03-12-2010, 07:43 AM | #31 |
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Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
अनजानी चाह के पीछे अनजानी राह के पीछे मन दोड़ने लगता है
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तोडना टूटे दिलों का बुरा होता है जिसका कोई नहीं उस का तो खुदा होता है |
03-12-2010, 07:52 AM | #32 |
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Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
कागज पे आंसूओ के सिवा और कुछ नही
बाद अज़ सलाम उसने लिखा और कुछ नहीँ दिल का हरेक जख्म लहू थूकने लगा उस से बिछड़ के मुझ को हुआ और कुछ नहीँ जैसे ही चराग हवा ने बुझा दिया समझो हयात इस के सिवा और कुछ नहीँ उसने जो मेरी बात का हंस कर दिया जवाब मालूम ये हुआ कि वफा और कुछ नहीँ खुशियोँ के क़ाफले करेँ हर पल तेरा तवाफ होँटोँ पे अपने इसके सिवा और कुछ नहीँ
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Last edited by Sikandar_Khan; 10-08-2011 at 11:41 AM. |
03-12-2010, 08:48 AM | #33 |
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Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
मेरी कब्र से मिटटी चुरा रहा है कोई !
मर के भी मुझको याद आ रहा है कोई ! ये खुदा, मुझको दो पल की ज़िंदगी दे दे, मेरे कब्र से उदास होके जा रहा है कोई !!! |
04-12-2010, 07:31 AM | #34 | ||
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Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
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एक शेर केसे केसे रंग दिखाए सारी रतियाँ हम को ही हम से चुराए सारी रतियाँ
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04-12-2010, 11:18 AM | #35 |
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Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
ज़िन्दगी तूने लहू लेके दिया कुछ भी नहीं ...
तेरे दामन मे मेरे वास्ते क्या कुछ भी नहीं ... आप इन हाथों की चाहें तो तलाशी ले लें ... मेरे हाथों में लाकीरों के सिवा कुछ भी नहीं ... |
04-12-2010, 04:22 PM | #36 |
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Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
सिर्फ़ यादों का एक सिलसिला रह गया ।
अल्लाह जाने उनसे क्या रिश्ता रह गया . एक चाँद छुप गया जाने कहा ? एक सितारा उसे रात भर ढूँढता रह गया । |
04-12-2010, 04:39 PM | #37 |
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Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
हमें सभी के लिए बनना था
और शामिल होना था सभी में हमें हाथ बढ़ाना था सूरज को डूबने से बचने के लिए और रोकना अंधकार से कम से कम आधे गोलार्ध को हमें बात करना था पत्तियों से और इकठ्ठा करना तितलियों के लिए ढेर सारा पराग हमें बचाना था नारियल का पानी और चूल्हे के लिए आग पहनना था हमें नग्न होते पहारों को पदों का लिबास और बचानी थी हमें परिंदों की चहचाहट हमें रहना था अनार में दाने की तरह मेहँदी में रंग और गन्ने में रस की तरह हमें यादों में बसना था लोगों के मटरगस्ती भरे दिनों सा और दोरना था लहू बनकर सबो के नब्ज़ में लेकिन अफ़सोस की हमें कुछ नहीं कर पाए जैसा करना था हमें! |
04-12-2010, 11:38 PM | #38 |
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Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
जिनको नज़र दी हमने दुनिया को देखने की,
वे ही न जाने नज़रें क्यों हमसे फेरते हैं !! पोंछे थे हमने जिनकी आँखों के अश्क हरदम वे देखकर हमें क्यों, अब आँखे तरेरते हैं !!
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
05-12-2010, 02:31 PM | #39 |
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Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
भाई यह बात हजम नहीँ हो रही कि कामेश का दर्द से भी कोई रिश्ता है । मस्ती मेँ जीने का राज तो बस कामेश से पूछो । खैर , अपने अजीज मित्र को मैँ तो दर्द नहीँ ही दे सकता । मित्र मेरी शतकीय प्रविष्टि तुम्हेँ समर्पित -
साथ हम तुम जो दोनो रहेँगे दिन हँसेँगे औ रातेँ उड़ेँगी नूर हर शै छलकने लगेगा वादियाँ भी महकने लगेँगी । लब से लब जब हमारे मिलेँगे , जल्द कलियाँ जवाँ हो खिलेँगी , रश्क मदिरा को उस वक्त होगा , जबकि मदहोश पलकेँ उठेँगी । जर्रा जर्रा बनेगा शरारा जब हम बेताब बाँहोँ मेँ होँगे वेग तूफाँ का तेज होगा जिस्म दो जबकि एक जान होगी । शोखियोँ से अगर रूठ जाओ बिजलियाँ कदमबोसी करेँगी , गर हकीकत मेँ तुम रूठ जाओ , जाँ मेरी जिस्म से दूर होगी । साथ हम तुम जो दोनो रहेँगे दिन हँसेँगे औ रातेँ उड़ेँगी । |
06-12-2010, 07:39 AM | #40 |
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Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
सफ़र मैं हूँ एक सफ़र मुझ में भी है
मैं शहर में घूमता हूँ, एक शहर मुझ में भी है मेरे टूटे घर को हंसकर मत देख मेरे नसीब मैं अभी टूटा नहीं हूँ, एक घर मुझ में भी है खूब वाकिफ हूँ मैं दुनिया की हकीकत से मगर शख्स कोई हर तरफ से बेखबर मुझ में भी है आदमी में बढ़ रहा है दिनों दिन कैसा ज़हर देखता मैं भी हूँ, कुछ ज़हर मुझ में भी है वक़्त के जरुरत से कोई अछुता है नहीं कैसे मैं इनकार कर दूं, कुछ असर मुझ में भी है बेधड़क बेख़ौफ़ चलता हूँ बियाबान में ,मगर आईने से सामना होने का डर मुझ में भी है . |
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