05-04-2014, 04:48 PM | #1 |
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चुनावी पुलाव
चुनावी पुलाव जनता जानना चाहती है? भ्रष्टाचार में लीन कौन है, कौन मलिन है क्लीन कौन है.स्विस बैंकों से रिश्ते नाते हैं, किस किस के कितने खाते हैं.कितना सोना चांदी माया, कितनी बनी प्रॉपर्टी सरमाया.किसने नोटों के हार कबाड़े, कभी न आई मुश्किल आड़े.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
05-04-2014, 04:52 PM | #2 |
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Re: चुनावी पुलाव
चुनावी पुलाव जनता जानना चाहती है? तुमने कितना किया विकास, पूछेगा कल को इतिहास.किसी ठौर न दिखती आस, दिखता है तो सत्यानास.जिसने अपनी खाल उतारी, वही बन गया भ्रष्टाचारी.नेता जी ने रंग भी बदला, लोकतंत्र का ढंग भी बदला.
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05-04-2014, 05:20 PM | #3 |
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Re: चुनावी पुलाव
[QUOTE=rajnish manga;479071]
चुनावी पुलाव जनता जानना चाहती है? दे कर भ्रष्टाचार गये, सात पीढ़ियां तार गये.अपने नाना रूप बनाये, कोरे इन्द्रधनुष दिखलाये.किसने कितना खाया होगा, सत्ता का सुख पाया होगा.इसका बना नहीं है मीटर, कौन बड़ा है कितना चीटर.
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05-04-2014, 05:25 PM | #4 |
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Re: चुनावी पुलाव
चुनावी पुलाव नेताओं की लीला न्यारी झूठे वादों के गुलदस्ते, भारी हैं पर खाली बस्ते.इनको छू न सके महंगाई, सरकारी धन में सेंध लगाईं.पद पर थे तो छकी मलाई, विकास फंड की पाई पाई.लाभ के पद पर बापू-माई, कहीं पे भैया, कहीं लुगाई.
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05-04-2014, 05:29 PM | #5 |
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Re: चुनावी पुलाव
चुनावी पुलाव नेताओं की लीला न्यारी घर घर में पर्चे बंटवाये, चमचों से डंके बजवाये.व्यापारी भी खीज रहे हैं, उद्योगपति भी छीज रहे हैं.हड़प लिया सरकारी पैसा, लौटाओ वैसे का वैसा.दो नम्बर की दौलत आई, खत्म हो गयी नेक कमाई.
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05-04-2014, 05:33 PM | #6 |
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Re: चुनावी पुलाव
चुनावी पुलाव नेताओं की लीला न्यारी एल-1 के दरवाजे ओपन, दारू के खुल जाते ढक्कन.वोट बैंक तब चले सुचारू, पीने को मिल जाये दारू.मनभावन सा मन्त्र लिये, लक्ष्मी जी का यन्त्र लिये.हाथ जोड़ कर सब आयेंगे, नये झुनझुने देकर जायेंगे.
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05-04-2014, 05:36 PM | #7 |
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Re: चुनावी पुलाव
चुनावी पुलाव नेताओं की लीला न्यारी कोई सस्ती बिजली देगा, कोई मुफ्त में पानी देगा.नाना पकवान चखायेंगे, सौ - सौ स्वर्ग दिखायेंगे.योजनाओं का पैसा था, सब भाप या धूयें जैसा था.पता नहीं वह गया किधर, पलक झपकते तितर-बितर.
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05-04-2014, 05:38 PM | #8 |
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Re: चुनावी पुलाव
चुनावी पुलाव नेताओं की लीला न्यारी रंगे सियारों का जमघट है, चारों और विकट संकट है.क्या क्या नारे लगते हैं, इनसे जनता को ठगते है.मैं ये कर दूंगा वो कर दूंगा, इन विषयों पर लेक्चर दूंगा.श्रोताओं को खुश कर दूंगा, मैं जनता का मन भर दूंगा.
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05-04-2014, 05:41 PM | #9 |
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Re: चुनावी पुलाव
चुनावी पुलाव नेताओं की लीला न्यारी नोच नोच कर देश खा गये, दलदल में दल हमें ढा गये.भोली जनता के अपने थे, टूट गये सपने, सपने थे!!स्वप्न सुहाने चूर हो गये, गिर कर चकनाचूर हो गये.तलवारों के घाव भरे हैं, पर शब्दों के ज़ख्म हरे हैं.
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05-04-2014, 05:44 PM | #10 |
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Re: चुनावी पुलाव
चुनावी पुलाव वोटर की स्थिति यूँ वोटर भाग्य विधाता है, हर नेता से लुट जाता है.मेरी राम कहानी सुनिये, सुनते सुनते सिर धुनिये.सभी दिशायें शंकालू हैं, प्रश्नों के भारी भालू हैं.बिन मांझी पतवार है नैया, लहरों से अनजान खिवैया.
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