03-08-2021, 06:40 AM | #1 |
Diligent Member
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गीत- बलमू तऽ भइलें जुवारी
■■■■■■■■■■■■■ बा चलत करेजा पऽ आरी हो, खेत कोड़े बेचारी, कि बलमू तऽ भइलें जुआरी हो, खेत कोड़े बेचारी। तनिको शरम बा न नजरी में पानी, कि बान्हें धराइल सोना आ चानी, लागल बा कइसन बेमारी हो, खेत कोड़े बेचारी- कि बलमू तऽ भइलें जुआरी हो, खेत कोड़े बेचारी। घर में अनाजे के बा परेशानी, मरदू के जुआ, शराब जिंदगानी, मेहरी के जिनिगी कुदारी हो, खेत कोड़े बेचारी- कि बलमू तऽ भइलें जुआरी हो, खेत कोड़े बेचारी। जुअरियन से भरले रहेला घारी, मरदू ना मानस सुनियो के गारी, कइ लिहलें चोरन से यारी हो, खेत कोड़े बेचारी- कि बलमू तऽ भइलें जुआरी हो, खेत कोड़े बेचारी। रचना- आकाश महेशपुरी दिनांक- 07/04/2000 ■■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरनाथ जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मो- 9919080399 |
08-07-2022, 10:14 AM | #2 |
Diligent Member
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Re: गीत- बलमू तऽ भइलें जुवारी
आंशिक परिवर्तन के बाद
गीत- बलमू तऽ भइलें जुआरी ■■■■■■■■■■■■■ जिनिगी भइल बाटे भारी हो, खेत कोड़े बेचारी, कि बलमू तऽ भइलें जुआरी हो, खेत कोड़े बेचारी। तनिको शरम बा न नजरी में पानी, कि बान्हें धराइल सोना आ चानी, लागल बा कइसन बेमारी हो, खेत कोड़े बेचारी- कि बलमू तऽ भइलें जुआरी हो, खेत कोड़े बेचारी। घर में अनाजे के बा परेशानी, मरदू के जुआ, शराब जिंदगानी, मेहरी के जिनिगी कुदारी हो, खेत कोड़े बेचारी- कि बलमू तऽ भइलें जुआरी हो, खेत कोड़े बेचारी। जुअरियन से भरले रहेला घारी, मरदू ना मानस सुनियो के गारी, कइ लिहलें चोरन से यारी हो, खेत कोड़े बेचारी- कि बलमू तऽ भइलें जुआरी हो, खेत कोड़े बेचारी। रचना- आकाश महेशपुरी दिनांक- 07/04/2000 ■■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरनाथ जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मो- 9919080399 |
08-07-2022, 10:15 AM | #3 |
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Re: गीत- बलमू तऽ भइलें जुवारी
आंशिक परिवर्तन के बाद
गीत- बलमू तऽ भइलें जुआरी ■■■■■■■■■■■■■ जिनिगी भइल बाटे भारी हो, खेत कोड़े बेचारी, कि बलमू तऽ भइलें जुआरी हो, खेत कोड़े बेचारी। तनिको शरम बा न नजरी में पानी, कि बान्हें धराइल सोना आ चानी, लागल बा कइसन बेमारी हो, खेत कोड़े बेचारी- कि बलमू तऽ भइलें जुआरी हो, खेत कोड़े बेचारी। घर में अनाजे के बा परेशानी, मरदू के जुआ, शराब जिंदगानी, मेहरी के जिनिगी कुदारी हो, खेत कोड़े बेचारी- कि बलमू तऽ भइलें जुआरी हो, खेत कोड़े बेचारी। जुअरियन से भरले रहेला घारी, मरदू ना मानस सुनियो के गारी, कइ लिहलें चोरन से यारी हो, खेत कोड़े बेचारी- कि बलमू तऽ भइलें जुआरी हो, खेत कोड़े बेचारी। रचना- आकाश महेशपुरी दिनांक- 07/04/2000 ■■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरनाथ जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मो- 9919080399 |
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