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Old 29-08-2013, 04:05 PM   #1
janoduniya
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janoduniya will become famous soon enough
Default देश को दिल में रखकर खेलते थे ध्यानचंद

हममें से बहुत कम ही लोगों ने ध्यानचंद को खेलते हुए देखा है। उनके बारे में सुना बहुत है। पढ़ा भी है। हॉकी के जादूगर आजादी के पहले खेलते हुए भी भारत को सीने और सिर पर रखकर खेलने वाले खिलाड़ी थे। कम शब्दों में कहा जाए तो वो देश के खिलाड़ी थे। जैसे कोई स्वतंत्रता सेनानी गलियों में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ता था वैसे ही ध्यानचंद हॉकी के मैदान पर दुश्मनों के छक्के छुड़ाते थे। वो स्वतंत्र होकर खेले और देश को गुलामी से बाहर निकालने की मंशा के साथ खेले। ताज्जुब नहीं है कि उनकी हॉकी के प्रति प्यार और उसमें अप्रतिम सफलता से प्रभावित होकर भारत सरकार ने हॉकी को राष्ट्रीय खेल घोषित कर दिया।

ध्यानचंद ने लगभग आठ दशक पहले ही लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया था कि खेलों में कदम रखना गलत नहीं है। ध्यानचंद की ही देन है कि हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है और उनका जन्मदिन (29 अगस्त) राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

हॉकी में ध्यानचंद की अहमियत को इसी बात से समझा जा सकता है कि उन्हें फुटबॉल में पेले और क्रिकेट में ब्रैडमैन के समतुल्य माना जाता है। इस महान सपूत को सम्मान देते हुए राष्ट्रपति खेल सम्मान से खिलाड़ियों को सम्मानित करते हैं। इस दिन खेल रत्न, अर्जुन पुरस्कार और द्रोणाचार्य पुरस्कार वितरित किए जाते हैं।

Last edited by dipu; 29-08-2013 at 05:04 PM.
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ध्यानचंद


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