18-12-2011, 03:29 PM | #41 |
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Re: प्यारे नबी की प्यारी सुन्नतेँ और प्यारी ब&
एक आदमी को गुलाब का फूल तोड़ना था। वह शौक़ के तहत तेज़ी से लपक कर उसके पास पहुंचा और झटके के साथ एक फूल तोड़ लिया। फूल तो उसके हाथ में आ गया‚ लेकिन तेज़ी के नतीजे में कई कांटे उसके हाथ में चुभ गए। उसके साथी ने कहा कि तुमने बड़ी हिमाक़त की। तुमको चाहिए था कि कांटो से बचते हुए एहतियात के साथ फूल तोड़ो। तुमने एहतियात वाला काम बेएहतियाती से किया। इसी का नतीजा है कि तुम्हारा हाथ ज़ख्मी हो गया। अब फूल तोड़ने वाला गुस्सा हो गया। उसने कहा कि सारा क़ुसूर तो इन कांटो का है। उन्होने मेरी हथेली और मेरी उंगलियों से खून निकाल दिया। और तुम उल्टा मुझको मुजरिम ठहरा रहे हो। उसका साथी बोला— मेरे दोस्त‚ यह दरख्त के कांटो का मामला नहीं‚ यह क़ुदरत के निज़ाम का मामला है। क़ुदरत ने दुनिया का निज़ाम इसी तरह बनाया है कि यहां फूल के साथ कांटे हों। मेरी और तुम्हारी चीख़ और पुकार ऐसा नहीं कर सकती कि इस निज़ाम को बदल दे। फूल के साथ कांटो का यह निज़ाम तो बहरहाल इसी तरह दुनिया में रहेगा। अब मेरी और तुम्हारी कामयाबी इसमें है कि हम सच्चाई को मानते हुए इससे बचने की तदबीर तलाश करें। और वह तदबीर यह है कि कांटो से बच कर फूल को हासिल करें। कांटो में न उलझते हुए फूल तक पहुंचने की कोशिश करें। फूल के साथ कांटे का होना कोई सादा बात नहीं। यह फ़ितरत और क़ुदरत की जुबान में इन्सान के लिए सबक़ है। यह वनस्पति की जुबान में इन्सानी हक़ीक़त का एलान है। यह उस तख्लीक़ी और सृजानात्मक मन्सूबे का तआरूफ़ और परिचय है‚ जिसके मुताबिक़ मौजूदा दुनिया को बनाया गया है। इसका मतलब यह है कि इस दुनिया में वही क़दम कामयाब होता है जो बच कर चलने के उसूलों के मुताबिक़ हो। जहां बचने की ज़रूरत हो वहां उलझना‚ जहां तदबीर की ज़रूरत हो वहां एजीटेशन करना सिर्फ़ अपनी नालायक़ी का ऐलान करना है‚ ख़ुदा ने जिस मौक़े पर बच कर चलने का तरीक़ा इख्तियार करने का हुक्म दिया हो‚ वहां उलझने का तरीक़ा इख्तियार करना खुद अपने आपको मुजरिम बनाना है‚ चाहे आदमी ने दूसरों को मुजरिम साबित करने के लिए डिक्शनरी के तमाम अल्फ़ाज़ दुहरा डाले हों। अल–रिसाला(हिन्दी)— जनवरी 1991 www.alrisala.org www.cpsglobal.org |
22-12-2011, 09:24 PM | #42 |
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Re: प्यारे नबी की प्यारी सुन्नतेँ और प्यारी ब&
मे‘यार को बुलन्द करना
पुराने ज़माने के अरब में बराबर की अख्लाक़ियात (नैतिकता) का रिवाज था उनकी ज़िन्दगी का उसूल यह था कि जो शख्स़ जैसा करे उसके साथ वैसा ही किया जाए। यानी अच्छा सुलूक करने वाले के साथ अच्छा सुलूक और बुरा सुलूक करने वाले के साथ बुरा सुलूक। इस्लाम से पहले के ज़माने का एक शायर अपने मुक़ाबिले के क़बीले के बारे में कहता है कि ज़्यादती की कोई क़िस्म हमने बाक़ी नहीं छोड़ी। उन्होने हमारे साथ जैसा किया था वैसा ही हमने उनको बदला दिया। रसूलुल्लाह मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तशरीफ़ लाए तो आपने अख्लाक़ के इस उसूल को बदला। बराबरी के अख्लाक़ के बजाय आपने उनको बुलन्द–अख्लाक़ी की तालीम दी। आपने फ़रमाया कि “जो शख्स तुम्हारे साथ बुरा सुलूक करे उसके साथ तुम अच्छा सुलूक करो।” एक हदीस में है : तुम लोग इम्मआ (मौक़ापरस्त–खुदगर्ज़) न बनो‚ कि यह कहने लगो कि अगर लोग हमारे साथ अच्छा करें तो हम भी उनके साथ अच्छा करेंगे। और अगर वे ज़्यादती करें तो हम भी ज़्यादती करेंगे। बल्कि अपने आपको इसके लिए तैयार करो कि लोग तुम्हारे साथ अच्छा करें तो तुम उनके साथ अच्छा करोगे और अगर लोग तुम्हारे साथ बुरा करें तब भी तुम उनके साथ ज़्यादती नहीं करोगे। (मिश्कातुल मसाबेह‚ तीसरा भाग) आपकी एक सुन्नत यह भी है कि लोगों के शुऊर(चेतना) को बुलन्द किया जाए। उनके अख्लाक़ को ऊंचा किया जाए। उनकी हालत को हर लिहाज़ से ऊपर उठाने की कोशिश की जाए। इन्सान के इन्सानी मे‘यार को बुलन्द करना‚ फिक्री‚ इल्मी‚ अख्लाक़ी हैसियत से उसको ऊपर उठाना अहमतरीन काम है। इसमें आदमी की भलाई है और इसी में पूरे समाज की भलाई भी। यह ठीक रसूल का तरीक़ा है यानी सुन्नते रसूल है और इसको ज़िन्दा करना सुन्नते–रसूल को ज़िन्दा करना है। अल–रिसाला(हिन्दी) मार्च–1991 www.alrisala.org www.cpsglobal.org |
22-12-2011, 09:28 PM | #43 |
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Re: प्यारे नबी की प्यारी सुन्नतेँ और प्यारी ब&
पैग़म्बरकातरीक़ा
इमाममुस्लिमअपनीसहीहमेंकहतेहैंकिमुझसेइब्नेअबीउमरनेकहा‚उनसेमर्वानफ़ज़ारीनेबयानकिया‚उनसेयज़ीदबिनकयसानने‚उनसेइब्नेअबीहाज़िमनेऔरउनसेअबूहुरैरानेकहाकिरसूलुल्लाहमुहम्मदसल्लल्लाहुअलैहिवसल्लमसेकहागयाकिआपमुश्रिकोंकेख़िलाफ़बद्दुआकरें।आपनेफ़रमायाकिमुझकोला‘नतकरनेवालाबनाकरनहींभेजागयाहै‚बल्किमुझकोरहमतबनाकरभेजागयाहै। रसूलुल्लाहमुहम्मदसल्लल्लाहुअलैहिवसल्लमपरऔरआपकेसहाबियोंऔरसाथियोंपरउनकेदुश्मनोंनेजोमुसिबतेंडालींऔरज़ुल्मकियावहआजकेजुल्मऔरमुसिबतसेबहुतज्यादाथा।यहांतककिमुक़द्दससहाबीइनज़ुल्मोंकोदेखकरकहउठेकिउनकेख़िलाफ़बद्दुआकीजाए।मगररसूलुल्लाहमुहम्मदसल्लल्लाहुअलैहिवसल्लमनेउनकेज़ेहनकोसहीकिया।उन्होनेफ़रमायाकिहमाराकामदुनियाकोख़ुदाकीरहमतोंकेसायेमेंदाख़िलकरनाहैनकिउनकीहलाकतऔरबरबादीकासामानकरना। यहरसूलुल्लाहसल्लल्लाहुअलैहिवसल्लमकीसुन्नतहै।आपकेख़िलाफ़लोगोंनेज़ुल्मकिया‚इसकेबावजूदआपनेउनकेसाथख़ैरख्वाहीकी।लोगोंनेआपकेऊपरमुसिबतेंडालीं‚इसकेबावजूदआपउनकेलिएअल्लाहतआलासेदुआकरतेरहे।रसूलुल्लाहसल्लल्लाहुअलैहिवसल्लमकेइसीआलाऔरबेहतरसुलूककानतीजाथाकिआपकोदुनियामेंआलातरीनकामयाबीहासिलहुई।क़ौमेंआपकेआगेझुकगई।ज़ुल्मऔरसरकशीकरनेवालेआपकेहाथपरबैअतकरकेयानीदीक्षालेकरआपकेसाथीऔरसहयोगीबनगए। मुसलमानोंकोभीअपनेपैग़म्बरकेइसीनमूनेपरअमलकरनाहै।हमकोदुनियाकीक़ौमोंकाख़ैरख्वाहऔरउनकीभलाईचाहनेवालाबननाहै‚चाहेवेहमारेसाथबदख्वाहीऔरबुराईकरें। हमेंलोगोंकेहक़मेंहिदायतकीदुआकरनाहै‚चाहेवेहमारेसाथज़ुल्मऔरज्यादतीकामामलाकरें।हमेंदूसरोंसेमुहब्बतकरनाहै‚चाहेहमेंदूसरोंकीतरफ़सेनफ़रत‚घृणाऔरबैरमिले। यहीपैग़म्बरकातरीक़ाहै।औरपैग़म्बरकातरीक़ाइख्तियारकरनेकेबादहीमुसलमानख़ुदाकीउननुसरतोंऔरमददकेहक़दारबनसकतेहैंजिनकावा‘दाख़ुदानेअपनेपैग़म्बरकेज़रिए. उनकेलिएकियाहै। अल–रिसाला(हिन्दी)—जनवरी 1991 www.cpsglobal.org |
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