21-08-2014, 10:27 PM | #1 |
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जूज़र और शमरदल का ख़ज़ाना
जूज़र और शमरदल का ख़ज़ाना (1) एक व्यापारी था जिसके तीन बेटे था जिनका नाम सलीम, सालिम और जूज़र था। अपने सबसे छोटे बेटे को ज़्यादा चाहता था और यही कारण था कि सलीम और सालिम उससे जलते और मन में उसके प्रति द्वेष रखते थे। व्यापारी बूढ़ा हो चुका था और उसे इस बात का डर था कि कहीं उसकी उसकी मौत के बाद सलीम और सालिम उसे मीरास में कुछ न दें। यह सोच कर बूढ़े व्यापारी ने यह फ़ैसला किया कि मौत से पहले अपनी संपत्ति को बच्चों में बांट दे। इसलिए उसने एक दिन अपने दोस्तों और जान पहचान के लोगों को घर पर आमंत्रित किया और उनके सामने अपनी संपत्ति को चार हिस्सों में बांट दिया। तीन हिस्से बच्चों में बांट दिए और एक हिस्सा अपने और बीवी के लिए रख लिया। अधिक समय नहीं बीता कि बूढ़ा व्यापारी इस संसार से चल बसा। सलीम और सालिम बाप से मिलने वाले हिस्से से प्रसन्न नहीं थे और वे जूज़र के हिस्से को हड़पना चाहते थे। तीनों भाइयों के बीच विवाद खड़ा हो गया। सलीम और सालिम ने न्यायधीश से जूज़र की शिकायत की और उसे एक अदालत से दूसरी अदालत खींचते रहे। उन्होंने इस मार्ग में बहुत अधिक पैसे ख़र्च किए यहां तक कि सारे पैसे ख़त्म हो गए और उनके प्रयास का कोई फल नहीं मिला। अंततः वह दिन भी आ पहुंचा जब उनके पास एक पाई न बची और वे अपने माँ के पास पहुंचे और उसे यातना देने के बाद उसके पैसे छीन कर ले गए। जब जूज़र घर पहुंचा तो माँ ने रोते हुए दोनों बेटों के दुर्व्यवहार की उससे शिकायत की। जूज़र ने माँ का हाथ चूमते हुए बहुत विनम्रता से कहाः चिंतित न हो मा! ईश्वर उन्हें उनके कृत्य की सज़ा देगा। आप मेरे साथ रहें। मैं काम करुंगा और उससे खाने-पानी की व्यवस्था करुंगा। >>>
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21-08-2014, 10:31 PM | #2 |
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Re: जूज़र और शमरदल का ख़ज़ाना
यह सुनकर माँ को ढारस बंधी। जूज़र ने मछली के जाल की व्यवस्था की ताकि उससे मछली पकड़े। वह रोज़ सुबह जल्दी जाल उठाता और समुद्र की ओर चल पड़ता। मछली पकड़ता, उसे बेचते और उससे प्राप्त पैसों से अपना और माँ का ख़र्चा चलाता। उनका जीवन सादा किन्तु अच्छी तरह गुज़र रहा था। दूसरीओर सलीम और सामिल निठल्ले बने घूमते रहे और माँ से छीने हुए पैसे भी भोग-विलास में उड़ाते रहे यहां तक कि वह दिन भी आ पहुंचा जब वह पैसा भी ख़त्म हो गया और भीग माँगने की नौबत आ गयी।
वे नंगे पैर गलियों में घूमते और लोगों से भीख में खाना माँगते। कभी माँ के घर भी जाते और उनसे खाने की गुहार लगाते। माँ को उनकी हालत पर दया आती और जो कुछ घर में होता उन्हें देते हुए कहती थीः जल्दी खाओ और चले जाओ। क्योंकि यदि जूज़र आ गया और तुम्हें देख लिया तो वह बहुत क्रोधित होगा। सलीम और सालिम अपना खाना खाते और जूज़र के आने से पहले चले जाते। एक दिन जूज़र अचानक घर पहुंचा तो अपने भाइयों को खाना खाते देखा। माँ ने जूज़र से लज्जित होकर अपना सिर झुका लिया किन्तु इसके विपरीत जूज़र क्रोधित न हुआ बल्कि बहुत ही विनम्रता से उसने भाइयों को सलाम किया और कहाः आपका स्वागत है। बड़ी हैरत है हमारी और माँ की याद कैसे आ गयी? आप लोगों को देख कर ख़ुशी हुयी। >>>
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21-08-2014, 10:32 PM | #3 |
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Re: जूज़र और शमरदल का ख़ज़ाना
भाइयों को बहुत लज्जा आयी और उन्होंने कहाः हे भाई! हम तुमसे और माँच से मिलना चाहते थे किन्तु अपने दुर्व्यवहार के कारण तुम्हारे घर आते हुए लज्जा आती थी। शैतान ने हमें धोखा दिया और हमने तुम्हारे साथ बुराई की। हमें अपने कृत्य पर पछतावा है। जूज़र ने उन्हें गले लगाया और कहाः मेरे दिल में आप लोगों के लिए कोई द्वेष नहीं है। यहीं हमारे साथ रहिए। यह सुनकर माँ बहुत ख़ुश हुयी और उसने जूज़र को दुआ देते हुए कहाः मेरे बेटे! ईश्वर तुमसे राज़ी हो कि तुमने हमें प्रसन्न किया। इस प्रकार भाइयों में आपस में मेल हो गया और सलीम व सालिम भी जूज़र के घर में रहने लगे।
जूज़र हर दिन सुबह जल्दी उठता और मछली पकड़ने चला जाता। मछली पकड़ता, उसे बेचता और मिलने वाले पैसों से खाने की वस्तुएं ख़रीदता और घर ले आता। सलीम और सालिम को जूज़र के घर में एक महीना गुज़र गया और वे बिना काम किए यूं ही खाते और आराम करते। सदैव की भांति जूज़र एक दिन सुबह समुद्र के किनारे मछली पकड़ने गया। जाल को पानी में डाला और निकाला किन्तु एक भी मछली नहीं आयी। दूसरे स्थान पर गया वहां भी उसने ऐसा किया किन्तु इस बार भी जाल ख़ाली निकला। तीसरे स्थान पर गया और वहां भी जाल डाला किन्तु जब बाहर निकाला तो जाल ख़ाली निकला। यहां तक कि सूरज डूबने तक वह मछली पकड़ने की कोशिश करता रहा किन्तु कोई परिणाम नहीं निकला। मानो समुद्र से मछलियां ख़त्म हो चुकी हैं। अंततः जाल को कंधे पर रख कर चिंतित मन के साथ घर की ओर चल पड़ा। मार्ग में रोटी की दुकान पर पहुंचा। वहां बहुत भीड़ देखी तो एक किनारे खड़ा हो गया। नानवाई ने उसे पुकारा और कहाः जूज़र रोटी चाहिए? जूज़र चुपचाप खड़ा रहा। >>>
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21-08-2014, 10:33 PM | #4 |
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Re: जूज़र और शमरदल का ख़ज़ाना
नानवाई की निगाह जैसे ही जूज़र के ख़ाली जाल पर पड़ी तो समझ गया कि आज उसे कोई मछली नहीं मिली। नानवाई ने कुछ रोटियां और पेसे जूज़र को दीं और कहाः इसे ले लो और इसके बदले कल मुझे मछली दे देना। जूज़र ने शर्माते हुए रोटी और पैसे लिए और आगे बढ़ गया। जूज़र ने पैसों से खाने की दूसरी वस्तुएं ख़रीदीं और घर लाया और माँ को पकाने के लिए दिया। अगलेदिन पिछले वाले दिन की तुलना में जल्दी उठा। मछली का जाल लिया और समुद्र की ओर चल पड़ा। जाल को एक बार नहीं बल्कि कई बार पानी में डाला किन्तु कोई मछली नहीं आयी। यहां तक कि समुद्र के किनारे एक स्थान से दूसरे स्थान पर यही कोशिश करता रहा किन्तु उसे कोई सफलता नहीं मिली। अंततः मछली पकड़ने से निराश वह ख़ाली जाल लेकर घर की ओर चल पड़ा। मार्ग में नानवाई की दुकान पर पहुंचा। जैसे ही नानवाई ने उसे देखा तो बुलाया और फिर उसे कुछ रोटियां और थोड़े पैसे दिए और कहाः जूज़र चिंतित मत हो।
कल ज़रूर सफल होगे और लौट कर मेरा कर्ज़ चुका सकोगे। किन्तु अगले दिन भी जूज़र ख़ाली हाथ लौटा और फिर उसे नानवाई ने रोटी और पैसे उधार दिए और वह माँ और भाइयों के लिए रात के खाने का प्रबंध कर सका। चौथा दिन भी इसी प्रकार गुज़र गया और उसे एक भी मछली न मिल सकी। सातवें दिन जूज़र ने स्वयं से कहाः मुझे मछली पकड़ने के लिए किसी और जगह जाना चाहिए। इस बार क़ारून तालाब जाउंगा शायद वहां मछली मिल जाए और फिर वह क़ारून तालाब की ओर चल पड़ा।
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21-08-2014, 10:37 PM | #5 |
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Re: जूज़र और शमरदल का ख़ज़ाना
जूज़र और शमरदल का ख़ज़ाना (2)
जैसा कि हम ने बताया था कि एक व्यापारी था जिसके तीन बेटे थे सलीम, सालिम और जूज़र। व्यापारी की मौत के बाद सलीम और सालिम कि जिनकी समस्त पूंजी समाप्त हो गई थी जूज़र और अपनी मां के पास वापस लौट आए, जूज़र मछलियां पकड़कर अपने परिवार के खाने पीने की व्यवस्था करता था। कई दिन तक मछलियां नहीं पकड़ सका तो वह क़ारून झील गया। वहां जूज़र को एक ऐसा व्यक्ति मिला कि जिसने उससे कहा कि वह उसके हाथ बांधकर झील में धकेल दे और कुछ समय बाद उसके हाथ बाहर निकलें तो उसे बचा ले और अगर पैर बाहर निकलें तो समझ जाए कि वह मर गया है। उसके ख़च्चर को ले और शहर में जाए तथा शमीआ नामक यहूदी व्यापारी से स्वर्ण के 100 सिक्के ले ले। जूज़र ने दो दिन में यह काम दो व्यक्तियों के साथ किया और हर दिन 100 सिक्के प्राप्त किए। तीसरे दिन भी जूज़र झील पर गया, यही घटना घटी लेकिन इस बार वह आदमी जीवित बच गया और दो लाल मछलियां भी हाथ में लिए हुआ था, उसने उन्हें उस बर्तन में कि जिसे इसी काम के लिए लाया था डाल दिया। जूज़र ने कि जो इन तीन दिनों में घटने वाली घटनाओं से अचरज में था उस व्यक्ति से कहा कि उसे वास्तविकता बताए। उस व्यक्ति ने कहा कि वास्तविकता यह है कि वे दो लोग जो डूब गए हैं मेरे भाई थे। >>>
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21-08-2014, 10:40 PM | #6 |
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Re: जूज़र और शमरदल का ख़ज़ाना
वह व्यक्ति कि जिसे तुम शमीआ के नाम से जानते हो वह भी मेरा भाई है और वह यहूदी नहीं बल्कि मुसलमान है। उसका नाम अब्दुर्रहीम है और मेरा नाम अब्दुस्समद। हम चार भाईयों का पिता भविष्यवाणी करने और ख़ज़ानों का पता लगाने में दक्ष था। उसने यह विद्या हमें सिखायी थी। हमारे पिता का निधन हो गया और हम ने उसकी पूंजी अपने बीच बांटली। उसके पास अधिक संख्या में किताबें थीं। किताबों को भी बांट लिया लेकिन एख किताब पर हम चारों के बीच मतभेद उत्पन्न हो गया। वह किताब बहुत मूल्यवान थी और दुनिया में उसका उदाहरण नहीं था, इसलिए कि उस किताब में समस्त ख़ज़ानों के नाम, जादू और भविष्यवाणी के तरीक़ो का उल्लेख था।
मेरे पिता का एक बूढ़ा गुरु था। हम उसके पास गए और उससे अनुरोध किया कि हमारे बीच में फ़ैसला करे और बताए कि हम में से कौन इस किताब का मालिक बने। बूढ़े गुरु ने इस किताब का मालिक बनने के लिए एक शर्त निर्धारित की। उसने कहा कि तुम में से जो कोई भी इस किताब का मालिक बनना चाहता है, उसे शमरदल ख़ज़ाने का द्वार खोलना होगा और इस ख़ज़ाने में मौजूद चार मूल्यवान चीज़ों को लाना होगा। हम ने पूछा वह चार चीज़ें किया हैं? कहा, इस ख़ज़ाने में एक अंगूठी, एक तलवार, दुनिया दिखाने वाली एक गेंद और एक सुर्मे दानी है और उनमें से हर एक की आश्चर्यजनक विशेषता है। अंगूठी का एक सेवक है कि जिसका नाम राद है। राद एक शक्तिशाली देव है अगर वह चाहे तो समस्त धरती का मालिक बन सकता है। >>>
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21-08-2014, 10:44 PM | #7 |
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Re: जूज़र और शमरदल का ख़ज़ाना
तलवार की विशेषता यह है कि अगर उसे उसको म्यान से बाहर निकाला जाए और शत्रु की ओर घुमाया जाए तो शत्रुओं की सेना कितनी भी अधिक क्यों न हो पराजित हो जाती है। और यदि तलवार का मालिक कहे कि हे तलवार समस्त शत्रु सेना को मार डाल तो तलवार से आग निकलती है और समस्त सेना को जलाकर भस्म कर देती है। दुनिया को देखने वाली गेंद से समस्त शहरों और उनके नागरिकों को देखा जा सकता है अगर उसको सूर्य की ओर करें और इच्छा प्रकट करें कि कोई शहर नष्ट हो जाए तो उस शहर में आग लग जाती है।
सुर्मे दानी से जो कोई भी अपनी आँखों में सुर्मा लगाएगा तो उसकी निगाह इतनी तेज़ हो जाती है कि वह ज़मीन के नीचे समस्त ख़ज़ानों को देख सकता है। हम ने गुरु से पूछा कि शमरदल ख़ज़ाने तक पहुंचने का रास्ता किया है? गुरु ने हम से कहा कि शमरदल ख़ज़ाना अभी मलिक अहमद के पुत्रों के निंयत्रण में है और केवल उस युवा के लिए खुलेगा कि जिसका नाम जूज़र होगा और मछली पकड़ने के लिए क़ारून झील जाएगा। जो कोई भी ख़ज़ाना प्राप्त करना चाहता है तो वह उस झील पर जाए जूज़र से मिले और उससे अनुरोध करे कि वह उसके हाथों को बांधे और पानी में धकेल दे। जब पानी में गिर पड़े तो मलिक अहमर के बेटों से लड़े। अगर उनके द्वारा मारा जाए तो कुछ नहीं, लेकिन अगर उन्हें पराजित कर दे और उन्हें बंधक बना ले तो वह अपने हाथों को पानी से बाहर निकाल और जूज़र से सहायता मांगे। >>>
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21-08-2014, 10:44 PM | #8 |
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Re: जूज़र और शमरदल का ख़ज़ाना
मैं और मेरे दो भाईयों ने निर्णय लिया कि इस काम को अंजाम दें लेकिन अब्दुर्रहीम ने कहा कि न मुझे किताब चाहिए और न ही मैं झील पर जाऊंगा। इसलिए हम इस शहर में आ गए और उसने ख़ुद को एक व्यापारी के रूप में परिचित कराया और बाक़ी कहानी से तो तुम ख़ुद ही अवगत हो।
जूज़र ने पूछा, अब मलिक अहमर के बेटे कहां हैं? अब्दुस्समद ने कहा वही दो मछलियां तो हैं कि जिन्हें मैंने पकड़ा है। लेकिन जूज़र यह जान लो कि शमरदल ख़ज़ाना केवल तुम्हारे लिए खुलेगा। क्या तुम मेरे साथ उस शहर चलोगे कि जहां ख़ज़ाना है, चलें और काम समाप्त कर दें। जूज़र ने सोच कर कहा कि नहीं मैं नहीं जा सकता, मेरी मां और भाई मेरी प्रतीक्षा कर रहे हैं अगर तुम्हारे साथ जाऊंगा तो उनकी आवश्यकता कौन पूरी करेगा। अब्दुस्समद ने कहा हमारी यात्रा चार महीने से अधिक लम्बी नहीं खिंचेगी। मैं तुम्हें एक हज़ार सिक्के दे रहा हूं ताकि अपने परिवार को दे दो और चार महीने तक उन्हें कोई कठिनाई नहीं हो। जूज़र ने स्वीकार कर लिया। एक हज़ार सिक्के अब्दुस्समद से लिए और घर लौट आया। मां से पूरी कहानी बतायी। मां को सिक्के दिए और कहा: प्यारी मां यह सिक्के तुम्हारी और भाईयों की ज़रूरतों की आपूर्ति के लिए हैं इन्हें लो और मेरे लिए प्रार्थना करो। उसके बाद अपनी मां को अलविदा कहा और अब्दुस्समद के पास वापस आकर यात्रा पर चल दिया।...
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21-08-2014, 10:47 PM | #9 |
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Re: जूज़र और शमरदल का ख़ज़ाना
जूज़र और शमरदल का ख़ज़ाना (3)
कहानी के आरंभ में आपको बताया गया था कि एक व्यापारी के तीन बेटे थे। सलीम, सालिम और जूज़र। व्यापारी जूज़र नामक अपने बेटे को बहुत चाहता था और इसी लिए उसके दोनों अन्य भाई उससे जलते थे। व्यापारी ने अपने जीवन में ही अपनी पूरी संपत्ति चार भागों में बांट दी थी। तीन हिस्से अपने तीनों बेटों के लिए और एक हिस्सा स्वंय अपने और अपनी पत्नी के लिए। व्यापारी के मरने के बाद दोनों बड़े बेटों ने अपनी सारी संपत्ति गंवा दी और अपनी माता के हिस्से को भी खा गये। जूज़र, मां को अपने साथ ले गया और मछली पकड़ कर अपना जीवन यापन करने लगा। उसके दोनों भाइयों के हाथ जब खाली हो गये तो वह भी अपने छोटे भाई के पास आ गये और चूंकि जूज़र भला लड़का था इस लिए उसने अपने इन भाइयों को भी अपने ही साथ रख लिया। एक बार कई दिनों तक जूज़र कोई मछली पकड़ नहीं पाया इस लिए उसने मछली के शिकार की जगह बदलने का फैसला किया। वह क़ारून नामक तालाब गया और जाल पानी में डालना चाहा कि अचानक ही खच्चर पर बैठा एक व्यक्ति प्रकट हुआ। उसके शरीर पर मूल्यवान वस्त्र थे। खच्चर की जीन सोने की थी और उस पर रत्न जड़ा रेशमी कपड़ा पड़ा हुआ था। वह व्यक्ति अपने खच्चर से नीचे उतरा, सलाम किया और कहने लगाः तुम से एक निवेदन है। >>>
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 21-08-2014 at 10:51 PM. |
21-08-2014, 10:52 PM | #10 |
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Re: जूज़र और शमरदल का ख़ज़ाना
यदि मेरा काम कर दोगे तो मैं उसका बहुत अच्छ इनाम तुम्हें दूंगा। जोज़र ने कहा बताओ क्या करना है? उस व्यक्ति ने खच्चर की खुर्जीन से एक रेशमी रस्सी निकाली और कहने लगाः मेरे हाथ इस रस्सी से बांध दो और मुझे तालाब में फेंक दो और फिर थोड़ी देर प्रतीक्षा करो। यदि तुम्हें मेरे हाथ नज़र आएं तो तुम अपना जाल तालाब में डाल कर मुझे बाहर निकाल लो किंतु यदि तुम ने मेरे पैर देखे तो समझ लो कि मैं मर चुका हूं और उस दशा में मेरा खच्चर और उसकी खुर्जीन लेकर बाज़ार चले जाना वहां शमीआ नामक एक यहूदी व्यापारी का पता करना । जब वह मिल जाए तो उस के पास जाकर उसे मेरा खच्चर और खुर्जीन दे देना वह तुम्हें सौ सोने के सिक्के देगा।
उससे सिक्के लेना और अपना राह लग जाना। जोज़र ने उसकी बात स्वीकार कर ली। उस व्यक्ति को जब जोज़र ने पानी में फेंका तो कुछ देर बाद उसे उसके पैर नज़र आये और वह समझ गया कि वह मर चुका है। उसने खच्चर और खुर्जीन उठायी और बाज़ार गया। शमीआ को खोज निकाला और खच्चर व खुर्जीन उसके हवाले कर दी । शमीआ ने उसे सौ सोने के सिक्के दिये और उससे कहा, किसी को इस बात की सूचना न होने पाए। जोज़र ने सिक्के लिए और अपने घर की ओर चल पड़ा। रास्ते में उसे नानवाई की दुकान नज़र आयी। वह रोटी की दुकान में गया और उससे जो क़र्जा लिया था वह अदा किया। कुछ रोटियां और मांस खरीदा और अपने घर की ओर चल पड़ा। >>>
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