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Old 02-03-2011, 06:14 AM   #81
Bholu
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Default अकबर और बीरबल की कहानी

{गुरू ग्रन्थ}

एक बार अकबर और बीरवल अपने बगीचे मे बैठे थे
तभी राजा अकबर ने बीरवल से कहा

अकबर - बीरवल ये बताओ की हमारी जनता हमारे बारे मे क्या सोचती है
बीरवल - महाराज इस बात का जबाब जनता से सही कोई नही दे सकता
बीरवल और राजा अकबर वेश बदलकर अपनी सलतान्त मे घुमने निकले
तभी दूर से जंगल मे से एक लकडहारा लकडी काट कर लेकर आ रहा था तो (राजा अकबर ने मन मे सोचा ये लकडहारा चोर है अब मे जंगल से लकडी चोरी के लिये इसे डन्ड दूँगा )
राजा अकबर ने बीरबल से कहाँ इस लकडहारे से पता करो मेरे बारे मे ये क्या सोचता है
बीरबल - सुनो लकडहारे हमारे राजा अकबर नही रहे
लकडहारा - अच्छा हुआ बो ना रहा और अकबर को बुरा भला कहता हुआ निकल गया
राजा अकबर दुखी होये की उनकी जनता उनके बारे मे ये सोचती है
तभी बीरवल ने कहा कि महाराज आप थोडा और रूकिये
तभी राजा अकबर को दूर से एक बुजूर्ग महिला आती दिखाई दी और उस बुजूर्ग महिला को देख कर राजा अकबर का मन दुखी हुआ
( राजा अकबर ने सोचा की बो उस महिला की मदद करेगेँ )
बीरबल ने उस महिला कहा की राजा अकबर नही रहे
तो बो महिला रोने लगी और कहने लगी हे भगबान राजा अकबर की जगह मुझे उठा लेते)
लकडहारा और बुजूर्ग महिला दोनो की बातो के बाद राजा अकबर को अपने सबाल का उत्तर मिल गया
दोस्तो कहानी का मतलब है हम जैसा सोचते है वैसा हमे मिलता है
तो दोस्तो बताये कैसी लगी मेरी कहनी
ये कहानी मेरी जिन्दगी का एक हिस्सा बन चुकी है आप भी बनाये आपका मित्र
bholu
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Gaurav kumar Gaurav
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Old 02-03-2011, 04:59 PM   #82
bhoomi ji
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Default Re: अकबर और बीरबल की कहानी

दोस्त आपका प्रयास सराहनीय है लेकिन इस पर पहले ही एक सूत्र बन चुका है

अकबर बीरबल की कहानियां
__________________

हिंदी का सम्मान-
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bhoomi ji is offline   Reply With Quote
Old 03-03-2011, 04:20 PM   #83
Bholu
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Default Re: अकबर और बीरबल की कहानी

Quote:
Originally Posted by bhoomi ji View Post
दोस्त आपका प्रयास सराहनीय है लेकिन इस पर पहले ही एक सूत्र बन चुका है

अकबर बीरबल की कहानियां
भूमि जी मैने ये कहानी हिन्दी कहानी मे लिखी थी सूत्र नही बनाया था
__________________
Gaurav kumar Gaurav
Bholu is offline   Reply With Quote
Old 08-12-2011, 06:33 PM   #84
pragyesha
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pragyesha is on a distinguished road
Smile Re: अकबर और बीरबल की कहानी

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Originally Posted by ABHAY View Post
बीरबल ने चतुराई से खुद को मृत्युदंड से बचाया
एक दिन बादशाह अकबर के दरबार में जोरों का कोलाहल सुनाई दिया। सभी लोग बीरबल के खिलाफ नारे लगा रहे थे- बीरबल बदमाश है, पापी है, इसे दंड दो। बादशाह ने भारी जनमत को बीरबल के खिलाफ देख आज्ञा दी कि बीरबल को सूली पर चढ़ा दिया जाए। दिन तय हुआ। बीरबल ने अपनी अंतिम बात कहने की आज्ञा मांगी।

आज्ञा मिलने पर उसने कहा- मैंने सारी चीजें तो आपको बता दीं, पर मोती बोने की कला नहीं सिखा पाया। अकबर बोला- सच, क्या तुम वह जानते हो? तो ठीक है जब तक मैं यह सीख न लूं, तुम्हें जीने का अवसर दिया जाता है। बीरबल ने कुछ विशेष महलों की ओर इशारा करते हुए कहा-
इन्हें ढहा दिया जाए क्योंकि इसी जमीन में उत्तम मोती पैदा हो सकते हैं। महल ढहा दिए गए। ये महल बीरबल की झूठी शिकायत करने वाले दरबारियों के थे। वहां बीरबल ने जौ बो दिए। कुछ दिन बाद बीरबल ने सभी से कहा- कल सुबह ये पौधे मोती पैदा करेंगे।

अगले दिन सभी आए। ओस की बूंदें जौ के पौधों पर मोती की तरह चमक रही थीं। बीरबल ने कहा- अब आप लोगों में से जो निरपराधी, दूध का धुला हो, इन मोतियों को काट ले। लेकिन यदि किसी ने एक भी अपराध किया होगा तो ये मोती पानी होकर गिर जाएंगे।

कोई आगे न बढ़ा। लेकिन अकबर समझ गए कि गलतियां तो सभी से होती हैं। बादशाह ने बीरबल को मुक्त कर दिया। सार यह है कि किसी को दंडित करने से पूर्व उसके दोषी या निर्दोष होने के बारे में भलीभांति जांच कर लेनी चाहिए।
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अकबर और बीरबल


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