जिसे वह भरना चाहता था.’
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
jai_bhardwaj is offline   Reply With Quote
Old 21-09-2013, 07:08 PM   #5
jai_bhardwaj
Exclusive Member
 
jai_bhardwaj's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 100
jai_bhardwaj has disabled reputation
Default Re: नीम करौली बाबा और स्टीव जॉब्स

उसने घर वालों को बताया कि वह नौकरी छोड़कर गुरु की तलाश में भारत जा रहा है, तो वे आश्चर्य में पड़ गए. बाद में वे परिवारवालों के कहने पर पहले म्यूनिख गए और वहीं से उन्होंने दिल्ली के लिए जहाज पकड़ी. जब वे जहाज से दिल्ली में उतरे उनको सड़क के कोलतार से गर्मी की धाह उठती हुई महसूस हुई, जबकि अभी अप्रैल ही चल रहा था. उसे एक होटल का नाम दिया गया था, जो पहले से ही भरा हुआ था. इसलिए वे उस होटल में चले गए जिसके बारे में उन्हें टैक्सी वाले ने बताया कि वह अच्छा था. ‘मुझे तो पक्का यकीन है कि उसको वहां से बख्शीश भी मिली होगी, क्योंकि वह मुझे एक तरह से भगा कर ही ले गया था.’ जॉब्स ने होटलवाले से पूछा कि क्या पानी फ़िल्टर का है और उसने जो जवाब दिया उसके ऊपर बड़ी मासूमियत से विश्वास भी कर लिया. ‘मेरा पेट बहुत ज़ल्दी खराब हो जाता था. मैं बीमार पड़ गया, बुरी तरह, खूब तेज बुखार चढ़ गया. एक हफ्ते में मेरा वज़न १६० पाउंड से घटकर १२० पाउंड हो गया.
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
jai_bhardwaj is offline   Reply With Quote
Old 21-09-2013, 07:08 PM   #6
jai_bhardwaj
Exclusive Member
 
jai_bhardwaj's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 100
jai_bhardwaj has disabled reputation
Default Re: नीम करौली बाबा और स्टीव जॉब्स

एक बार जब वह चलने लायक हो गया तो उसने तय किया कि उसे अब दिल्ली से निकलना चाहिए. वह हरिद्वार की तरफ चल पड़ा, पश्चिमी भारत में, उसके पास जहाँ से गंगा निकलती है. जहाँ एक मशहूर त्यौहार चल रहा थ, जिसे कुम्भ मेला कहते हैं. उस शहर में एक करोड़ से भी अधिक लोग आये हुए थे, जिसकी आबादी बमुश्किल एक लाख थी. हर तरफ साधू-संत घूम रहे थे. इस गुरु का तम्बू, उस गुरु का तम्बू. लोग हाथियों पर चढ़े हुए थे. मैं कुछ दिन वहां रुका फिर मैंने यह तय किया कि मुझे वहां से चलना चाहिए.’

वहां से ट्रेन और बस में चढ़ता हुआ वह हिमालय की तलहटी में नैनीताल के पास एक गाँव पहुंचा. वही जगह थी जहाँ नीम करौली बाबा रहते थे, या पहले रहते थे. जब तक जॉब्स वहां पहुंचा वह जीवित नहीं बचे थे, या कम से कम उस अवतार में. उसने वहां उस परिवार से एक कमरा किराये पर लिया जिसने उसे शाकाहारी खाना खिलाकर भला-चंगा किया था. उसके कमरे में चटाई बिछी हुई थी. ‘वहां पर एक प्रति ‘ऑटोबायोग्राफी ऑफ एन योगी’ की पड़ी हुई थी, जो मुझसे पहले वाले यात्री ने छोड़ दी थी. जिसे मैंने बार-बार पढ़ा, क्योंकि वहां करने को कुछ खास नहीं था, मैं गाँव-गाँव भटकता फिर तब जाकर मेरा दस्त ठीक हुआ. वहां उनके साथ जो लोग थे उनमें लैरी ब्रिलिएंट भी थे, जो महामारी के विशेषज्ञ थे और उन दिनों छोटा चेचक के उन्मूलन पर कम कर रहे थे. वे जॉब्स के जीवनपर्यंत दोस्त बने रहे.
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
jai_bhardwaj is offline   Reply With Quote
Old 21-09-2013, 07:08 PM   #7
jai_bhardwaj
Exclusive Member
 
jai_bhardwaj's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 100
jai_bhardwaj has disabled reputation
Default Re: नीम करौली बाबा और स्टीव जॉब्स

एक दफा तो जॉब्स को एक ऐसे हिंदू साधू के बारे में बताया गया जो एक बड़े व्यवसायी की ज़मीन पर सत्संग कर रहे थे. ‘यह एक मौका था किसी आध्यात्मिक व्यक्ति से साक्षात् मिलने का और उसके चेलों के साथ हिलने-मिलने का. लेकिन वह अच्छा खाना खाने का भी मौका था. जैसे जैसे मैं उसके नज़दीक पहुँचता गया मुझे वहां से खाने की खुशबू और तेज आती रही और मुझे भूख भी बहुत लग आई थी.’ जब जॉब खाना खा रहा था तब उस साधू ने, जो उम्र में जॉब्स के अधिक बड़ा नहीं लग रहा था, भीड़ में उसे देख लिया, उसकी तरफ इशारा करते हुए वह जोर-जोर से हंसने लगा. ‘वह दौड़ता हुआ मेरी और आया और मुझे पकड़कर उसने एक अजीब सी आवाज़ की और फिर बोला, तुम एकदम बच्चे की तरह हो.’ जॉब्स ने याद करते हुए बताया. ‘उसका मेरे ऊपर इस तरह ध्यान देना मुझे अच्छा नहीं लग रहा था.’ वह साधू जॉब्स का हाथ पकड़कर भक्तों की भीड़ से अलग ले गया ऊपर पहाड़ी तक. जहाँ एक कुआं था और एक पोखर. ‘हम बैठ गए और उसने अपना बड़ा-सा छूरा निकाला. मैं दुखी हो रहा था. फिर उसने साबुन का एक टुकड़ा निकाला- उस समय मेरे बाल लंबे हो गए थे- उसने मेरे बाल में साबुन लगाया और मेरा मुंडन कर दिया. उसने मुझे बताया की वह मेरे स्वास्थ्य की रक्षा कर रहा था.’
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
jai_bhardwaj is offline   Reply With Quote
Old 21-09-2013, 07:09 PM   #8
jai_bhardwaj
Exclusive Member
 
jai_bhardwaj's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 100
jai_bhardwaj has disabled reputation
Default Re: नीम करौली बाबा और स्टीव जॉब्स

डेनियल कोटटके गर्मियों के आरम्भ में आया, और जॉब्स दिल्ली उससे मिलने गया. वे भटकते रहते थे, ज़्यादातर बस से, बिना किसी खास मकसद के. उस समय तक जॉब्स किसी गुरु की तलाश में नहीं था, जो उसे ज्ञान दे सके. बल्कि वह सात्विक अनुभवों के आधार पर ज्ञान पाने की कोशिश कर रहा था, सादगी से जीते हुए. उसे आतंरिक तौर पर शान्ति नहीं मिल पा रही थी. कोटटके ने याद किया कि एक गाँव के बाज़ार में किसी औरत से उसकी बकझक हो गई थी, जिसके बारे में जॉब्स का कहना था कि वह दूध बेच रही थी और उसमें पानी मिला रही थी.
सात महीने बाद घर लौटकर भी अपनी तलाश में लगा रहा. ज्ञान प्राप्ति के अनेक उपागमों को साधता रहा. सुबह शाम वह जेन दर्शन का अभ्यास करता और दिन के वक्त स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में फिजिक्स और इंजीनियरिंग के कोर्स के बारे में जानकारी जुटाता.
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
jai_bhardwaj is offline   Reply With Quote
Old 21-09-2013, 07:09 PM   #9
jai_bhardwaj
Exclusive Member
 
jai_bhardwaj's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 100
jai_bhardwaj has disabled reputation
Default Re: नीम करौली बाबा और स्टीव जॉब्स

पूरब की आध्यात्मिकता, हिंदू धर्म, जेन बौद्ध-दर्शन और ज्ञान की तलाश केवल १९ साल के किसी लड़के के जीवन की आई-गई घटना भर नहीं थी. आजीवन वह पूरब के धर्मों के अनेक पहलुओं का पालन करता रहा. विशेषकर उसने विश्वास के महत्व को समझा. स्टीव जॉब्स ने कहा है कि भारत के गाँव के लोगों से उन्होंने तर्कबुद्धि के स्थान पर व्यवहार-बुद्धि(इन्ट्यूशन) को महत्व देना सीखा. पश्चिम में लोग तर्कबुद्धि या रीजन को महत्व देते हैं, जबकि पूरब में इन्ट्यूशन को अधिक महत्व दिया जाता है. स्टीव जॉब्स ने इसाकसन से बातचीत के क्रम में यह माना है कि इन्ट्यूशन के महत्व की समझ ने उनकी सोच की दिशा बदल दी, उसने उनकी कल्पनाशीलता को नए-नए आविष्कारों की दिशा में प्रेरित किया.
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
jai_bhardwaj is offline   Reply With Quote
Old 21-09-2013, 07:20 PM   #10
jai_bhardwaj
Exclusive Member
 
jai_bhardwaj's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 100
jai_bhardwaj has disabled reputation
Default Re: नीम करौली बाबा और स्टीव जॉब्स

बातों बातों में बाबा नीब करोरी के दर्शन भी करते चलें .......


Attached Images
This post has an attachment which you could see if you were registered. Registering is quick and easy
This post has an attachment which you could see if you were registered. Registering is quick and easy
This post has an attachment which you could see if you were registered. Registering is quick and easy
This post has an attachment which you could see if you were registered. Registering is quick and easy
This post has an attachment which you could see if you were registered. Registering is quick and easy
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
jai_bhardwaj is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 11:59 AM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.