14-11-2014, 04:26 PM | #27 | |
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Re: ------------गुस्सा------------
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तो मित्रों इन साधु—संतो द्वारा बताई मोटी—मोटी बातों के पिछे छुपी असल बात को हमारे मुल विषय क्रोध (गुस्सा)के बारे में जानते है ! सम्पूर्ण विश्व में ढेरों दर्शन प्रचलित है जिनमें से हरेक ने अपनी—अपनी तरह से क्रोध के बारे में व्यख्या की है । इनमें से एक जैन दर्शन के सपन्दर्भ में बात करूंगा ! जैन दर्शन में मोटे तौर पर इन चार को कषाय माना है — क्रोध, मान, माया और लोभ ! इन सब का मुल स्त्रोत माना है — राग को ! राग का मतलब आसक्ती, लगाव, मोह आदि है ! दूनिया में आपको जहां कहीं भी क्रोध होता नज़र आये तो पक्का समझना कि इसके मुल में यही राग है ! राग यानि आसक्ती, लगाव, मोह आदि से अपेक्षा का जन्म होता है और जब अपेक्षा पुरी नहीं होती तो क्रोध का जन्म होता है । कैसे ..? इसका धरातलिय अध्ययन आगे करेंगे तब तक आप भी विचार किजिये !!! क्रमश:... |
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