08-06-2012, 05:15 PM | #9991 |
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नई दिल्ली। केन्द्रीय खेल मंत्रालय ने भारतीय क्रिकेट कन्ट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के उस दावे का आज पूरी तरह से नकार दिया है जिसमें उसने कहा था कि उसे मंत्रालय से अर्जुन पुरस्कार के नामांकन के संबंध में कोई फार्म नहीं मिला था। खेल मंत्रालय ने आज यहां साफ किया कि उसकी तरफ से 28 जनवरी को डाक से बीसीसीआई सहित देश के सभी खेल महासंघों को नोटिस भेज कर अर्जुन पुरस्कार और राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के संबंध में नामांकन आमंत्रित किये गये थे। मंत्रालय ने कहा कि उसके अधिकारियों ने बीसीसीआई के कार्यालय और अन्य खेल महासंघों सें अप्रैल में फोन से संपर्क कर उन्हे 30 अप्रैल से पहले अपना अपना नामंकन भेजने के बारे में एक बार फिर याद दिलाया था। वैसे भी मंत्रालय के वेबसाइट पर फार्म के साथ नोटिस भी उपलब्ध है। गौरतलब है कि बीसीसीआई के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी रत्नाकर शेट्टी ने एक बयान में कहा था कि उन्हें खेल मंत्रालय से अर्जुन पुरस्कारों के नामांकन के बारे में फार्म नहीं मिला है उन्होंने दावा किया कि ऐसा पहली बार हुआ है कि उन्हें प्रारूप नहीं मिला जिसे भरना होता है और उस पर बोर्ड के नामित क्रिकेटर के हस्ताक्षर होते हैं। शेट्टी ने कहा कि जब हमें फार्म ही नहीं मिला, तो हम नाम कैसे भेज सकते थे। बीसीसीआई ने निर्धारित तारीख तक अपने किसी भी क्रिकेटर का नाम अर्जुन पुरस्कारों के लिए नहीं भेजा था, जिससे इस साल कोई भी भारतीय किक्रेटर अर्जुन पुरस्कार नहीं हासिल कर पाएगा। यह बात साफ है कि बीसीसीआई और खेल मंत्रालय की आपसी खींचातानी से एक क्रिकेटर इस साल अर्जुन पुरस्कार लेने से वंचित हो जाएगा। सरकार ने अर्जुन पुरस्कार की शुरूआत 1961 में की थी। अब तक करीब करीब सभी प्रमुख क्रिकेटरोंं को इस पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। सबसे पहले 1961 में यह पुरस्कार सलीम दुर्रानी को दिया गया था। महिला क्रिकेटरों सहित अब तक 44 क्रिकेटरों को यह पुरस्कार मिल चुका है। पिछले साल (2011) यह पुरस्कार जहीर खान को दिया गया था। अर्जुन पुरस्कार विजेता को देश के राष्ट्रपति के हाथों एक समारोह में पांच लाख रूपये नकद के अलावा अर्जुन की कांस्य की प्रतिमा आदि दिए जाते हैं।
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जिला कांग्रेस बैठक में हंगामा
जयपुर। जयपुर जिला कांग्रेस कमेटी की यहां हुई बैठक में कार्यकर्ताओं ने जोरदार हंगामा किया। जिला कांग्रेस कार्यकारिणी की यहां एक होटल में हुई बैठक में कार्यकर्ता हवामहल ब्लॉक की आठ इकाईयों को निरस्त करने पर नाराज थे तथा जिलाध्यक्ष सलीम कागजी के खिलाफ नारेबाजी करने लगें। कार्यकर्ताओं ने जिला प्रभारी जुबेर खान का अनुशासन में रहने का निर्देश भी नहीं माना तथा आठ इकाईयों को निरस्त करने का निर्णय वापस लेने की मांग की। कुछ कार्यकर्ताओं को गैर कांग्रेसी कहने पर भी बैठक में उत्तेजना फैल गई तथा कार्यकर्ता अपने परिचय पत्र दिखाने लगे। कागजी ने बताया कि हवामहल ब्लॉक की आठ इकाईयों को निरस्त करने की कार्यवाही उनके स्तर पर नहीं हुई बल्कि प्रदेश स्तर पर हुई है। बैठक में हंगामा करने वाले कार्यकर्ताओं को बाहर निकालने के बाद आगे की कार्यवाही शुरुकी गई।
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दिल्ली में संदिग्ध माओवादी गिरफ्तार
नई दिल्ली। हत्या और पुलिस टीमों पर हमले के कई मामलों में वांछित 27 वर्षीय एक संदिग्ध माओवादी को राजधानी में गिरफ्तार किया गया। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि झारखंड के रांची निवासी शिव कुमार उर्फ शिवा को दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने कल शहर से गिरफ्तार किया। उसके पास से नौ एमएम की एक पिस्तौल बरामद हुई। अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तार माओवादी हथियार एवं विस्फोटक बनाने में विशेषज्ञ है। उन्होंने कहा कि वह हत्या और पुलिस टीमों पर हमले के मामलों में वांछित था। पिछले एक महीने में झारखंड निवासी किसी माओवादी की दिल्ली में यह दूसरी गिरफ्तारी है। इससे पहले 10 मई को प्रदीप कुमार नाम के 42 वर्षीय माओवादी को गिरफ्तार किया गया था । वह 12 साल पहले हुई एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की हत्या में वांछित था और उसने अलग झारखंड राज्य की मांग के लिए आंदोलन में हिस्सा लिया था।
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08-06-2012, 05:16 PM | #9994 |
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भारत ने एससीओ में बड़ी भूमिका के लिए मजबूत दावेदारी पेश की
बीजिंग। भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की पूर्ण सदस्तयता के लिए अपनी मजबूत दावेदारी पेश करते हुए कहा है कि वह अफगानिस्तान में सुरक्षा लामबंदी को लेकर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका देखता है और आतंकवाद की चुनौतियों से निपटने के लिए आतंकवाद विरोधी ढांचे में भागीदारी का इच्छुक है। एससीओ के 12वें शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने कहा कि भारत इस समूह में साथ जुड़ने की उम्मीद करता है। यह शिखर सम्मेलन यहां आज संपन्न हुआ है। कृष्णा ने कहा कि भारत अपने एससीओ की सभी बैठकों में रचनात्मक रूप से भागीदारी करता रहा है। पर्यवेक्षक के तौर पर ऐसा करते हुए हमने यह दिखाया है कि हम इस समूह के साथ सार्थक सहयोग साझेदारी के इच्छुक हैं। उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि एससीओ हमारे क्षेत्र में सुरक्षा एवं समृद्धि को लेकर बड़ी भूमिका निभा सकता है। एससीओ में भारत और पाकिस्तान को सदस्यता दिलाने के लिए रूस जोरदार ढंग से पैरवी करता रहा है। कृष्णा ने कहा कि अफगानिस्तान से नाटो के जाने की पृष्ठभूमि में इस युद्धग्रस्त देश में एससीओ के लिए भारत अपनी बड़ी भूमिका देखता है। कृष्णा ने कहा, ‘आज के समय हम जो सबसे बड़ी सुरक्षा चुनौती का सामना कर रहे हैं, वह अफगानिस्तान से जुड़ी हुई है। अफगानिस्तान एशिया का दिल और मध्य को दक्षिण एशिया से जोड़ने वाला सेतु भी है।’ उन्होंने कहा, ‘एससीओ एक ऐसा वैकल्पिक क्षेत्रीय मंच प्रदान करता है, जिस पर अफगानिस्तान में बदलते हालात को लेकर तेजी से चर्चा की जा सकती है।’विदेश मंत्री ने कहा कि एससीओ में आर्थिक विकास से जुड़ी परियोजनाएं अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण के लिए सार्थक साबित हो सकती हैं। उन्होंने कहा, ‘अफगानिस्तान में पुनर्निर्माण और विकास के लिए भारत पहले दो अरब डॉलर से अधिक की प्रतिबद्धता जता चुका है।’ आतंकवाद को लेकर कृष्णा ने कहा कि भारत और क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी ढांचा (रैट्स) के बीच बड़े सहयोग की जरूरत है। रैट्स एससीओ के सदस्य देशों का एक समूह है। कृष्णा ने कहा, ‘भारत आतंकवाद से लंबे वक्त से पीड़ित रहा है। हमारा मानना है कि इस समस्या का सामना करने के लिए मजबूत प्रतिबद्धता और ठोस प्रयासों की जरूरत है।’ एससीओ का गठन 2001 में किया गया था। इस संगठन में चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, और उज्बेकिस्तान हैं। भारत, मंगोलिया, ईरान और पाकिस्तान पर्यवेक्षक तथा बेलारूस एवं श्रीलंका संवाद साझेदार की भूमिका में इस संगठन के साथ हैं।
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08-06-2012, 05:17 PM | #9995 |
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राष्ट्रपति चुनाव : द्रमुक नेताओं ने की प्रधानमंत्री से मुलाकात
नई दिल्ली। द्रमुक नेताओं टी आर बालू और एम के स्टालिन ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की। समझा जाता है कि इन नेताओं ने राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के चयन के मुद्दे पर सिंह से चर्चा की। करीब पांच से सात मिनट की इस मुलाकात को द्रमुक नेताओं ने ‘शिष्टाचार के नाते भेंट’ बताया। बाद में स्टालिन ने संवाददाताओं से कहा, ‘राष्ट्रपति पद के लिए संप्रग के उम्मीदवार के चयन के बारे में करूणानिधि ने जो कहा था, उससे रक्षा मंत्री ए के एंटनी को अवगत करा दिया गया है।’ करूणानिधि ने पांच मई को कहा था कि अगर केंद्रीय वित्त मंत्री को संप्रग की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुना जाता है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। बालू और स्टालिन प्रत्यक्ष तौर पर संप्रग की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के चयन के मुद्दे पर आज दिन में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मिलेंगे। सोनिया ने पिछले माह पार्टी के वरिष्ठ नेता एंटनी को चेन्नई भेजा था ताकि इस मुद्दे पर द्रमुक प्रमुख एम करूणानिधि को साथ लिया जा सके। एंटनी और करूणानिधि की मुलाकात के तत्काल बाद इस मुद्दे पर सोनिया ने राकांपा प्रमुख शरद पवार और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी से बातचीत की थी। कांग्रेस अध्यक्ष ने मंगलवार को रालोद अध्यक्ष अजीत सिंह से भी बातचीत की। रालोद अध्यक्ष ने कल कहा कि प्रणव मुखर्जी सर्वोच्च संवैधानिक पद के लिए ‘योग्य’ हैं, लेकिन उनकी अन्य के बारे में भी उनकी राय सकारात्मक है। कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए प्रत्याशी के बारे में फैसला करने के लिए एक प्रस्ताव पारित कर सोनिया को अधिकृत किया गया है। इसके बाद संप्रग में राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुनने के मुद्दे पर ताजा विचारविमर्श चल रहा है।
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08-06-2012, 05:17 PM | #9996 |
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जगन से जुड़े मामले में पोन्नला लक्ष्मैया सीबीआई के समक्ष पेश
हैदराबाद। वाईएसआर कांग्रेस अध्यक्ष वाईएस जगनमोहन रेड्डी के पास कथित तौर पर अवैध संपत्ति होने के मामले में आंध्र प्रदेश के सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री पोन्नला लक्ष्मैया सीबीआई के समक्ष पेश हुए। वहीं, कडप्पा सांसद रेड्डी की सीबीआई की हिरासत में पूछताछ पांचवे दिन भी जारी रही। सीबीआई द्वारा लक्ष्मैया से सरकारी आदेशों के बारे में पूछताछ किए जाने की संभावना है। यह आदेश सिंचाई विभाग ने वर्ष 2004 से 2009 के बीच जारी किया था, उस वक्त वह दिवंगत वाईएस राजशेखर रेड्डी की कैबिनेट में सिंचाई मंत्री थे। पोन्नाला ने यहां स्थित सीबीआई के कोटी कार्यालय जाने से पहले संवाददाताओं को बताया कि वह जांच एजेंसी के सभी सवालों का जवाब देंगे। उन्होंने कहा, ‘मैं कानून का सम्मान करता हूं और जांच एजेंसी से सहयोग करूंगा ... मैंने कुछ गलत नहीं किया है।’ पोन्नाला आंध्र प्रदेश के ऐसे छठे मंत्री हैं, जिन्हें उच्चतम न्यायालय ने मार्च में नोटिस जारी किया था और जगन के खिलाफ मामले में उनकी कथित भूमिका के आरोपों के बारे में उनका रूख जानना चाहा था। चंचलगुडा जेल से जगन को हिरासत में लेने के बाद सीबीआई ने जगन से पूछताछ जारी रखी है, वहां वह 11 जून तक न्यायिक हिरासत में है। सीबीआई की पांच दिनों की हिरासत की अवधि आज खत्म होगी।
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08-06-2012, 05:18 PM | #9997 |
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ऊर्जा वैज्ञानिक अनिल काकोडकर को चन्द्रशेखर राष्ट्रीय सम्मान
भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने प्रख्यात परमाणु ऊर्जा वैज्ञानिक अनिल काकोडकर को वर्ष 2011-12 का अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद राष्ट्रीय सम्मान देने की घोषणा की है। संस्कृति मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद राष्ट्रीय सम्मान की घोषणा करते हुए बताया कि भोपाल के श्याम सुंदर निगम, आनंदवर्द्धन शुक्ला, मेहन्त मुक्तिबोध, कै.रुचि विजयवर्गीय एवं मनोहर सिंह राणावत की चयन समिति ने सर्वसम्मति से स्वाधीनता संग्राम के आदर्शो, राष्ट्र-भक्ति और समाज सेवा के क्षेत्र में रचनात्मक अवदान, परमाणु उर्जा के क्षेत्र में भारत को आत्म-निर्भर बनाने के उत्कृष्ट प्रयासों और इस क्षेत्र में देश के स्वप्न को साकार करने, विज्ञान के वृहत्तर प्रयोग एवं परमाणु उर्जा वैज्ञानिक के रूप में अप्रतिम योगदान के लिए अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद राष्ट्रीय सम्मान 2011-12 से अनिल काकोडकर को अलंकृत किये जाने का निर्णय लिया है। स्वाधीनता संग्राम के आदर्शो, राष्ट्र-भक्ति और समाज-सेवा की पावनता एवं गौरव को अलंकृत करने के उद्देश्य से स्थापित अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद राष्ट्रीय सम्मान में दो लाख की सम्मान-निधि, प्रशस्ति एवं सम्मान-पट्टिका दी जाती है। मध्य प्रदेश के बड़वानी में 11 नवम्बर 1943 को जन्मे काकोडकर की आरंभिक शिक्षा बड़वानी और खरगौन में पूरी हुई। इसके बाद वह मुंबई विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक एवं नाटिंघम विश्वविद्यालय से एक्सपेरीमेंटल स्ट्रेस एनालिसिस में स्नातकोत्तर डिग्री हासिल कर भाभा परमाणु केन्द्र से जुड़े। काकोडकर ने धु्रव रिएक्टर के डिजाइन और निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ष 1974 और 1998 में भारत द्वारा किए गए परमाणु परीक्षण की टीम के वह प्रमुख सदस्य रहे। उन्होंने शोधपूर्ण कार्य कर कल्पक्कम के दो और रावतभाटा के एक निष्क्रिय रिएक्टर को पुनर्क्रियाशील बनाया, जो उनके यांत्रिक कौशल के प्रमाण भी बने। भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र के निदेशक एवं भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत रहते हुए काकोडकर द्वारा परमाणु उर्जा के क्षेत्र में किये गये रचनात्मक कार्य राष्ट्र-भक्ति एवं समाज-सेवा के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। देश-विदेश के कई परुस्कारों से सम्मानित काकोडकर वर्तमान में थोरियम-यूरेनियम आधारित सुरक्षित आणविक उर्जा टेक्नोलाजी पर शोधरत हैं, जो थोरियम से 75 प्रतिशत विद्युत ऊर्जा के उत्पादन में सक्षम होगी।
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08-06-2012, 05:18 PM | #9998 |
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उच्चतम न्यायालय ने स्थानीय निकायों में कोटा पर उप्र सरकार से जवाब मांगा
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में चुनिंदा स्थानीय निकायों के प्रमुखों के पदों को अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित किये जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति के.एस. राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करने के साथ ही इस मामले पर आगे की सुनवाई के लिए सोमवार का दिन मुकर्रर कर दिया। उच्चतम न्यायालय ने बीते पांच जून को इस मामले पर सुनवाई करने का फैसला किया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने 25 मई को एक अधिसूचना जारी कर राज्य के कुछ स्थानीय निकायों के पमुखों के पदों में आरक्षण का प्रावधान किया था। अलीगढ़ में खैर नगरपालिका परिषद के प्रमुख राकेश गौतम ने देश की सबसे बड़ी अदालत से आग्रह किया था कि राज्य सरकार की ओर से जारी अधिसूचना पर रोक लगाई जाए। गौतम का कहना है कि स्थानीय निकाय में पदों को बिना किसी औचित्य के एवं जल्दीबाजी में आरक्षित कर दिया गया, जिससे मतदान प्रक्रिया पूरी तरह बिगड़ गई और यह सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के साथ भेदभाव है। उत्तर प्रदेश में कुल 630 स्थानीय निकाय हैं। इनमें 13 नगर निगम, 194 नगर पालिका परिषद और 423 नगर पंचायतें हैं। याचिकाकर्ता गौतम ने कहा कि राज्य में नगरपालिका के लिए 12 जून से आरंभ होगा और 10 जुलाई तक चलेगा। तत्कालीन मायावती सरकार ने 15 जनवरी, 2012 को अधिसूचना जारी कर नगर पालिका प्रमुख के पद को सामान्य वर्ग के लिए कर दिया था। अखिलेश यादव की सरकार बनने के बाद फिर नयी अधिसूचना जारी की गई, जिसमें कई सीटें आरक्षित कर दी गई।
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08-06-2012, 05:19 PM | #9999 |
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‘धर्मनिरपेक्ष दलों’ ने मुसलमानों के साथ वादाखिलाफी की : अहले हदीस
नई दिल्ली। मुस्लिम संगठन जमीयत अहले हदीस ने देश में सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए एक सख्त कानून बनाने की मांग करते हुए कहा है कि देश के सभी ‘धर्मनिरपेक्ष दलों’ ने मुसलमान के साथ सुरक्षा एवं विकास से जुड़े वादों को पूरा नहीं किया है। अहले हदीस के महासचिव मौलाना असगर अली सलफी ने आज यहां कहा, ‘मुसलमान बीते 60 साल से किसी न किसी धर्मनिरपेक्ष पार्टी पर भरोसा जताता रहा, लेकिन हर बार उसके साथ किए गए वादों को पूरा नहीं किया गया।’ उन्होंने कहा, ‘देश के मुसलमानों को आज सुरक्षा के साथ बेहतर तालीम और रोजगार की जरूरत है, लेकिन इस सिलसिले में सरकारी स्तर पर ठोस कुछ नहीं किया गया है। केंद्र की मौजूदा सरकार ने बहुत सारे वादे किए, लेकिन मुझे उन्हें पूरा नहीं किया गया।’ जमीयत अहले हदीस देश के प्रमुख मुस्लिम संगठनों में गिना जाता है और मुस्लिम समुदाय के बीच इसकी अच्छी-खासी पैठ है। मौलाना सलफी ने पिछले दिनों मथुरा के कथित सांप्रदायिक दंगे का हवाला देते हुए कहा, ‘देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर सरकार को गंभीरता दिखानी चाहिए। ऐसा लगता है कि सांप्रदायिक हिंसा विरोधी विधेयक ठंडे बस्ते में चला गया है। इस तरह की हिंसा को रोकने के लिए सख्त कानून बनना चाहिए।’
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ब्रहमेश्वर मुखिया ने पूर्व में निजी सुरक्षा की मांग नहीं की थी - आईजी
पटना। पटना प्रमंडल के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) बी. श्रीनिवासन ने स्पष्ट किया कि ब्रहमेश्वर मुखिया जिनकी गत एक जून को हत्या हो गयी थी, उन्होंने पूर्व में निजी सुरक्षा की मांग नहीं की थी। पटना में आज संवाददाताओं को संबोधित करते हुए श्रीनिवासन ने कहा कि ब्रहमेश्वर मुखिया की हत्या के पश्चात कुछ लोगों द्वारा यह बात उठाई गयी थी उनके द्वारा निजी सुरक्षा की मांग की गयी थी। आईजी ने कहा कि राज्य के पुलिस महानिदेशक के निर्देश पर उन्होंने गत पांच जून को भोजपुर जिला मुख्यालय आरा जाकर जांच की और यह बात सामने आयी कि ब्रहमेश्वर मुखिया या उनके परिजनों द्वारा निजी सुरक्षा से संबंधित कोई आवेदन स्थानीय प्रशासन को नहीं दिया गया था। यह पूछे जाने पर आखिर किस परिस्थिति में ब्रहमेश्वर मुखिया द्वारा पूर्व में सुरक्षा की मांग किए जाने की बात लोगों द्वारा उठाई गयी उन्होंने कहा कि मुखिया के परिजनों द्वारा यह बात स्पष्ट की गयी है कि उन्हें इसके बारे में कुछ नहीं पता है कि यह बात कहां से उठी और किसने उठाई। श्रीनिवासन ने कहा कि मुखिया के परिजनों का कहना है कि संभवत: कुछ लोग उनकी हत्या के पश्चात वहां पर उपस्थित हुए और उन्होंने यह बात उठाई। ब्रहमेश्वर मुखिया को हत्या से पूर्व किसी प्रकार की धमकी मिलने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पुलिस एवं प्रशासन को इस संबंध में न तो ब्रहमेश्वर मुखिया द्वारा स्वयं और न ही उनके पुत्र, पौत्र अथवा परिजनों द्वारा इस प्रकार की कोई जानकारी दी गयी थी और न ही उन्हें निजी सुरक्षा उपलब्ध कराए जाने के बारे में कोई गुहार लगायी थी। श्रीनिवासन ने बताया कि ब्रहमेश्वर मुखिया के पास पूर्व से तीन लाईसेंसी हथियार थे और उनके इन हथियारों के लाईसेंस 1998 में रद्द कर दिये गए थे। जिसमें संभवत: एक जमा हो चुका है और बाकी को जमा किए जाने की प्रक्रिया जारी है। यह पूछे जाने पर कि ब्रहमेश्वर मुखिया की हत्या के बाद उनके परिवार वालों द्वारा सुरक्षा उपलब्ध कराए जाने की मांग के बारे में पूछे जाने पर श्रीनिवासन ने कहा कि उनके पुत्र ने सुरक्षा की मांग की थी जिसके बाद उन्हें सुरक्षा उपलब्ध करा दी गई है। उल्लेखनीय है कि बीते एक जून को ब्रह्मेश्वर मुखिया की आरा के कतिरा मुहल्ले में हत्या के बाद आरा शहर में और उसके बाद शवयात्रा के दौरान उनके समर्थकों द्वारा दो जून को पटना में उपद्रव, आगजनी और तोड़फोड के दौरान कई सरकारी कार्यालयों में आग लगा दी गयी थी और कई वाहनों में आग लगा दी गई थी। बिहार में प्रतिबंधित जातीय संगठन रणवीर सेना पर दिसम्बर 1996 में हुए लक्ष्मणपुर-बाथे नरसंहार जिसमें 61 दलितों की हत्या कर दी गई थी सहित कई जातीय नरसंहारों को अंजाम देने के आरोप हैं। इस संगठन के संस्थापक ब्रहमेश्वर मुखिया पर इन नरसंहारों की साजिश रचने का आरोप था। रणवीर सेना प्रमुख के रूप में नरसंहार से संबंधित 22 मामलों में से 16 में ब्रहमेश्वर बरी हो चुके थे और छह मामले में जमानत पर थे। यह पूछे जाने पर कि किसी नरसंहार के आरोपी को क्या सुरक्षा मुहैया करायी जा सकती है श्रीनिवासन ने कहा कि इस संबंध में जिला सुरक्षा समिति जिसमें जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, विशेष शाखा के पुलिस उपाधीक्षक शामिल हैं उनके द्वारा यह निर्णय लिया जाता है कि उनके जिला में जो भी व्यक्ति है उन्हें निजी सुरक्षा उपलब्ध करायी जानी चाहिए अथवा नहीं। ब्रहमेश्वर मुखिया की हत्या और उसके बाद की घटनाओं की पुलिस महानिदेशक द्वारा कल भी समीक्षा की गई थी और उन्होंने कुछ दिशा-निर्देश दिए हैं। इसके लिए कुछ टीम गठित की गयी हैं और प्राप्त विडियोग्राफी की छानबीन की जा रही है।
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