19-12-2020, 05:48 PM | #1 |
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ग़ज़ल- रोज़ बीवी लड़े पड़ोसन से
■■■■■■■■■■■■■■■ चोर-लुच्चों का डर नहीं होता तुम न होते तो घर नहीं होता इतनी पालिश लगाए बैठे हो हुस्न का भी असर नहीं होता रोज़ बीवी लड़े पड़ोसन से इश्क़ क्यूँ इस क़दर नहीं होता पान, गुटखा, पुकार खाने से यार कोई अमर नहीं होता याम आठो न मुँह चलाते तो जिस्म मोटा शजर नहीं होता जिसको मदिरा 'आकाश' कहते हो वैसा कोई गटर नहीं होता ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी दिनांक- 19/12/2020 ■■■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी" ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मो. 9919080399 Last edited by आकाश महेशपुरी; 19-12-2020 at 06:10 PM. |
05-01-2021, 04:18 AM | #2 |
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Re: ग़ज़ल- रोज़ बीवी लड़े पड़ोसन से
आंशिक परिवर्तन के बाद
ग़ज़ल- रोज़ बीवी लड़े पड़ोसन से ■■■■■■■■■■■■■■■ चोर-लुच्चों का डर नहीं होता तुम न होते तो घर नहीं होता इतनी पालिश लगाए बैठे हो हुस्न का भी असर नहीं होता रोज़ बीवी लड़े पड़ोसन से इश्क़ क्यूँ इस क़दर नहीं होता रोज़ खाओ पुकार गुटखा तुम क्यूँ कि कोई अमर नहीं होता याम आठो न मुँह चलाते तो जिस्म मोटा शजर नहीं होता जिसको मदिरा 'आकाश' कहते हो वैसा कोई गटर नहीं होता ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी दिनांक- 19/12/2020 ■■■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी" ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मो. 9919080399 Last edited by आकाश महेशपुरी; 06-01-2021 at 04:33 AM. |
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