10-08-2021, 08:16 PM | #1 |
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तबो समधी के जीव ललचाई रे (गीत)
■■■■■■■■■■■■■■ भले बारहो विजन परोसाई रे, तबो समधी के जीव ललचाई रे। जवने सड़किया से समधी जी आइबि, देबऽ बेला-चमेली बरसाई रे- तबो समधी के जीव ललचाई रे। जवने कुरुसिया प समधी जी बइठबि, देबऽ सोने के पालिश कराई रे- तबो समधी के जीव ललचाई रे। जवने रे मेंजवा प समधी जी खाइबि, देबऽ हीरा-मोती से जड़वाई रे- तबो समधी के जीव ललचाई रे। जवने रे पनिया के समधी जी पीयबि, ओहिमें अमरित तू देबऽ ढरकाई रे- तबो समधी के जीव ललचाई रे। जवने सेजरिया प समधी जी सूतबि, देबऽ मखमल के चादर बिछाई रे- तबो समधी के जीव ललचाई रे। जवने सवरिया से समधी जी जाइबि, ओहिमें भर भर के रुपिया ठुसाई रे- तबो समधी के जीव ललचाई रे। रचना- आकाश महेशपुरी दिनांक- 09/05/2000 ■■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरनाथ जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मो- 9919080399 Last edited by आकाश महेशपुरी; 10-08-2021 at 08:38 PM. |
09-07-2022, 09:07 AM | #2 |
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Re: तबो समधी के जीव ललचाई रे (गीत)
संपादक के उपरांत
Last edited by आकाश महेशपुरी; 09-07-2022 at 09:11 AM. |
09-07-2022, 09:07 AM | #3 |
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Re: तबो समधी के जीउ ललचाई रे (गीत)
संपादक के उपरांत
तबो समधी के जीउ ललचाई रे ■■■■■■■■■■■■■■ भले बारहो विजन परोसाई रे, तबो समधी के जीउ ललचाई रे। जवने सड़किया से समधी जी आइबि, देबऽ बेला-चमेली बरसाई रे- तबो समधी के जीउ ललचाई रे। जवने कुरुसिया प समधी जी बइठबि, देबऽ सोने के पालिश कराई रे- तबो समधी के जीउ ललचाई रे। जवने रे मेंजवा प समधी जी खाइबि, देबऽ हीरा-मोती से जड़वाई रे- तबो समधी के जीउ ललचाई रे। जवने रे पनिया के समधी जी पीयबि, ओहिमें अमरित तू देबऽ ढरकाई रे- तबो समधी के जीउ ललचाई रे। जवने सेजरिया प समधी जी सूतबि, देबऽ मखमल के चादर बिछाई रे- तबो समधी के जीउ ललचाई रे। जवने सवरिया से समधी जी जाइबि, ओहिमें भर भर के रुपिया ठुसाई रे- तबो समधी के जीउ ललचाई रे। रचना- आकाश महेशपुरी दिनांक- 09/05/2000 ■■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरनाथ जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मो- 9919080399 |
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