05-04-2011, 04:44 PM | #112 |
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Re: " कबीर के दोहे "
सोना पेहेना रूपा पेहेनो रूपा पेहेनो पितलका तार ।
दस रुपिया गजका रेशीम पेहेनो आज जिवन तेरी आस ॥
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05-04-2011, 04:45 PM | #113 |
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Re: " कबीर के दोहे "
शहर नगरमें तेजी छुटा कसबिये परा पोकार ।
दस दरवाजे खबर करो निकल गये असवार ॥
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05-04-2011, 04:46 PM | #114 |
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Re: " कबीर के दोहे "
माती ओढन माती पेहरेन माती ले गई धोर ।
कबीर युंकर बोले तेरे उप्पर चलेगे लोक
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05-04-2011, 04:47 PM | #115 |
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Re: " कबीर के दोहे "
छोटीसी जिंदगानी ऊपर क्या मागरूरी करना ॥
क्या ले आया क्या ले जायेगा कायकू गाफल करनारे ॥ आपने खातर ये बाग बनाया सबही छोडकर मरनारे ॥ कहत कबीरा सुन भाई साधु हरी चरन मुरत धरनारे ॥
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05-04-2011, 04:49 PM | #116 |
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Re: " कबीर के दोहे "
ये जिंदगी किसीकी । आखेर मट्टी भयेगी तनकी ॥
झूटी काया झूटी माया झूटा राजा रानी । कोन किसीका देखो यारो झूटा मिरगजल पानी ॥
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05-04-2011, 04:50 PM | #117 |
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Re: " कबीर के दोहे "
बङा हट्टी रावन राजा एक लाख भयो पुती ।
सुन्नेकी लंका छांड गया पडे मूमें मट्टी ॥
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05-04-2011, 04:50 PM | #118 |
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Re: " कबीर के दोहे "
कहत कबीरा सुनो भाई साधु राम भजो दिनराती ।
औरत दौलत सबही पसारा । खावे जनमकी गोती ॥
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05-04-2011, 04:51 PM | #119 |
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Re: " कबीर के दोहे "
क्या धुंदि आखोंमें यारो । समज रखो कछु मनमों ॥
देखादेखी सब जावत है । कौन रह्या इस जगमो ॥ खलक चबिना काल चबावे । कछु पल्लव कछु मुखमों ॥
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05-04-2011, 04:51 PM | #120 |
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Re: " कबीर के दोहे "
राजा रंक मर्दांमर्दी । जोग जुगत सब तनमों ॥
लाखो हत्ती घोडे फौजा । लूट लेत है खिनमो ॥
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