My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > New India > Religious Forum
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 13-01-2013, 07:27 PM   #1
bindujain
VIP Member
 
bindujain's Avatar
 
Join Date: Nov 2012
Location: MP INDIA
Posts: 42,448
Rep Power: 144
bindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond repute
Default पर्व औए त्यौहार

मकर संक्राति हमारी सांस्कृतिक श्रेष्ठïता का प्रतीक है

-हरिराम पाण्डेय
मकर संक्रांति यानी सूर्य का मकर राशि में प्रवेश को मकर संक्रांति कहते हैं। यही समय है जब सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है। सूर्य उत्तरायण होना केवल शास्त्र समत नहीं बल्कि विज्ञान समत भी है। चूक सूरज धरती का केंद्र है और सारे ग्रह उसका चक्कर लगाते हैं। जितने समय में पृथ्वी सूर्य के चारों ओर एक चक्कर लगाती है उस अवधि को सौर वर्ष कहते हैं। धरती का गोलाई में सूर्य के चारों ओर घूमना 'क्रांति चक्रó कहलाता है। इस परिधि को 12 भागों में बांट कर 12 राशियां बनी हैं। हमारे पूर्वजों ने सितारों के समूह की आकृति के हिसाब से उन्हें नाम दे रखा था। जो सितारा समूह शेर की तरह दिखता था, उसे सिंह राशि घोषित कर दिया, जो लडकी की तरह उसे कन्या और जो धनुष की तरह दिखें धनु राशि। पृथ्वी का एक राशि से दूसरी में जाना संक्रांति कहलाता है। यह एक खगोलीय घटना है जो साल में 12 बार होती है। सूर्य एक स्थान पर ही खड़ा है, धरती चक्कर लगाती है। अत: जब पृथ्वी मकर राशि में प्रवेश करती है, एस्ट्रोनामी और एस्ट्रोलॉजी में इसे मकर संक्रांति कहते हैं। मकर संक्रांति त्योहार नहीं बल्कि व्रत है। व्रत शब्द वृ धातु से बना है, जिसका अर्थ होगा- वरण या च्वायस। संक्रांति का अर्थ है- संक्रमण या ट्रांजिशन। संक्रांति के समय सूर्य एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करता है। मकर संक्रांति के समय सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रविष्ट कर जाता है। यही वह समय होता है जब सूर्य उत्तरायण होने लगता है। आम आदमी इस तरह के वर्गीकरण से विरक्त रहता है। लेकिन भारतीय संस्कृति में व्रत उस तरह के पर्वों को कहते हैं, जो पूरे साल को एक वृत्त या गोले के रूप में देखते हैं। यह गोल घूमता हुआ गोला साल में अनेक व्रतों को जन्म देता है। यही कारण है कि मकर संक्रांति की स्थिति लगभग हर साल स्थिर या फिक्स रहती है। आजकल मकर संक्रांति हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाई जाती है। आज से सौ वर्ष पहले यह 12 या 13 जनवरी को मनाई जाती थी। इस संबंध में नासा ने बड़ी दिलचस्प खोज की है। नासा के वैज्ञानिकों पृथ्वी के भ्रमण पथ का आकलन करते हुये पाया कि पिछले हजारों साल से धरती की रतार हर कुछ साल पर 72 घंटे धीमी हो जाती है। क्योंकि धरती की रतार लगातार धीमी होती जा रही है, अत: साल भर में 12 की जगह 13 राशियां हो चुकी हैं। ज्योतिष के विद्वान पता नहीं इसे मानते हैं या नहीं, पर नासा वालों का कहना है कि इस तेरहवीं राशि को गणना में न लेने की वजह से लगभग 84 प्रतिशत भविष्यवाणियां सटीक नहीं हो पाती हैं। यह मकर संक्रांति पर भी लागू है। यही कारण है कि 100 वर्ष पहले मकर संक्रांति 12 या 13 जनवरी को पड़ती थी। आज 14 या 15 जनवरी को पड़ती है। हो सकता है 200 वर्ष बाद यह 24 या 25 जनवरी को पड़े। यहां यह बताना जरूरी है कि व्रत व्यक्तिगत पर्व माना जाता है, जबकि त्योहार सामूहिक पर्व माने जाते हैं। मकर संक्रांति एक पर्व है, लेकिन होली एक त्योहार है। जो व्यक्तिगत पर्व होगा, उसमें अनुष्ठान ज्यादा होगा और उल्लास कम। जबकि सामूहिक पर्व में अनुष्ठान न के बराबर होता है, लेकिन उल्लास अपने अतिरेक पर होता है। यही कारण है कि मकर संक्रांति व्यक्तिगत पर्व होने की वजह से सेलेक्टिव हो जाता है। हम चाहें तो उसे मनाएं या न मनाएं। लेकिन होली के हुडदंग में हम शामिल हों या न हों, होली के असर से बच नहीं सकते हैं। दुनिया की हर संस्कृति में सूरज की पूजा होती है। सूरज की पूजा दुनिया के सभी प्राचीन सयताओं में होती है। शायद सूरज की पूजा करना इन धर्मों को बड़ा वैज्ञानिक बना देता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती पर जीवन का जो भी लक्षण है, वह सूरज की मेहरबानी है। आज से करोडों साल बाद जब सूरज ठंडा हो जाएगा, तो धरती पर जीवन समाप्त हो जाएगा। अत:मकर संक्राति हमारी सांस्कृतिक श्रेष्ठïता का प्रतीक है।
__________________
मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
bindujain is offline   Reply With Quote
Old 13-01-2013, 07:31 PM   #2
bindujain
VIP Member
 
bindujain's Avatar
 
Join Date: Nov 2012
Location: MP INDIA
Posts: 42,448
Rep Power: 144
bindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond repute
Default Re: पर्व औए त्यौहार



मकर संक्रान्ति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है। मकर संक्रान्ति पूरे भारत में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है। यह त्योहार जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है क्योंकि इसी दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। मकर संक्रान्ति के दिन से ही सूर्य की उत्तरायण गति भी प्रारम्भ होती है। इसलिये इस पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायणी भी कहते हैं। तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाते हैं जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं।
__________________
मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
bindujain is offline   Reply With Quote
Old 13-01-2013, 07:35 PM   #3
bindujain
VIP Member
 
bindujain's Avatar
 
Join Date: Nov 2012
Location: MP INDIA
Posts: 42,448
Rep Power: 144
bindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond repute
Default Re: पर्व औए त्यौहार

भारत में मकर संक्रान्ति के विविध रूप

सम्पूर्ण भारत में मकर संक्रान्ति विभिन्न रूपों में मनाया जाता है।
हरियाणा और पंजाब में इसे लोहड़ी के रूप में एक दिन पूर्व १३ जनवरी को ही मनाया जाता है। इस दिन अंधेरा होते ही आग जलाकर अग्नि पूजा करते हुए तिल, गुड़, चावल और भुने हुए मक्के की आहुति दी जाती है। इस सामग्री को तिलचौली कहा जाता है। इस अवसर पर लोग मूंगफली, तिल की बनी हुई गजक और रेवड़ियाँ आपस में बाँटकर खुशियाँ मनाते हैं। बहुएँ घर घर जाकर लोकगीत गाकर लोहड़ी माँगती हैं। नई बहू और नवजात बच्चे के लिये लोहड़ी का विशेष महत्व होता है। इसके साथ पारम्परिक मक्के की रोटी और सरसों के साग का भी लुत्फ उठाया जाता है।
उत्तर प्रदेश में यह मुख्य रूप से 'दान का पर्व' है। इलाहाबाद में यह पर्व माघ मेले के नाम से जाना जाता है।१४ जनवरी से इलाहाबाद में हर साल माघ मेले की शुरुआत होती है।१४ दिसम्बर से १४ जनवरी तक का समय खर मास के नाम से जाना जाता है। और उत्तर भारत मे तो पहले इस एक महीने मे किसी भी अच्छे कार्य को अंजाम भी नहीं दिया जाता था। मसलन शादी-ब्याह नहीं किये जाते थे पर अब समय के साथ लोग भी काफी बदल गये हैं। १४ जनवरी यानी मकर संक्रान्ति से अच्छे दिनों की शुरुआत होती है। माघ मेले का पहला स्नान मकर संक्रान्ति से शुरू होकर शिवरात्रि के आख़िरी स्नान तक चलता है। संक्रान्ति के दिन स्नान के बाद दान देने की भी परम्परा है। बागेश्वर में बड़ा मेला होता है। वैसे गंगा-स्नान रामेश्वर, चित्रशिला व अन्य स्थानों में भी होते हैं। इस दिन गंगा स्नान करके तिल के मिष्ठान आदि को ब्राह्मणों व पूज्य व्यक्तियों को दान दिया जाता है। इस पर्व पर क्षेत्र में गंगा एवं रामगंगा घाटों पर बड़े-बड़े मेले लगते है। समूचे उत्तर प्रदेश में इस व्रत को खिचड़ी के नाम से जाना जाता है तथा इस दिन खिचड़ी खाने एवं खिचड़ी दान देने का अत्यधिक महत्व होता है। इलाहाबाद में गंगा, यमुना व सरस्वती के संगम पर प्रत्येक वर्ष एक माह तक माघ मेला लगता है।
महाराष्ट्र में इस दिन सभी विवाहित महिलाएँ अपनी पहली संक्रान्ति पर कपास, तेल व नमक आदि चीजें अन्य सुहागिन महिलाओं को दान करती हैं। तिल-गूल नामक हलवे के बाँटने की प्रथा भी है। लोग एक दूसरे को तिल गुड़ देते हैं और देते समय बोलते हैं -"लिळ गूळ ध्या आणि गोड़ गोड़ बोला" अर्थात तिल गुड़ लो और मीठा मीठा बोलो। इस दिन महिलाएँ आपस में तिल, गुड़, रोली और हल्दी बाँटती हैं।
बंगाल में इस पर्व पर स्नान के पश्चात तिल दान करने की प्रथा है। यहाँ गंगासागर में प्रति वर्ष विशाल मेला लगता है। मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगा जी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं। मान्यता यह भी है कि इस दिन यशोदा ने श्रीकृष्ण को प्राप्त करने के लिए व्रत किया था। इस दिन गंगासागर में स्नान-दान के लिए लाखों लोगों की भीड़ होती है। लोग कष्ट उठाकर गंगा सागर की यात्रा करते हैं। वर्ष में केवल एक दिन मकर संक्रान्ति को यहाँ लोगों की अपार भीड़ होती है। इसीलिए कहा जाता है-"सारे तीरथ बार बार, गंगा सागर एक बार।"
तमिलनाडु में इस त्योहार को पोंगल के रूप में चार दिन तक मनाते हैं। प्रथम दिन भोगी-पोंगल, द्वितीय दिन सूर्य-पोंगल, तृतीय दिन मट्टू-पोंगल अथवा केनू-पोंगल और चौथे व अन्तिम दिन कन्या-पोंगल। इस प्रकार पहले दिन कूड़ा करकट इकठ्ठा कर जलाया जाता है, दूसरे दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है और तीसरे दिन पशु धन की पूजा की जाती है। पोंगल मनाने के लिये स्नान करके खुले आँगन में मिट्टी के बर्तन में खीर बनायी जाती है, जिसे पोंगल कहते हैं। इसके बाद सूर्य देव को नैवैद्य चढ़ाया जाता है। उसके बाद खीर को प्रसाद के रूप में सभी ग्रहण करते हैं। इस दिन बेटी और जमाई राजा का विशेष रूप से स्वागत किया जाता है।
असम में मकर संक्रान्ति को माघ-बिहू अथवा भोगाली-बिहू के नाम से मनाते हैं।
राजस्थान में इस पर्व पर सुहागन महिलाएँ अपनी सास को वायना देकर आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। साथ ही महिलाएँ किसी भी सौभाग्यसूचक वस्तु का चौदह की संख्या में पूजन एवं संकल्प कर चौदह ब्राह्मणों को दान देती हैं। इस प्रकार मकर संक्रान्ति के माध्यम से भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की झलक विविध रूपों में दिखती है।
__________________
मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
bindujain is offline   Reply With Quote
Old 13-01-2013, 07:36 PM   #4
bindujain
VIP Member
 
bindujain's Avatar
 
Join Date: Nov 2012
Location: MP INDIA
Posts: 42,448
Rep Power: 144
bindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond repute
Default Re: पर्व औए त्यौहार

मकर संक्रान्ति का महत्व


शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायण को देवताओं की रात्रि अर्थात नकारात्मकता का प्रतीक तथा उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है। इस दिन शुद्ध घी एवं कम्बल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है। यथा-
माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम।
स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥
मकर संक्रान्ति के अवसर पर गंगास्नान एवं गंगातट पर दान को अत्यन्त शुभ माना गया है। इस पर्व पर तीर्थराज प्रयाग एवं गंगासागर में स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गयी है। सामान्यत: सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैं, किन्तु कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश धार्मिक दृष्टि से अत्यन्त फलदायक है। यह प्रवेश अथवा संक्रमण क्रिया छ:-छ: माह के अन्तराल पर होती है। भारत देश उत्तरी गोलार्ध में स्थित है। मकर संक्रान्ति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में होता है अर्थात भारत से दूर होता है। इसी कारण यहाँ रातें बड़ी एवं दिन छोटे होते हैं तथा सर्दी का मौसम होता है। किन्तु मकर संक्रान्ति से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आना शुरू हो जाता है। अत: इस दिन से रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं तथा गरमी का मौसम शुरू हो जाता है। दिन बड़ा होने से प्रकाश अधिक होगा तथा रात्रि छोटी होने से अंधकार कम होगा। अत: मकर संक्रान्ति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है। प्रकाश अधिक होने से प्राणियों की चेतनता एवं कार्य शक्ति में वृद्धि होगी। ऐसा जानकर सम्पूर्ण भारतवर्ष में लोगों द्वारा विविध रूपों में सूर्यदेव की उपासना, आराधना एवं पूजन कर, उनके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की जाती है। सामान्यत: भारतीय पंचांग पद्धति की समस्त तिथियाँ चन्द्रमा की गति को आधार मानकर निर्धारित की जाती हैं, किन्तु मकर संक्रान्ति को सूर्य की गति से निर्धारित किया जाता है। इसी कारण यह पर्व प्रतिवर्ष १४ जनवरी को ही पड़ता है।

मकर संक्रान्ति का ऐतिहासिक महत्व
माना जाता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। चूँकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रान्ति का ही चयन किया था। मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिल गयी थीं।
__________________
मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
bindujain is offline   Reply With Quote
Old 13-01-2013, 07:41 PM   #5
bindujain
VIP Member
 
bindujain's Avatar
 
Join Date: Nov 2012
Location: MP INDIA
Posts: 42,448
Rep Power: 144
bindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond repute
Default Re: पर्व औए त्यौहार

मकर राशि में सूर्य और आपकी राशि


सूर्य एक राशि पर एक माह रहता है। सूर्य जब मकर राशि में आता है तब उत्तरायण कहलाता है। सूर्य का बारह राशियों पर प्रभाव कैसा रहेगा जानें : -

मेष- इस राशि वालों के लिए सूर्य पंचम है। सूर्य दशम भाव में अपने पुत्र शनि के घर में उच्च के मंगल के साथ है। अत: राजनीतिक लाभ। नौकरीपेशा लाभान्वित होंगे। पिता से सहयोग। नवीन कार्य में सफलता। व्यापार में उन्नति होगी।

वृषभ- इस राशि वालों के लिए सुख में वृद्धि होगी। माता से लाभ। भाग्य से भूमि भवन का सुख। दाम्पत्य जीवन में सहयोग। विवाह के योग बनेंगे।

मिथुन- इस राशि वालों को परिश्रम अधिक करने पर थोडी़ सफलता मिल सकेगी। स्वास्थ्य लाभ रहेगा। साझेदारी में सावधानी रखें। आय में कमी होगी। शत्रु से बचें।

कर्क- इस राशि वालों के लिए दाम्पत्य जीवन में सफलता। दैनिक व्यवसाय में प्रगति। राजनीति में सफलता, नौकरीपेशा सहयोग पाएंगे।

सिंह- सिंह राशि वालों के लिए स्वास्थ्य की गड़बड़ी होगी। परिश्रम अधिक रहेगा। भाग्य में उन्नति, शत्रु परास्त होंगे। पारिवारिक प्रगति के योग हैं।

कन्या- इस राशि वालों के लिए संतान सुख, प्रेम में सफलता, मनोरंजन के मामलों में वृद्धि, वाद-विवाद में सफलता मिलेगी।

तुला- तुला राशि वालों के लिए पारिवारिक मामलों में सहयोग, मकान-भूमि से लाभ, माता का सहयोग, स्थानीय राजनीति में सफलता मिलेगी।

वृश्चिक- वृश्चिक राशि वालों के लिए पराक्रम से सफलता, शत्रु पक्ष प्रभावहीन होंगे। भाइयों का सहयोग मिलेगा, संचार माध्यम से शुभ समाचार सुनने को मिलेंगे।

धनु- धनु राशि वालों के लिए धन की बचत होगी। वॉकपटुता से लाभ मिलेगा। कुटुंब के व्यक्तियों का सहयोग मिलेगा। संतान से सहयोग। विद्यार्थी वर्ग सुखी होंगे।

मकर- मकर राशि वालों के लिए उत्साह में वृद्धि होगी। विशेष कार्यों में सफलता मिलेगी। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। दाम्पत्य जीवन में विवाद की संभावना रहेगी।

कुंभ- कुंभ राशि वालों को बाहर से सफलता मिलेगी। यात्रा के योग बनेंगे। पराक्रम में वृद्धि होगी। व्यापार-व्यवसाय में बाहरी सहयोग से लाभ रहेगा।

मीन- इस राशि वालों के लिए भाग्य से आर्थिक लाभ के योग बनेंगे। बड़े भाइयों का सहयोग मिलेगा। स्वास्थ्य ठीक रहेगा। संतान से चिंता बढ़े
__________________
मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
bindujain is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 11:05 AM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.