28-10-2010, 03:49 PM | #12 |
Special Member
Join Date: Oct 2010
Posts: 3,421
Rep Power: 32 |
क्या बात है सिकंदर भाई तुसी तो आते ही छा गए. भाई वाह !
__________________
|
28-10-2010, 03:52 PM | #13 |
Special Member
Join Date: Oct 2010
Posts: 3,421
Rep Power: 32 |
आपके सिग्नेचर में जो वाक्य लिखा है उसी से प्रेरित होकर मैंने भी अपने सिग्नेचर में ये वाक्य जो को रहीम दास जी का दोहा है जोड़ा है.
__________________
|
28-10-2010, 04:05 PM | #15 |
Special Member
Join Date: Oct 2010
Posts: 3,421
Rep Power: 32 |
रीति, प्रीति सबसौं भली, बैर न हित मित गोत।
रहिमन याहि जनम की, बहुरि न संगत होत।। इसका अर्थ है कि प्रेम से हिल मिल कर रहना ही अच्छा होता है खास तौर पर अपने हितेषी, मित्रों और गोत्र वालों से कभी भी बैर नहीं रखना चाहिए. ये एक ही तो जनम मिला है फिर पता नहीं ये शरीर मिले या ना मिले.
__________________
Last edited by aksh; 28-10-2010 at 04:11 PM. |
28-10-2010, 04:08 PM | #16 |
Special Member
Join Date: Oct 2010
Posts: 3,421
Rep Power: 32 |
कदली, सीप, भुजंग मुख, स्वाति एक गुन तीन।
जैसी संगति बैठिये, तसोई फल दीन ।। इसका अर्थ ये है कि स्वाति नक्षत्र की बूँद एक ही जैसी होने के वाबजूद अगर केले पर पड़ती है तो कपूर बन जाती है, सीप में गिरे तो मोती और अगर सर्प के मुंह में गिरे तो विष बन जाती है. अर्थात संगत से ही आपकी गति तय होती है.
__________________
|
28-10-2010, 04:12 PM | #17 |
Special Member
Join Date: Oct 2010
Posts: 3,421
Rep Power: 32 |
संगत के ऊपर ये सूक्ति कैसी लगी बताएं मित्र ?
__________________
|
28-10-2010, 04:17 PM | #18 |
VIP Member
|
नित्य , सर्वव्यापक , अचल , स्थिर और शाश्वत आत्मा को आग जला नही सकती पानी गीला नही कर सकता
वायु उडा नही सकती शस्त्र काट नही सकते यह आत्मा नि:सन्देह शाश्वत है ।
__________________
Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..." click me
|
28-10-2010, 04:19 PM | #19 |
Diligent Member
Join Date: Oct 2010
Location: चांदनी चौक
Posts: 812
Rep Power: 16 |
सिकंदर भाई, स्वागतम. आप आए बहार आई. बाकी भी आते ही होंगे. हा हा हा.
धन्यवाद. |
28-10-2010, 04:20 PM | #20 |
VIP Member
|
अंगूठे के परिमाण वाली अति लघू स्वरूप और सूक्ष्म आत्मा मनुष्य के भीतर सदा विद्यामान रहती है ।
__________________
Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..." click me
Last edited by Sikandar_Khan; 11-03-2011 at 01:19 PM. Reason: edit |
Bookmarks |
Tags |
anmol moti, hindi forum |
|
|