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04-02-2015, 11:19 AM | #1 |
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Re: !! मेरी कहानियाँ > रजनीश मंगा !!
मुंशी प्रेमचन्द की वर्णनात्मक शैली को भी पीछे छोड़ते हुए अत्यधिक मार्मिक रूप से चली कहानी, कहानी में निर्धनता का अमिट छाप छोड़ने में पूर्णरूपेण सफल रही किन्तु कहानी के अन्त में चमत्कारपूर्ण ढंग से किसी सन्देश को स्थापित करने में विफल होने के कारण कहानी न लगकर सत्यकथा, मनोहर कहानियाँ या समाचार-पत्रों में छपी एक सत्य घटना लगने लगी। कहानी में यथोचित् संशोधन अभी भी सम्भव है। अतः रजनीश मंगा जी से अनुरोध है कि कहानी का संशोधित निर्वहण (denouement) प्रस्तुत करें अथवा मुझे मात्र 5000 पाॅइन्ट्स देकर लिखवा लें। आपसे सादर सविनय निवेदन है कि समय-समय पर पाॅइन्ट्स बाँटने के कारण मुझे काफ़ी खर्चा आता है। समय-समय पर घूँस भी देना पड़ता है। अतः हमारे प्रस्ताव पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करें।
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04-02-2015, 12:13 PM | #2 | |
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Re: !! मेरी कहानियाँ > रजनीश मंगा !!
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