My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Art & Literature > Hindi Literature
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 02-08-2013, 08:56 PM   #1
jai_bhardwaj
Exclusive Member
 
jai_bhardwaj's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99
jai_bhardwaj has disabled reputation
Default अवतार - एक विज्ञान कथा

अंतरजाल से प्राप्त एक सामाजिक एवं वैज्ञानिक कथा .............
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
jai_bhardwaj is offline   Reply With Quote
Old 02-08-2013, 08:56 PM   #2
jai_bhardwaj
Exclusive Member
 
jai_bhardwaj's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99
jai_bhardwaj has disabled reputation
Default Re: अवतार - एक विज्ञान कथा

"बाबा त्यागराज की जय!"

"बाबा त्यागराज सिद्ध पुरूष हैं."

"ऐसे चमत्कारी लोग युगों बाद पैदा होते हैं."

जितने मुंह उतनी बातें. हर व्यक्ति बाबा त्यागराज का गुणगान कर रहा था. लोग उनका चमत्कार देखकर उनके प्रताप का लोहा मान चुके थे. कोई उन्हें भगवान् का अवतार मान रहा था तो कोई महान साधक, जिसने अपनी तपस्या के बल पर भूख प्यास सभी पर विजय प्राप्त कर ली थी. इसे चमत्कार नहीं तो और क्या कहा जायेगा कि बाबा त्यागराज पिछले छः महीनों से मात्र सूर्ये के प्रकाश का सेवन करके जिंदा थे. छः महीनों से तो उन्हें दुनिया देख रही थी. वरना बाबा त्यागराज का तो कहना था कि उन्हें बचपन से भगवान् का वरदान प्राप्त है जिसकी वजह से उन्हें न तो खाने की ज़रूरत थी और न पानी की. वे तो हमेशा से बस सूर्ये का प्रकाश खाकर और हवा पीकर जिंदा थे.

पूरी दुनिया उनके इस चमत्कार पर दंग थी. पिछले छः महीनों से उनकी एक एक हरकत पर नज़र रखी जा रही थी. वैज्ञानिकों का एक दल उनके शरीर के क्रियाकलापों पर नज़र रख रहा था. लेकिन किसी को बाबा के दावे में कहीं से कोई झोल नज़र नहीं आया. अंत में वैज्ञानिकों समेत सभी ने यह मान लिया की बाबा त्यागराज अपने दावे में शत प्रतिशत सच्चे थे.
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
jai_bhardwaj is offline   Reply With Quote
Old 02-08-2013, 08:57 PM   #3
jai_bhardwaj
Exclusive Member
 
jai_bhardwaj's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99
jai_bhardwaj has disabled reputation
Default Re: अवतार - एक विज्ञान कथा

उन्हें वास्तव में जीवित रहने के लिए न हवा की ज़रूरत थी, न पानी की.


आज प्रगति मैदान में तिल रखने की जगह न थी. क्योंकि वहां कुछ ही क्षणों बाद बाबा त्यागराज का प्रवचन शुरू होने वाला था. दूर दूर से लोग उनके इस प्रवचन को सुनने के लिए आये हुए थे.
बाबा त्यागराज ने बोलना शुरू किया, "बंधुओं, इस दुनिया में लोग अलग अलग धर्मों को मानते हैं, किंतु वास्तविकता यह है की हमारे धर्म को छोड़कर और कोई धर्म सच्चा नहीं. इसलिए आप लोगों से मेरा अनुरोध है और मेरे शिष्यों को मेरा आदेश है की दूसरे धर्म वालों का अपने धर्म में स्थानान्तरण कराया जाए. और जो लोग इससे इनकार करें उन्हें मौत के घाट उतार दिया जाए. ऐसा मेरे भगवान् का आदेश है."
चमत्कारी बाबा त्यागराज की आज्ञा सर्वोपरि थी. हर आदमी उन्हें भगवान् का अवतार मान रहा था. नतीजे में वहां मौजूद लोगों ने उनकी आज्ञा को सर आँखों पर लिया, और दूसरे धर्म के अनुयायियों के धर्मांतरण में जुट गए. धीरे धीरे यह अभियान उग्र रूप लेता गया और थोड़े ही समय में वहां भयंकर दंगे भड़क उठे थे. लोग मारे जाने लगे. घर जलाए जाने लगे. हर तरफ़ लूटमार और हत्याओं का बाज़ार गर्म हो चुका था.
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
jai_bhardwaj is offline   Reply With Quote
Old 02-08-2013, 08:58 PM   #4
jai_bhardwaj
Exclusive Member
 
jai_bhardwaj's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99
jai_bhardwaj has disabled reputation
Default Re: अवतार - एक विज्ञान कथा

पुलिस और प्रशासन की नाक में दम हो चुका था. दंगे किसी भी तरह कंट्रोल में नहीं आ रहे थे. बाबा त्यागराज के भाषणों के कैसेट्स हर फसाद में आग में घी का काम कर रहे थे.

मीडिया के पत्रकार व रिपोर्टर भी मामले की गहराई से पड़ताल कर रहे थे. इन्हीं पत्रकारों में शामिल थी 'नाजिया ज़फर'. सच्चाई को आम जनमानस के सामने लाने की चाहत उसे इस क्षेत्र में खींच लाई थी. वह इस मामले की भी सच्चाई जानना चाहती थी और इसके लिए ज़रूरी था बाबा त्यागराज का इंटरव्यू. जल्दी ही उसे इसका मौका मिल गया. बाबा त्यागराज ने उसे अपनी कुटिया में बुला लिया.

"बाबा जी, आपके भड़कीले भाषणों ने पूरे देश में दंगे भड़का दिए हैं. इंसान इंसान को कत्ल कर रहा है. अबलाओं की इज्ज़त पर हाथ डाला जा रहा है. आशियाने उजाड जा रहे हैं. धर्म तो हमेशा मानवता के लिए होता है. आप तो धर्म की परिभाषा ही बदले दे रहे हैं."
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
jai_bhardwaj is offline   Reply With Quote
Old 02-08-2013, 08:59 PM   #5
jai_bhardwaj
Exclusive Member
 
jai_bhardwaj's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99
jai_bhardwaj has disabled reputation
Default Re: अवतार - एक विज्ञान कथा

बाबा त्यागराज का चेहरा गुस्से से लाल हो गया. वह चिंघाड़ कर बोला, "लड़की, तू मुझे धर्म का पाठ पढ़ाएगी. मैं ही धर्म हूँ, और मेरी क्रोधित दृष्टि तुझे भस्म कर देगी."

बाबा का एक शिष्य कमर से कृपाण खींचकर बोला, "बाबा आप आज्ञा दीजिये. मैं एक ही वार में इसका सर धड से अलग कर देता हूँ."

बाबा ने हाथ उठाकर उसे रोका, "रहने दे, यह पत्रकार है. और हम पत्रकारों को कोई नुक्सान नहीं पहुंचाना चाहते."
फ़िर वह नाजिया से मुखातिब हुआ, "लड़की, तू यहाँ से चली जा, वरना मैं अधिक देर अपने शिष्यों को नहीं रोक सकता."

नाजिया इस बार बिना कुछ कहे मुडी और बाहर निकलती चली गई. लेकिन बाहर निकलने से पहले उसकी एक उचाद्ती नज़र झोंपडे के भीतरी हिस्से में पहुँच गई थी और वहां कुछ देखकर एक पल को उसके चेहरे पर कुछ चौंकने के लक्षण पैदा हुए थे लेकिन फ़िर उसने अपने भावों पर काबू पा लिया.
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
jai_bhardwaj is offline   Reply With Quote
Old 02-08-2013, 08:59 PM   #6
jai_bhardwaj
Exclusive Member
 
jai_bhardwaj's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99
jai_bhardwaj has disabled reputation
Default Re: अवतार - एक विज्ञान कथा

ये कुछ नौजवानों का एक ग्रुप था जो देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा था. इस ग्रुप की मीटिंग में नाजिया और राजेश भी शामिल थे. राजेश एक न्यूज़ चैनल में रिपोर्टर था, लेकिन यह किसी को नहीं मालुम था कि वह वास्तव में देश की खुफिया एजेन्सी रा का एजेंट है.
इस समय मीटिंग में सन्नाटा छाया हुआ था और इसकी वजह नाजिया कि कही हुई एक बात थी. इस चुप्पी को तोड़ते हुए राजेश ने नाजिया को मुखातिब किया, "क्या तुम्हें पूरा विश्वास है कि तुमने जो देखा वह सही है?"

"श्योर! उस साधू के झोंपडे में अन्दर कंप्यूटर मौजूद था. और उसपर एक्स देश की खुफिया एजेन्सी की वेबसाईट खुली हुई थी."
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
jai_bhardwaj is offline   Reply With Quote
Old 02-08-2013, 09:00 PM   #7
jai_bhardwaj
Exclusive Member
 
jai_bhardwaj's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99
jai_bhardwaj has disabled reputation
Default Re: अवतार - एक विज्ञान कथा

"यानी ये की दंगों के पीछे और उस साधू के भड़काने के पीछे एक्स देश का हाथ सिद्ध होता है."

"बाबा त्यागराज के शिष्यों में बहुत से उस देश के नागरिक भी शामिल हैं." एक युवक विशाल ने कहा.

"शायद बाबा त्यागराज एक्स देश का मोहरा बन गया है." राजेश ने गंभीरता से कहा.

"कुछ भी हो, लेकिन ये वास्तविकता है की बाबा त्यागराज पिछले छः महीनों से बिना कुछ खाए पिए जिंदा है. आम जनता उसके चमत्कार पर उसे भगवान् मान चुकी है. और अब बाबा के मुख से निकला हर वाक्य उनके लिए अमृत वचन है."

"कहीं ऐसा तो नहीं एक्स देश ने मनुष्य के रूप में कोई रोबोट हमारे बीच भेज दिया हो." विशाल ने कहा.

"इम्पोसिबिल! बाबा के शरीर को हर वक्त एक्सरे मशीनें अपनी निगरानी में रखती हैं. उसके शरीर में वही हाड मांस है जो हमारे शरीर में है." राजेश ने कहा.

"आख़िर यह बन्दा पैदा कहाँ से हो गया हमारे देश का मन बरबाद करने को." नाजिया ने झुंझला कर कहा.

"गुड आइडिया." राजेश ने चुटकी बजाकर कहा, "हमें सबसे पहले यही जानकारी करनी चाहिए कि यह आया कहाँ से है? उसकी बैक्ग्राउन्ड क्या है? उसकी हिस्ट्री खंगालकर हम किसी नतीजे पर पहुँच सकते हैं."
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
jai_bhardwaj is offline   Reply With Quote
Old 02-08-2013, 09:01 PM   #8
jai_bhardwaj
Exclusive Member
 
jai_bhardwaj's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99
jai_bhardwaj has disabled reputation
Default Re: अवतार - एक विज्ञान कथा

बाबा त्यागराज की हिस्ट्री की छानबीन करने पर राजेश इत्यादि के सामने एक नई बात सामने आई. किसी को पता नहीं था की बाबा त्यागराज का बचपन कहाँ बीता. वह कहाँ पैदा हुआ, किसके घर में पैदा हुआ. हाँ उसके कुछ करीबी शिष्यों ने बताया,

"बाबा कोई आम मनुष्य नहीं है. उनका तो अवतार हुआ है."

"अच्छा! वह कैसे?" राजेश ने उत्सुकता से पूछा. वह इस समय बाबा के एक बहुत ही बड़े भक्त के रूप में मौजूद था.

"बाबा जी हिमालय पर्वत की एक गुफा में प्रकट हुए हैं. और जब से प्रकट हुए हैं तब से ऐसे ही हैं. बाबा जी को न भोजन की आवश्यकता है, न पानी की."

"भय्या, हम भी वह गुफा देखना चाहते हैं, जहाँ बाबा ने पहली बार दर्शन दिया था." राजेश ने उससे कहा.

"क्यों? बाबा के शिष्य ने उसे शंकाग्रस्त दृष्टि से देखा."

"अरे भाई वह गुफा तो बाबा जी की जन्मभूमि हुई न. वहां पर एक भव्य मन्दिर बनना चाहिए. और मन्दिर बनाने का यह पुण्य काम मैं स्वयं अपने हाथों से करूंगा." राजेश की योजना सुनकर शिष्य पूरे जोश में आ गया.

"यदि ऐसा है तो मैं स्वयं आपको वहां तक लेकर जाऊँगा. इस पुण्य कार्य में मैं भी भागीदार बनूँगा."

फ़िर जल्दी ही राजेश अपनी छोटी सी टीम के साथ हिमालय की गुफाओं के बीच उस स्थान पर पहुँच गया जहाँ बाबा के भक्तों के अनुसार वह बाबा का प्रकट स्थान था.

राजेश ने दो पलों तक कुछ सोचा, फ़िर गुफा के अन्दर जाने के लिए कदम बढ़ा दिए. धीरे धीरे नाजिया और दूसरे लोग भी अन्दर जाने लगे.
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
jai_bhardwaj is offline   Reply With Quote
Old 02-08-2013, 09:01 PM   #9
jai_bhardwaj
Exclusive Member
 
jai_bhardwaj's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99
jai_bhardwaj has disabled reputation
Default Re: अवतार - एक विज्ञान कथा

भीतर गुफा पूरी तरह वीरान पड़ी थी. राजेश गुफा में चारों तरफ़ बारीकी से निरीक्षण करने लगा. एकाएक उसने गुफा के एक कोने में कुछ पड़ा देखा और झुककर उसे उठा लिया.
"क्या चीज़ है?" नाजिया ने पूछा.

"कंप्यूटर सी.डी. का एक टुकडा." राजेश ने जवाब दिया.

"कंप्यूटर सी.डी. तो अब एक आम चीज़ हो गई है. तुम उस टुकड़े को इतनी अहमियत क्यों दे रहे हो?" राजेश के एक
साथी ने पूछा.

"अहमियत ऐसे की यह टुकडा हमें ऐसी जगह से मिला है, जहाँ दूर दूर तक कंप्यूटर का नामोनिशान नहीं. अब हमारे डिपार्टमेंट के कंप्यूटर इंजिनियर बताएँगे कि इसके अन्दर महत्वपूर्ण क्या है."

"डिपार्टमेंट! क्या मतलब? भला तुम्हारे ऑफिस में कंप्यूटर इंजिनियर का क्या काम?" नाजिया ने चौंक कर पूछा.
राजेश को अपनी भूल का एहसास हुआ. रा के डिपार्टमेंट में तो कंप्यूटर इंजिनियर हो सकते हैं लेकिन एक मामूली पत्रकार के ऑफिस में ऐसा कोई डिपार्टमेंट नहीं होता.

"ओह! दरअसल मैं इसमें भारत सरकार की मदद लेना चाहता हूँ. लेकिन इसके पहले हमें कुछ और सबूत ढूँढने होंगे."

फ़िर वे लोग उस गुफा की काफ़ी देर तलाशी लेते रहे. लेकिन सी.डी. के उस टुकड़े के अलावा वहां और कुछ नहीं मिला.
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
jai_bhardwaj is offline   Reply With Quote
Old 02-08-2013, 09:03 PM   #10
jai_bhardwaj
Exclusive Member
 
jai_bhardwaj's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99
jai_bhardwaj has disabled reputation
Default Re: अवतार - एक विज्ञान कथा

राजेश ने अपने डिपार्टमेंट के कंप्यूटर सेक्शन में सी.डी. का वह टुकडा दिखाया और फ़िर उस टुकड़े पर रिसर्च की जाने लगी. जल्दी ही कंप्यूटर विशेषज्ञ ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी.

"सी. डी. के उस टुकड़े से हमें कुछ विजुअल्स प्राप्त हुए हैं, जो हमारी पृथ्वी के नहीं हैं. वह दृश्य वास्तव में मंगल ग्रह के हैं." "तो क्या बाबा त्यागराज मंगल ग्रहवासी है? लेकिन सी.डी. तो इसी पृथ्वी की है न?'

"हाँ. उसपर बने मोनोग्राम के मुताबिक वह एक्स देश में मैनुफैक्चर हुई है." "मामला काफी उलझ गया है." राजेश ने विशेषज्ञ के हाथ से सी.डी. का टुकडा ले लिया और उसे अपनी उँगलियों के बीच नचाने लगा. इस बीच विशेषज्ञ ने सी.डी. से प्राप्त फोटोग्राफ्स राजेश के सामने लाकर रख दिए. राजेश ने फोटोग्राफ्स को गौर से देखना शुरू कर दिया.

"ये फोटोग्राफ्स हूबहू वैसे हैं जैसे नासा के यान मंगल ग्रह की सतह से प्रेषित करते हैं. बस केवल एक फर्क है."

"वह क्या?" राजेश ने पूछा. "इनमें स्पष्टता बहुत है. ऐसा लगता है किसी ने अपने हाथों से ये चित्र उतारे हैं. जबकि अन्तरिक्ष यान से प्राप्त चित्रों में हलकी सी झिलमिलाहट होती है." विशेषज्ञ की बात सुनकर राजेश सोच में डूब गया.
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
jai_bhardwaj is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 05:12 PM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.