19-06-2015, 09:24 AM | #1 |
Moderator
Join Date: Aug 2012
Posts: 1,810
Rep Power: 39 |
पौराणिक भारत के सबसे महत्वपुर्ण संशोधन
भारत के बारे में गुगल पर चाहे जो भी तसवीर पेश हो...लेकिन सबको पता है की अगर 'सत्य' अगर जानना है, अगर ईश्वर से मिलना है तो उन्हें भारत ही आना पडेगा! प्रस्तुत है पौराणिक भारत के वेदों मे दिए गए कुछ तथ्य जिसके बारे में आज भी वैज्ञानिक अचंबे में है कि भारत युगों पहेले से यह सब कैसे जानता था!
__________________
|
19-06-2015, 09:28 AM | #2 |
Moderator
Join Date: Aug 2012
Posts: 1,810
Rep Power: 39 |
Re: पौराणिक भारत के सबसे महत्वपुर्ण संशोधन
सौरमंडल
ऋगवेद में लिखा गया था की सुर्य अपनी धरी पर घुमता है। लेकिन अन्य देशो में भ्रामक मान्यताएं एवं अजीब सी बातें चल रही थी। और जब वैज्ञानिकों द्वारा सच साबित हुआ तो सबक भ्रांति दूर हो गई!
__________________
|
19-06-2015, 09:39 AM | #3 |
Moderator
Join Date: Aug 2012
Posts: 1,810
Rep Power: 39 |
Re: पौराणिक भारत के सबसे महत्वपुर्ण संशोधन
पृथ्वी
पृथ्वी का व्यास, वजन से ले कर ईसके चुंबकीय क्षेत्रों तक की जानकारी भारत विश्व में सबसे पहेल रखता था।
__________________
|
19-06-2015, 01:31 PM | #4 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: पौराणिक भारत के सबसे महत्वपुर्ण संशोधन
इस सूत्र में बहुत अच्छी जानकारी दी जा रही है. दीप जी का धन्यवाद करते हुये आशा करता हूँ कि सूत्र पर रोचक व ज्ञानवर्धक अपडेट्स आते रहेंगे.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
19-06-2015, 05:33 PM | #5 |
Moderator
Join Date: Aug 2012
Posts: 1,810
Rep Power: 39 |
Re: पौराणिक भारत के सबसे महत्वपुर्ण संशोधन
समय
हमने समय का अंदाजा भी लगाया था। एक साल की लंबाई और महिनों मे उनको बदला गया था जो आज भी सटीक है।
__________________
|
19-06-2015, 05:36 PM | #6 |
Moderator
Join Date: Aug 2012
Posts: 1,810
Rep Power: 39 |
Re: पौराणिक भारत के सबसे महत्वपुर्ण संशोधन
प्रकाश की गति
युगो पहले बिना कोई संसाधन के ऋषिमुनीयों ने प्रकाश की गति भी नाप ली था। आधे निमेष (१६/७५ सेकंड) में २२०२ योजन (१ योजन = ९ माईल लगभग) यानि की १,८५,७९४ माईल प्रति सेकंड बाद में वैज्ञानिकों ने प्रकाश की गति का पता लगाया जो १,८६,२८२ थी जो आश्चर्यजनक रुप से हमारी ढुंढी हुई गति से काफी मेल खाती थी।
__________________
|
19-06-2015, 05:37 PM | #7 |
Moderator
Join Date: Aug 2012
Posts: 1,810
Rep Power: 39 |
Re: पौराणिक भारत के सबसे महत्वपुर्ण संशोधन
ग्रहण
अभी भी ग्रहण से डरने वाले बहुत मिल जाएंगे। ईनके पीछे कुछ सच्चाई या वहेम ही होगा। लेकिन ऋगवेद मे ग्रहण का वर्णन मिलता है की कैसे चंद्र सुरज के किरणों के आडे आ कर सुर्य ग्रहण करता है। बाद में हमारे पुर्वज ईस के वैज्ञानिक तथ्यों से डर कर तरह तरक की भ्रांति में मानने लगे। लेकिन पुरी दुनिया अभी तक ग्रहण को अपशकुन मानती है।
__________________
|
19-06-2015, 05:39 PM | #8 |
Moderator
Join Date: Aug 2012
Posts: 1,810
Rep Power: 39 |
Re: पौराणिक भारत के सबसे महत्वपुर्ण संशोधन
सुर्य की दुरी
युग सहस्त्र जोजन पर भानु। लिओ ताही मधुर फल जानु ।। हनुमान चालीसा में कहा गया है की हनुमान जीसे फल समझ कर खाने की लालसा कर बैठे वह सुर्य पृथ्वी से एक युग सहस्त्र दुरी पर है! १ युग = १२०० वर्ष १००० युग = १२००००० वर्ष १ योजन = ८ माईल यानी १५३६००००० किलोमीटर! जो वास्तविक (जो उपकरणों की मदद से वैज्ञानिकों के द्वारा ढुंढी गई) से सिर्फ १% अलग है!
__________________
|
19-06-2015, 05:41 PM | #9 |
Moderator
Join Date: Aug 2012
Posts: 1,810
Rep Power: 39 |
Re: पौराणिक भारत के सबसे महत्वपुर्ण संशोधन
संख्या
आर्यभट्ट ने २३ साल की उम्र में ही पाई का सही आंकलन कर लिया था! जो विश्व को अवकाश में जाने के लिए मुलभुत रुप से काम आया। वे साईन और कोस थीटा और त्रिकोणमिती के जन्मदाता भी है। लेकिन सबसे उनकी सबसे बडी खोज शुन्य है जो पुरे विश्व में तुरंत मान्य हो गई।
__________________
|
19-06-2015, 05:43 PM | #10 |
Moderator
Join Date: Aug 2012
Posts: 1,810
Rep Power: 39 |
Re: पौराणिक भारत के सबसे महत्वपुर्ण संशोधन
बायनरी
भारत में संगीत के सुरताल ढुंढते हुए बायनरी सिस्टम का कोन्सेप्ट आ चूका था। पिंगळा नामक मुनि ने ईसकी खोज की थी।
__________________
|
Bookmarks |
|
|