28-04-2012, 02:13 AM | #7021 |
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वाशिंगटन। अमेरिका के अधिकारियों को अस्सी के दशक में यह मालूम था कि पाकिस्तान अपने परमाणु कार्यक्रमों को लेकर झूठ बोल रहा है लेकिन उन्होंने इसलिए चुप्पी साधे रखी थी कि अफगानिस्तान में सोवियत संघ के खिलाफ उन्हें इस्लामाबाद का समर्थन मिल रहा था। गुरुवार को जारी किए जाने वाले वर्गीकृत दस्तावेजों (मेमो) में यह जानकारी दी गई है। इन दस्तावेजों में रोनाल्ड रीगन के राष्ट्रपतिकाल की अमेरिका और पाकिस्तान के बीच सम्बंधों को लेकर परदे के पीछे की कहानी दर्ज है। दस्तावेज में कहा गया है कि एक अमेरिकी दूत पाकिस्तानी सैन्य शासक मोहम्मद जिया उल हक के समक्ष एक खुफिया मिशन पर जून 1982 में पहुंचे थे और उन्होंने उनसे (जिया से) कहा कि अमेरिका के पास इस बारे में ‘निर्विवाद’ तथ्य हैं कि पाकिस्तान परमाणु हथियारों का विकास कर रहा है। दस्तावेज के अनुसार ,दूत की भूमिका में गए वरनोन वाल्टर ने कहा कि जिया बिल्कुल शांत लग रहे थे और उन्होंने साफ-साफ कहा कि उन्हें परमाणु हथियारों के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं है लेकिन कहा कि वह अपने मातहतों से इस बारे में जानकारी लेंगे। वाल्टर ने विदेश विभाग को लिखा कि जब मैंने उनसे मुलाकात की थी तब या तो सचमुच उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी या फिर वह बहुत बड़े देशभक्त थे और बहुत बड़ा झूठ बोल रहे थे। दस्तावेजों से पता चलता है कि यह जानने के बावजूद कि पाकिस्तान परमाणु हथियार हासिल करने की ओर बढ़ रहा था ,रीगन ने लैरी प्रेसलर कानून से उसे छूट प्रदान की थी। पाकिस्तान ने अपने पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी भारत के बाद वर्ष 1998 में एक परमाणु विस्फोट किया था। सोवियत संघ के अफगानिस्तान छोड़ने के ठीक बाद अमेरिका ने 1990 में पाकिस्तान को सहायता पर प्रतिबंध लगा दिया था। दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि 1980 के दशक में वाशिंगटन से रिश्तों में तल्खी आने के बाद भी अमेरिका ने भारत से ‘संयम’ बरतने का आग्रह किया था। परमाणु कार्यक्रम की आलोचना के बावजूद अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ सहयोग का रुख जारी रखा। 11 सितंबर 2001 हमले के बाद अफगानिस्तान में समर्थन मिलने के बाद अमेरिका ने उसकी मदद भी की। बाद में ओसामा बिन लादेन और अन्य आतंकियों की पाकिस्तान में मौजूदगी पर दोनों के सम्बंधों में खटास उत्पन्न हुई।
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28-04-2012, 02:14 AM | #7022 |
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भारत ने सभी मौसमों में काम करने वाला रीसेट-1 उपग्रह प्रक्षेपित किया
श्रीहरिकोटा। भारत ने गुरुवार को यहां से सभी मौसमों में काम करने वाले अपने पहले स्वदेश निर्मित राडार इमेजिंग उपग्रह (रीसेट-1) का पीएसएलवी-सी-19 के जरिए सफल प्रक्षेपण किया। उपग्रह के द्वारा ली जाने वाली तस्वीरें कृषि एवं आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में इस्तेमाल की जा सकेंगी। चेन्नई से करीब 90 किलोमीटर दूर यहां के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी (पोलर सैटेलाइट लांच व्हीकल) के जरिए 1858 किलोग्राम वजनी देश के पहले माइक्रोवेब रिमोट सेंसिंग उपग्रह को 71 घंटे तक चली उल्टी गिनती के बाद सुबह करीब पांच बजकर 47 मिनट पर प्रक्षेपण के लगभग 19 मिनट बाद कक्षा में स्थापित कर दिया गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रक्षेपण वाहन पीएसएलवी ने रीसेट-1 के प्रक्षेपण के साथ अपनी 20 सफल उड़ानें पूरी कर एक बार फिर अपनी विश्वसनीयता स्थापित की है। इसके द्वारा प्रक्षेपित किया गया यह अब तक सबसे भारी उपग्रह है। रीसेट-1 इसरो के लगभग 10 साल के प्रयासों का नतीजा है। इसके पास दिन एवं रात तथा बादलों की स्थिति में भी धरती की तस्वीरें लेने की क्षमता है। अब तक भारत कनाडाई उपग्रह की तस्वीरों पर निर्भर था, क्योंकि मौजूदा घरेलू दूर संवेदी उपग्रह बादलों की स्थिति में धरती की तस्वीरें नहीं ले सकते थे। इसरो अध्यक्ष के. राधाकृष्णन ने कहा कि 44 मीटर लंबा रॉकेट शानदार ढ़ंग से उड़ान भरते हुए आकाश में प्रवेश कर गया। उन्होंने इस मिशन को एक बड़ी सफलता करार दिया। उपग्रह के कक्षा में स्थापित होते ही नियंत्रण कक्ष में बैठे वैज्ञानिकों में खुशी की लहर दौड़ गई। प्रसन्नचित दिख रहे राधाकृष्णन ने कहा कि मुझे यह घोषणा करते हुए अत्यंत खुशी हो रही है कि पीएसएलवी सी-19 मिशन एक बड़ी सफलता है। हमारे पीएसएलवी की यह लगातार 20वीं सफल उड़ान है। इसने भारत के पहले राडार इमेजिंग सैटेलाइट को सटीक रूप से वांछित कक्षा में स्थापित कर दिया। भारत ने 2009 में सभी मौसमों में काम करने वाले एक अन्य राडार इमेजिंग उपग्रह (रीसेट-2) का प्रक्षेपण किया था, लेकिन इसे निगरानी उद्देश्यों के लिए इसराइल से 11 करोड़ अमेरिकी डॉलर में खरीदा गया था। मिशन के निदेशक पी. कुन्हीकृष्णन ने बताया कि रीसेट-1 अत्याधुनिक नए मिशन नियंत्रण केंद्र के जरिए प्रक्षेपित किया गया। इस केंद्र का उद्घाटन जनवरी में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने किया था। रीसेट-1 का प्रक्षेपण मार्च में किया जाना था, लेकिन इसरो विवाद, एंट्रिक्स-देवास सौदे में चार पूर्व अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के चलते इसकी तैयारियों में विलम्ब हो गया। इसरो ने गुरुवार के प्रक्षेपण के लिए पीएसएलवी के अत्याधुनिक संस्करण पीएसएलवी-एक्सएल का इस्तेमाल किया। एक्स एल संस्करण का इस्तेमाल इससे पहले चंद्रयान-1 और जीसेट-12 अभियानों के लिए किया गया था। विकास सहित रीसेट की लागत 378 करोड़ रुपए है, जबकि 120 करोड़ रुपए रॉकेट (पीएसएलवी सी-19) के निर्माण पर खर्च हो चुके हैं। इस तरह यह 498 करोड़ रुपए का मिशन है। उपग्रह 536 किलोमीटर की ऊंचाई पर इसकी अंतिम कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इसकी मिशन अविध पांच साल है और यह रोजाना कक्षा में 14 चक्कर लगाएगा। कृषि क्षेत्र में इस्तेमाल के अतिरिक्त रीसेट-1 को 24 घंटे देश की सीमाओं की निगरानी के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इसरो ने कहा था कि उपग्रह को रक्षा क्षेत्र के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। मुख्यत: जासूसी उपग्रह रीसेट-2 पहले से ही यह काम कर रहा है। धुंध एवं कोहरे सहित सभी मौसमों में तस्वीरें लेने की रीसेट-1 की क्षमता उन क्षेत्रों के लिए काफी लाभकारी होगी, जो अक्सर बादलों से ढंके रहते हैं। इसमें सभी परिस्थितियों में तस्वीरें उपलब्ध कराने के लिए सी बैंड सिंथेटिक अपर्चर राडार (एसएआर) लगा है। एसएआर कृषि क्षेत्र, खासकर खरीफ सत्र में धान की फसल पर निगरानी और बाढ़ एवं चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रबंधन क्षेत्र में निगरानी रखने की अद्वितीय क्षमताओं से लैस है। उपग्रह खासकर खरीफ के सत्र में लाभदायक होगा, जब वातावरण में अक्सर बादल छाए रहते हैं। इसके जरिए ली जाने वाली फसलों की तस्वीरों से योजनाकारों को उत्पादन के आकलन और पूर्वानुमान व्यक्त करने में मदद मिलेगी। बाढ़ के दौरान उपग्रह से ली जाने वाली तस्वीरें प्रभावित क्षेत्र और जल स्तर का स्पष्ट ब्यौरा उपलब्ध करा सकेंगी। राधाकृष्णन ने कहा कि इसरो के लिए वर्ष 2012-13 काफी व्यस्तताओं से भरा है और इस दौरान अनेक प्रक्षेपण होने हैं। उन्होंने बताया कि इसरो जल्द ही फ्रेंच गुयाना से यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के एरियन-5 के जरिए एक उपग्रह और इस साल अगस्त में भारत से पीएसएलवी के साथ छह उपग्रहों का प्रक्षेपण करेगा। बहु प्रतीक्षित जीएसएलवी मार्क-3 पर उन्होंने कहा कि वाहन तैयार हो रहा है और इसरो प्रतिष्ठानों में इसके परीक्षण हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अत्याधुनिक प्रक्षेपण वाहन जीएसएलवी मार्क-3 कई दौर पार कर चुका है, निचला चरण पूरा हो चुका है तथा हम एक साल के भीतर श्रीहरिकोटा से जीएसएलवी मार्क-3 की प्रायोगिक उड़ान को अंजाम दे रहे होंगे। राधाकृष्णन ने कहा कि वातावरणीय उड़ान चरण में वाहन की प्रणाली को परखने के लिए यह प्रयास अत्यावश्यक होगा। उन्होंने बताया कि देश पीएसएलवी के जरिए भारतीय फ्रांसीसी उपग्रह (सरल या सैटेलाइट विद एरगोस एंड आल्तिका) का भी प्रक्षेपण करेगा और चालू वित्त वर्ष में भारत के पहले नौवहन उपग्रह के प्रक्षेपण की भी योजना है। वरिष्ठ अंतरिक्ष वैज्ञानिक यशपाल ने प्रक्षेपण को उल्लेखनीय उपलब्धि करार दिया। उन्होंने कहा कि यह कोई आयोजन नहीं, बल्कि एक महती कार्य का निष्पादन है। वैज्ञानिक समुदाय की सराहना करते हुए प्रोफेसर यू. आर. राव ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। पहली बार सिंथेटिक अपर्चर राडार (एसएआर) का इस्तेमाल किया गया और यह काफी कठिन प्रौद्योगिकी थी तथा इसरो की टीम ने इसे शानदार ढंग से अंजाम दिया।
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28-04-2012, 02:14 AM | #7023 |
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पीएसएलवी ने एक बार फिर लहराया सफलता का परचम
श्रीहरिकोटा। ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण वाहन पीएसएलवी ने गुरुवार को स्वदेशी राडार इमेजिंग उपग्रह रीसैट-1 को सफलतापूर्वक ध्रुवीय कक्षा में स्थापित करके एक बार फिर अपनी सफलता का परचम लहराया। पीएसएलवी की शुरुआत 18 वर्ष पहले 1993 में हुई थी और अब तक 21 में से इसकी 20 उड़ाने सफल रही हैं। पीएसएलवी ने पिछली 19 उड़ानों में 40 से अधिक भारतीय और विदेशी उपग्रहों को अंतरिक्ष में पहुंचाया है। पीएसएलवी की अब तक की उड़ानों का ब्यौरा इस प्रकार है: पीएसएलवी-डी1-20 सितम्बर 1993-असफल , पीएसएलवी-डी 2-15 अक्टूबर 1994-सफल , पीएसएलवी-डी 3-21 मार्च 1996-सफल, पीएसएलवी-सी1-29 सितम्बर 1997-सफल, पीएसएलवी-सी 2-26 मई 1999-सफल, पीएसएलवी-सी 3-22 अक्टूबर 2001- सफल, पीएसएलवी-सी 4-12 सितम्बर 2002-सफल, पीएसएलवी-सी 5-17 अक्टूबर 2003- सफल , पीएसएलवी-सी 6-05 मई 2005-सफल, पीएसएलवी-सी 7-10 जनवरी 2007-सफल, पीएसएलवी-सी 8-23 अप्रेल 2007-सफल, पीएसएलवी-सी10-21 जनवरी 2008 -सफल, पीएसएलवी-सी 9-28 अप्रेल 2008 - सफल, पीएसएलवी-सी11- 22 अक्टूबर 2008-सफल, पीएसएलवी-सी12-20 अप्रेल 2009-सफल , पीएसएलवी-सी14-23 सितम्बर 2009-सफल, पीएसएलवी-सी15-12 जुलाई 2010-सफल, पीएसएलवी-सी 16-20 अप्रैल 2011- सफल, पीएसएलवी-सी17-15 जुलाई 2011- सफल , पीएसएलवी-सी18-12 अक्टूबर 2011- सफल, पीएसएलवी-सी19 26 अप्रेल 2012 सफल ।
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28-04-2012, 02:14 AM | #7024 |
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इसरो ने की दो नए अभियानों की घोषणा
श्रीहरिकोटा। सभी मौसमों में काम करने वाले राडार इमेजिंग उपग्रह रीसैट-1 के सफल प्रक्षेपण से उत्साहित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार को घोषणा की कि वह वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान दो जीएसएलवी और एक पीएसएलवी का प्रक्षेपण करेगा तथा 2014 में जीएसएलवी के जरिए चंद्रयान-2 अभियान को अंजाम देगा। रीसैट-1 के प्रक्षेपण के तुरंत बाद इसरो प्रमुख के. राधाकृष्णन ने यहां संवाददाताओं से कहा कि चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण 2014 में होगा। हम इस दिशा में काम कर रहे हैं। इसे जीएसएलवी के जरिए अंजाम दिया जाएगा, छह महीने के अंतराल में जीएसएलवी के दो प्रक्षेपणों के बाद। इसरो उपग्रह केंद्र के निदेशक टीके एलेक्स ने कहा कि इसरो चंद्रयान-2 पर रूसी वैज्ञानिकों के साथ काम कर रहा है। हम स्थान के चयन को लेकर चर्चा करेंगे जैसे कि हमें कहां उतरना है। उन्होंने कहा कि इससे संबंधित अन्य कार्य प्रगति पर हैं। इस वित्त वर्ष में दो भूस्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण वाहन (जीएसएलवी) और ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) के प्रक्षेपण पर राधाकृष्णन ने कहा कि इसरो ने 2010 की विफलता का अध्ययन किया है। उन्होंने कहा कि अब जीएसएलवी को एक हजार सेकंड के स्थायित्व परीक्षण और तमिलनाडु के महेंद्रगिरि स्थित तरल प्रणोदक प्रणाली केंद्र के विशेष प्रतिष्ठान में एक निर्वात परीक्षण से गुजारा जाएगा, जहां 300 करोड़ रुपए की लागत से निर्वात परीक्षण प्रतिष्ठान बनाया गया है। उन्होंने कहा कि एक बार हमें जमीनी परीक्षण टीम से हरी झंडी मिल जाए, फिर हम जीएसएलवी प्रक्षेपण के लिए तैयार होंगे ।’ विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक पी वीरराघवन ने बताया कि इसरो सितंबर-अक्टूबर 2012 में जीएसएलवी डी-5 के जरिए कम लागत वाला संचार उपग्रह जीसैट-14 प्रक्षेपित करेगा। उन्होंने बताया कि अक्टूबर 2012 में पीएसएलवी सी-20 की मदद से भारतीय-फ्रांसीसी उपग्रह ‘सरल’ और चार छोटे उपग्रह प्रक्षेपित किए जाएंगे। इस अगस्त में पीएसएलवी सी-21 के जरिए फ्रांसीसी उपग्रह ‘स्पॉट’ प्रक्षेपित किया जाएगा। जीएसएलवी मार्क-3 पर उन्होंने कहा कि इंजनों की उप प्रणालियों का परीक्षण किया जा रहा है और इसे पूरा होने में दो साल लगेंगे। सभी परीक्षणों के बाद 2012-13 में क्रायोजनिक इंजनों के बिना प्रायोगिक उड़ान को अंजाम दिया जाएगा । राधाकृष्णन ने यह भी कहा कि इसरो ने 10वीं पंचवर्षीय योजना में 20 अभियानों पर 13 हजार करोड़ रुपए के खर्च के विपरीत 11वीं पंचवर्षीय योजना में 29 मिशनों पर 20 हजार करोड़ रुपए खर्च किए । अधिकांश राशि दूर संवेदी कार्यक्रमों के लिए छह से आठ रूसी क्रायोजनिक इंजन और उपकरण हासिल करने पर खर्च हुई । रीसैट-1 की कीमत 488 करोड़ रुपए है। 110 करोड़ रुपए प्रक्षेपण वाहन और 378 करोड़ रुपए उपग्रह पर खर्च हुए ।
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28-04-2012, 02:15 AM | #7025 |
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प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों को दी बधाई
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रक्षेपण यान पीएसएलवी के जरिए दूर संवेदी उपग्रह रीसेट-1 के सफल प्रक्षेपण की सराहना करते हुए कहा कि यह भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में अहम मील का पत्थर है। प्रधानमंत्री ने प्रक्षेपण यान से जुड़ी जटिल प्रौद्योगिकी में महारत दिखाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों को बधाई भी दी। अंतरिक्ष विभाग के सचिव एवं इसरो के अध्यक्ष के. राधाकृष्णन को फोन कर प्रधानमंत्री ने सफल प्रक्षेपण के लिए उन्हें तथा वैज्ञानिकों को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएसएलवी-सी 19 यान के जरिए अब तक के सबसे भारी उपग्रह रीसेट-1 के सफल प्रक्षेपण के लिए मैं गर्मजोशी से इसरो के सभी वैज्ञानिकों को बधाई देना चाहूंगा। उन्होंने कहा कि पीएसएलवी का लगातार 20वां कामयाब प्रक्षेपण हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक अहम मील का पत्थर है और प्रक्षेपण यान से जुड़ी जटिल प्रौद्योगिकी में इसरो की महारत का प्रमाण है। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि हर मौसम में दिन-रात तस्वीरें लेने की रीसेट-1 की योग्यता देश की सुदूर संवेदी क्षमताओं में अहम योगदान करेगी। उन्होंने कहा कि देश को इसरो की उपलब्धियों पर गर्व है और मैं भविष्य में इसके प्रयासों में सफलता की कामना करता हूं।
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28-04-2012, 02:16 AM | #7026 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
सफल प्रक्षेपण पर संसद ने दी बधाई
नई दिल्ली। भारत के पहले स्वदेश निर्मित राडार इमेजिंग उपग्रह रीसैट-1 के सफल प्रक्षेपण पर संसद ने इसरो और संबंधित वैज्ञानिकों को बधाई दी। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी. नारायणसामी ने लोकसभा और राज्यसभा में दिए अपने बयान में कहा कि अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक और मील का पत्थर हासिल करते हुए भारत ने सभी मौसमों में धरती की तस्वीर लेने में सक्षम अपने पहले स्वदेश निर्मित राडार इमेजिंग उपग्रह रीसैट-1 का सफल प्रक्षेपण किया है। इससे देश की दूर संवेदी क्षमता में इजाफा होगा और कृषि तथा आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि भारत के पहले स्वदेश निर्मित सभी मौसमों में काम करने वाले राडार इमेजिंग सैटेलाइट रीसैट-1 से ली जाने वाली तस्वीरें कृषि एवं आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में इस्तेमाल की जा सकेंगी। दोनों सदनों में सदस्यों ने मेजें थपथपाकर इसरो की इस सफलता का स्वागत किया। चेन्नई से करीब 90 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण वाहन के जरिए 1858 किलोग्राम वजनी देश के पहले सूक्ष्म तरंगीय दूर संवेदी उपग्रह को 71 घंटे तक चली उल्टी गिनती के बाद सुबह करीब पांच बजकर 47 मिनट पर प्रक्षेपण के लगभग 19 मिनट बाद कक्षा में सटीक ढंग से स्थापित कर दिया गया।
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28-04-2012, 02:40 AM | #7027 |
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अमिताभ को बोफोर्स मामले में घसीटे जाने का मुद्दा भाजपा ने संसद में उठाया
नई दिल्ली। विवादास्पद बोफोर्स तोप सौदे में सुपर स्टार अमिताभ बच्चन का नाम घसीटे जाने का मुद्दा गुरुवार को लोकसभा में उठा और मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने इस सच्चाई का पता लगाए जाने की मांग की कि बिग-बी का नाम किन लोगों ने और किस साजिश के तहत इस मामले में जोड़ा था। लोकसभा में यह मामला उठाते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता जसवंत सिंह ने कहा कि जब 25 साल पहले यह विवादास्पद बोफोर्स तोप सौदा दलाली मामला सामने आया था तो एक प्रसिद्ध कलाकार अभिनेता अमिताभ बच्चन पर भी इल्जाम लगाया गया। सिंह ने कहा कि स्वीडन के पूर्व पुलिस प्रमुख स्टेन लिंडस्ट्राम ने ताजा खुलासे में इस मामले में दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ ही अमिताभ बच्चन की भी किसी प्रकार की भूमिका होने से इनकार किया है। भाजपा नेता ने कहा कि उन पर (अमिताभ बच्चन) कोई आरोप नहीं था, कोई भूमिका नहीं थी तो इस बात की जांच होनी चाहिए कि कैसे उनका नाम इस मामले में घसीटा गया। अमिताभ बच्चन ने ताजा खुलासे के बाद ट्वीट किया था कि 25 साल तक मुझे जिल्लत और बदनामी के साथ रहना पड़ा। अफसोस मुझे इस बात का है कि आज मेरे मां और बाबूजी नहीं हैं क्योंकि वे नहीं जान सके कि मैं निर्दोष था।
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28-04-2012, 02:41 AM | #7028 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
विदेशों में रह रहे भारतीय मूल के 2.5 करोड़ से अधिक लोग
नई दिल्ली। सरकार ने गुरुवार को बताया कि 110 से अधिक देशों में भारतीय मूल के 2.5 करोड़ से अधिक लोग रह रहे हैं। प्रवासी भारतीय कार्य मंत्री व्यलार रवि ने राज्यसभा को कनिमोई के प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने रामचंद्र खूंटिया के प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि भारतीय कर्मियों के संरक्षण और कल्याण संबंधी द्विपक्षीय सहयोग के लिए एक रूपरेखा तैयार करने के लिए जार्डन, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, कतर, ओमान, मलेशिया और बहरीन के साथ श्रम समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इसके अलावा सरकार ने बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, स्विटजरलैंड, लग्जमबर्ग, डेनमार्क, दक्षिण कोरिया और नीदरलैंड के साथ सामाजिक सुरक्षा करार पर भी हस्ताक्षर किए हैं।
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28-04-2012, 03:05 AM | #7029 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
नारियल की जटा से बने पदार्थ सड़क निर्माण में उपयोगी
नई दिल्ली। सरकार ने गुरुवार को बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क निर्माण के लिए नारियल की जटाओं से बने टाट (कॉइर जियो टेक्सटाइल) उपयोगी साबित हुए हैं और ये सीमेंट जैसी परंपरागत सामग्री की तुलना में बेहतर पाए गए हैं। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्री वीरभद्र सिंह ने लोकसभा में बीजे पांडा तथा नित्यानंद प्रधान के प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि नारियल की जटाओं से बने टाट को ग्रामीण इलाकों में सड़क निर्माण में उपयोगी पाया गया है। उन्होंने कहा कि जब ग्रामीण इलाकों की सड़कों में नरम मिट्टी पर इस पदार्थ का इस्तेमाल किया जाता है तो यह फिल्टर, ड्रेनेज आदि के लिहाज से सीमेंट, सिंथेटिक जैसे परंपरागत पदार्थों की तुलना में बेहतर रहा है। भारत सरकार की राष्ट्रीय ग्रामीण सड़क विकास एजेंसी ने ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण में इस पदार्थ के उपयोग के लिहाज से केंद्रीय कॉइर अनुसंधान संस्थान को नोडल संस्था बनाया है। मंत्री ने यह भी माना कि उक्त पदार्थ का इस्तेमाल अभी तक व्यापक तौर पर नहीं किया गया है। इस क्षेत्र में बाजार की संभावनाएं हैं।
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28-04-2012, 03:34 AM | #7030 |
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मीडिया घरों पर हमले की बोको हरम ने ली जिम्मेदारी
अबूजा। चरमपंथी इस्लामी आतंकी समूह बोको हरम ने नाइजीरिया की राजधानी अबूजा और समीप के काडुना राज्य में प्रमुख नाइजीरियाई अखबारों के दफ्तरों पर बम हमले की जिम्मेदारी ली है। समूह ने इस तरह के और भी हमले की चेतावनी दी है। कल हुए हमले में आठ लोग मारे गए थे। समाचार बेबसाइट ‘प्रीमियम टाइम्स’ में प्रकाशित एक बयान में बोको हरम ने कहा है कि समूह के बारे में प्रेस सही तरह की रिपोर्टिंग नहीं कर रहा है। समूह ने ‘दिस डे’ अखबार पर कल हुए हमले के बारे में कहा कि यह मीडिया के लिए कड़ा संदेश है। समूह के प्रवक्ता ने कहा है कि नाइजीरिया में मीडिया की मौजूदगी हमारे लिए कोई समस्या नहीं है लेकिन उन्हें अपना काम बिना किसी पक्षपात के पेशेवर तरीके से करना होगा। कहा कुछ जाता है और या तो उसे बदल दिया जाता है या फिर उसे कम महत्व करके आंका जाता है। अबु क्वाक्वा ने कहा कि हमने मीडिया घरानों और संवाददाताओं को पेशेवर और अपनी रिपोर्टों के लिए वस्तुनिष्ठ होने के लिए बार-बार आगाह किया है। यह नाइजीरिया और हमारे बीच का संघर्ष है: दुर्भाग्य से मीडिया जारी संघर्ष पर अपनी खबरों को लेकर संतुलित और निष्पक्ष नहीं है और वह एक पक्ष के बारे में बात करते हैं। क्वाक्वा ने मीडिया पर और भी हमले की चेतावनी दी है। उसने कहा कि मीडिया के खिलाफ हमने तो केवल अपने अभियान की शुरूआत की है और हम यहीं नहीं रूकेंगे। अगर हमारी बात नहीं सुनते हैं या फिर निष्पक्ष रिपोर्टिंग नहीं होती है तो हम मीडिया को फिर निशाना बनाएंगे। ‘दिस डे’ के अबूजा कार्यालय को निशाना बनाया गया। एक आत्मघाती हमलावर ने खुद को विस्फोट से उड़ा लिया। अबूजा में कंपनी के सुरक्षाकर्मी सहित तीन सहयोगी मारे गए। एक रिपोर्टर गंभीर रूप से घायल हो गया। उन्होंने बताया कि भवन को नुकसान पहुंचा है। भवन की छत गिर गई, कंपनी और कर्मचारियों की गाड़ियां भी क्षतिग्रस्त हो गई। ‘दिस डे’ अखबार के एडिटोरियल बोर्ड के चैयरमेन सेगुन अदेनिवी ने कहा कि भवन को खासा नुकसान पहुंचा है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
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