20-09-2016, 03:25 PM | #361 | |
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Re: इधर-उधर से
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सच बेहद दुःख हुआ है जब यह खबर सुनी की हमारे १७ सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए . शत शत वंदन सह नतमस्तक हैं हम हमारे शहीदों के लिए हम . |
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06-10-2016, 04:39 PM | #362 |
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Re: इधर-उधर से
Thanks for sharing
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31-12-2016, 06:57 PM | #363 |
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Re: इधर-उधर से
एक और बनवास
रजनीश मंगा आपको शायद याद नहीं होगा कि नेता जी यानि मुलायम सिंह यादव ने प्राचीन काल में अपने छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव को दो वचन दिए थे. यह वचन तब दिये गए जब युद्ध के दौरान उनके रथ की अर्गला टूट कर निकल गई थी और शिवपाल सिंह ने अपनी जान की परवाह न करते हुये अपनी ऊँगली रथ के पहिये में फंसा दी थी. नेता जी की जान बच गई थी और युद्ध में विजय भी प्राप्त हुई. उन्होंने प्रसन्न हो कर अपने छोटे भाई को दो वर प्रदान किये और कहा कि वह जो चाहे मांग सकता है. उस समय शिवपाल सिंह से कहा कि वह सही समय आने पर वर मांग लेंगे. तब नेता जी ने तथास्तु कह कर शिवपाल को आशीर्वाद दिया. सही समय आया देख कर शिवपाल सिंह ने नेता जी से मीटिंग कर के उनके वचनों की याद दिलाई. छोटे भाई की पीठ थपथपा कर उन्होंने कहा कि वह निर्भय हो कर जो चाहे मांग ले. शिवपाल सिंह ने कहा कि मेरी दो माँगें इस प्रकार हैं: 1. मेरे लिये मुख्य मंत्री पद (भले एक माह के लिये हो). 2. मुख्यमंत्री अखिलेश को छः वर्ष का बनवास. >>>
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 31-12-2016 at 07:00 PM. |
31-12-2016, 07:01 PM | #364 |
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Re: इधर-उधर से
यह सुनते ही नेता जी के होश उड़ गए लेकिन वचन तो वचन है. खानदान की इज्ज़त का सवाल था. सो बगैर किसी और से मशविरा किये उन्होंने ‘हाँ’ कह कर इन मांगों को मान लिया. भारत की प्राचीन परम्परा की रक्षा हो गई. लेकिन कलयुग के प्रभाव से पुत्र अखिलेश ने पिता मुलायम सिंह के आदेश को मानने से इनकार कर दिया और बनवास के आदेश को वीटो कर दिया. अभी पिता पुत्र दोनों अपने अपने पत्ते सावधानीपूर्वक फेंट रहे हैं. मौसम विभाग के अनुसार उत्तर प्रदेश में तूफ़ान के आसार हैं. वशिष्ठ मुनि (राज्यपाल) स्थिति पर नज़र बनाये हुये हैं.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
01-03-2017, 09:01 PM | #365 |
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Re: इधर-उधर से
उर्दू का एक मशहूर शे'र इस प्रकार है:
शायद मुझे निकाल के पछता रहे हो आपथोड़े परिवर्तन के साथ इस शे’र को यूँ पढिये: शायद मुझे निकाल के कुछ खा रहे हो आप
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01-10-2017, 07:30 AM | #366 |
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Re: इधर-उधर से
टॉम ऑल्टर (22 June 1950 - 29 Sept 2017)
शुक्रवार रात (29 सितंबर 2017) मुंबई में हमारे प्रिय अभिनेता टॉम ऑल्टर का निधन हो गया. वे 67 वर्ष के थे और स्किन कैंसर से पीड़ित थे. हमने उन्हें अनगिनत फिल्मों में अभिनेता के तौर पर देखा है. अपने हर किरदार में उन्होंने हमें प्रभावित किया. उनकी प्रमुख फिल्मों में गाँधी, शतरंज के खिलाड़ी, सरदार, क्रान्ति, राम तेरी गंगा मैली आदि प्रमुख हैं. चाहे अंग्रेज के किरदार में चाहे देसी किरदार में वे हर भूमिका को जीवंत कर देते थे. शायद आप को नहीं पता होगा की वे रंगमंच के भी मंजे हुए कलाकार थे तथा सारी उम्र उससे जुड़े रहे. यह मेरा सौभाग्य है कि मैंने उन्हें फिल्मों के साथ साथ रंगमंच पर भी काम करते हुए देखा है. मुझे याद है की मैंने कुछ वर्ष पूर्व दिल्ली के मंडी हाउस स्थित श्रीराम सेंटर ऑफ़ आर्ट एंड कल्चर में उनका नाटक 'ग़ालिब' देखा था जिसमे उन्होंने महान उर्दू शायर ग़ालिब का किरदार निभाया था और ग़ालिब की शायरी, जीवन व् व्यक्तित्व से जुड़े कई पहलुओं को बखूबी उभारा. नाटक में ग़ालिब का समय और संघर्ष पूरो शिद्दत के साथ उजागर किया गया था. टॉम आल्टर का जन्म मसूरी में हुआ था. वे अमरीकी पृष्ठभूमि में पले बढे होने पर भी भारतीय संस्कृति से जुड़े रहे. अंग्रेजी के अलावा हिंदी और उर्दू भाषा पर भी उन्हें पूरा अधिकार था. उर्दू शायरी से उन्हें ख़ास तौर पर बहुत लगाव था. टॉम ऑल्टर को उनके काम तथा शख्सियत की वजह से हमेशा याद किया जायेगा. उन्हें हमारी विनम्र श्रद्धांजलि.
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01-10-2017, 07:37 AM | #367 |
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Re: इधर-उधर से
Tom Alter with his wife Carol
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17-10-2017, 09:06 AM | #368 |
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Re: इधर-उधर से
टॉम ऑल्टर
(22 June 1950 - 29 Sept 2017) 1950 में मसूरी में जन्मे ऑल्टर भारत में तीसरी पीढ़ी के अमेरिकी थे। उन्होंने वूडस्टॉक स्कूल में शुरुआती पढ़ाई की जिसके बाद थोड़े दिनों के लिए येल यूनिवर्सिटी गए और 70 के शुरुआती दशक में भारत लौट आए। 1972 में वह उन तीन लोगों में शामिल थे, जिनको पुणे स्थित देश के प्रतिष्ठित फिल्म ऐंड टेलिविजिन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया में दाखिले के लिए उत्तरी भारत के 800 आवेदकों में से चुना गया था। उन्होंने अभिनय में गोल्ड मेडल डिप्लोमा के साथ कोर्स पूरा किया था। उनके अलावा बेंजामिन गिलानी और फुंसोक लद्दाखी को इस कोर्स के लिए चुना गया था। उनके परिवार में उनकी पत्नी कैरल, बेटा जेमी और बेटी अफशां हैं।
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23-10-2017, 05:01 PM | #369 |
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Re: इधर-उधर से
आबिद सुरती की पुस्तक 'काली किताब' से एक अंश
^ आपने ‘लाल किताब’ के बारे में तो सुना ही होगा. क्या आप जानते हैं कि ऐसी ही एक ‘काली किताब’ भी है? जी हाँ, और इसके लेखक हैं कार्टूनिस्ट और कथाकार आबिद सुरती. यह किताब बाइबिल की तर्ज पर लिखी गयी एक व्यंग्य रचना है जिसमें शैतान और उसके पुत्र के ज़रिये आज के समाज का दोहरा चरित्र उघाड़ा गया है. मैंने यह पुस्तक करीब 35 वर्ष पहले पढ़ी थी और यह मेरे संग्रह में शामिल है. इसी किताब से एक मजेदार अंश प्रस्तुत है: 16. यम जमाल ने सबको संबोधित कर कहा 17. कि जो घोड़े अपंग हो जाते हैं, 18. उन घोड़ों को दाग़ दिया जाता है; 19. क्योंकि वे घोड़े किसी काम के नहीं होते. 20. इसी तरह जो स्त्री-पुरूष वृद्ध हो जाते हैं वे किसी काम के नहीं रहते; 21. बल्कि वे युवकों की प्रगति रोकते हैं. 22. इतना ही नहीं वे समाज की प्रगति में भी बाधा बन जाते हैं. 23. इसीलिए- 24. ऐसे वृद्ध कि जो बोझ समान हैं, 25. उन्हें जीवित ही दफना दो...
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27-10-2017, 02:47 PM | #370 |
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Re: इधर-उधर से
मैं एक बिल्ली हूँ
नमस्ते दोस्तों. मेरा जन्म इस घर के बरामदे मैं हुआ था. जब मैं केवल पन्द्रह दिन की थी तो मेरी माँ मुझे छोड़ कर चली गयी. तब से इस घर के रहने वाले ही मेरा ध्यान रखते आये हैं. समय पर खाना और पूरी सुरक्षा के साथ मेरी परवरिश हो रही है. घर के सभी सदस्य मुझसे बड़ा प्यार करते हैं और मेरी जरूरतों का ख्याल रखते हैं. सब लोग मुझसे मेरी तथा अपनी मिली-जुली भाषा में बात करते हैं. इस घर में मुझे किसी प्रकार का कोई कष्ट नहीं है. यह मेरा सौभाग्य ही तो है कि मुझे इतने अच्छे लोगों के बीच रहने का अवसर मिला. मुझे पता है कि आप मेरे बारे में और बहुत कुछ जानने को उत्सुक होंगे. मेरा क्या नाम है? तो मित्रो, मेरा कोई बड़ा परिचय नहीं. मैं तो एक छोटी सी बिल्ली हूँ. मेरा कोई नाम नहीं है. हर कोई अपनी पसंद के नाम से मुझे बुलाता है. कोई मुझे किट्टी कहता है, कोई माउं बिल्ली और कोई बबली. मैं अब पांच महीने की हो गई हूँ और भागती दौड़ती हूँ तथा बॉल से भी खेलती हूँ. घर के सब लोग भी मुझसे खेलना चाहते हैं.
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