06-07-2011, 12:25 PM | #1 |
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शराब आपको पीती है
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
06-07-2011, 12:25 PM | #2 |
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Re: शराब आपको पीती है
” मेरे बुढ़ापे की लाठी था मेरा बेटा,” ” मै बर्बाद हो गयी” “मेरा सब कुछ लुट गया” पूरा गाँव जहरीली शराब के शिकार घर के एकलौते चिराग की मृत्यु पर उसकी माँ के करुण क्रंदन , , चीख पुकार से गूँज रहा था.माँ का विलाप सबको द्रवित कर रहा था, परन्तु न तो असहाय माँ कुछ करने में समर्थ थी न ही कोई अन्य. ये दृश्य किसी फिल्म का नहीं है.आम हो चले वास्तविक जीवन के दृश्य हैं जहाँ जहरीली शराब का सेवन कर अधिकांश परिवार उजड़ जाते हैं,.कोई अपना इकलौता बेटा खोता है,,तो किसी की मांग उजडती है,,कोई बच्चा अनाथ हो जाता तो कोई अपाहिज वृद्ध अपनी संतान को खोकर दाने दाने को तरसने को विवश हो जाता है..मीडिया में यही समाचार सुर्ख़ियों में होता है. .राजनीतिक दलों को एक मुद्दा मिल जाता है, ,कहीं सहानुभूति प्रदर्शित की जाती कहीं सरकार को कोसा जाता है .,अपराधियों को दंडस्वरुप फांसी देने की मांग भी उठती है,.सरकार की निंद्रा भी थोड़ी खुलती है, क्योंकि मामला विपक्षी दलों के हाथों में पहुँचने पर राजनीतिक हानि का डर सताता है,परन्तु थोड़ी देर के लिए.. अंतत अपराधियों को दंड देने की बात कह कर मुआवजे की घोषणा कर दी जाती है..
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06-07-2011, 12:26 PM | #3 |
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Re: शराब आपको पीती है
इस प्रकार की घटनाएँ कोई एक दो नहीं प्रतिवर्ष बढ़ती जा रही हैं.गाँव हो चाहे शहर ,युवा हो चाहे प्रौढ़ हो या फिर वृद्ध यहाँ तक कि महिलाएँ भी शराब की गिरफ्त में हैं आसाम,अरुणांचल प्रदेश,सिक्किम,मध्यप्रदेश,आंध्रप्रदेश,उड़ीसा,छत्ती सगढ़ पर्वतीय राज्यों तथा ,उत्तरपूर्वी सीमान्त राज्यों की महिलाएं ,अन्य राज्यों के मुकाबले शराब को अपनी दिनचर्या बना चुकी हैं, महानगरों में शराब फैशन है महिलाओं के लिए. .अंतर मात्र जेब के हिसाब से शराब की केटेगरी का है अर्थात ठर्रा, देसी,महंगी विदेशी शराब आदि (मेरा ज्ञान इस विषय में जरा अल्प है) परन्तु कोई उत्सव हो,त्यौहार हो या कोई अन्य अवसर इसके अभाव में पूरा नहीं होता.हर पार्टी में एक काउंटर शराब का होना आवश्यक है ,जहाँ नहीं होता है वो पार्टी या तो बोरिंग, रसहीन है या पार्टी आयोजित करने वाले गंवार,पिछड़े हैं. आज हमारे देश से दूध घी की नदियाँ तो लुप्त हो रही हैं शराब की नयी नयी नदियाँ हर गाँव हर शहर में बह रही हैं.और इन नदियों में नहा कर ही अतृप्त आबाल वृद्ध अपने को धन्य मानते हैं..
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06-07-2011, 12:26 PM | #4 |
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Re: शराब आपको पीती है
किशोरों तथा युवाओं में मद्यपान में भयंकर वृद्धि हुई है.पहले जहाँ किशोरावस्था पूर्ण होने पर चोरी छिपे शराब पीने वाले होते थे,अब तो कोल्ड ड्रिंक्स में मिलाकर लड़के -लड़कियां खुले आम इसका सेवन करते हैं. यही कारण है कि हमारा देश शराब उत्पादन में विश्व के प्रमुख देशों के साथ प्रथम पंक्ति में है.
.देख कर अनदेखा करने के अतिरिक्त कोई चारा नहीं है.प्रतिवर्ष नशे में हुई दुर्घटनाओं के कारण मरने वालों की संख्या में वृद्धि हो रही है.नशे की गिरफ्त में आकर अपना शरीर खोखला करती युवा पीढी बेफिक्र है.तथाकथित क्षणिक आनंद उनका भविष्य किस प्रकार चौपट कर रहा है इसकी उसको कोई चिंता नहीं.”खाओ पीयो करो आनंद भाड़ में जाए परमानंद “मूलमंत्र बन रहा है.जहरीली शराब का जहाँ तक प्रश्न है,मौत के ठेकेदार क्यों बाज आयें अपनी करतूत से . मोटी रिश्वत दो और फिर काम पर चलो.मेरे विचार से तो मुआवजा देना ही अनुचित है और सरकार द्वारा दिया जाना तो पूर्णतया फ़िज़ूल. पहले तो पीना ही गलत और मुआवजा देना ……मुझे नहीं लगता पीड़ित परिवारों का कुछ भला इस मुआवजे से होता होगा. मुआवजा दिलाना भी है तो अपराधी जिसने नशे के रूप में विष बेचा है से दिलवाया जाना चाहिए कई गुना.
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06-07-2011, 12:27 PM | #5 |
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Re: शराब आपको पीती है
प्रश्न तो ये उठता है कि इतनी गंभीर समस्या का हमारे पास कोई निदान नहीं.प्रतिबन्ध लगाना कोई उपचार होता नहीं क्योंकि तब तो ये व्यापार चोरी छिपे और धड़ल्ले से चलता है.सरकार को कोई चिंता नहीं जिसका प्रमाण है,थोड़ी थोड़ी दूर पर खुले शराब के केंद्र,देसी विदेशी दोनों के.और हाँ पब्स ,बीयर बार्स आदि भी. क्योंकि शराब ही तो मोटे राजस्व की प्राप्ति का साधन हैआंकड़ों के अनुसार अधिकांश राज्यों में बिक्री कर से होने वाली आय के बाद दूसरे नंम्बर पर शराब ही है जिससे राजस्व की प्राप्ति होती है ,वैसे भी चिंतन का विषय तो तब होगा जब चिन्तक स्वयं सुरापान से अछूते हों.आखिर क्या होगा हमारे देश का? पाश्चात्य देशों की नक़ल में हम भूल रहे हैं कि संभवतः उनके जलवायु के अनुसार उनके लिए शराब भले ही हानिकर न परन्तु हमारी जलवायु खान-पीन उनसे भिन्न है.भूमंडलीकरण की दुहाई देकर जलवायु के अनुसार आवश्यकताओं को तो विज्ञान भी नहीं नकारता..
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06-07-2011, 12:27 PM | #6 |
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Re: शराब आपको पीती है
दुःख तो तब होता है जब एक दिहाड़ी मजदूर,रिक्शा चालक या अन्य अल्पाय वाले बंधु जो रोज कुआँ खोद कर पानी पीने वाले हैं भी अपनी कमाई शराब में उड़ा देते हैं और उनका परिवार भूखों मरता है,दाने दाने को मोहताज रहता है परन्तु उनकी प्राथमिकता शराब ही है.जो उनकी कार्य करने की क्षमता भी घटाती है. हमारे पर्वतीय बंधु आदि हो चुकें है,इस लत के.पर्वतीय जलवायु में जो चमक ,स्वास्थय की लालिमा उनके मुखमंडल पर होनी चाहिए उसके स्थान पर अंदर को धंसी आँखें तथा पिचके चेहरे उनकी स्थिति को स्पष्ट कर देते हैं.
जनजातीय तथा सूदूर क्षेत्रों में भी जीवन सुरा की भेंट चढ़ रहे हैं,आंकड़ों के अनुसार हमारे देश में लगभग २ लिटर से अधिक शराब प्रति व्यक्ति एक वर्ष में खपत का अनुमान है और यह औसत है जबकि राज्यों के हिसाब से तो यह कहीं इससे बहुत अधिक और कहीं कम है.
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06-07-2011, 12:28 PM | #7 |
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Re: शराब आपको पीती है
मेरे विचार से हमारी निर्धनता का एक कारण ये शराब है.,जिसके कारण गरीब लोगों की कमाई शराब में उड़ शराब के ठेकेदारों को अमीर बनाती है और निर्धनों का जीवन स्तर न सुधर पाने के कारण देश को निर्धन.इस कारण ही हमारे देश के ४१.६% लोग (वर्ड बैंक ) के २००५-६ के आंकड़ों के अनुसार गरीबी का जीवन यापन करने को विवश हैं.केवल निर्धनता ही नहीं कुपोषण,अशिक्षा,अन्धविश्वास………आदि भी इनसे जुड़े अन्य तथ्य हैं,जिनपर चर्चा यहाँ करना थोडा विषयांतर हो जाएगा.ऐसा नहीं कि केवल निर्धन ही दुष्परिणामों के शिकार हैं,मध्यमवर्गीय या प्राय सभी धनवान लोग भी शराब से होने वाले लिवर विषयक रोगों से पीड़ित हैं कैंसर,फेफड़ों के विभिन्न रोग उच्च रक्तचाप,मधुमेह आदि में वृद्धि करने वाली यही शराब है.अवसाद,अनिंद्रा और उसके दुष्परिणाम के रूप में मस्तिष्क का असंतुलन,और न जाने क्या क्या घातक रोग!
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06-07-2011, 12:29 PM | #8 |
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Re: शराब आपको पीती है
मैं व्यक्तिगत रूप से एक ऐसे परिवार को जानता हूँ जहाँ एक परिवार में चारों भाई शराबी थे. उन भाईयों में से तीन भाई १५ माह के अन्दर अपना जीवन शराब की भेंट चढ़ा बैठे.चौथे भाई के बचने का कारण मात्र इतना था कि एक तो वह जरा ऊँचें स्तर की पीता था और अपना उपचार करने में भी समर्थ था..सही कहा गया है पहले लोग शराब पीते हैं फिर शराब उनको पीती है.
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06-07-2011, 12:30 PM | #9 |
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Re: शराब आपको पीती है
प्रतिदिन होने वाली सड़क दुर्घटनाएं प्राय नशे में गाडी चलाने के कारण होती हैं. यदि हम सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों पर दृष्टिपात करें तो ४०% दुर्घटनाओं का कारण अल्कोहल है. परन्तु नशे के सामने जीवन मूल्यहीन है
समस्या का उपरोक्त स्वरूप जानते तो हम सभी हैं,और अधिकांश लोग भुक्तभोगी भी हैं, वैसे तो सरकार इस ओर गंभीर होगी इसकी आशा ही कपोलकल्पित है परन्तु सरकारी प्रयासों के साथ विशिष्ट जन जागृति अभियानं,स्वयंसेवी संगठनों द्वारा चलाये जाएँ या स्वयं प्रभावित परिवारों द्वारा,विशिष्ट मेडिकल कैम्पस जहाँ इसके दुष्परिणामों की वास्तविक जानकारी दी जाए,स्कूल के स्तर से ही इसके दुष्परिणामों के बारे में बताया जाये,गाँव गाँव में शिविर आयोजित किये जाएँ ऐसा नहीं ये संभव नहीं.गत कुछ ही वर्ष पूर्व महिलाओं ने ये बीड़ा उठाया था,मुज़फ्फरनगर,हरियाणा के कुछ भागों में तथा पहाड़ों पर भी उसके परिणाम भी सामने आये थे शराब के ठेके बंद होने लगे थे परन्तु कुछ समय बाद ये प्रयास आगे न बढ़ सके.परन्तु इनको आगे बढाया जा सकता है.. उपाय तो और भी मिलेंगें यदि विचार किया जाए तो. काश! कोई तो संभले.
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