|
08-11-2010, 06:29 PM | #1 |
VIP Member
Join Date: Oct 2010
Posts: 9,746
Rep Power: 48 |
" भारत बर्ष के महान लोग और उनकी महान बातें "
कुछ इसी तरह का जिक्र मेरे जेहन में है, क्या मैं यहाँ इस सूत्र का आगाज़ कर सकता हूँ !
|
08-11-2010, 10:59 PM | #2 | |
Administrator
|
Quote:
आप इस आगाज़ कर सकते है...
__________________
अब माई हिंदी फोरम, फेसबुक पर भी है. https://www.facebook.com/hindiforum |
|
10-11-2010, 02:32 PM | #3 |
Member
|
|
11-11-2010, 10:27 AM | #5 |
Tech. Support
Join Date: Dec 2009
Location: Bangalore
Posts: 2,771
Rep Power: 35 |
@hamsafar
महात्मा गाँधी के बारे मेंकुछ चर्चा कर सकते हिया. वो हमारे राष्ट्रपिता है, उनके बारे में बात करना, अच्छा ही रहेगा.
__________________
|
15-11-2010, 12:09 PM | #6 |
VIP Member
Join Date: Oct 2010
Posts: 9,746
Rep Power: 48 |
Re: " भारत बर्ष के महान लोग और उनकी महान बातें "
शुरुवात मैं करता हूँ !!
Last edited by Hamsafar+; 15-11-2010 at 12:26 PM. |
15-11-2010, 01:00 PM | #7 |
VIP Member
Join Date: Oct 2010
Posts: 9,746
Rep Power: 48 |
Re: " भारत बर्ष के महान लोग और उनकी महान बातें "
मोहनदास करमचंद गाँधी |
28-12-2010, 09:59 AM | #8 |
VIP Member
Join Date: Oct 2010
Posts: 9,746
Rep Power: 48 |
" संत कबीर "
कबीर हिंदी साहित्य के महिमामण्डित व्यक्तित्व हैं। कबीर के जन्म के संबंध में अनेक किंवदन्तियाँ हैं। कुछ लोगों के अनुसार वे रामानन्द स्वामी के आशीर्वाद से काशी की एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से पैदा हुए थे, जिसको भूल से रामानंद जी ने पुत्रवती होने का आशीर्वाद दे दिया था। ब्राह्मणी उस नवजात शिशु को लहरतारा ताल के पास फेंक आयी। कबीर के माता- पिता के विषय में एक राय निश्चित नहीं है कि कबीर "नीमा' और "नीरु' की वास्तविक संतान थे या नीमा और नीरु ने केवल इनका पालन- पोषण ही किया था। कहा जाता है कि नीरु जुलाहे को यह बच्चा लहरतारा ताल पर पड़ा पाया, जिसे वह अपने घर ले आया और उसका पालन-पोषण किया। बाद में यही बालक कबीर कहलाया। कबीर ने स्वयं को जुलाहे के रुप में प्रस्तुत किया है - "जाति जुलाहा नाम कबीरा बनि बनि फिरो उदासी।'
__________________
हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है कृपया हिंदी में लेखन व् वार्तालाप करे ! हिंदी लिखने के लिए मुझे क्लिक करें! |
28-12-2010, 10:00 AM | #9 |
VIP Member
Join Date: Oct 2010
Posts: 9,746
Rep Power: 48 |
Re: " संत कबीर "
कबीर पन्थियों की मान्यता है कि कबीर की उत्पत्ति काशी में लहरतारा तालाब में उत्पन्न कमल के मनोहर पुष्प के ऊपर बालक के रूप में हुई। ऐसा भी कहा जाता है कि कबीर जन्म से मुसलमान थे और युवावस्था में स्वामी रामानन्द के प्रभाव से उन्हें हिंदू धर्म का ज्ञान हुआ। एक दिन कबीर पञ्चगंगा घाट की सीढ़ियों पर गिर पड़े थे, रामानन्द ज उसी समय गंगास्नान करने के लिये सीढ़ियाँ उतर रहे थे कि उनका पैर कबीर के शरीर पर पड़ गया। उनके मुख से तत्काल `राम-राम' शब्द निकल पड़ा। उसी राम को कबीर ने दीक्षा-मन्त्र मान लिया और रामानन्द जी को अपना गुरु स्वीकार कर लिया। कबीर के ही शब्दों में- `हम कासी में प्रकट भये हैं, रामानन्द चेताये'। अन्य जनश्रुतियों से ज्ञात होता है कि कबीर ने हिंदु-मुसलमान का भेद मिटा कर हिंदू-भक्तों तथा मुसलमान फक़ीरों का सत्संग किया और दोनों की अच्छी बातों को आत्मसात कर लिया।जनश्रुति के अनुसार कबीर के एक पुत्र कमल तथा पुत्री कमाली थी। इतने लोगों की परवरिश करने के लिये उन्हें अपने करघे पर काफी काम करना पड़ता था। साधु संतों का तो घर में जमावड़ा रहता ही था।
__________________
हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है कृपया हिंदी में लेखन व् वार्तालाप करे ! हिंदी लिखने के लिए मुझे क्लिक करें! |
28-12-2010, 10:04 AM | #10 |
VIP Member
Join Date: Oct 2010
Posts: 9,746
Rep Power: 48 |
Re: " संत कबीर "
कबीर को कबीर पंथ में, बाल- ब्रह्मचारी और विराणी माना जाता है। इस पंथ के अनुसार कामात्य उसका शिष्य था और कमाली तथा लोई उनकी शिष्या। लोई शब्द का प्रयोग कबीर ने एक जगह कंबल के रुप में भी किया है। वस्तुतः कबीर की पत्नी और संतान दोनों थे। एक जगह लोई को पुकार कर कबीर कहते हैं :- "कहत कबीर सुनहु रे लोई। हरि बिन राखन हार न कोई।।' कबीर पढ़े-लिखे नहीं थे- `मसि कागद छूवो नहीं, कलम गही नहिं हाथ।' उन्होंने स्वयं ग्रंथ नहीं लिखे, मुँह से भाखे और उनके शिष्यों ने उसे लिख लिया। आप के समस्त विचारों में रामनाम की महिमा प्रतिध्वनित होती है। वे एक ही ईश्वर को मानते थे और कर्मकाण्ड के घोर विरोधी थे। अवतार, मूर्त्ति, रोज़ा, ईद, मसजिद, मंदिर आदि को वे नहीं मानते थे।
__________________
हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है कृपया हिंदी में लेखन व् वार्तालाप करे ! हिंदी लिखने के लिए मुझे क्लिक करें! |
Bookmarks |
|
|