|
29-10-2010, 08:04 PM | #1 | |
Diligent Member
Join Date: Oct 2010
Location: जयपुर (राजस्थान)
Posts: 1,366
Rep Power: 17 |
Quote:
कि जो व्यक्ति खूब मेहनत करके पसीना बहाता है उसके पसीने में बदबू नहीं होती लेकिन यहाँ हसीं मजाक चल रहा है इसलिए मैंने कविता लिखी |
|
29-10-2010, 09:28 PM | #2 |
Special Member
|
तो मैंने कौन सा तोप छोड़ दिया
मैंने भी तो बस वही आगे बढाया जो आपने शुरू किया आखिर बुजुर्गों की परम्परा बढ़ाना हमारा कर्त्तव्य जो ठहरा
__________________
घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
30-10-2010, 09:45 AM | #3 |
Diligent Member
Join Date: Oct 2010
Location: जयपुर (राजस्थान)
Posts: 1,366
Rep Power: 17 |
|
29-10-2010, 08:19 PM | #4 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99 |
भाई जी , अनजाना जी , निशाँत भाई, तारा बाबू और सिकंदर भाई आप सभी का अभिनंदन है सूत्र मेँ । सर्वथा मृत तरंगोँ के कारण मैँ खिन्न हूँ । आपके होठोँ को आपके कानोँ तक खीचने का कार्य फिर कभी । धन्यवाद ।
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 Last edited by jai_bhardwaj; 29-10-2010 at 08:21 PM. |
29-10-2010, 08:23 PM | #5 |
Diligent Member
Join Date: Oct 2010
Location: जयपुर (राजस्थान)
Posts: 1,366
Rep Power: 17 |
रिजल्ट साफ़ है
किसी भी चीज को ज्यादा खीचने से वो मृत हो जाती है |
01-11-2010, 12:10 AM | #7 |
Diligent Member
Join Date: Oct 2010
Location: चांदनी चौक
Posts: 812
Rep Power: 16 |
जान लेनी ही थी तो कह दिया होता मुस्कराने की क्या जरूरत थी
__________________
अच्छा वक्ता बनना है तो अच्छे श्रोता बनो, अच्छा लेखक बनना है तो अच्छे पाठक बनो, अच्छा गुरू बनना है तो अच्छे शिष्य बनो, अच्छा राजा बनना है तो अच्छा नागरिक बनो |
01-11-2010, 12:24 AM | #8 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99 |
यह हालिया बयान तुमने पढ़ा नहीं है ?
'जय' फिर अब किसी से बावफा नहीं है !!
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
01-11-2010, 12:30 AM | #9 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99 |
मेरे रोजे हराम हो गए , 'जय' तेरे ही कारण !
जालिम ने मुझे फिर से गम को खिला दिया //
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
02-11-2010, 11:50 PM | #10 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99 |
अगर मैं डाल से टूटा तो, बोलो फिर कहाँ जाऊँ
तुम्हारा साथ यदि छूटा तो, बोलो फिर कहाँ जाऊँ तुम्हारी आँख में स्थिर अभी, 'जय' आंसू बन करके पलक झपकाओगे यदि तो, बोलो फिर कहाँ जाऊँ //
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
Bookmarks |
Tags |
ghazals, hindi poems, poems, shayaris |
|
|