10-07-2012, 05:41 AM | #11721 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
पूर्व आईएसआई प्रमुख ने किया खुलासा मेलबर्न। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस (आईएसआई) के पूर्व प्रमुख जनरल जियाउद्दीन बट्ट ने दावा किया है कि तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की पूरी जानकारी में एक पाकिस्तानी ब्रिगेडियर ने ओसामा बिन लादेन को संरक्षण दे रखा था। बट्ट ने एक साक्षात्कार में कहा कि ब्रिगेडियर एजाज शाह के पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ के साथ नजदीकी रिश्ते थे। मुशर्रफ शासन में यह ब्रिगेडियर बेहद ताकतवर हुआ करता था। आस्ट्रेलियाई समाचार पत्र ‘सिडनी मार्निंग हेराल्ड’ के मुताबिक उन्होंने कहा कि मुझे पूरा यकीन है कि एजाज शाह ने ही ऐबटाबाद में ओसामा को पनाह दी थी और परवेज मुशर्रफ को इसकी पूरी जानकारी थी। शाह मुशर्रफ शासन के समय गुप्तचर ब्यूरो के प्रमुख हुआ करता था और माना जाता है कि ब्रिटिश मूल के आतंकवादी उमर शेख के मामले में आईएसआई की ओर से प्रमुख भूमिका में थे। शेख को ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ के पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या के मामले में दोषी करार दिया गया था। बीते साल दो मई को अमेरिकी सुरक्षा बलों की कार्रवाई में ओसामा मारा गया था। बट्ट ने दावा किया कि ऐबटाबाद के जिस परिसर में ओसामा ने पनाह ले रखी थी, उसे भी ब्रिगेडियर शाह के आदेश पर बनाया गया था। आईएसआई के पूर्व प्रमुख जनरल बट्ट ने आरोप लगाया कि शाह ने दुनिया के सबसे खूंखार आतंकवादी ओसामा को कई वर्षों तक पनाह दी और दूसरी ओर पाकिस्तानी सेना एवं अमेरिका अलकायदा सरगना की तलाश कर रहे थे। दूसरी ओर बट्ट के इन आरोपों को शाह ने बेबुनियाद करार दिया है। उन्होंने कहा कि मैं इस आरोप को खारिज करता हूं और दुनिया का कोई भी अकलमंद इंसान इसे खारिज कर देगा। शाह ने कहा कि ओसामा को मारे जाने को एक साल बीत गया, लेकिन इस बारे में अब तक कोई सबूत सामने नहीं आया कि उन्होंने इस आतंकवादी को पनाह दी थी अथवा उसे जानते थे। पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद शाह ने कथित तौर पर पाकिस्तान छोड़ दिया था और आस्ट्रेलिया चले गए थे। जिंदा रहते बेनजीर ने आरोप लगाया था कि शाह आतंकवादियों के साथ मिलकर उनकी हत्या की साजिश रच रहे हैं। शाह साल 2007 में उस रात को बेनजीर के सुरक्षा मामलों के प्रभारी थे, जब पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या कर दी गई थी। मुशर्रफ ने 2004 में शाह को आस्ट्रेलिया में उच्चायुक्त नामित किया था, लेकिन आस्ट्रेलियाई सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया। माना जाता है कि आतंकवादियों के साथ शाह के रिश्तों की वजह से आस्ट्रेलियाई सरकार ने यह फैसला किया।
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कुरैशी के भाई पीपीपी में शामिल
लाहौर। पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ पार्टी के नेता शाह महमूद कुरैशी को जबर्दस्त झटका लगा है क्योंकि उनके भाई पंजाब प्रांत में महत्वपूर्ण उपचुनाव से पहले पार्टी छोड़कर सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) में शामिल हो गए हैं। कुरैशी ने पिछले साल आसिफ अली जरदारी से मतभेदों के बाद पीपीपी छोड़ी थी और फिर क्रिकेटर से राजनीतिज्ञ बने इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ पार्टी में शामिल हो गए थे। वह वर्तमान में पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ पार्टी के उपाध्यक्ष हैं। मखदूम मुरीद हुसैन कुरैशी ने अपने बड़े भाई एवं पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से मतभेदों के चलते तहरीक ए इंसाफ से अलग होने का रास्ता चुना। अपने बड़े भाई की तरह मुरीद ने 2008 में पीपीपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। उन्होंने पंजाब विधानसभा के लिए खानेलवाल जिले के एक निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा था। विधानसभा सीट कुरैशी के संसद के लिए चुने जाने पर खाली हुई थी, लेकिन मुरीद एक निर्दलीय उम्मीदवार से चुनाव हार गए थे। माना जाता है कि तहरीक ए इंसाफ के प्रमुख इमरान खान ने मुरीद को यह आश्वासन नहीं दिया था कि उन्हें अगले चुनाव में इसी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया जाएगा। मुरीद और कुरैशी के बीच मतभेदों का फायदा उठाते हुए पीपीपी मुरीद को फिर से अपने पाले में लाने में सफल रही। खबरों में कहा गया है कि जरदारी और पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने मुरीद को पीपीपी में लाने के लिए पहल की। गिलानी ने मुरीद को आश्वासन दिया कि अगले चुनावों में उन्हें खानेलवाल से चुनाव लड़ने के लिए पीपीपी का टिकट दिया जाएगा। पीपीपी में शामिल होने के मुरीद के फैसले के बारे में पूछे जाने पर कुरैशी ने कहा कि मेरे अपने भाई के साथ कोई मतभेद नहीं हैं। वह समझदार है और अपने फैसले खुद करता है। किसी भी पार्टी में शामिल होने का यह उसका लोकतांत्रिक अधिकार है। कुरैशी ने पार्टी में अंदरूनी कलह को नकारते हुए कहा कि पार्टी में कोई कलह नहीं है, लेकिन वैचारिक मतभेद हैं। पार्टी में हर किसी को अपना विचार रखने का अधिकार है। इसे लेकर सरकारी एजेंसियां दुष्प्रचार कर रही हैं। पीपीपी नेतृत्व की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद में बैठे जरदारी मुझे लेकर परेशान है क्योंकि वह मेरे लिए जिन्दगी कठिन बनाना चाहता है। उन्होंने कहा कि तहरीक ए इंसाफ ‘पुरानी सामंती प्रणाली’ से लड़ने को कटिबद्ध है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि संसद के पूर्व अध्यक्ष आमिर हुसैन भी शीर्ष नेतृत्व से मतभेदों के चलते तहरीक ए इंसाफ को छोड़ने और पीएमएल क्यू में लौटने का विचार कर रहे हैं। कुरैशी, जावेद हाशमी, खुर्शीद महमूद कसूरी और सरदार आसिफ अहमद अली सहित तहरीक ए इंसाफ के मुख्य नेताओं के बीच भी मतभेद हैं। पीपीपी के एक नेता ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा कि गिलानी मुल्तान में उपचुनाव में अपने बेटे अब्दुल कादिर गिलानी की जीत सुनिश्चित करने के लिए अभियान चला रहे हैं । मुल्तान सीट गिलानी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवमानना मामले के चलते अयोग्य घोषित कर दिए जाने के बाद खाली हुई थी। पीपीपी नेता ने कहा कि पीएमएल-एन नेता इश्क बुचा का पीपीपी में शामिल होना और अब्दुल कादिर गिलानी के पक्ष में उपचुनाव से हट जाना तथा मुरीद हुसैन कुरैशी का समर्थन हासिल करना पीपीपी, खासकर गिलानी परिवार के लिए एक बड़े फायदे की बात है। नेता ने कहा कि अब गिलानी की शानदार राजनीति का शुक्रिया अदा कीजिए कि शाह महमूद कुरैशी या उनके बेटे अगले चुनाव में मुरीद के सामने होंगे। कुरैशी के पीपीपी छोड़ने और संसद से उनके इस्तीफा देने के बाद खाली हुई सीट पर गिलानी के छोटे बेटे अली मूसा गिलानी ने जीत दर्ज की थी।
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10-07-2012, 05:43 AM | #11723 |
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मणिपुर में ग्रेनेड हमले में तीन व्यक्ति घायल
इंफाल। मणिपुर के पूर्वी इंफाल जिले में आतंकियों ने रविवार रात ग्राम पंचायत प्रधान के घर में ग्रेनेड फेंका। ग्रेनेड हमले में एक बच्चे समेत तीन व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गए। अधिकारियों ने बताया कि आतंकियों ने लाइशरम लैकी क्षेत्र में कोंगपाल के प्रधान वाई. जितेन्द्र के घर पर ग्रेनेड फेंक दिया। उस समय प्रधान और उनका परिवार सो रहा था। इस हमले में वाई आशालता (29) उसकी पुत्री तानिया (छह माह) और उसकी साली वाई. रोबिता गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों को तुरंत जे. एन. अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। घटनास्थल यहां से आठ किमी दूर है। अधिकारियों ने बताया कि हमले के बाद आतंकी भाग निकलने में सफल हो गए। जितेन्द्र के परिवारजनों ने बताया कि उन्हें आतंकियों की ओर से कोई धमकी नहीं मिली थी, जबकि पुलिस ने कहा कि वह इस हमले के पीछे किसी मांग अथवा व्यक्तिगत रंजिश जैसे कारणों की जांच कर रहे हैं।
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10-07-2012, 05:43 AM | #11724 |
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केशुभाई बनाएंगे नई पार्टी
गुजरात में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार अहमदाबाद। गुजरात के विधानसभा चुनाव में इस बार त्रिकोणीय मुकाबले के आसार बन रहे हैं। मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरोधी नेता पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल की नेतृत्व में अलग पार्टी का गठन करने जा रहे हैं। केशुभाई के समूह ने संकेत दिया है कि वह जल्द ही अपनी पार्टी गठित करेंगे और इसकी औपचारिक घोषणा इसी माह किए जाने की संभावना है। मोदी सरकार के पूर्व मंत्री एवं वर्तमान में पटेल के समर्थक गोरधन जदाफिया ने कहा कि केशुभाई पटेल की दूसरी पार्टी के गठन की जबर्दस्त संभावना हैं और हम राज्य की सभी 182 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे। इसके बारे में कोई संदेह नहीं है कि नई पार्टी का नेतृत्व केशुभाई पर होगा। इस प्रकार से इस बार का मुकाबला त्रिकोणीय रहने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि गुजरात में 1995 से भाजपा सत्ता में है। जहां इन दो दशकों के दौरान अन्य प्रदेशों में नई पार्टियां तेजी से उभरी हैं, वहीं गुजरात में ऐसा नहीं हो सका। क्षेत्रीय विकल्प उपलब्ध कराने के प्रयास किए गए, लेकिन वे बेनतीजा रहे। पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेसी नेता चिमनभाई पटेल ने 1980 के दशक में जनता मोर्चा का गठन किया था, लेकिन उन्हें जल्दी ही इसका आभास हो गया कि राज्य में उनकी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है और वह वापस कांग्रेस में लौट गए। इसके अलावा भाजपा के एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री शंकरसिंह वाघेला ने 1986 में राष्ट्रीय जनता पार्टी का गठन किया। चुनाव में उन्हें कुल 184 में से चार सीटें ही मिल सकीं और बाद में उन्होंने भी कांग्रेस का दामन थाम लिया। काफी समय पहले मोरारजी देसाई की पार्टी संस्था कांग्रेस को कुछ सफलता जरूर मिली। यह आपातकाल के तुरंत बाद कांग्रेस (आई) को सत्ता से बेदखल कर सत्ता में आई थी और यह चार पार्टियों का गठबंधन था। भाजपा के एक अन्य नेता ने राज्य के मौजूदा राजनीतिक माहौल के बारे में कहा कि गुजरात ने कभी भी क्षेत्रीय पार्टियों को पसंद नहीं किया। पहले भी ऐसे प्रयास हुए हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली और इसी प्रकार पटेल दल को भी सफलता नहीं मिलेगी। मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है। हालांकि इस मामले में जदाफिया की राय अलग है। उनका कहना है कि जनता हमेशा बेहतर विकल्प की तलाश में रहती है। भारतीय लोकतंत्र ने दिखा दिया है जनता अंतत: केवल सही व्यक्ति का ही चयन करती है। उन्होंने कहा कि यह कहना पूरी तरह से गलत होगा कि राज्य में क्षेत्रीय पार्टिया सफल नहीं हुई हैं। हम देख चुके हैं कि शुरुआत में भाजपा तीसरे नंबर पर थी। उस समय कांग्रेस (आई) और देसाई की संस्था कांग्रेस इससे अधिक ताकतवर थीं। हालांकि बाद में लोगों ने भाजपा को पसंद कर लिया। उधर कांग्रेस को भाजपा की अंदरूनी लड़ाई से फायदा मिलने की उम्मीद है। राज्य के कांग्रेस प्रमुख अर्जुन मोधवाड़िया ने कहा कि हमने उत्तर प्रदेश में हालिया चुनाव में कड़ी मेहनत की, लेकिन समाजवादी पार्टी सत्ता में आई। कारण यह था कि लोगों को लगा कि सपा, बसपा का विकल्प होगी। इसी प्रकार जोे जागरूक मतदाता हैं, वह किसी और विकल्प का चयन करेंगे। और फिलहाल राज्य में मोदी का विकल्प सिर्फ कांग्रेस ही है। हालांकि भाजपा केशुभाई के कदम के मसले पर पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए है। पार्टी के क्षेत्रीय महासचिव विजय रुपानी ने कहा कि केशुभाई गुट ने अपनी योजनाओं का ऐलान नहीं किया है और भाजपा इसके बाद ही अपनी प्रतिक्रिया देगी।
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10-07-2012, 05:44 AM | #11725 |
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रंगमंच के जरिए ‘बावली’ के संरक्षण में जुटे बच्चे
नई दिल्ली। निजामुद्दीन बस्ती के स्थानीय बच्चे 14वीं शताब्दी में बनी ‘हजरत निजामुद्दीन बावली’ के संरक्षण के लिए दास्तानगोई के जरिए स्नेह और सहिष्णुता के ‘सूफी’ संदेश का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन बच्चों ने यहां स्थित ‘चौंसठ खम्बा’ को अपना रंगमंच बनाया है और यहीं से 50 मिनट का नाटक ‘किस्सा बावली का’ प्रस्तुत किया। इस नाटक के निदेशक नदीम खान हैं और पटकथा अनीस आजमी ने लिखी है। उर्दू अकादमी ने परीक्षण अभ्यास के बाद बस्ती के लगभग 40 बच्चों को चुना और उन्हें 45 दिनों की रंगमंच कार्यशाला में शामिल किया। दो साल से चल रहे ‘आगा खां ट्रस्ट फॉर कल्चरल इनीशिएटिव (एकेटीसी)’ और उर्दू अकादमी के इस प्रयास के जरिए इन लोगों का जीवनस्तर सुधारने की भी कोशिश की जा रही है। गौरतलब है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) इस बावली का संरक्षण करता है और एकेटीसी के प्रयासों के कारण इसमें मौजूद पानी का स्तर आश्चर्यजनक तरीके से बढ़ा है। एकेटीसी के परियोजना निदेशक रतीश नंदा ने बताया कि हर साल हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह पर आने वाले लाखों लोग इस बावली के पानी को पाक मानते हैं।
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10-07-2012, 05:45 AM | #11726 |
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इंदिरा गांधी ने मुझे सिखाया, बुरे वक्त में हिम्मत नहीं खोनी चाहिए : लार्ड स्वराज पॉल
लंदन। वर्ष 1968 में अपनी छोटी बेटी की मौत का झटका सहने वाले अनिवासी भारतीय (एनआरआई) उद्योगपति लार्ड स्वराज पॉल का कहना है कि भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें सिखाया कि बुरे वक्त में हिम्मत नहीं खोनी चाहिए। लंदन के चिड़ियाघर में रविवार शाम आयोजित कार्यक्रम ‘रिमेंबरिंग अंबिका’ में लार्ड पॉल यादों में खो गए और उन्होंने जिंदगी में अपने माता पिता, परिवार और दोस्तों से मिली मदद एवं प्रोत्साहन को याद किया। भारत की पूर्व प्रधानमंत्री को ‘महान व्यक्ति’ बताते हुए लार्ड पॉल ने कहा कि इंदिरा गांधी ने मुझे सिखाया कि बुरे वक्त में हिम्मत नहीं खोनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अंबिका की बीमारी ने हमें कई बातें सिखाईं। लार्ड पॉल वर्ष 1966 में ल्यूकेमिया से पीड़ित अपनी बेटी अंबिका के इलाज की खोज में ब्रिटेन आए थे। अच्छा इलाज मिलने के बावजूद अंंबिका की 1968 में मौत हो गई। बेटी की मौत से उबरने के बाद लार्ड पॉल ने कैपारो स्थापित किया जो आज उनके परिवार के स्वामित्व वाला ब्रिटेन का सबसे बड़ा व्यवसाय है। लार्ड पॉल ने लंदन चिड़ियाघर को 1992 में बंद होने से रोकने के लिए 10 लाख पाउंड की राशि दी थी। इस चिड़ियाघर के एक हिस्से का नाम अब ‘द अंबिका पॉल चिल्ड्रंस जू’ है। इस कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री गार्डन ब्राउन की पत्नी सारा ब्राउन, उनके बच्चे, लंदन के पूर्व मेयर केन लिविंगस्टोन, ब्रिटेन में भारत के उपायुक्त राजेश प्रसाद सहित कई गणमान्य लोग शामिल हुए।
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मेरे जेहन में है वादी : सेना प्रमुख
कश्मीर में शांति का जनरल बिक्रम सिंह ने युवाओं को दिलाया भरोसा नई दिल्ली। सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह ने कश्मीर के युवाओं को भरोसा दिलाया है कि उनका पूरा ध्यान जम्मू कश्मीर में शांति बहाल करने पर है, क्योंकि उन्होंने खुद भी वहां गोली खाई थी और अपना खून बहाया था। जम्मू कश्मीर के लोगों को राष्टñ की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए सेना द्वारा चलाए जा रहे आॅपरेशन सदभावना के तहत ‘वतन की सैर’ पर निकले कश्मीर घाटी के बच्चों के साथ खुलकर बातचीत करते हुए सेना प्रमुख ने यहां कहा कि हालात अब सुधर रहे हैं। हमें अमन के लिए काम करना है। वादी मेरे जेहन में है। मैंन वहां खून बहाया है। मैंने गोली खाई थी। जनरल बिक्रम सिंह जब पहले कश्मीर में तैनात थे तो आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में उन्हें गोली लगी थी और वह उसी घटना का जिक्र कश्मीर के स्कूली बच्चों से कर रहे थे। इस मौके पर मौजूद सेना उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एस. के. सिंह ने जम्मू कश्मीर से सैनिकों की संख्या में कटौती करने की संभावनाओं से इंकार करते हुए कहा कि शांति बरकरार रखने के लिए दबाव बनाए रखना जरूरी है। घाटी में इस बार रिकार्ड संख्या में पर्यटक आए हैं और शांति का माहौल है और यह सभी सुरक्षा एजेंसियों के मिलेजुले प्रयास का नतीजा है। उन्होंने इन खबरों को सरासर गलत बताया कि कश्मीर से राष्टñीय रायफल्स की कुछ बटालियनों को पूर्वोत्तर राज्यों में भेजा गया है। कश्मीर से आए स्कूली बच्चों ने सेना प्रमुख को वादी में आने का न्यौता दिया, जिसे जनरल सिंह ने स्वीकार करते हुए कहा कि मैं आपके स्कूल में आपसे मिलने आऊंगा।
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कांग्रेस शुरू किए अंसारी को पुन: उपराष्ट्रपति बनाने के प्रयास
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने की देवेगौड़ा से चर्चा नई दिल्ली। कांग्रेस ने हामिद अंसारी को उपराष्ट्रपति पद के लिए दोबारा चुने जाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह उनकी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटा रहे हैं। मनमोहन ने शनिवार को पूर्व प्रधानमंत्री एवं जद-एस (जनता दल-सेक्युलर) प्रमुख एच. डी. देवगौड़ा के साथ अंसारी के नाम पर चर्चा की। जद-एस ने अंसारी की उम्मीदवारी का समर्थन किया। जद-एस के प्रवक्ता दानिश अली ने बताया कि उनकी पार्टी अंसारी की उम्मीदवारी का पूरा समर्थन करती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मनमोहन और देवगौड़ा की बैठक में किसी अन्य नाम पर चर्चा नहीं हुई। वर्तमान उपराष्ट्रपति का दूसरे कार्यकाल के लिए चुना जाना काफी स्वभाविक है। गौरतलब है कि राष्ट्रपति पद के लिए प्रणव मुखर्जी के नाम के साथ ही हामिद अंसारी के नाम पर भी चर्चा हुई थी। कांग्रेस के एक धड़े का मानना है कि उपराष्ट्रपति के तौर पर अंसारी के दोबारा चुने जाने से अल्पसंख्यकों में अच्छा संकेत जाएगा। उपराष्ट्रपति पद का चुनाव सात अगस्त को होना है और मुख्य विपक्षी दल भाजपा की ओर से अभी तक इस पद के लिए कोई नाम सामने नहीं आया है। उपराष्ट्रपति चुनाव के बारे में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से अपने विचार साझा किए हैं। प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए माकपा नेता प्रकाश करात से बात की। प्रकाश करात ने यहां कहा कि डॉ. सिंह ने तीन दिन पहले मुझसे बात की थी। वह मेरी राय जानना चाहते थे और मैंने इस मुद्दे पर अपनी राय बता दी। समझा जाता है कि टेलीफोन पर हुई इस बातचीत के दौरान कुछ नामों पर चर्चा हुई। हालांकि करात ने इस बारे में कुछ भी खुलासा करने से इंकार किया।
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अफगानी वीडियो से सकते में ब्रिटेन
लंदन। तालिबान द्वारा व्याभिचार के आरोप में सार्वजनिक रूप से एक महिला की हत्या किए जाने के वीडियो को लेकर ब्रिटेन सकते में है। ब्रिटिश विदेश मंत्री विलियम हेग का कहना है कि इस वीडियो को देखकर वह हैरान और निराश हैं। ब्रिटिश सरकार ने इस खेदजनक कार्रवाई की निंदा की है और अफगानिस्तान सरकार से अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने का आह्वान किया है। हेग ने अपने बयान में कहा था, इस रिपोर्ट को देखकर मैं हैरान और निराश हूं। इस तरह की खेदजनक घटनाएं अफगानिस्तान में लड़कियों और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए विशेष सुरक्षा की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं। विदेश मंत्री ने यह भी बताया कि ब्रिटिश सरकार अपनी समकक्ष अफगानी सरकार, कई गैरसरकारी संस्थाओं और अंतर्राष्ट्रीय सहयोगियों के साथ मिलकर अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति बेहतर करने के लिए काम कर रही है। अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने भी 22 वर्षीय महिला की सार्वजनिक रूप से हत्या किए जाने के भयानक वीडियो को देखकर इस युद्धप्रभावित देश में महिलाओं के अधिकारों के संरक्षण की जोरदार वकालत की है। परवान प्रांत की प्रवक्ता रोशना खालिद ने बताया कि इस महिला ने कट्टरपंथी तालिबानी उग्रवादी समूह के एक सदस्य से शादी की थी, जिसे एक अन्य तालिबानी कमांडर के साथ व्याभिचार के आरोप में मार दिया गया। एक घंटे के अंदर ही उसे दोषी घोषित कर दिया गया और उसे उसके गांव कोल में ही गांववालों के सामने गोली मार दी गई।
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बम धमाके में मारे गए छह अमेरिकी सैनिक
काबुल। तालिबान ने पूर्वी अफगानिस्तान में सड़क किनारे हुए उस बम धमाके की जिम्मेदारी ली है जिसमें छह नाटो सैनिक मारे गए हैं। तालिबान के अनुसार मारे गए सभी जवान अमेरिकी सैनिक थे। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि ये सैनिक स्थानीय समय के अनुसार काबुल के दक्षिण स्थित वर्दाक प्रान्त में उस समय मारे गए जब उनका लड़ाकू टैंक एक बम के ऊपर से गुजरा। नाटो मारे गए जवानों की नागरिकता का खुलासा नहीं करेगा लेकिन अफगान अधिकारियों के अनुसार वे सभी अमेरिकी जवान थे। वर्दाक प्रान्त पुलिस प्रमुख जनरल अब्दुल कय्यूम बाकीजोई ने कहा कि जलरेज जिले में विस्फोट के बाद नाटो के एक हवाई हमले में एक तालिबीनी कमांडर मारा गया जबकि तीन आतंकी घायल हो गए। वहीं पूर्व में भी, एक प्रमुख सरकारी वकील की उस समय हत्या कर दी गई जब वह काम के लिए घर से निकला था। तालिबान लगातार अफगान अधिकारियों को निशाना बना रहा है।
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