07-02-2014, 10:44 PM | #1 |
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लोंग दा लश्कारा हूँ.!!
आवारा ना समझ गम का मारा हूँ.!! तेरी गली रात भर ढूंढू तुझे.! मैं तो आशिक़ बहुत बेचारा हूँ.!! संभाल मुझे जहाँ छोड़ आया हूँ.! लड़क्खते हैं कदम बेसहारा हूँ.!! कैसे किसी और का तस्व्वुर करूँ.! एक दिल था तुझ पर हार आया हूँ.!! तख्त-ओ-ताज की ख्वाहिश ना की थी.! करीब रख की लोंग दा लश्कारा हूँ.!!
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Advo.Ravinder Ravi "Sagar" |
08-02-2014, 11:45 AM | #2 |
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Re: लोंग दा लश्कारा हूँ.!!
बहुत खूबसूरत .............
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08-02-2014, 10:08 PM | #3 |
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Re: लोंग दा लश्कारा हूँ.!!
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Advo.Ravinder Ravi "Sagar" |
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