15-08-2013, 05:10 PM | #21 |
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Re: जय हो ! जय हो !!
आज़ादी के परवाने जीना तो उसी का जीना है जो मरना वतन पे जाने ऐ वतन ऐ वतन हमको तेरी क़सम तेरी राहों मैं जां तक लुटा जायेंगे फूल क्या चीज़ है तेरे कदमों पे हम भेंट अपने सरों की चढ़ा जायेंगे कोई पंजाब से, कोई महाराष्ट्र से कोई यू.पी. से है, कोई बंगाल से तेरी पूजा की थाली में लाये हैं हम फूल हर रंग के, आज हर डाल से नाम कुछ भी सही पर लगन एक है जोत से जोत दिल की जगा जायेंगे ऐ वतन ऐ वतन... तेरी जानिब उठी जो कहर की नज़र उस नज़र को झुका के ही दम लेंगे हम तेरी धरती पे है जो कदम ग़ैर का उस कदम का निशाँ तक मिटा देंगे हम जो भी दीवार आयेगी अब सामने ठोकरों से उसे हम गिरा जायेंगे ए वतन ए वतन... तू ना रोना के तू है भगत सिंह की माँ मर के भी लाल तेरा मरेगा नहीं घोड़ी चढ़के तो लाते है दुल्हन सभी हँसके हर कोई फाँसी चढ़ेगा नहीं इश्क आज़ादी से आशिकों ने किया देख लेना उसे हम ब्याह लाएंगे ऐ वतन ऐ वतन... जब शहीदों की अर्थी उठे धूम से देशवालों तुम आँसू बहाना नहीं पर मनाओ जब आज़ाद भारत का दिन उस घड़ी तुम हमें भूल जाना नहीं लौट कर आ सकें ना जहाँ में तो क्या याद बनके दिलों में तो आ जाएँगे ऐ वतन ऐ वतन...
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
15-08-2013, 05:11 PM | #22 |
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Re: जय हो ! जय हो !!
नन्हां मुन्ना राही हूँ, देश का सिपाही हूँ
बोलो मेरे संग जय हिंद, जय हिंद, जय हिंद रस्ते में चलूंगा न डर-डर के चाहे मुझे जीना पड़े मर-मर के मंज़िल से पहले ना लूंगा कहीं दम आगे ही आगे बढ़ाऊंगा कदम दाहिने-बाएं, दाहिने-बाएं, थम नन्हां मुन्ना... धूप में पसीना बहाऊंगा जहाँ हरे-हरे खेत लहराएंगे वहाँ धरती पे फ़ाके न पाएंगे जनम आगे ही आगे... नया है ज़माना मेरी नई है डगर देश को बनाउंगा मशीनों का नगर भारत किसी से रहेगा नहीं कम आगे ही आगे... बड़ा हो के देश का सहारा बनूंगा दुनिया की आँखों का तारा बनूंगा रखूँगा ऊंचा तिरंगा परचम आगे ही आगे... शांति की नगरी है मेरा ये वतन सबको सिखाऊंगा मैं प्यार का चलन दुनिया में गिरने न दूंगा कहीं बम आगे ही आगे...
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15-08-2013, 05:12 PM | #23 |
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Re: जय हो ! जय हो !!
कर चले हम फ़िदा, जान-ओ-तन साथीयों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथीयों सांस थमती गई, नब्ज जमती गई फिर भी बढ़ते कदम को ना रुकने दिया कट गये सर हमारे तो कुछ ग़म नहीं सर हिमालय का हमने न झुकने दिया मरते-मरते रहा बाँकपन साथीयों अब तुम्हारे... जिन्दा रहने के मौसम बहुत हैं मगर जान देने की रुत रोज आती नहीं हुस्न और इश्क दोनों को रुसवा करे वो जवानी जो खूँ में नहाती नहीं आज धरती बनी है दुल्हन साथियों अब तुम्हारे... राह कुर्बानियों की ना वीरान हो तुम सजाते ही रहना नये काफ़िले फ़तह का जश्न इस जश्न के बाद है जिन्दगी मौत से मिल रही है गले बाँध लो अपने सर से कफ़न साथियों अब तुम्हारे... खेंच दो अपने खूँ से जमीं पर लकीर इस तरफ आने पाये ना रावण कोई तोड़ दो हाथ अगर हाथ उठने लगे छूने पाये ना सीता का दामन कोई राम भी तुम तुम्हीं लक्ष्मण साथीयों अब तुम्हारे...
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15-08-2013, 05:12 PM | #24 |
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Re: जय हो ! जय हो !!
मेरा रंग दे बसंती चोला माये रंग दे
निकले हैं वीर जिया ले यूँ अपना सीना ताने हंस-हंस के जान लुटाने आज़ाद सवेरा लाने मर के कैसे जीते हैं, इस दुनिया को बतलाने तेरे लाल चलें हैं माये, अब तेरी लाज बचाने आज़ादी का शोला बन के खून रगों में डोला मेरा रंग दे... दिन आज तो बड़ा सुहाना मौसम भी बड़ा सुनहरा हम सर पे बाँध के आये बलिदानों का ये सेहरा बेताब हमारे दिल में इक मस्ती सी छायी है ऐ देश अलविदा तुझको कहने की घडी आई है महकेंगे तेरी फिज़ा में हम बन के हवा का झोंका किस्मत वालों को मिलता ऐसे मरने का मौका निकली है बरात सजा है इंक़लाब का डोला मेरा रंग दे...
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15-08-2013, 05:12 PM | #25 |
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Re: जय हो ! जय हो !!
ये देश है वीर जवानों का
अलबेलों का मस्तानों का इस देश का यारों क्या कहना ये देश है दुनिया का गहना यहाँ चौड़ी छाती वीरों की यहाँ भोली शक्लें हीरों की यहाँ गाते हैं राँझे मस्ती में मस्ती में झूमें बस्ती में पेड़ों में बहारें झूलों की राहों में कतारें फूलों की यहाँ हँसता है सावन बालों में खिलती हैं कलियाँ गालों में कहीं दंगल शोख जवानों के कहीं करतब तीर कमानों के यहाँ नित-नित मेले सजते हैं नित ढोल और ताशे बजते हैं दिलबर के लिये दिलदार हैं हम दुश्मन के लिये तलवार हैं हम मैदां में अगर हम डट जाएं मुश्किल है के पीछे हट जाएं
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15-08-2013, 05:13 PM | #26 |
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Re: जय हो ! जय हो !!
होठों पे सच्चाई रहती है
जहाँ दिल में सफ़ाई रहती है हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा बहती है मेहमां जो हमारा होता है वो जान से प्यारा होता है ज़्यादा की नहीं लालच हमको थोड़े मे गुज़ारा होता है बच्चों के लिये जो धरती माँ सदियों से सभी कुछ सहती है हम उस देश के... कुछ लोग जो ज़्यादा जानते हैं इन्सान को कम पहचानते हैं ये पूरब है पूरबवाले हर जान की कीमत जानते हैं मिल जुल के रहो और प्यार करो एक चीज़ यही जो रहती है हम उस देश के... जो जिससे मिला सिखा हमने गैरों को भी अपनाया हमने मतलब के लिये अन्धे होकर रोटी को नहीं पूजा हमने अब हम तो क्या सारी दुनिया सारी दुनिया से कहती है हम उस देश के...
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15-08-2013, 05:14 PM | #27 |
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Re: जय हो ! जय हो !!
इन्साफ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के दुनिया के रंज सहना और कुछ ना मुँह से कहना सच्चाईयों के बल पे, आगे को बढ़ते रहना रख दोगे एक दिन तुम, संसार को बदल के इन्साफ की डगर पे... अपने हों या पराए, सब के लिए हो न्याय देखो कदम तुम्हारा, हरगिज़ ना डगमगाए रस्ते बड़े कठिन हैं, चलना संभल-संभल के इन्साफ की डगर पे... इन्सानियत के सर पे, इज़्ज़त का ताज रखना तन मन की भेंट देकर, भारत की लाज रखना जीवन नया मिलेगा, अंतिम चिता में जल के इन्साफ की डगर पे...
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15-08-2013, 05:15 PM | #28 |
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Re: जय हो ! जय हो !!
मेरा कर्मा तू मेरा धर्मा तू
तेरा सब कुछ मैं मेरा सब कुछ तू हर करम अपना करेंगे ऐ वतन तेरे लिए दिल दिया है जां भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए तू मेरा कर्मा, तू मेरा धर्मा, तू मेरा अभिमान है ऐ वतन, महबूब मेरे, तुझपे दिल क़ुर्बान है हम जिऐंगे और मरेंगे ऐ वतन तेरे लिए दिल दिया है... हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, हमवतन, हमनाम हैं जो करे इनको जुदा मज़हब नहीं, इल्जाम है हम जिऐंगे और मरेंगे ऐ वतन तेरे लिए दिल दिया है... तेरी गलियों में चलाकर नफ़रतों की गोलियां लूटते हैं कुछ लुटेरे दुल्हनों की डोलियां लुट रहे है आंप वो, अपने घरों को लूट कर खेलते हैं बेखबर, अपने लहू से होलियां हम जिऐंगे और मरेंगे ऐ वतन तेरे लिए दिल दिया है...
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15-08-2013, 05:15 PM | #29 |
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Re: जय हो ! जय हो !!
छोड़ो कल की बातें, कल की बात पुरानी
नए दौर में लिखेंगे, मिल कर नई कहानी हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी आज पुरानी ज़ंजीरों को तोड़ चुके हैं क्या देखें उस मंज़िल को जो छोड़ चुके हैं चांद के दर पर जा पहुंचा है आज ज़माना नए जगत से हम भी नाता जोड़ चुके हैं नया खून है नई उमंगें, अब है नई जवानी हम हिन्दुस्तानी... हमको कितने ताजमहल हैं और बनाने कितने हैं अजंता हम को और सजाने अभी पलटना है रुख कितने दरियाओं का कितने पवर्त राहों से हैं आज हटाने नया खून है... आओ मेहनत को अपना ईमान बनाएं अपने हाथों से अपना भगवान बनाएं राम की इस धरती को गौतम की भूमि को सपनों से भी प्यारा हिंदुस्तान बनाएं नया खून है... दाग गुलामी का धोया है जान लुटा के दीप जलाए हैं ये कितने दीप बुझा के ली है आज़ादी तो फिर इस आज़ादी को रखना होगा हर दुश्मन से आज बचा के नया खून है... हर ज़र्रा है मोती आँख उठाकर देखो मिट्टी में सोना है हाथ बढ़ाकर देखो सोने की ये गंगा है चांदी की जमुना चाहो तो पत्थर पे धान उगाकर देखो नया खून है...
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15-08-2013, 05:15 PM | #30 |
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Re: जय हो ! जय हो !!
तेरे लिए तेरे वतन की खाक बेक़रार है
हिमालया की चोटियों को तेरा इंतज़ार है वतन से दूर है मगर, वतन के गीत गाये जा कदम-कदम बढ़ाए जा ख़ुशी के गीत गाये जा ये ज़िन्दगी है कौम की, तू कौम पे लुटाये जा बड़ा कठिन सफ़र है ये बड़े कठिन है रास्ते मगर ये मुश्किलें हैं क्या सिपाहियों के वास्ते तू बिजलियों से खेल आँधियों पे मुस्कुराए जा कदम-कदम बढ़ाए जा... बिछड़ रहा है तुझसे तेरा भाई तो बिछड़ने दे नसीब कौम का बने तो अपना घर उजड़ने दे मिटा के अपना एक घर हज़ार घर बसाए जा कदम-कदम बढ़ाए जा...
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