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Old 15-04-2012, 09:47 PM   #491
Dark Saint Alaick
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‘मोटापे की राजधानी’ है कतर

दुबई। कतर दुनिया का सबसे समृद्ध देश है और इसी समृद्धि के बीच यहां की आधे से अधिक आबादी मोटापे की शिकार है। पेट्रोलियम संपदा से संपन्न यह देश प्रति व्यक्ति आय के मामले में दुनिया में सबसे आगे है और इस साल ‘फोर्ब्स’ पत्रिका ने इसे विश्व का सबसे अमीर देश बताया था। ब्रिटेन के समाचार पत्र ‘डेली मेल’ के मुताबिक कतर में मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ी है और इससे सेहत से जुड़ी कई समस्याएं पैदा हुई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक यहां के आधे वयस्क मोटे हैं और 17 फीसदी मधुमेह का सामना कर रहे हैं। यह दुनिया का सबसे ज्यादा मोटापे वाला देश है। कतर में मोटापे की बढ़ती समस्या की वजह व्यायाम कम करना और फास्ट फूड को तेजी से बढ़ता चलन है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु

Last edited by Dark Saint Alaick; 15-04-2012 at 09:50 PM.
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Old 15-04-2012, 09:49 PM   #492
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माजोराना कण की हुई पहचान

लंदन। वैज्ञानिकों ने कण भौतिकी की एक बड़ी पहेली का हल करते हुए पहली बार माजोराना कण की पहचान करने में सफलता हासिल की है जिसका अनुमान इटली के एक वैज्ञानिक ने 75 साल पहले किया था। माजोराना फर्मियन कण अपना ही प्रति-कण हो सकता है। इसका अनुमान सबसे पहले 75 साल पूर्व एतोर माजोराना ने किया था जो 1938 में एक यात्रा में जाने के लिए अपने सारा धन बटोरने के बाद लापता हो गए। कई ने माजोराना के आस्तित्व को साबित करने का प्रयास किया है। अब, नीदरलैंड की देल्फत यूनिवर्सिटी आफ टेक्नोलॉजी ने माजोराना के आस्तित्व की जांच के लिए पद्धति तैयार की है। बीबीसी ने टीम के अगुवा लियो कोवेनहोवेन के हवाले से कहा कि इससे बेहद रोचक विचारों के द्वार खुले हैं। उन्होंने आइंदहोवेन यूनिवर्सिटी आफ टेक्नोलॉजी की मदद से एक उपकरण इजाद किया। इसमें एक सेमीकंडक्टर और एक सुपरकंडक्टर को एक अत्यंत महीन तार से जोड़ा गया है।
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Old 15-04-2012, 09:50 PM   #493
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नए कीट को लेकर नीम का पेड़ सवालों में

नई दिल्ली। कई बीमारियों का रामवाण इलाज करने वाला नीम का पेड़ एक हानिकारक कीट को लेकर सवालों में घिर गया है। यह कीट नीम के पेड़ की पत्तियों को खाते पाया जाता है। वैज्ञानिकों ने कहा कि क्लेओरा कोरोनैरिया नाम का यह कीट पतंगों के परिवार का सदस्य है। लखनऊ विश्वविद्यालय के जीवविज्ञानियों द्वारा कीटों पर किए गए एक अध्ययन से संकेत मिले कि यह तेजी से बढ़ते जीव की भूखे होने की प्रवृत्ति है। करंट साइंस के अनुसार, प्रोफेसर ओमकार और गीतांजलि मिश्रा ने कहा कि ये कीट आमतौर पर नीम की पत्तियों के किनारे पर गुच्छों में पाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि ये कीट भोजन की तलाश में सक्रिय तरीके से घूमते हैं और अर्धवृत्त के आकार में पत्तियों को काटते हैं। जीव वैज्ञानिकों ने कहा कि 500 अंडों में से 95 प्रतिशत से अधिक अंडे विकासक्षम पाए जाते हैं। वर्ष 2009-10 में उत्तर प्रदेश के कुछ गांवों में नीम के वृक्षों के पत्तों के पूरी तरह से क्षरण की दो घटनाओं ने वैज्ञानिकों का ध्यान आकर्षित किया। इन वैज्ञानिकों ने सिफारिश की कि इन कीटों को बड़े कीटों के वर्ग में शामिल किया जाना चाहिए।
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Old 16-04-2012, 11:15 PM   #494
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अल्जाइमर्स का जल्द पता लगाने के लिए एक और नया टेस्ट

लंदन। अल्जाइमर्स का समय पूर्व पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने एक नया टेस्ट विकसित करने का दावा किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह नया टेस्ट बहुत समय पहले ही लोगों के दिमाग में होने वाले परिवर्तन का पता लगाकर जिंदगी में बाद में इस बीमारी की चपेट में आने की भविष्यवाणी कर सकेगा। अल्जाइमर्स एक लाइलाज बीमारी है और विशेषज्ञों का मानना है कि इससे निपटने और इसे पूरी तरह रोकने की कुंजी इसके जल्द पता लगने में छुपी है। अब एक अंतर्राष्ट्रीय दल ने कहा है कि नया टेस्ट जल्द ही बहुत समय पहले अल्जाइमर्स का पता लगाने में सफल होगा। यह टेस्ट व्यक्ति पर इस बीमारी के विध्वंसकारी लक्षणों के उभरने से पहले ही इसका पता लगा लेगा। डेली एक्सप्रेस में यह खबर प्रकाशित हुई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि समय पूर्व इसकी चेतावनी मिलने का यह लाभ होगा कि इसका जल्द उपचार शुरू हो सकेगा, इसे पैदा होने से रोका जा सकेगा तथा उपलब्ध उपचारों के जरिए इसके प्रभावों को कम किया जा सकेगा। टीम के अगुवा डा मार्वान सबाग ने बताया, यह समय से पूर्व अल्जाइमर का पता लगाने का आसान तरीका है।
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Old 16-04-2012, 11:15 PM   #495
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प्रोस्टेट में विकार पैदा करने वाले मिश्रित प्रोटीन का पता चला

वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने प्रोटीनों के एक ऐसे मिश्रण का पता लगाया हे जो प्रोस्टेट विकार में शामिल रहता है। यह एक बड़ी खोज मानी जा रही है क्योंकि वैज्ञानिकों का दावा है कि इससे प्रोस्टेट के प्रभावी तथा बेहतर उपचार में मदद मिल सकती है। वेस्टर्न आस्ट्रेलियन इंस्टीट्यूट फोर मेडिकल रिसर्च और यूनिवर्सिटी आफ वेस्टर्न आस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों की एक टीम ने जी प्रोटीन कपल्ड रिसेप्टर्स की पहचान की है। यह ‘रिसेप्टर्स’ का एक परिवार है जो कोशिकाओं को हार्मोन तथा न्यूरोट्रांसमिटर्स के प्रति प्रतिक्रिया करने में सक्षम बनाता है। टीम के अगुवा प्रोफेसर केविन पीफ्लेगरने ने बताया कि जी प्रोटीन कपल्ड रिसेप्टर्स कोशिकाओं के बाहर काफी महत्वपूर्ण प्रोटीन होते हैं जो हार्मोन और न्यूरो ट्रांसमिटर्स से मिलने वाले संकेतों के कोशिकाओं को स्थांतरित करते हैं। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिकों को अब यह अहसास हुआ है कि ये रिसेप्टर्स अकेले काम नहीं करते बल्कि एक विशेष संयोजन में काम करते हैं जिन्हें वे ‘हिटरोमर्स’ कहते हैं। ऐसा लगता है कि दवाओं के कई दुष्प्रभाव इसी बात का परिणाम होते हैं कि हमें यह नहीं पता होता कि ये प्रोटीन रिसेप्टर्स किस प्रकार काम करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रोस्टेटिक हाइपरप्लेसिया जैसी विकृतियां लगभग हर पुरुष में जिंदगी में कभी न कभी प्रभावित करती है। अधिक गंभीर मामलों में आपरेशन की जरूरत को खत्म करने के लिए बेहतर और कम दुष्प्रभाव वाली दवाओं की जरूरत है।
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Old 19-04-2012, 02:54 AM   #496
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फ्रांसीसी लिलाक पौधे से पार्किंसन का खतरा हो सकता है कम

मेलबर्न। आस्ट्रेलिया के अनुसंधानकर्ताओं ने दावा किया है कि फ्रांसीसी लिलाक पौधे में एक ऐसा पदार्थ पाया जाता है जो टाइप टू वाले मधुमेह में पार्किंसन रोग होने का खतरा घटा सकता है। मोनाश विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने 12 साल तक ताइवान में 800,000 लोगों पर अध्ययन करने के बाद पाया कि जिन लोगों को टाइप टू मधुमेह है, उनमें पार्किंसन होने का जोखिम दो गुना से भी अधिक है। इंसुलिन उत्पादन बढ़ाने के लिए सामान्य रूप से उपयोग में लाए जाने वाली दवा सल्फोन्यूएलरियाज से भी करीब 57 फीसदी जोखिम बढ़ता है। आस्ट्रेलियाई संवाद समिति एएपी की खबर के मुताबिक हालांकि अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि जब इलाज प्रक्रिया मे फ्रांसीसी लिलाक से मेटफोर्मिन पदार्थ उपयोग किया गया तो पार्किंसन के खतरे में कोई वृद्धि नजर नहीं आई।
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Old 19-04-2012, 02:54 AM   #497
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जैविक घड़ी को प्रभावित करते हैं ऐनेस्थिेटिक्स

वाशिंगटन। शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि सर्जरी के बाद कुछ लोगों को जेटलैग की समस्या बेहोशी की दवाओं के कारण महसूस होती है। उनका कहना है कि ऐनेस्थिेटिक्स के कारण इंसान की जैविक घड़ी को नियंत्रित करने वाली जीन में कुछ बदलाव हो जाता है। दरअसल ‘जेटलैग’ वह समस्या है जो हवाई जहाज में लंबी दूरी की यात्रा करने वालों को महसूस होती है जब वह अलग-अलग समय वाले क्षेत्रों से गुजरते हैं। इसके बाद उन्हें नींद न आने, भूल जाने, अनियमित तौर पर भूख लगने और तनाव की समस्या होने लगती है। इसे ही जेटलैग बोला जाता है। आकलैंड यूनिवर्सिटी के दल द्वारा हुए शोध के अनुसार सर्जरी करवाने के दौरान दी जाने वाली बेहोशी की दवाओं से भी हमारी जैविक घड़ी असंतुलित हो जाती है और जेटलैग के लक्षण सामने आते हैं। दल का नेतृत्व करने वाले डॉ. गॉय वारमैन ने बताया कि करीब तीन दिनों तक इसका असर रह सकता है। जैविक घड़ी में बदलाव के कारण नींद और भूख भी अनियमित हो जाती है।
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Old 19-04-2012, 02:55 AM   #498
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जल्दी हो सकेगा गंजेपन का इलाज

लंदन। प्रयोगशाला में बिना बाल वाले चूहों के बाल उगाने का दावा करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे मनुष्यों में गंजेपन का इलाज भी मिल सकता है। टोक्यो यूनिवर्सिटी आॅफ साइंस की एक टीम का कहना है कि उन्होंने स्टेम कोशिकाओं की मदद से बाल उगाने में सफलता प्राप्त कर ली है। इसके लिए उन्होंने स्टेम कोशिकाओं को उस बिना बाल वाले चूहे की त्वचा में प्रवेश कराया और उससे बाल उग आए। ऐसा पहली बार हुआ है जब वैज्ञानिकों ने सिद्ध किया है कि स्टेम कोशिकाओं की मदद से बाल भी उगाए जा सकते हैं। मीडिया के अनुसार, प्रोफेसर ताकाशी त्सुजी का कहना है कि हमारा इलाज दिखाता है कि इससे ना सिर्फ दोबारा बाल उगाए जा सकते हैं बल्कि बायोइंजिनीयरिंग में व्यस्क सोमैटिक स्टेम कोशिकाओं का उपयोग किया जा सकता है।
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Old 19-04-2012, 02:59 AM   #499
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आकार ही बना डायनासोर का दुश्मन

पेरिस। वैज्ञानिकों ने इस बात का पता लगा ही लिया कि आखिर विशाल जीव डायनासोर का खात्मा क्यों हुआ। उनका दावा है कि इस दैत्याकार जीव का आकार ही उसके अस्तित्व के लिए खतरा बन गया। अपने नये अध्ययन में वैज्ञानिकों ने कहा है कि अपने आकार के कारण ही इस जीव का खात्मा हुआ। उन्होंने बताया कि अंडे से पैदा हुए नन्हे डायनासोर का वजन 10 किलोग्राम हुआ करता था, जिसे बाद में 30 से 50 टन होना पड़ता था। ज्यूरिख यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक मर्कस क्लॉस ने बताया कि नन्हे डायनासोर को अन्य वयस्क स्तनधारियों के आकार से लोहा लेना पड़ता था। क्लॉस ने बताया कि वहीं स्तनधारियों के नवजात आकार में बड़े होते थे, जिन्हें अन्य बड़े पशुओं से खतरा नहीं होता था। इसका मतलब यह हुआ कि पर्यावरण में मध्यम और बड़े आकार वाले जानवरों के लिए तो जगह रही पर छोटे डायनासोर के लिए मुश्किल हो गई। इस अध्ययन को ब्रिटिश रॉयल सोसायटी के जर्नल ‘बायोलॉजी लेटर्स’ में प्रकाशित किया गया है। क्लॉस ने बताया कि जलवायु में छोटी प्रजातियों के लिए बहुत स्थान है पर वह बड़े आकार के पशुओं के नवजात अधिक जगह लेते हैं। यही कारण है कि जब किसी भी जीव के नन्हे को स्थान नहीं मिलेगा तो वह प्रजाति आगे नहीं बढ़ सकती। वैज्ञानिकों ने इस धारणा का खंडन किया है कि कोई तारा धरती से टकाराया था और फिर उसके असर से डायनासोर गायब हो गए।
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कृत्रिम अंगों के लिए रोजवुड का विकल्प तलाश रहा है एएलसी

पुणे। रोजवुड की बढ़ती कमी और उसकी बढ़ती कीमत के कारण यहां का कृत्रिम अंग केंद्र (एएलसी) सैनिकों के लिए ऐसे अंग बनाने के लिए अन्य विकल्पों की तलाश कर रहा है। वर्ष 1944 में बना एएलसी पुणे एशिया का सबसे पुराना कृत्रिम अंग केंद्र है और यह सैनिकों के अलावा अन्य लोेगों की भी सेवा कर चुका है। इस केंद्र से अब तक 50 हजार से अधिक लोगों को लाभ मिल चुका है। सशस्त्र सेनाओं में अस्पताल सेवाओं के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल मनदीप सिंह ने बताया कि इस केंद्र को अब इन अंगों के लिए रोजवुड की जगह सटीक विकल्प बनाने का महत्वपूर्ण काम दिया गया है। इस केंद्र के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में इस्तेमाल होने वाले अंग भारी होने के साथ ही पर्यावरण के अनुकूल भी नहीं हैं।
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