28-08-2013, 11:43 AM | #1 |
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फिराक गोरखपुरी ने अर्ज किया है...
जन्म: 28 अगस्त 1896 मृत्यु: 3 मार्च 1982 आधुनिक उर्दू शायरी के सबसे लोकप्रिय शायरों में से एक फिराक गोरखपुरी का मूल नाम रघुपति सहाय था। उन्हें उर्दू कविता को बोलियों से जोड़ कर उसमें नई लोच और रंगत पैदा करने का श्रेय दिया जाता है। उनकी शेरो-शायरी की एक बानगी: वो उठ भी चुके कब के वो जा भी चुके कब के दिल है कि फिराक अब तक दामन को छुड़ाए है एक मुद्दत से तेरी याद भी आई न हमें और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं थोड़ी बहुत मुहब्बत से काम नहीं चलता ऐ दोस्त ये वो मामला है जिसमें या सब कुछ या कुछ नहीं किसी का यूं तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी ये हुस्नों इश्क धोखा है सब मगर फिर भी हो जिन्हें शक, वो करें और खुदाओं की तलाश हम तो इंसान को दुनिया का खुदा कहते हैं दूर तीरथों में बसे, वो है कैसा राम मन-मंदिर की यात्रा, मूरख चारों धाम दिखा तो देती है बेहतर हयात* के सपने खराब होके भी ये जिंदगी खराब नहीं बहुत पहले से उन कदमों की आहट जान लेते हैं तुझे, ऐ जिंदगी, हम दूर से पहचान लेते हैं मुश्किल शब्दों के अर्थ: हयात - जिंदगी।
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28-08-2013, 07:18 PM | #2 |
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Re: फिराक गोरखपुरी ने अर्ज किया है...
बहुत पहले से उन कदमों की आहट जान लेते हैं
तुझे, ऐ जिंदगी, हम दूर से पहचान लेते हैं.................. फ़िराक साहब की यादे ताजा कराने के लिए आपको धन्यवाद.................................
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28-08-2013, 08:41 PM | #3 |
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Re: फिराक गोरखपुरी ने अर्ज किया है...
फ़िराक गोरखपुरी को भारत ही नहीं बल्कि पूरे भारतीय उप-महाद्वीप में ही अपनी शायरी के कारण सम्मान दिया जाता है. उन्हें याद करने व उनकी कुछ पंक्तियाँ फोरम पर शेयर करने के लिये धन्यवाद, दीपू जी.
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28-08-2013, 09:21 PM | #4 |
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Re: फिराक गोरखपुरी ने अर्ज किया है...
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28-08-2013, 09:21 PM | #5 |
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Re: फिराक गोरखपुरी ने अर्ज किया है...
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