21-12-2013, 12:55 PM | #1 |
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ग़ज़ल- रेत पर...
ग़ज़ल- रेत पर...
॰॰॰ रेत पर जिन्दगी का महल दोस्तोँ ऐसा लगने लगा आजकल दोस्तोँ क्या ग़ज़ब का तरीका है तुमने चुना दोस्त बन के किया है कतल दोस्तोँ ग़म से डर जाऊँगा ये जरूरी नहीँ कीच से कब डरे है कमल दोस्तोँ ग़म नहीँ है मुझे यार तुम सा मिला चीज मिलती कहाँ अब असल दोस्तोँ मेरे महबूब का कोई सानी नहीँ कोई उसका नहीँ है बदल दोस्तोँ जाने क्या सोचकर लूटते हो हमेँ ले के जाओगे क्या चल-अचल दोस्तोँ आज 'आकाश' क्योँ दूसरोँ के लिए आँख होती नहीँ है सजल दोस्तोँ ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी Aakash maheshpuri पता- वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश 09919080399 Last edited by आकाश महेशपुरी; 22-12-2013 at 06:43 AM. |
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