19-07-2011, 09:24 PM | #1 |
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हास्य कवितायेँ
जब से इग्नू बी एड में ई गर्दन परी बा| आँख क नींद पिछवारे खड़ी बा | वर्कशाप के चुरैन ऊपर से मुह फरे खड़ी बा| कहली कुंदन मुकेश से अब कैसे का होई| मन करता बुक्का फार के खूब रोई | एसाइनमेंट रूपी धोबी लगता टांग धईके , पाथर के पटिया पीट-पीट धोई| ई एस-३१ के बुक परल बा कोरै| ३२,३३ के भुत धै-धै ताले में बोरे | ४१,४२,के हाल का बताई की , बुढउ की नाही बस मसगुर निपोरे| तारीख ३ के सुबहिया जब जगली| त खटिया से उठके टीबेली पर भगली| नहा धो के टिप टाप मंदिर में जाके , हनुमानजी के घंटन आरती देखवली | कोई क लंच कटत रहल मंगनी | रेशस में बरफी बटत रहल बटनी| छोटका यादव के खात के देखली, उहै बासी रोटी औ आमे क चटनी| रमेश इलाहाबादी कुछ करय पर उतारू| पान खाके बोले त चटकेला तारू | भाटियाजी के बात सबसे जुदा बाय, उही खूब बईठय जहाँ मेहरारू | हौ हाथे पर बी एड कपारे पर बी एड|
नाव नाही बईठल पतवारे पर बी एड| कहै 'मिश्रा' लईकन की नाही , बजावता घुघुना दूआरे पर बी एड | Last edited by sach_mishra; 20-07-2011 at 06:47 PM. Reason: अधूरा को पूर्ण करना |
20-07-2011, 02:57 PM | #2 |
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Re: हास्य कवितायेँ
शेष का इन्तजार है…
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