13-12-2020, 10:53 AM | #1 |
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ग़ज़ल- मुझे यूँ न देखो कुँवारा नहीं हूँ
■■■■■■■■■■■■■■■■ मुझे यूँ न देखो कुँवारा नहीं हूँ किसी और का हूँ तुम्हारा नहीं हूँ न छत पे बुलाओ मुझे रात में तुम मैं इंसान हूँ चाँद-तारा नहीं हूँ भले मुझको दौड़ा रहे चार कुत्ते मुहब्बत की बाज़ी मैं हारा नहीं हूँ न होगा कोई मेरे हिलने से घायल मैं नैनों का तेरे इशारा नहीं हूँ चरण पादुका से न इज्ज़त उतारो मैं भौंरा हूँ लेकिन आवारा नहीं हूँ तुझे कूद जाऊँगा लेकर नदी में कि मझधार हूँ मैं किनारा नहीं हूँ ये माना कि 'आकाश' नमकीन हूँ मैं समुंदर का जल कोई खारा नहीं हूँ ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी दिनांक- 13/12/2020 ■■■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी" ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मो. 9919080399 Last edited by आकाश महेशपुरी; 13-12-2020 at 04:21 PM. |
14-12-2020, 03:42 PM | #2 |
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Re: ग़ज़ल- मुझे यूँ न देखो कुँवारा नहीं हूँ
अत्यंत रोचक व शरारत से भरपूर.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
03-01-2021, 07:01 PM | #3 |
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Re: ग़ज़ल- मुझे यूँ न देखो कुँवारा नहीं हूँ
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03-01-2021, 07:02 PM | #4 |
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Re: ग़ज़ल- मैं शादीशुदा हूँ...
आंशिक परिवर्तन के बाद
ग़ज़ल- मुझे यूँ न देखो कुँवारा नहीं हूँ ■■■■■■■■■■■■■■■■ मुझे यूँ न देखो कुँवारा नहीं हूँ किसी और का हूँ तुम्हारा नहीं हूँ न छत पे बुलाओ मुझे रात में तुम मैं इंसान हूँ चाँद-तारा नहीं हूँ भले मुझको दौड़ा रहे चार कुत्ते मुहब्बत की बाज़ी मैं हारा नहीं हूँ न होगा कोई देखकर मुझको घायल मैं तेरी नज़र का इशारा नहीं हूँ चरण पादुका से न इज्ज़त उतारो मैं भौंरा हूँ लेकिन आवारा नहीं हूँ तुझे कूद जाऊँगा लेकर नदी में कि मझधार हूँ मैं किनारा नहीं हूँ ये माना कि 'आकाश' नमकीन हूँ मैं समुंदर का जल कोई खारा नहीं हूँ ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी दिनांक- 13/12/2020 ■■■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी" ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मो. 9919080399 |
07-09-2022, 10:38 AM | #5 |
Diligent Member
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Re: ग़ज़ल- मैं शादीशुदा हूँ...
पाँचवा शेर इस प्रकार पढ़ें
चरण पादुका से न इज्ज़त उतारो मैं आशिक़ हूँ लेकिन आवारा नहीं हूँ ✍ आकाश महेशपुरी |
07-09-2022, 10:38 AM | #6 |
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Re: ग़ज़ल- मैं शादीशुदा हूँ...
पाँचवा शेर इस प्रकार पढ़ें
चरण पादुका से न इज्ज़त उतारो मैं आशिक़ हूँ लेकिन आवारा नहीं हूँ ✍🏻 आकाश महेशपुरी |
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