07-04-2013, 05:05 PM | #11 |
VIP Member
Join Date: Nov 2012
Location: MP INDIA
Posts: 42,448
Rep Power: 144 |
Re: ज़िन्दगी ... .
तेरी याद आ गई जिंदगी फिर मुझको बहला गई तेरी याद आ गई कुछ ख्याल आँसू बनकर आँखों में आ उतरे कुछ देर रहे भटकते फिर गालों पर आ झरे तू आँसू बनकर मुझको सहला गई तेरी याद आ गई मैं कुछ सूखा, कुछ रूखा खड़ा था कबसे अपने ही मन में वो हँसी उठी कहीं अतीत से बादल बन छा गई फिर आंगन में तू बारिश बनकर मुझको नहला गई तेरी याद आ गई वीरान दरख़्त एक उगा था मुझ में ना पत्ते ना फूल बस खामोशी और थी धुएँ और बर्फ में दबी अहसासों की लंबी होती बेहोशी तू दीप बनकर जली, बर्फ वो पिघला गई तेरी याद आ गई सूखे पत्तों की आहट ही कब से बस सुन रहा था में गुम हो चुकी थी रोशनी अंधेरों को ही बुन रहा था मैं तू चाँद सी निकली, चाँदनी फैला गई तेरी याद आ गई जिंदगी फिर मुझको बहला गई तेरी याद आ गई
__________________
मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
Bookmarks |
|
|