03-03-2013, 08:32 PM | #11 |
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Re: सासू मां
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
07-03-2013, 06:35 AM | #12 |
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Re: सासू मां
जब गधे राज करते हैं!
जंगल का राजा शेर बहुत ही समतावादी और समन्वयवादी था अत: उसने मंत्रिमंडल में हर प्रकार के जानवरों को शामिल करने का निर्णय ले लिया. इस तरह के प्रतिनिधि जोडे जा रहे थे तो गधे के बारे में महामंत्री भालू ने बडी आपत्ति की. उसका कहना था कि गधे के कारण महाराजाधिराज को फायदा होने के बदले वे कभी भी फंस सकते हैं, लेकिन आपत्ति अनसुनी कर शेर ने गधे को शामिल कर लिया. शेर अपनी सास से बहुत चिढता था और इस कारण मंत्रिमंडल के सदस्यों के सामने वह सासू मां की बुराई में भद्दी से भद्दी टिप्पणियां और चुटकुले सुनाया करता था. लेकिन मामला एकदम रहस्य रहता था. यहां तक कि शेरनी को भी इसका गुमान तक न था. कुछ दिन के बाद शेर की सास उनके घर पधारी, लेकिन अगले ही दिन वे गुजर गईं. अपनी पत्नी और उसके घरवालों को बेवकूफ बनाने के लिये शेर ने सात दिन के राजकीय शोक और उसके बाद एक महाशोकसभा की घोषणा कर दी. सारी दुनियां से भांड बुलवाये गये और महाशोकसभा में उन लोगों ने सासू मां के बारे में एक से एक रचनायें पढीं. अंत में राजाधिराज ने बडे ही शोकाकुल होकर रोते रोते सासूमां के बारे में भांडश्रेष्ठ द्वारा रची एक कविता का पठन चालू किया. सारा जंगल उसे सुन कर रो पडा. अचानक जोर जोर से हंसने की आवाज सुनाई. हा, हा हा!! राजाधिराज एकदम गुर्राये, “कौन है वह गधा जो इस शोकसभा में हंसने की जुर्रत कर रहा है”. महामंत्री ने सूचित किया कि यह गर्दभमंत्री का ही कार्य है. राजाधिराज ने गर्दभराज को सब के सामने खडा करवा कर उसे अपनी सासू जी की दिवंगत आत्मा के अपमान के लिये मृत्युदंड की आज्ञा दी. सारी भीड के सामने गधे से उसकी आखिरी इच्छा पूछी गई. सारी भीड के सुनते सुनते वह बोला, “जहांपनाह, पिछले महीने आप ने अपनी सास के बारें में जो छ: भद्दे चुटकुले समझाये थे और जो दस भद्दी गालियां दी थीं उनमें से पहला चुटकुला और पहली गाली का मतलब अभी अभी समझ में आया और इस कारण हंसी नहीं रोक पाया था. गुजारिश है कि मुझे इतना समय और दिया जाये कि मौत के वरण के पहले आप के द्वारा आपकी सासूमां के बारे में सुनाये गये बाकी भद्दे चुटकुलों और गालियों का मतलब मैं समझ सकूँ”
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17-03-2013, 09:19 PM | #13 |
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Re: सासू मां
माँ और सास
एक माँ को अपने बेटे बहुत अच्छे लगते हैं, चाहे कितने ही नाकारा हों आवारा हों ,निकम्में हों बहुत अच्छे लगते हैं। एक सास को दूसरों की बहुएँ बहुत अच्छी लगती हैं, चाहे जाहिल हों ,फूहड़ हों । काम करने का सलीका भी उन्हें न आता हो पर बहुत अच्छी लगती हैं। अपनी बहु चाहे कितनी सुंदर , सुघढ़ सलीकेदार हो , म्र्दुव्यव्हार हो , उतनी अच्छी नहीं लगती जितनी दूसरों की बहुएं अच्छी लगती हैं।
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17-03-2013, 09:22 PM | #14 |
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Re: सासू मां
एक बार एक बहू अपनी सास के पास जाती है और कहती है; बहू: मां जी, कल रात को उनसे मेरी लड़ाई हो गई! बहू की बात सुन सास उसे बड़े ही प्यार से समझाते हुए कहती है; सास: कोई बात नहीं बहू, यह सब तो पति-पत्नी के बीच होता ही रहता है! सास की बात सुन बहू जवाब देती है; बहू: माँ जी वह तो मैं भी जानती हूँ, लेकिन अब लाश का क्या करें?
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17-03-2013, 09:25 PM | #15 |
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Re: सासू मां
सास (बहू से) – “बेटी, आज से तुम मुझे अपनी माँ और अपने ससुर को पिता ही समझना.”
तभी दरवाजे की घंटी बजी. बहू ने दरवाजा खोला तो देखा कि उसका पति आया है. सास – “कौन आया है बेटी ?” बहू – “माँ, भैया ऑफिस से आ गए …!”
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