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16-11-2012, 11:01 AM | #1 |
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Re: नपुंसकामृतार्णव
आमलकी चूर्णम
नई फसल के आंवलों को सुखा कर चूर्ण बना लें । इसे आंवलों के रस की इक्कीस भावना देकर रख लें और इसमें से डेढ़ से दो तोला मिश्री, शहद और घी मिला कर खाएं। फिर ऊपर से गर्म दूध पी लें। यह प्रयोग नित्य करने वाला अस्सी वर्ष का बूढ़ा भी सम्भोग में जवान की तरह सक्षम हो जाता है ।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
16-11-2012, 11:07 AM | #2 |
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Re: नपुंसकामृतार्णव
विदारीकन्द चूर्णम
विदारीकन्द के चूर्ण को विदारीकन्द के रस की इक्कीस बार भावना देकर सुखा लें और साफ़ बर्तन में भर कर रख लें। इसमें से एक तोला चूर्ण लेकर एक तोला घी और दो तोला शहद मिलाकर खाएं और ऊपर से मिश्री मिला गर्म दूध पीयें। यह प्रयोग प्रतिदिन करने वाला अनेक स्त्रियों से इच्छा के अनुसार सहवास के योग्य हो जाता है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु Last edited by Dark Saint Alaick; 24-11-2012 at 04:53 AM. |
16-11-2012, 11:15 AM | #3 |
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Re: नपुंसकामृतार्णव
शतावर्यादि चूर्णम
शतावर, खरैटी, विदारीकन्द, गोखरू, आंवला समान मात्रा में लेकर इन सबका एक साथ अथवा अलग-अलग चूर्ण बना कर रख लें। इनमें घी, शहद और मिश्री मिला कर खाएं ! यह अनुपम बाजीकरण प्रयोग है ! आचार्यों ने इन सब चूर्णों के मिश्रण और सभी के अलग-अलग कुल छह प्रयोग बताए हैं। यह छहों प्रयोग कामदेव से मदांध और अति सम्भोग के आदी मनुष्य के वीर्य को असीमित रूप से बढाने वाले हैं ! अब आगे इन सबके अलग-अलग रूप प्रस्तुत किए जाएंगे।
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24-11-2012, 04:59 AM | #4 |
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Re: नपुंसकामृतार्णव
गोखरू चूर्णम
गोखरू का पांच टंक चूर्ण सात टंक शहद में मिला कर चाट लें और इसके बाद बकरी का गर्म किया दूध मिश्री मिला कर पी लें। यह प्रयोग करने से हस्त मैथुन आदि से उत्पन्न हुई नपुंसकता कुछ ही दिनों में दूर हो जाती है।
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24-11-2012, 05:06 AM | #5 |
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Re: नपुंसकामृतार्णव
मूसल्यादि चूर्णम
काली मूसली, तालमखाना और गोखरू क्रम से एक, दो और तीन भाग (यथा काली मूसली तीन तोला, तालमखाना छः तोला और गोखरू नौ तोला) लेकर इनका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को प्रतिदिन सुबह मिश्री मिले गर्म दूध के साथ छह माशा खाएं। यह प्रयोग इक्कीस दिन करने वाला सौ वर्ष का बूढा व्यक्ति भी स्त्री से नौजवान की तरह संसर्ग में सक्षम हो जाता है।
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05-12-2012, 04:15 AM | #6 |
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Re: नपुंसकामृतार्णव
अन्य शतावर्यादि चूर्णम
शतावर, गोखरू, असगंध, पुनर्नवा, खरैटी, मूसली - सभी को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। यह दो तोला चूर्ण प्रतिदिन घी और मिश्री मिलाकर गर्म दूध के साथ सेवन करने वाला क्षीण मनुष्य भी मतवाले हाथी के समान बलशाली और पुरुषार्थवान हो जाता है।
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05-12-2012, 04:22 AM | #7 |
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Re: नपुंसकामृतार्णव
अश्वगंधादि चूर्णम
असगंध नागौरी और विधारा 40-40 तोला लेकर बारीक चूर्ण बना लें। फिर इसमें बराबर मात्रा की मिश्री मिला कर रख लें। इसमें से प्रतिदिन दो तोला चूर्ण गर्म अथवा धारोष्ण दूध के साथ सेवन करें, तो धातु पुष्ट होकर मनुष्य स्त्री से रमण में कभी न थकने की शक्ति प्राप्त कर लेता है।
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13-01-2013, 02:05 AM | #8 |
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Re: नपुंसकामृतार्णव
करवीरादिचूर्णम
कनेर की जड़ का चूर्ण एक तोला, नए सेमल की जड़ पांच तोला, कौंच के बीज की गिरी सात तोला, इन सभी को लेकर कपड़छान कर लें और बराबर मात्रा की मिश्री मिला कर घी और मिश्री मिले दूध के साथ प्रतिदिन छह मासे सेवन करें, तो मनुष्य का वीर्य पुष्ट होकर अनेक स्त्रियों का मान भंग करने योग्य हो जाता है।
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13-01-2013, 02:18 AM | #9 |
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Re: नपुंसकामृतार्णव
कामदेवचूर्णम
गोखरू 1 पल, कौंच के बीज 2 पल, गंगनेर के बीज 1 पल, शतावर 1 पल, विदारीकन्द 2 पल, असगंध 3 पल तथा अडूसा, गिलोय, लाल चन्दन, त्रिसुगंध (दालचीनी, इलायची, तेजपात) पीपल, आंवला, लौंग, नागकेशर-इन सभी को एक-एक तोला लें। खरटी और सेमल की मूसली 21-21 तोला लें। कुशा की जड़, काश की जड़, सरपते की जड़- प्रत्येक सात तोला लें। इन सभी को मिला कर चूर्ण बना लें और फिर चूर्ण की बराबर मात्रा की खांड मिला कर रख लें। इस चूर्ण को नित्य एक-दो तोला (बलाबल के अनुसार) दूध के साथ ग्रहण करें, तो दुष्टवीर्य, अल्पवीर्य, मूत्रकृच्छ आदि वीर्य एवं मूत्र से सम्बंधित सभी रोग दूर हो जाते हैं। भगवान् धन्वन्तरि का कहा हुआ यह निदान वीर्य की शक्ति को इस तरह बढ़ा देता है कि मनुष्य दस स्त्रियों के साथ घोड़े के समान रमण करने में सक्षम हो जाता है।
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04-02-2013, 06:29 AM | #10 |
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Re: नपुंसकामृतार्णव
मानसोल्लास चूर्णम
तज, पीपल, लौंग, छोटी इलायची, सफ़ेद चन्दन, आंवला प्रत्येक को एक पल (4 तोला), लौह भस्म डेढ़ पल, शुद्ध भांग 2 पल, भीमसेनी कपूर और कस्तूरी दस-दस माशे लेकर सभी का चूर्ण बना लें। चूर्ण के बराबर मिश्री मिला कर रख लें और इस चूर्ण को प्रतिदिन 6 माशे शुद्ध दूध के साथ ग्रहण करें। यह प्रयोग जठराग्नि को बढाने के साथ काम शक्ति और कामेच्छा दोनों को तीव्र करता है।
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